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साहित्य अकादमी पुरस्कार मराठी

सूची साहित्य अकादमी पुरस्कार मराठी

साहित्य अकादमी पुरस्कार एक साहित्यिक सम्मान है जो कुल २४ भाषाओं में प्रदान किया जाता हैं और मराठी भाषा इनमें से एक भाषा है। .

137 संबंधों: चन्द्र प्रकाश देवल, चलत्-चित्रव्‍यूह, चार नगरातले माझे विश्‍व, चिंतामणि राव कोल्हटकर, टी. वी. सरदेशमुख, टी.एस. शेजवलकर, टीका स्वयंवर, ए. आर. देशपांडे अनिल, एन. जी. देशपांडे, एन. जी. कालेलकर, एस. एन. पेंडसे, एस. एन. बनहट्टी, एस. एल. भैरप्प, एक झाड आणि दोन पक्षी, एका मुंगीचे महाभारत, एकूण कविता–1, झोंबी, डांगोरा : एका नगरीचा, डॉ. केतकर, डी. एन. गोखले, तणकट, तमस (उपन्यास), ताम्रपट, तकजि शिवशंकर पिल्लै, तुकाराम दर्शन, दशपदी, दामोदर माऊज़ो, दिलीप चित्रे, दिलीप प्रभावलकर, दुर्गा भागवत, देवदास (उपन्यास), नट सम्राट, नया नियम, नरहर रघुनाथ फाटक, नाट्याचार्य देवल, नामदेव धोंडो महानोर, नामदेव कांबळे, निदा फ़ाज़ली, नक्षत्रांचे देणे, पानझड, पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे, प्रभाकर पाध्ये, प्रभाकर वामन ऊर्ध्वेरेषे, पैस, पी. वाई. देशपाण्डे, पी॰ वी॰ नरसिम्हा राव, फिनिक्सच्या राखेतून उठला मोर, बहुरूपी, बारोमास, बी. एस. मर्ढेकर, ..., भारतीय साहित्य शास्त्र, भारतीय साहित्य अकादमी, भालचंद्र नेमाडे, भाषा : इतिहास आणि भूगोल, भिजकी वही, भीष्म साहनी, मधुकर वासुदेव धोंड, मराठी भाषा, मर्ढेकरांची कविता : स्वरूप आणि संदर्भ, महर्षी विट्ठल रामजी शिंदे : जीवन व कार्य, महेश एलकुंचवार, माणिक सीताराम गोघाटे ग्रेस, मंगेश के. पाडगाँवकर, मैत्रेयी देवी, यशपाल, रणजीत देसाई, रथचक्र, रामचंद्र चिन्तामण ढेरे, राजन गवस, राघववेळ, रागदरबारी, रंगनाथ पठारे, रुजुवात, लक्ष्मण माने, लक्ष्मण शास्त्री जोशी, लक्ष्मण गायकवाड, शरत्चन्द्र चट्टोपाध्याय, श्याम मनोहर, श्री शिव छत्रपति, श्री विट्ठल : एक महासमन्वय, श्रीलाल शुक्ल, सत्तांतर, सतीश काळसेकर, सदानंद नामदेवराव देशमुख, सदानंद श्रीधर मोरे, सलाम, साहित्य अकादमी पुरस्कार, सुनील गंगोपाध्याय, स्मरणगाथा, सौन्दर्य मीमांसा, सौन्दर्य आणि साहित्य, सौन्दर्यानुभाव, सी. टी. खानोलकर (आरती प्रभु), हरिवंश राय बच्चन, हरवलेले दिवस, जयंत पवार, जयंत विष्‍णु नारळीकर, ज्ञानेश्वरीतील लौकिक सृष्टि, जेव्हा माणूस जागा होतो, जी. टी. देशपाण्डे, जी. ए. कुलकर्णी, जी. एन. दांडेकर, वसंत आबाजी डहाके, वाचणारयाची रोजनिशी, वार्याने हलते रान, विनोद कुमार शुक्ल, विश्राम बेडेकर, विश्वास पाटील, विष्णु सखाराम खांडेकर, विष्णु वामन शिरवाडकर कुसुमाग्रज, विजया राजाध्यक्ष, व्यंकटेश माडगूळकर, व्यक्ति आणि वल्ली, वैदिक संस्कृतिचा विकास, खून गाठी, गर्भरेशीम, गंगाधर गाडगीळ, गोदावरी परुलेकर, आदर्श भारत–सेवक, आनंद रतन यादव, आर. बी. पाटणकर, आशा बगे, इरावती कर्वे, इस्मत चुग़ताई, इंदिरा संत, कलि–कथा : वाया बाइपास, काजलमाया, अनामिकाची चिन्तनिका, अनिल अवचट, अमृता प्रीतम, अरुण खोपकर, अरुण कोलटकर, अरुंधति राय, अलका सरावगी, अशोक रा. केळकर, उत्सुकतेने मी झोपलो, उपरा सूचकांक विस्तार (87 अधिक) »

चन्द्र प्रकाश देवल

डॉ॰ चन्द्र प्रकाश देवल (अथवा चंद्र प्रकाश देवल) प्रसिद्ध राजस्थानी कवि और अनुवादक हैं। वो राजस्थानी साहित्य अकादमी सलाहकार परिषद के संयोजक भी हैं। .

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चलत्-चित्रव्‍यूह

चलत्-चित्रव्‍यूह मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार अरुण खोपकर द्वारा रचित एक संस्‍मरण है जिसके लिये उन्हें सन् 2015 में मराठी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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चार नगरातले माझे विश्‍व

चार नगरातले माझे विश्‍व मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार जयंत विष्‍णु नारळीकर द्वारा रचित एक आत्‍मकथा है जिसके लिये उन्हें सन् 2014 में मराठी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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चिंतामणि राव कोल्हटकर

चिंतामणि राव कोल्हटकर मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक आत्मकथा बहुरूपी के लिये उन्हें सन् 1958 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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टी. वी. सरदेशमुख

टी.

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टी.एस. शेजवलकर

टी.एस.

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टीका स्वयंवर

टीका स्वयंवर मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार भालचंद्र नेमाडे द्वारा रचित एक समालोचना है जिसके लिये उन्हें सन् 1991 में मराठी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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ए. आर. देशपांडे अनिल

ए. आर.

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एन. जी. देशपांडे

एन.

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एन. जी. कालेलकर

एन.

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एस. एन. पेंडसे

एस.

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एस. एन. बनहट्टी

एस.

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एस. एल. भैरप्प

एस.

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एक झाड आणि दोन पक्षी

एक झाड आणि दोन पक्षी मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार विश्राम बेडेकर द्वारा रचित एक आत्मकथा है जिसके लिये उन्हें सन् 1985 में मराठी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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एका मुंगीचे महाभारत

एका मुंगीचे महाभारत मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार गंगाधर गाडगीळ द्वारा रचित एक आत्मकथा है जिसके लिये उन्हें सन् 1996 में मराठी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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एकूण कविता–1

एकूण कविता–1 मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार दिलीप चित्रे द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1994 में मराठी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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झोंबी

झोंबी मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार आनंद रतन यादव द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1990 में मराठी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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डांगोरा : एका नगरीचा

डांगोरा: एका नगरीचा मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार टी. वी. सरदेशमुख द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2003 में मराठी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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डॉ. केतकर

डॉ॰ केतकर मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार डी. एन. गोखले द्वारा रचित एक जीवनी है जिसके लिये उन्हें सन् 1961 में मराठी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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डी. एन. गोखले

डी.

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तणकट

तणकट मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार राजन गवस द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2001 में मराठी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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तमस (उपन्यास)

तमस भीष्म साहनी का सबसे प्रसिद्ध उपन्यास है। वे इस उपन्यास से साहित्य जगत में बहुत लोकप्रिय हुए थे। तमस को १९७५ में साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। इस पर १९८६ में गोविंद निहलानी ने दूरदर्शन धारावाहिक तथा एक फ़िल्म भी बनाई थी। 'तमस' की कथा परिधि में अप्रैल १९४७ के समय में पंजाब के जिले को परिवेश के रूप में लिया गया है। 'तमस' कुल पांच दिनों की कहानी को लेकर बुना गया उपन्यास है। परंतु कथा में जो प्रसंग संदर्भ और निष्कर्ष उभरते हैं, उससे यह पांच दिवस की कथा न होकर बीसवीं सदी के हिंदुस्तान के अब तक के लगभग सौ वर्षो की कथा हो जाती है। यों संपूर्ण कथावस्तु दो खंडों में विभाजित है। पहले खंड में कुल तेरह प्रकरण हैं। दूसरा खंड गांव पर केंद्रित है। 'तमस' उपन्यास का रचनात्मक संगठन कलात्मक संधान की दृष्टि से प्रशंसनीय है। इसमें प्रयुक्त संवाद और नाटकीय तत्व प्रभावकारी हैं। भाषा हिन्दी, उर्दू, पंजाबी एवं अंग्रेजी के मिश्रित रूप वाली है। भाषायी अनुशासन कथ्य के प्रभाव को गहराता है। साथ ही कथ्य के अनुरूप वर्णनात्मक, मनोविशेषणात्मक एवं विशेषणात्मक शैली का प्रयोग सर्जक के शिल्प कौशल को उजागर करता है। आजादी के ठीक पहले सांप्रदायिकता की बैसाखियाँ लगाकर पाशविकता का जो नंगा नाच इस देश में नाचा गया था, उसका अंतरग चित्रण भीष्म साहनी ने इस उपन्यास में किया है। काल-विस्तार की दृष्टि से यह केवल पाँच दिनों की कहानी होने के बावजूद इसे लेखक ने इस खूबी के साथ चुना है कि सांप्रदायिकता का हर पहलू तार-तार उदघाटित हो जाता है और पाठक सारा उपन्यास एक साँस में पढ़ जाने के लिए विवश हो जाता है। भारत में साम्प्रदायिकता की समस्या एक युग पुरानी है और इसके दानवी पंजों से अभी तक इस देश की मुक्ति नहीं हुई है। आजादी से पहले विदेशी शासकों ने यहाँ की जमीन पर अपने पाँव मजबूत करने के लिए इस समस्या को हथकंडा बनाया था और आजादी के बाद हमारे देश के कुछ राजनीतिक दल इसका घृणित उपयोग कर रहे हैं। और इस सारी प्रक्रिया में जो तबाही हुई है उसका शिकार बनते रहे हैं वे निर्दोष और गरीब लोग जो न हिन्दू हैं, न मुसलमान बल्कि सिर्फ इन्सान हैं और हैं भारतीय नागरिक। भीष्म साहनी ने आजादी से पहले हुए साम्प्रदायिक दंगों को आधार बनाकर इस समस्या का सूक्ष्म विश्लेषण किया है और उन मनोवृत्तियों को उघाड़कर सामने रखा है जो अपनी विकृतियों का परिणाम जनसाधारण को भोगने के लिए विवश करती हैं। .

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ताम्रपट

ताम्रपट मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार रंगनाथ पठारे द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1999 में मराठी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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तकजि शिवशंकर पिल्लै

तकाजी शिवशंकरा पिल्लै (मलयालम: तकऴि शिवशंकरप्पिळ्ळ) मलयालम भाषा के विख्यात साहित्यकार थे। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास चेम्मीन के लिये उन्हें सन् १९५७ में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। १९८४ में उन्हे ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।.

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तुकाराम दर्शन

तुकाराम दर्शन मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार सदानंद श्रीधर मोरे द्वारा रचित एक समालोचना है जिसके लिये उन्हें सन् 1998 में मराठी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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दशपदी

दशपदी मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार ए. आर. देशपांडे ‘अनिल’ द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1977 में मराठी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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दामोदर माऊज़ो

दामोदर माऊज़ो (जन्म: १ अगस्त १९४४) गोवा के उपन्यासकार, कथाकार, आलोचक और निबन्धकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास कार्मेलिन के लिये उन्हें सन् १९८३ में साहित्य अकादमी पुरस्कार (कोंकणी) से सम्मानित किया गया। .

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दिलीप चित्रे

स्वतंत्रता बाद के युग के अग्रणी भारतीय लेखकों और आलोचकों में से एक दिलीप चित्रे मराठी कवि और आलोचक तथा अंग्रेजी लेखक होने के साथ ही पेंटर और फिल्म निर्माता भी थे। महाराष्ट्र में 1960 में हुए लघु पत्रिका आंदोलन में उनका महत्वपूर्ण योगदान था। .

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दिलीप प्रभावलकर

दिलीप प्रभावलकर हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता हैं। .

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दुर्गा भागवत

दुर्गा भागवत मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक निबंध–संग्रह पैस के लिये उन्हें सन् 1971 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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देवदास (उपन्यास)

देवदास बांग्ला के प्रसिद्ध उपन्यासकार शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय का प्रसिद्ध उपन्यास है। श्रेणी:बांग्ला साहित्य.

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नट सम्राट

नट सम्राट मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार विष्णु वामन शिरवाडकर द्वारा रचित एक नाटक है जिसके लिये उन्हें सन् 1974 में मराठी भाषा के लिए मरणोपरांत साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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नया नियम

right नया नियम (अंग्रेज़ी::en:New Testament ईसाइयों के धर्मग्रन्थ बाइबल का दूसरा खण्ड है। इसे यहूदी धर्म अपना धर्मग्रन्थ '''नहीं''' मानता है। इसमें ईसा मसीह का जन्म, जीवनी, क्रूस पर मृत्यु और उनके शिष्यों द्वारा धर्मप्रचार शामिल हैं। इसमें कई काण्ड हैं, जिनमें सबसे ज़रूरी ईसा के शिष्यों मत्ती, मरक़ुस, लूक़ा और युहन्ना द्वारा लिखी ईसा की जीवनी है जिनको चार शुभसन्देश कहा जाता है: * मत्ती * मरक़ुस * लूक़ा * युहन्ना ''ये भाग अभी अधूरा है'' ''ये भाग अधूरा है'' स्टब श्रेणी:धर्मग्रन्थ श्रेणी:ईसाई धर्म.

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नरहर रघुनाथ फाटक

नरहर रघुनाथ फाटक मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक जीवन–चरित आदर्श भारत–सेवक के लिये उन्हें सन् 1970 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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नाट्याचार्य देवल

नाट्याचार्य देवल मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार एस. एन. बनहट्टी द्वारा रचित एक जीवनी है जिसके लिये उन्हें सन् 1969 में मराठी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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नामदेव धोंडो महानोर

नामदेव धोंडो महानोर मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह पानझड के लिये उन्हें सन् 2000 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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नामदेव कांबळे

नामदेव कांबळे मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास राघववेळ के लिये उन्हें सन् 1995 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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निदा फ़ाज़ली

मुक़्तदा हसन निदा फ़ाज़ली या मात्र निदा फ़ाज़ली (ندا فاضلی.) हिन्दी और उर्दू के मशहूर शायर थे इनका निधन ०८ फ़रवरी २०१६ को मुम्बई में निधन हो गया। .

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नक्षत्रांचे देणे

नक्षत्रांचे देणे मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार सी. टी. खानोलकर (आरती प्रभु) द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1978 में मराठी भाषा के लिए मरणोपरांत साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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पानझड

पानझड मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार नामदेव धोंडो महानोर द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2000 में मराठी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे

पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे पुरुषोत्तम लक्षमण देशपांडे (८ नवम्बर १९१९ – १२ जून २०००) लोकप्रिय मराठी लेखक, नाटककार, हास्यकार, अभिनेता, कथाकार व पटकथाकार, फिल्म निर्देशक और संगीतकार एवं गायक थे। उन्हें "महाराष्ट्राचे लाडके व्यक्तिमत्त्व" (महाराष्ट्र का लाड़ला व्यक्तित्व) कहा जाता है। महाराष्ट्र में उन्हें प्रेम से पु.

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प्रभाकर पाध्ये

प्रभाकर पाध्ये मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक समालोचना सौन्दर्यानुभाव के लिये उन्हें सन् 1982 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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प्रभाकर वामन ऊर्ध्वेरेषे

प्रभाकर वामन ऊर्ध्वेरेषे मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक आत्मकथा हरवलेले दिवस के लिये उन्हें सन् 1989 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित(मरणोपरांत) किया गया। .

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पैस

पैस मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार दुर्गा भागवत द्वारा रचित एक निबंध–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1971 में मराठी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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पी. वाई. देशपाण्डे

पी.

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पी॰ वी॰ नरसिम्हा राव

पामुलापति वेंकट नरसिंह राव (जन्म- 28 जून 1921, मृत्यु- 23 दिसम्बर 2004) भारत के 10 वें प्रधानमंत्री के रूप में जाने जाते हैं। 'लाइसेंस राज' की समाप्ति और भारतीय अर्थनीति में खुलेपन उनके प्रधानमंत्रित्व काल में ही आरम्भ हुआ। ये आन्ध्रा प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे। इनके प्रधानमंत्री बनने में भाग्य का बहुत बड़ा हाथ रहा है। 29 मई 1991 को राजीव गांधी की हत्या हो गई थी। ऐसे में सहानुभूति की लहर के कारण कांग्रेस को निश्चय ही लाभ प्राप्त हुआ। 1991 के आम चुनाव दो चरणों में हुए थे। प्रथम चरण के चुनाव राजीव गांधी की हत्या से पूर्व हुए थे और द्वितीय चरण के चुनाव उनकी हत्या के बाद में। प्रथम चरण की तुलना में द्वितीय चरण के चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रहा। इसका प्रमुख कारण राजीव गांधी की हत्या से उपजी सहानुभूति की लहर थी। इस चुनाव में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत नहीं प्राप्त हुआ लेकिन वह सबसे बड़े दल के रूप में उभरी। कांग्रेस ने 232 सीटों पर विजय प्राप्त की थी। फिर नरसिम्हा राव को कांग्रेस संसदीय दल का नेतृत्व प्रदान किया गया। ऐसे में उन्होंने सरकार बनाने का दावा पेश किया। सरकार अल्पमत में थी, लेकिन कांग्रेस ने बहुमत साबित करने के लायक़ सांसद जुटा लिए और कांग्रेस सरकार ने पाँच वर्ष का अपना कार्यकाल सफलतापूर्वक पूर्ण किया। .

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फिनिक्सच्या राखेतून उठला मोर

फिनिक्सच्या राखेतून उठला मोर मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार जयंत पवार द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2012 में मराठी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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बहुरूपी

बहुरूपी मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार चिंतामणि राव कोल्हटकर द्वारा रचित एक आत्मकथा है जिसके लिये उन्हें सन् 1958 में मराठी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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बारोमास

बारोमास मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार सदानंद नामदेवराव देशमुख द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2004 में मराठी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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बी. एस. मर्ढेकर

बाळ सीताराम मर्ढेकर (१ दिसंबर १९०९ - २० मार्च १९५६) मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा सौन्दर्यशास्त्र के अध्ययन पर रचित एक किताब सौन्दर्य आणि साहित्य के लिये उन्हें सन् १९५६ में साहित्य अकादमी पुरस्कार के मराठी-भाषा श्रेणी से मरणोपरांत सम्मानित किया गया। मर्ढेकर की कविताओं पर लिखे आलोचना मर्ढेकरांची कविता: स्वरूप आणि संदर्भ के लिये विजया राजाध्यक्ष को भी १९९३ मे मराठी का साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला हैं। .

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भारतीय साहित्य शास्त्र

भारतीय साहित्य शास्त्र मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार जी. टी. देशपाण्डे द्वारा रचित एक काव्य–शास्त्र–विवेचन है जिसके लिये उन्हें सन् 1959 में मराठी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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भारतीय साहित्य अकादमी

भारत की साहित्य अकादमी भारतीय साहित्य के विकास के लिये सक्रिय कार्य करने वाली राष्ट्रीय संस्था है। इसका गठन १२ मार्च १९५४ को भारत सरकार द्वारा किया गया था। इसका उद्देश्य उच्च साहित्यिक मानदंड स्थापित करना, भारतीय भाषाओं और भारत में होनेवाली साहित्यिक गतिविधियों का पोषण और समन्वय करना है। .

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भालचंद्र नेमाडे

भालचंद्र नेमाडे (जन्म-१९३८) भारतीय मराठी लेखक, उपन्यासकार, कवि, समीक्षक तथा शिक्षाविद हैं। १९६३ में केवल २५ वर्ष की आयु में प्रकाशित 'कोसला' नामक उपन्यास से उन्हें अपार सफलता मिली। सन १९९१ में उनकी टीकास्वयंवर इस कृति के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें वर्ष २०१४ का प्रतिष्ठित ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया जाएगा।श्री नेमाडे की प्रमुख कृतियों में 'कोसला' और 'हिन्‍दू' उपन्‍यास शामिल हैं। उनके साहित्य में 'देशीवाद' (स्वदेशीकरण) पर बल दिया गया है। वह 60के दशक के लघु पत्रिका आंदोलन के प्रमुख हस्ताक्षर थे। प्राध्यापक भालचंद्र नेमाडे मराठी के प्रसिध्द लेखक वी.स. खांडेकर, वि.वा.

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भाषा : इतिहास आणि भूगोल

भाषा: इतिहास आणि भूगोल मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार एन. जी. कालेलकर द्वारा रचित एक भाषाशास्त्रीय अध्ययन है जिसके लिये उन्हें सन् 1967 में मराठी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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भिजकी वही

भिजकी वही मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार अरुण कोलटकर द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2005 में मराठी भाषा के लिए मरणोपरांत साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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भीष्म साहनी

रावलपिंडी पाकिस्तान में जन्मे भीष्म साहनी (८ अगस्त १९१५- ११ जुलाई २००३) आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रमुख स्तंभों में से थे। १९३७ में लाहौर गवर्नमेन्ट कॉलेज, लाहौर से अंग्रेजी साहित्य में एम ए करने के बाद साहनी ने १९५८ में पंजाब विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि हासिल की। भारत पाकिस्तान विभाजन के पूर्व अवैतनिक शिक्षक होने के साथ-साथ ये व्यापार भी करते थे। विभाजन के बाद उन्होंने भारत आकर समाचारपत्रों में लिखने का काम किया। बाद में भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) से जा मिले। इसके पश्चात अंबाला और अमृतसर में भी अध्यापक रहने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय में साहित्य के प्रोफेसर बने। १९५७ से १९६३ तक मास्को में विदेशी भाषा प्रकाशन गृह (फॉरेन लॅग्वेजेस पब्लिकेशन हाउस) में अनुवादक के काम में कार्यरत रहे। यहां उन्होंने करीब दो दर्जन रूसी किताबें जैसे टालस्टॉय आस्ट्रोवस्की इत्यादि लेखकों की किताबों का हिंदी में रूपांतर किया। १९६५ से १९६७ तक दो सालों में उन्होंने नयी कहानियां नामक पात्रिका का सम्पादन किया। वे प्रगतिशील लेखक संघ और अफ्रो-एशियायी लेखक संघ (एफ्रो एशियन राइटर्स असोसिएशन) से भी जुड़े रहे। १९९३ से ९७ तक वे साहित्य अकादमी के कार्यकारी समीति के सदस्य रहे। भीष्म साहनी को हिन्दी साहित्य में प्रेमचंद की परंपरा का अग्रणी लेखक माना जाता है। वे मानवीय मूल्यों के लिए हिमायती रहे और उन्होंने विचारधारा को अपने ऊपर कभी हावी नहीं होने दिया। वामपंथी विचारधारा के साथ जुड़े होने के साथ-साथ वे मानवीय मूल्यों को कभी आंखो से ओझल नहीं करते थे। आपाधापी और उठापटक के युग में भीष्म साहनी का व्यक्तित्व बिल्कुल अलग था। उन्हें उनके लेखन के लिए तो स्मरण किया ही जाएगा लेकिन अपनी सहृदयता के लिए वे चिरस्मरणीय रहेंगे। भीष्म साहनी हिन्दी फ़िल्मों के जाने माने अभिनेता बलराज साहनी के छोटे भाई थे। उन्हें १९७५ में तमस के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार, १९७५ में शिरोमणि लेखक अवार्ड (पंजाब सरकार), १९८० में एफ्रो एशियन राइटर्स असोसिएशन का लोटस अवार्ड, १९८३ में सोवियत लैंड नेहरू अवार्ड तथा १९९८ में भारत सरकार के पद्मभूषण अलंकरण से विभूषित किया गया। उनके उपन्यास तमस पर १९८६ में एक फिल्म का निर्माण भी किया गया था। .

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मधुकर वासुदेव धोंड

मधुकर वासुदेव धोंड मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक समालोचना ज्ञानेश्वरीतील लौकिक सृष्टि के लिये उन्हें सन् 1997 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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मराठी भाषा

मराठी भारत के महाराष्ट्र प्रांत में बोली जानेवाली सबसे मुख्य भाषा है। भाषाई परिवार के स्तर पर यह एक आर्य भाषा है जिसका विकास संस्कृत से अपभ्रंश तक का सफर पूरा होने के बाद आरंभ हुआ। मराठी भारत की प्रमुख भाषओं में से एक है। यह महाराष्ट्र और गोवा में राजभाषा है तथा पश्चिम भारत की सह-राजभाषा हैं। मातृभाषियों कि संख्या के आधार पर मराठी विश्व में पंद्रहवें और भारत में चौथे स्थान पर है। इसे बोलने वालों की कुल संख्या लगभग ९ करोड़ है। यह भाषा 900 ईसवी से प्रचलन में है और यह भी हिन्दी के समान संस्कृत आधारित भाषा है। .

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मर्ढेकरांची कविता : स्वरूप आणि संदर्भ

मर्ढेकरांची कविता: स्वरूप आणि संदर्भ मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार विजया राजाध्यक्ष द्वारा रचित एक समालोचना है जिसके लिये उन्हें सन् 1993 में मराठी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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महर्षी विट्ठल रामजी शिंदे : जीवन व कार्य

महर्षी विट्ठल रामजी शिंदे: जीवन व कार्य मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार गो. मा. पवार द्वारा रचित एक जीवनी है जिसके लिये उन्हें सन् 2007 में मराठी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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महेश एलकुंचवार

महेश एलकुंचवार सरस्वती सम्मान से सम्मानित साहित्यकार हैं। .

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माणिक सीताराम गोघाटे ग्रेस

माणिक सीताराम गोघाटे ग्रेस मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक निबंध–संग्रह वार्याने हलते रान के लिये उन्हें सन् 2011 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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मंगेश के. पाडगाँवकर

मंगेश के.

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मैत्रेयी देवी

मैत्रेयी देवी बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास न हन्यते के लिये उन्हें सन् 1976 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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यशपाल

---- यशपाल (३ दिसम्बर १९०३ - २६ दिसम्बर १९७६) का नाम आधुनिक हिन्दी साहित्य के कथाकारों में प्रमुख है। ये एक साथ ही क्रांतिकारी एवं लेखक दोनों रूपों में जाने जाते है। प्रेमचंद के बाद हिन्दी के सुप्रसिद्ध प्रगतिशील कथाकारों में इनका नाम लिया जाता है। अपने विद्यार्थी जीवन से ही यशपाल क्रांतिकारी आन्दोलन से जुड़े, इसके परिणामस्वरुप लम्बी फरारी और जेल में व्यतीत करना पड़ा। इसके बाद इन्होने साहित्य को अपना जीवन बनाया, जो काम कभी इन्होने बंदूक के माध्यम से किया था, अब वही काम इन्होने बुलेटिन के माध्यम से जनजागरण का काम शुरु किया। यशपाल को साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन १९७० में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। .

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रणजीत देसाई

रणजीत रामचंद्र देसाई (जन्म- 8 अप्रैल 1928 ई०, निधन- 6 मार्च 1998 ई०) मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके हिन्दी में अनूदित उपन्यास भी काफी लोकप्रिय रहे हैं। .

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रथचक्र

रथचक्र मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार एस. एन. पेंडसे द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1963 में मराठी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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रामचंद्र चिन्तामण ढेरे

रामचंद्र चिन्तामण ढेरे मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक समालोचना श्री विट्ठल: एक महासमन्वय के लिये उन्हें सन् 1987 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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राजन गवस

राजन गवस मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास तणकट के लिये उन्हें सन् 2001 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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राघववेळ

राघववेळ मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार नामदेव कांबळे द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1995 में मराठी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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रागदरबारी

रागदरबारी विख्यात हिन्दी साहित्यकार श्रीलाल शुक्ल की प्रसिद्ध व्यंग्य रचना है जिसके लिये उन्हें सन् 1970 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह ऐसा उपन्यास है जो गाँव की कथा के माध्यम से आधुनिक भारतीय जीवन की मूल्यहीनता को सहजता और निर्ममता से अनावृत करता है। शुरू से अन्त तक इतने निस्संग और सोद्देश्य व्यंग्य के साथ लिखा गया हिंदी का शायद यह पहला वृहत् उपन्यास है। ‘राग दरबारी’ का लेखन 1964 के अन्त में शुरू हुआ और अपने अन्तिम रूप में 1967 में समाप्त हुआ। 1968 में इसका प्रकाशन हुआ और 1969 में इस पर श्रीलाल शुक्ल को साहित्य अकादमी का पुरस्कार मिला। 1986 में एक दूरदर्शन-धारावाहिक के रूप में इसे लाखों दर्शकों की सराहना प्राप्त हुई। राग दरबारी व्यंग्य-कथा नहीं है। इसमें श्रीलाल शुक्ल जी ने स्वतंत्रता के बाद के भारत के ग्रामीण जीवन की मूल्यहीनता को परत-दर-परत उघाड़ कर रख दिया है। राग दरबारी की कथा भूमि एक बड़े नगर से कुछ दूर बसे गाँव शिवपालगंज की है जहाँ की जिन्दगी प्रगति और विकास के समस्त नारों के बावजूद, निहित स्वार्थों और अनेक अवांछनीय तत्वों के आघातों के सामने घिसट रही है। शिवपालगंज की पंचायत, कॉलेज की प्रबन्ध समिति और कोआपरेटिव सोसाइटी के सूत्रधार वैद्यजी साक्षात वह राजनीतिक संस्कृति हैं जो प्रजातन्त्र और लोकहित के नाम पर हमारे चारों ओर फल फूल रही हैं। .

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रंगनाथ पठारे

रंगनाथ पठारे मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास ताम्रपट के लिये उन्हें सन् 1999 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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रुजुवात

रुजुवात मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार अशोक रा. केळकर द्वारा रचित एक समालोचना है जिसके लिये उन्हें सन् 2010 में मराठी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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लक्ष्मण माने

लक्ष्मण माने मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक जीवनी उपरा के लिये उन्हें सन् 1981 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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लक्ष्मण शास्त्री जोशी

लक्ष्मणशास्त्री बाळाजी जोशी (२७ जनवरी १९०१ - २७ मई १९९४) एक संस्कृतवादी, वैदिक विद्वान, विचारक और महाराष्ट्र राज्य से मराठी लेखक थे। उन्हे भारत सरकार द्वारा सन १९७६ में साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से और १९९२ में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। जोशी का जन्म २७ जनवरी १९०१ को पिम्पलनेर, महाराष्ट्र में हुआ। .

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लक्ष्मण गायकवाड

लक्ष्मण गायकवाड (जन्म २३ जुलाई १९५६) एक भारतीय मराठी भाषा के साहित्यकार और समाज सेवक है। इनके द्वारा रचित आत्मकथा उचल्या के लिये उन्हें सन् १९८८ में साहित्य अकादमी पुरस्कार (मराठी) से सम्मानित किया गया। गायकवाड विभिन्न निम्न जाति के लोगों के उत्थान के लिए काम करते हैं। .

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शरत्चन्द्र चट्टोपाध्याय

शरत्चन्द्र चट्टोपाध्याय (१५ सितंबर, १८७६ - १६ जनवरी, १९३८) बांग्ला के सुप्रसिद्ध उपन्यासकार थे। उनका जन्म हुगली जिले के देवानंदपुर में हुआ। वे अपने माता-पिता की नौ संतानों में से एक थे। अठारह साल की अवस्था में उन्होंने इंट्रेंस पास किया। इन्हीं दिनों उन्होंने "बासा" (घर) नाम से एक उपन्यास लिख डाला, पर यह रचना प्रकाशित नहीं हुई। रवींद्रनाथ ठाकुर और बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय का उन पर गहरा प्रभाव पड़ा। शरतचन्द्र ललित कला के छात्र थे लेकिन आर्थिक तंगी के चलते वह इस विषय की पढ़ाई नहीं कर सके। रोजगार के तलाश में शरतचन्द्र बर्मा गए और लोक निर्माण विभाग में क्लर्क के रूप में काम किया। कुछ समय बर्मा रहकर कलकत्ता लौटने के बाद उन्होंने गंभीरता के साथ लेखन शुरू कर दिया। बर्मा से लौटने के बाद उन्होंने अपना प्रसिद्ध उपन्यास श्रीकांत लिखना शुरू किया। बर्मा में उनका संपर्क बंगचंद्र नामक एक व्यक्ति से हुआ जो था तो बड़ा विद्वान पर शराबी और उछृंखल था। यहीं से चरित्रहीन का बीज पड़ा, जिसमें मेस जीवन के वर्णन के साथ मेस की नौकरानी से प्रेम की कहानी है। जब वह एक बार बर्मा से कलकत्ता आए तो अपनी कुछ रचनाएँ कलकत्ते में एक मित्र के पास छोड़ गए। शरत को बिना बताए उनमें से एक रचना "बड़ी दीदी" का १९०७ में धारावाहिक प्रकाशन शुरु हो गया। दो एक किश्त निकलते ही लोगों में सनसनी फैल गई और वे कहने लगे कि शायद रवींद्रनाथ नाम बदलकर लिख रहे हैं। शरत को इसकी खबर साढ़े पाँच साल बाद मिली। कुछ भी हो ख्याति तो हो ही गई, फिर भी "चरित्रहीन" के छपने में बड़ी दिक्कत हुई। भारतवर्ष के संपादक कविवर द्विजेंद्रलाल राय ने इसे यह कहकर छापने से मना कर दिया किया कि यह सदाचार के विरुद्ध है। विष्णु प्रभाकर द्वारा आवारा मसीहा शीर्षक रचित से उनका प्रामाणिक जीवन परिचय बहुत प्रसिद्ध है। .

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श्याम मनोहर

श्याम मनोहर मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास उत्सुकतेने मी झोपलो के लिये उन्हें सन् 2008 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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श्री शिव छत्रपति

श्री शिव छत्रपति मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार टी.एस. शेजवलकर द्वारा रचित एक इतिहास विषयक–शोध है जिसके लिये उन्हें सन् 1966 में मराठी भाषा के लिए मरणोपरांत साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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श्री विट्ठल : एक महासमन्वय

श्री विट्ठल: एक महासमन्वय मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार रामचंद्र चिन्तामण ढेरे द्वारा रचित एक समालोचना है जिसके लिये उन्हें सन् 1987 में मराठी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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श्रीलाल शुक्ल

श्रीलाल शुक्ल (31 दिसम्बर 1925 - 28 अक्टूबर 2011) हिन्दी के प्रमुख साहित्यकार थे। वह समकालीन कथा-साहित्य में उद्देश्यपूर्ण व्यंग्य लेखन के लिये विख्यात थे। श्रीलाल शुक्ल (जन्म-31 दिसम्बर 1925 - निधन- 28 अक्टूबर 2011) को लखनऊ जनपद के समकालीन कथा-साहित्य में उद्देश्यपूर्ण व्यंग्य लेखन के लिये विख्यात साहित्यकार माने जाते थे। उन्होंने 1947 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक परीक्षा पास की। 1949 में राज्य सिविल सेवासे नौकरी शुरू की। 1983 में भारतीय प्रशासनिक सेवा से निवृत्त हुए। उनका विधिवत लेखन 1954 से शुरू होता है और इसी के साथ हिंदी गद्य का एक गौरवशाली अध्याय आकार लेने लगता है। उनका पहला प्रकाशित उपन्यास 'सूनी घाटी का सूरज' (1957) तथा पहला प्रकाशित व्यंग 'अंगद का पाँव' (1958) है। स्वतंत्रता के बाद के भारत के ग्रामीण जीवन की मूल्यहीनता को परत दर परत उघाड़ने वाले उपन्यास 'राग दरबारी' (1968) के लिये उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनके इस उपन्यास पर एक दूरदर्शन-धारावाहिक का निर्माण भी हुआ। श्री शुक्ल को भारत सरकार ने 2008 में पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया है। .

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सत्तांतर

सत्तांतर मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार व्यंकटेश माडगूळकर द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1983 में मराठी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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सतीश काळसेकर

सतीश काळसेकर मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक निबंध-संग्रह वाचणारयाची रोजनिशी के लिये उन्हें सन् 2013 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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सदानंद नामदेवराव देशमुख

सदानंद नामदेवराव देशमुख मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास बारोमास के लिये उन्हें सन् 2004 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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सदानंद श्रीधर मोरे

सदानंद श्रीधर मोरे मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक समालोचना तुकाराम दर्शन के लिये उन्हें सन् 1998 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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सलाम

सलाम मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार मंगेश के. पाडगाँवकर द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1980 में मराठी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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साहित्य अकादमी पुरस्कार

साहित्य अकादमी पुरस्कार भारत में एक साहित्यिक सम्मान है, जो साहित्य अकादमी प्रतिवर्ष भारत की अपने द्वारा मान्यता प्रदत्त प्रमुख भाषाओं में से प्रत्येक में प्रकाशित सर्वोत्कृष्ट साहित्यिक कृति को पुरस्कार प्रदान करती है। भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल २२ भारतीय भाषाओं के अलावा ये राजस्थानी और अंग्रेज़ी भाषा; याने कुल २४ भाषाओं में प्रदान किया जाता हैं। पहली बार ये पुरस्कार सन् 1955 में दिए गए। पुरस्कार की स्थापना के समय पुरस्कार राशि 5,000/- रुपए थी, जो सन् 1983 में ब़ढा कर 10,000/- रुपए कर दी गई और सन् 1988 में ब़ढा कर इसे 25,000/- रुपए कर दिया गया। सन् 2001 से यह राशि 40,000/- रुपए की गई थी। सन् 2003 से यह राशि 50,000/- रुपए कर दी गई है। .

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सुनील गंगोपाध्याय

सुनील गंगोपाध्याय या सुनील गांगुली (সুনীল গঙ্গোপাধ্যায়), (7 सितम्बर 1934 – 23 अक्टूबर 2012) सरस्वती सम्मान से सम्मानित साहित्यकार थे। वो कवि और उपन्यासकार थे। .

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स्मरणगाथा

स्मरणगाथा मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार जी. एन. दांडेकर द्वारा रचित एक आत्मकथात्मक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1976 में मराठी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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सौन्दर्य मीमांसा

सौन्दर्य मीमांसा मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार आर. बी. पाटणकर द्वारा रचित एक सौन्दर्य शास्त्र है जिसके लिये उन्हें सन् 1975 में मराठी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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सौन्दर्य आणि साहित्य

सौन्दर्य आणि साहित्य मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार बी. एस. मर्ढेकर द्वारा रचित एक सौन्दर्यशास्त्र का अध्ययन है जिसके लिये उन्हें सन् 1956 में मराठी भाषा के लिए मरणोपरांत साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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सौन्दर्यानुभाव

सौन्दर्यानुभाव मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार प्रभाकर पाध्ये द्वारा रचित एक समालोचना है जिसके लिये उन्हें सन् 1982 में मराठी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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सी. टी. खानोलकर (आरती प्रभु)

सी.

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हरिवंश राय बच्चन

हरिवंश राय श्रीवास्तव "बच्चन" (२७ नवम्बर १९०७ – १८ जनवरी २००३) हिन्दी भाषा के एक कवि और लेखक थे। इलाहाबाद के प्रवर्तक बच्चन हिन्दी कविता के उत्तर छायावाद काल के प्रमुख कवियों मे से एक हैं। उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति मधुशाला है। भारतीय फिल्म उद्योग के प्रख्यात अभिनेता अमिताभ बच्चन उनके सुपुत्र हैं। उन्होने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अध्यापन किया। बाद में भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में हिन्दी विशेषज्ञ रहे। अनन्तर राज्य सभा के मनोनीत सदस्य। बच्चन जी की गिनती हिन्दी के सर्वाधिक लोकप्रिय कवियों में होती है। .

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हरवलेले दिवस

हरवलेले दिवस मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार प्रभाकर वामन ऊर्ध्वेरेषे द्वारा रचित एक आत्मकथा है जिसके लिये उन्हें सन् 1989 में मराठी भाषा के लिए मरणोपरांत साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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जयंत पवार

जयंत पवार मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह फिनिक्सच्या राखेतून उठला मोर के लिये उन्हें सन् 2012 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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जयंत विष्‍णु नारळीकर

जयंत विष्‍णु नारळीकर मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक आत्‍मकथा चार नगरातले माझे विश्‍व के लिये उन्हें सन् 2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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ज्ञानेश्वरीतील लौकिक सृष्टि

ज्ञानेश्वरीतील लौकिक सृष्टि मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार मधुकर वासुदेव धोंड द्वारा रचित एक समालोचना है जिसके लिये उन्हें सन् 1997 में मराठी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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जेव्हा माणूस जागा होतो

जेव्हा माणूस जागा होतो मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार गोदावरी परुलेकर द्वारा रचित एक आत्मकथा है जिसके लिये उन्हें सन् 1972 में मराठी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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जी. टी. देशपाण्डे

जी.

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जी. ए. कुलकर्णी

जी.

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जी. एन. दांडेकर

जी.

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वसंत आबाजी डहाके

वसंत आबाजी डहाके मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह चित्रलिपि के लिये उन्हें सन् 2009 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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वाचणारयाची रोजनिशी

वाचणारयाची रोजनिशी मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार सतीश काळसेकर द्वारा रचित एक निबंध-संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2013 में मराठी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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वार्याने हलते रान

वार्याने हलते रान मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार माणिक सीताराम गोघाटे ‘ग्रेस’ द्वारा रचित एक निबंध–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2011 में मराठी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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विनोद कुमार शुक्ल

हिन्दी लेखक.

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विश्राम बेडेकर

विश्राम बेडेकर मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक आत्मकथा एक झाड आणि दोन पक्षी के लिये उन्हें सन् 1985 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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विश्वास पाटील

विश्वास पाटील (जन्म:28 नवम्बर, 1959) मराठी भाषा के एक साहित्यकार, इतिहासकार और भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं। उन्होंने रायगढ़ जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और मुंबई उपनगर जिला के जिलाधिकारी के रूप में काम किया है। .

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विष्णु सखाराम खांडेकर

विष्णु सखाराम खांडेकर मराठी साहित्यकार हैं। इन्हें 1974 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इन्हें साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में सन १९६८ में भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया था। उन्होंने उपन्यासों और कहानियों के अलावा नाटक, निबंध और आलोचनात्मक निंबंध भी लिखे। खांडेकर के ललित निबंध उनकी भाषा शैली के कारण काफी पसंद किए जाते हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास ययाति के लिये उन्हें सन् १९६० में साहित्य अकादमी पुरस्कार (मराठी) से सम्मानित किया गया। .

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विष्णु वामन शिरवाडकर कुसुमाग्रज

विष्णु वामन शिरवाडकर कुसुमाग्रज एक मराठी साहित्यकार हैं। इन्हें 1987 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। .

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विजया राजाध्यक्ष

विजया राजाध्यक्ष मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक समालोचना मर्ढेकरांची कविता: स्वरूप आणि संदर्भ के लिये उन्हें सन् 1993 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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व्यंकटेश माडगूळकर

व्यंकटेश माडगूळकर मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास सत्तांतर के लिये उन्हें सन् 1983 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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व्यक्ति आणि वल्ली

व्यक्ति आणि वल्ली मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार पी.एस. देशपाण्डे द्वारा रचित एक रेखाचित्र–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1965 में मराठी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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वैदिक संस्कृतिचा विकास

वैदिक संस्कृतिचा विकास मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार तर्कतीर्थ लक्ष्मणशास्त्री जोशी द्वारा रचित एक सांस्कृतिक इतिहास है जिसके लिये उन्हें सन् 1955 में मराठी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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खून गाठी

खून गाठी मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार एन. जी. देशपांडे द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1986 में मराठी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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गर्भरेशीम

गर्भरेशीम मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार इंदिरा संत द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1984 में मराठी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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गंगाधर गाडगीळ

गंगाधर गाडगीळ (२५ अगस्त १९२३ - १५ सितंबर २००८) मराठी लेखक, अर्थतज्ज्ञ, समीक्षक। मराठी साहित्य में कथा साहित्य के योगदान के लिए उन्हें 'नव कथा के जन्मदाता ' कहा जाता है। .

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गोदावरी परुलेकर

गोदावरी परुलेकर मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक आत्मकथा जेव्हा माणूस जागा होतो के लिये उन्हें सन् 1972 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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आदर्श भारत–सेवक

आदर्श भारत–सेवक मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार नरहर रघुनाथ फाटक द्वारा रचित एक जीवन–चरित है जिसके लिये उन्हें सन् 1970 में मराठी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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आनंद रतन यादव

आनंद रतन यादव मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास झोंबी के लिये उन्हें सन् 1990 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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आर. बी. पाटणकर

आर.

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आशा बगे

आशा बगे मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास भूमि के लिये उन्हें सन् 2006 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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इरावती कर्वे

इरावती कर्वे (15 दिसम्बर 1905 - 11 अगस्त 1970) भारत की शिक्षाशास्त्री, लेखिका एवं नृवैज्ञानिक (एंथ्रोपोलोजिस्ट) थीं। .

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इस्मत चुग़ताई

इस्मत चुग़ताई (عصمت چغتائی) (जन्म: 15 अगस्त 1915-निधन: 24 अक्टूबर 1991) भारत से उर्दू की एक लेखिका थीं। उन्हें ‘इस्मत आपा’ के नाम से भी जाना जाता है। वे उर्दू साहित्य की सर्वाधिक विवादास्पद और सर्वप्रमुख लेखिका थीं, जिन्होंने महिलाओं के सवालों को नए सिरे से उठाया। उन्होंने निम्न मध्यवर्गीय मुस्लिम तबक़ें की दबी-कुचली सकुचाई और कुम्हलाई लेकिन जवान होती लड़कियों की मनोदशा को उर्दू कहानियों व उपन्यासों में पूरी सच्चाई से बयान किया है। .

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इंदिरा संत

इंदिरा संत मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह गर्भरेशीम के लिये उन्हें सन् 1984 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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कलि–कथा : वाया बाइपास

कलि–कथा: वाया बाइपास हिन्दी के विख्यात साहित्यकार अलका सरावगी द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2001 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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काजलमाया

काजलमाया मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार *जी. ए. कुलकर्णी द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1973 में मराठी भाषा के लिए मरणोपरांत साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अनामिकाची चिन्तनिका

अनामिकाची चिन्तनिका मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार पी. वाई. देशपाण्डे द्वारा रचित एक दार्शनिक चिन्तन है जिसके लिये उन्हें सन् 1962 में मराठी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अनिल अवचट

अनिल अवचट (जन्म १९४४) एक भारतीय डॉक्टर, सामाजिक कार्यकर्ता और मराठी लेखक हैं। उनका जन्म १९४४ में पुणे जिले में हुआ था। उन्होंने फर्ग्युसन महाविद्यालय से अपनी शिक्षा पूरी की और बाद में १९६८ में पुणे के बी जे मेडिकल महाविद्यालय से उन्होने मेडिकल डिग्री प्राप्त की। अपनी पत्नी डॉ अनीता अवचट के साथ उन्होने पुणे मे "मुक्तांगण", एक व्यसन मुक्ति केंद्र, शुरू किया। यहा पश्चिमी भारत के स्तर पर एक प्रशिक्षण और अनुसंधान केंद्र भी शुरू किया और महिलाओं के लिए अलग विभाग बनाया है। अपने मुक्तांगण और वहा के रोगियों के अनुभवों पर उन्होने मुक्तांगणाची गोष्ट और गर्द एसी दो किताबे लिखी है। इस सामाजिक कार्य के लिये उन्हे २०१३ में राष्ट्रपती प्रणब मुखर्जी द्वारा सम्मानीत किया गया। २०१० में अवचट के कहानी संग्रह सृष्टीत...

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अमृता प्रीतम

अमृता प्रीतम (१९१९-२००५) पंजाबी के सबसे लोकप्रिय लेखकों में से एक थी। पंजाब (भारत) के गुजराँवाला जिले में पैदा हुईं अमृता प्रीतम को पंजाबी भाषा की पहली कवयित्री माना जाता है। उन्होंने कुल मिलाकर लगभग १०० पुस्तकें लिखी हैं जिनमें उनकी चर्चित आत्मकथा 'रसीदी टिकट' भी शामिल है। अमृता प्रीतम उन साहित्यकारों में थीं जिनकी कृतियों का अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ। अपने अंतिम दिनों में अमृता प्रीतम को भारत का दूसरा सबसे बड़ा सम्मान पद्मविभूषण भी प्राप्त हुआ। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से पहले ही अलंकृत किया जा चुका था। अमृता प्रीतम का जन्म १९१९ में गुजरांवाला पंजाब (भारत) में हुआ। बचपन बीता लाहौर में, शिक्षा भी वहीं हुई। किशोरावस्था से लिखना शुरू किया: कविता, कहानी और निबंध। प्रकाशित पुस्तकें पचास से अधिक। महत्त्वपूर्ण रचनाएं अनेक देशी विदेशी भाषाओं में अनूदित। १९५७ में साहित्य अकादमी पुरस्कार, १९५८ में पंजाब सरकार के भाषा विभाग द्वारा पुरस्कृत, १९८८ में बल्गारिया वैरोव पुरस्कार;(अन्तर्राष्ट्रीय) और १९८२ में भारत के सर्वोच्च साहित्त्यिक पुरस्कार ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित। उन्हें अपनी पंजाबी कविता अज्ज आखाँ वारिस शाह नूँ के लिए बहुत प्रसिद्धी प्राप्त हुई। इस कविता में भारत विभाजन के समय पंजाब में हुई भयानक घटनाओं का अत्यंत दुखद वर्णन है और यह भारत और पाकिस्तान दोनों देशों में सराही गयी। .

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अरुण खोपकर

अरुण खोपकर मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक संस्‍मरण चलत्-चित्रव्‍यूह के लिये उन्हें सन् 2015 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अरुण कोलटकर

अरुण कोलटकर मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह भिजकी वही के लिये उन्हें सन् 2005 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित(मरणोपरांत) किया गया। .

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अरुंधति राय

अरुंधति राय (जन्म: 24 नवंबर, 1961) अंग्रेजी की सुप्रसिद्ध लेखिका और समाजसेवी हैं। अरुंधति राय अंग्रेजी की सुप्रसिद्ध लेखिका हैं, जिन्होंने कुछेक फ़िल्मों में भी काम किया है। "द गॉड ऑफ़ स्मॉल थिंग्स" के लिये बुकर पुरस्कार प्राप्त अरुंधति राय ने लेखन के अलावा नर्मदा बचाओ आंदोलन समेत भारत के दूसरे जनांदोलनों में भी हिस्सा लिया है। कश्मीर को लेकर उनके विवादास्पद बयानों के कारण वे पिछले कुछ समय से चर्चा में हैं। .

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अलका सरावगी

अलका सरावगी (जन्म- 17 नवम्बर,1960, कोलकाता) हिन्दी कथाकार हैं। वे साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित हो चुकी हैं। कोलकाता (भूतपूर्व कलकत्ता) में जन्मी अलका ने हिन्दी साहित्य में एम.ए. और 'रघुवीर सहाय के कृतित्व' विषय पर पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की है। "कलिकथा वाया बाइपास" उनका चर्चित उपन्यास है, जो अनेक भाषाओं में अनुदित हो चुके हैं। अपने प्रथम उपन्यास ‘कलिकथा वाया बायपास’ से एक सशक्त उपन्यासकार के रूप में स्थापित हो चुकी अलका का पहला कहानी संग्रह वर्ष 1996 में 'कहानियों की तलाश में' आया। इसके दो साल बाद ही उनका पहला उपन्यास 'काली कथा, वाया बायपास' शीर्षक से प्रकाशित हुआ। 'काली कथा, वाया बायपास' में नायक किशोर बाबू और उनके परिवार की चार पीढिय़ों की सुदूर रेगिस्तानी प्रदेश राजस्थान से पूर्वी प्रदेश बंगाल की ओर पलायन, उससे जुड़ी उम्मीद एवं पीड़ा की कहानी बयाँ की गई है। वर्ष 2000 में उनके दूसरे कहानी संग्रह 'दूसरी कहानी' के बाद उनके कई उपन्यास प्रकाशित हुए। पहले 'शेष कादंबरी' फिर 'कोई बात नहीं' और उसके बाद 'एक ब्रेक के बाद'। उन्होने ‘एक ब्रेक के बाद’ उपन्यास के विषय का ताना-बाना समसामायिक कोर्पोरेट जगत को कथावस्तु का आधार लेते हुए बुना है। अपने पहले उपन्यास के लिए ही उनको वर्ष 2001 में 'साहित्य कला अकादमी पुरस्कार' और 'श्रीकांत वर्मा पुरस्कार' से नवाजा गया था। यही नहीं, उनके उपन्यासों को देश की सभी आधिकारिक भाषाओं में अनूदित करने की अनुशंसा भी की गई है। .

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अशोक रा. केळकर

अशोक रा.

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उत्सुकतेने मी झोपलो

उत्सुकतेने मी झोपलो मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार श्याम मनोहर द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2008 में मराठी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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उपरा

उपरा मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार लक्ष्मण माने द्वारा रचित एक जीवनी है जिसके लिये उन्हें सन् 1981 में मराठी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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