सामग्री की तालिका
96 संबंधों: चंपा शर्मा, चेतें दियाँ ग’लियां, चेतें दी चितकबरी, चेतें दी र्होल, चेम्मीन, टिम–टिम करदे तारे, डोगरी भाषा, ढलदी धुप्पै दा सेक, तारा स्मैलपुरी, तकजि शिवशंकर पिल्लै, त्रिप–त्रिप चेते, दर्शन दर्शी, देशबंधु डोगरा नूतन, दोहा सतसई, दीनू भाई पंत, ध्यान सिंह, नरसिंह देव जम्वाल, नरेन्द्र खजूरिया, निघे रंग, नंगा रुख, नीला अंबर काले बादल, पद्मा सचदेव, परछामें दी लोऽ, पंदरां क्हानियां, प्रद्युम्न सिंह जिन्द्राहिया, प्रकाश प्रेमी, फणीश्वर नाथ "रेणु", फुल्ल बिना डाली, बदनामी दी छां, बद्दली कलावे, बालकृष्ण भौरा, बखरे–बखरे सच्च, बंधु शर्मा, बुड्ढ सुहागन, बेद्दन धरती दी, भारतीय साहित्य अकादमी, मनोज (डोगरी साहित्यकार), महात्मा विदुर, मृच्छकटिकम्, मैला आँचल, मैं मेले रा जानू, मेरे डोगरी गीत, मेरी कविता मेरे गीत, मोहन सिंह, मोहनलाल सपोलिया, मील पत्थर, यश शर्मा, रातु दा चानन, राम नाथ शास्त्री, रामलाल शर्मा, ... सूचकांक विस्तार (46 अधिक) »
- डोगरी भाषा
चंपा शर्मा
चंपा शर्मा डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह चेतें दी र्होल के लिये उन्हें सन् 2008 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और चंपा शर्मा
चेतें दियाँ ग’लियां
चेतें दियाँ ग’लियां डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार ललित मगोत्रा द्वारा रचित एक निबंध–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2011 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और चेतें दियाँ ग’लियां
चेतें दी चितकबरी
चेतें दी चितकबरी डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार शिवनाथ द्वारा रचित एक निबंध–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2004 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और चेतें दी चितकबरी
चेतें दी र्होल
चेतें दी र्होल डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार चंपा शर्मा द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2008 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और चेतें दी र्होल
चेम्मीन
चेम्मीन मलयालम भाषा के विख्यात साहित्यकार तकष़ी शिवशंकर पिळ्ळै द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1957 में मलयालम भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और चेम्मीन
टिम–टिम करदे तारे
टिम–टिम करदे तारे डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार बालकृष्ण भौरा द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2012 में डोगरी भाषा के लिए मरणोपरांत साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और टिम–टिम करदे तारे
डोगरी भाषा
डोगरी भारत के जम्मू और कश्मीर प्रान्त में बोली जाने वाली एक भाषा है। वर्ष 2004 में इसे भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है। पश्चिमी पहाड़ी बोलियों के परिवार में, मध्यवर्ती पहाड़ी पट्टी की जनभाषाओं में, डोगरी, चंबयाली, मडवाली, मंडयाली, बिलासपुरी, बागडी आदि उल्लेखनीय हैं। डोगरी इस विशाल परिवार में कई कारणों से विशिष्ट जनभाषा है। इसकी पहली विशेषता यह है कि दूसरी बोलियों की अपेक्षा इसके बोलनेवालों की संख्या विशेष रूप से अधिक है। दूसरी यह कि इस परिवार में केवल डोगरी ही साहित्यिक रूप से गतिशील और सम्पन्न है। डोगरी की तीसरी विशिष्टता यह भी है कि एक समय यह भाषा कश्मीर रियासत तथा चंबा राज्य में राजकीय प्रशासन के अंदरूनी व्यवहार का माध्यम रह चुकी है। इसी भाषा के संबंध से इसके बोलने वाले डोगरे कहलाते हैं तथा डोगरी के भाषाई क्षेत्र को सामान्यतः "डुग्गर" कहा जाता है। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और डोगरी भाषा
ढलदी धुप्पै दा सेक
ढलदी धुप्पै दा सेक डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार कृष्ण शर्मा द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2005 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और ढलदी धुप्पै दा सेक
तारा स्मैलपुरी
तारा स्मैलपुरी डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह जीवन लैह्रां के लिये उन्हें सन् 1990 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और तारा स्मैलपुरी
तकजि शिवशंकर पिल्लै
तकाजी शिवशंकरा पिल्लै (मलयालम: तकऴि शिवशंकरप्पिळ्ळ) मलयालम भाषा के विख्यात साहित्यकार थे। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास चेम्मीन के लिये उन्हें सन् १९५७ में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। १९८४ में उन्हे ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।.
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और तकजि शिवशंकर पिल्लै
त्रिप–त्रिप चेते
त्रिप–त्रिप चेते डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार ओम विद्यार्थी द्वारा रचित एक यात्रा–वृत्तांत है जिसके लिये उन्हें सन् 2002 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और त्रिप–त्रिप चेते
दर्शन दर्शी
दर्शन दर्शी डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह कोरे काकल कोरियां तलियां के लिये उन्हें सन् 2006 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और दर्शन दर्शी
देशबंधु डोगरा नूतन
देशबंधु डोगरा नूतन डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास क़ैदी के लिये उन्हें सन् 1982 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और देशबंधु डोगरा नूतन
दोहा सतसई
दोहा सतसई डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार सीताराम सपोलिया द्वारा रचित एक कविता-संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2013 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और दोहा सतसई
दीनू भाई पंत
दीनू भाई पंत डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक नाटक अयोधिया के लिये उन्हें सन् 1985 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और दीनू भाई पंत
ध्यान सिंह
ध्यान सिंह डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता परछामें दी लोऽ के लिये उन्हें सन् 2015 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और ध्यान सिंह
नरसिंह देव जम्वाल
नरसिंह देव जम्वाल डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास सांझी धरती बखले मानु के लिये उन्हें सन् 1978 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और नरसिंह देव जम्वाल
नरेन्द्र खजूरिया
नरेन्द्र खजूरिया डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह नीला अंबर काले बादल के लिये उन्हें सन् 1970 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित(मरणोपरांत) किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और नरेन्द्र खजूरिया
निघे रंग
निघे रंग डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार वीरेन्द्र केसर द्वारा रचित एक ग़ज़ल–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2001 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और निघे रंग
नंगा रुख
नंगा रुख डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार ओ. पी. शर्मा ‘सारथी’ द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1979 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और नंगा रुख
नीला अंबर काले बादल
नीला अंबर काले बादल डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार नरेन्द्र खजूरिया द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1970 में डोगरी भाषा के लिए मरणोपरांत साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और नीला अंबर काले बादल
पद्मा सचदेव
पद्मा सचदेव (जन्म: 17 अप्रैल 1940) एक भारतीय कवयित्री और उपन्यासकार हैं। वे डोगरी भाषा की पहली आधुनिक कवयित्री है।वे हिन्दी में भी लिखती हैं। उनके कतिपय कविता संग्रह प्रकाशित है, किन्तु "मेरी कविता मेरे गीत" के लिए उन्हें 1971 में साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ।उन्हें वर्ष 2001 में पद्म श्री और वर्ष 2007-08 में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा कबीर सम्मान प्रदान किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और पद्मा सचदेव
परछामें दी लोऽ
परछामें दी लोऽ डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार ध्यान सिंह द्वारा रचित एक कविता है जिसके लिये उन्हें सन् 2015 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और परछामें दी लोऽ
पंदरां क्हानियां
पंदरां क्हानियां डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार मनोज द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2010 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और पंदरां क्हानियां
प्रद्युम्न सिंह जिन्द्राहिया
प्रद्युम्न सिंह जिन्द्राहिया डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह गीत सरोवर के लिये उन्हें सन् 2009 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और प्रद्युम्न सिंह जिन्द्राहिया
प्रकाश प्रेमी
प्रकाश प्रेमी डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक महाकाव्य बेद्दन धरती दी के लिये उन्हें सन् 1987 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और प्रकाश प्रेमी
फणीश्वर नाथ "रेणु"
फणीश्वर नाथ 'रेणु' (४ मार्च १९२१ औराही हिंगना, फारबिसगंज - ११ अप्रैल १९७७) एक हिन्दी भाषा के साहित्यकार थे। इनके पहले उपन्यास मैला आंचल को बहुत ख्याति मिली थी जिसके लिए उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और फणीश्वर नाथ "रेणु"
फुल्ल बिना डाली
फुल्ल बिना डाली डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार श्रीवत्स विकल द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1972 में डोगरी भाषा के लिए मरणोपरांत साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और फुल्ल बिना डाली
बदनामी दी छां
बदनामी दी छां डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार रामनाथ शास्त्री द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1976 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और बदनामी दी छां
बद्दली कलावे
बद्दली कलावे डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार ज्ञानेश्वर द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1996 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और बद्दली कलावे
बालकृष्ण भौरा
बालकृष्ण भौरा डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह टिम–टिम करदे तारे के लिये उन्हें सन् 2012 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित(मरणोपरांत) किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और बालकृष्ण भौरा
बखरे–बखरे सच्च
बखरे–बखरे सच्च डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार शिवदेव सिंह सुशील द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1997 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और बखरे–बखरे सच्च
बंधु शर्मा
बंधु शर्मा डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह मील पत्थर के लिये उन्हें सन् 2000 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और बंधु शर्मा
बुड्ढ सुहागन
बुड्ढ सुहागन डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार जितेन्द्र शर्मा द्वारा रचित एक एकांकी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1994 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और बुड्ढ सुहागन
बेद्दन धरती दी
बेद्दन धरती दी डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार प्रकाश प्रेमी द्वारा रचित एक महाकाव्य है जिसके लिये उन्हें सन् 1987 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और बेद्दन धरती दी
भारतीय साहित्य अकादमी
भारत की साहित्य अकादमी भारतीय साहित्य के विकास के लिये सक्रिय कार्य करने वाली राष्ट्रीय संस्था है। इसका गठन १२ मार्च १९५४ को भारत सरकार द्वारा किया गया था। इसका उद्देश्य उच्च साहित्यिक मानदंड स्थापित करना, भारतीय भाषाओं और भारत में होनेवाली साहित्यिक गतिविधियों का पोषण और समन्वय करना है। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और भारतीय साहित्य अकादमी
मनोज (डोगरी साहित्यकार)
मनोज डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह पंदरां क्हानियां के लिये उन्हें सन् 2010 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और मनोज (डोगरी साहित्यकार)
महात्मा विदुर
महात्मा विदुर डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार ज्ञान सिंह पगोच द्वारा रचित एक महाकाव्य है जिसके लिये उन्हें सन् 2007 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और महात्मा विदुर
मृच्छकटिकम्
राजा रवि वर्मा द्वारा चित्रित '''वसन्तसेना''' मृच्छकटिकम् (अर्थात्, मिट्टी की गाड़ी) संस्कृत नाट्य साहित्य में सबसे अधिक लोकप्रिय रूपक है। इसमें 10 अंक है। इसके रचनाकार महाराज शूद्रक हैं। नाटक की पृष्टभूमि पाटलिपुत्र (आधुनिक पटना) है। भरत के अनुसार दस रूपों में से यह 'मिश्र प्रकरण' का सर्वोत्तम निदर्शन है। ‘मृच्छकटिकम’ नाटक इसका प्रमाण है कि अंतिम आदमी को साहित्य में जगह देने की परम्परा भारत को विरासत में मिली है जहाँ चोर, गणिका, गरीब ब्राह्मण, दासी, नाई जैसे लोग दुष्ट राजा की सत्ता पलट कर गणराज्य स्थापित कर अंतिम आदमी से नायकत्व को प्राप्त होते हैं। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और मृच्छकटिकम्
मैला आँचल
भारत छोड़ो आंदोलन का चित्र मैला आँचल फणीश्वरनाथ 'रेणु' का प्रतिनिधि उपन्यास है। यह हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तर-पूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ट रूप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है। सन् १९५४ में प्रकाशित इस उपन्यास की कथावस्तु बिहार राज्य के पूर्णिया जिले के मेरीगंज की ग्रामीण जिंदगी से संबद्ध है। यह स्वतंत्र होते और उसके तुरंत बाद के भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य का ग्रामीण संस्करण है। रेणु के अनुसार इसमें फूल भी है, शूल भी है, धूल भी है, गुलाब भी है और कीचड़ भी है। मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। इसमें गरीबी, रोग, भुखमरी, जहालत, धर्म की आड़ में हो रहे व्यभिचार, शोषण, बाह्याडंबरों, अंधविश्वासों आदि का चित्रण है। शिल्प की दृष्टि से इसमें फिल्म की तरह घटनाएं एक के बाद एक घटकर विलीन हो जाती है। और दूसरी प्रारंभ हो जाती है। इसमें घटनाप्रधानता है किंतु कोई केन्द्रीय चरित्र या कथा नहीं है। इसमें नाटकीयता और किस्सागोई शैली का प्रयोग किया गया है। इसे हिन्दी में आँचलिक उपन्यासों के प्रवर्तन का श्रेय भी प्राप्त है। कथाशिल्पी फणीश्वरनाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथाशिल्प के साथ-साथ भाषाशिल्प और शैलीशिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहज-स्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और मैला आँचल
मैं मेले रा जानू
मैं मेले रा जानू डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार केहरि सिंह ‘मधुकर’ द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1977 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और मैं मेले रा जानू
मेरे डोगरी गीत
मेरे डोगरी गीत डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार किशन स्मैलपुरी द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1975 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और मेरे डोगरी गीत
मेरी कविता मेरे गीत
मेरी कविता मेरे गीत डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार पद्मा सचदेव द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1971 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और मेरी कविता मेरे गीत
मोहन सिंह
मोहन सिंह एक भारतीय नाम है जो मुख्यतः पुरूषों के लिए प्रयुक्त होता है। आप निम्न में से किसी एक मोहन सिंह की खोज में इस पृष्ठ पर पहुँचे होंगे.
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और मोहन सिंह
मोहनलाल सपोलिया
मोहनलाल सपोलिया डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह सोध समुंदरें दी के लिये उन्हें सन् 1989 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और मोहनलाल सपोलिया
मील पत्थर
मील पत्थर डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार बंधु शर्मा द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2000 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और मील पत्थर
यश शर्मा
यश शर्मा डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह जो तेरे मन–चित्त लग्गी जा के लिये उन्हें सन् 1992 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और यश शर्मा
रातु दा चानन
रातु दा चानन डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार रामलाल शर्मा द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1988 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और रातु दा चानन
राम नाथ शास्त्री
राम नाथ शास्त्री (15 अप्रैल, 1914 - 8 मार्च, 2009) डोगरी कवि, नाटककार, कोशकार, निबन्धकार, शिक्षाशास्त्री, अनुवादक तथा सम्पादक थे। उन्होने डोगरी भाषा के उत्थान और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। उन्हें 'डोगरी का जनक' कहा जाता है। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह बदनामी दी छां के लिये उन्हें सन् १९७६ में साहित्य अकादमी पुरस्कार (डोगरी) से सम्मानित किया गया। सन २००१ में उन्हें साहित्य अकादमी फेलोशिप प्रदान किया गया था। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और राम नाथ शास्त्री
रामलाल शर्मा
रामलाल शर्मा डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह रातु दा चानन के लिये उन्हें सन् 1988 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और रामलाल शर्मा
राहुल सांकृत्यायन
राहुल सांकृत्यायन जिन्हें महापंडित की उपाधि दी जाती है हिन्दी के एक प्रमुख साहित्यकार थे। वे एक प्रतिष्ठित बहुभाषाविद् थे और बीसवीं सदी के पूर्वार्ध में उन्होंने यात्रा वृतांत/यात्रा साहित्य तथा विश्व-दर्शन के क्षेत्र में साहित्यिक योगदान किए। वह हिंदी यात्रासहित्य के पितामह कहे जाते हैं। बौद्ध धर्म पर उनका शोध हिन्दी साहित्य में युगान्तरकारी माना जाता है, जिसके लिए उन्होंने तिब्बत से लेकर श्रीलंका तक भ्रमण किया था। इसके अलावा उन्होंने मध्य-एशिया तथा कॉकेशस भ्रमण पर भी यात्रा वृतांत लिखे जो साहित्यिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं। २१वीं सदी के इस दौर में जब संचार-क्रान्ति के साधनों ने समग्र विश्व को एक ‘ग्लोबल विलेज’ में परिवर्तित कर दिया हो एवं इण्टरनेट द्वारा ज्ञान का समूचा संसार क्षण भर में एक क्लिक पर सामने उपलब्ध हो, ऐसे में यह अनुमान लगाना कि कोई व्यक्ति दुर्लभ ग्रन्थों की खोज में हजारों मील दूर पहाड़ों व नदियों के बीच भटकने के बाद, उन ग्रन्थों को खच्चरों पर लादकर अपने देश में लाए, रोमांचक लगता है। पर ऐसे ही थे भारतीय मनीषा के अग्रणी विचारक, साम्यवादी चिन्तक, सामाजिक क्रान्ति के अग्रदूत, सार्वदेशिक दृष्टि एवं घुमक्कड़ी प्रवृत्ति के महान पुरूष राहुल सांकृत्यायन। राहुल सांकृत्यायन के जीवन का मूलमंत्र ही घुमक्कड़ी यानी गतिशीलता रही है। घुमक्कड़ी उनके लिए वृत्ति नहीं वरन् धर्म था। आधुनिक हिन्दी साहित्य में राहुल सांकृत्यायन एक यात्राकार, इतिहासविद्, तत्वान्वेषी, युगपरिवर्तनकार साहित्यकार के रूप में जाने जाते है। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और राहुल सांकृत्यायन
ललित मगोत्रा
ललित मगोत्रा डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक निबंध–संग्रह चेतें दियाँ गलियां के लिये उन्हें सन् 2011 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और ललित मगोत्रा
लालसा
लालसा डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार अभिशाप द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1995 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और लालसा
शब्दर आकाश
शब्दर आकाश ओड़िया भाषा के विख्यात साहित्यकार सीताकांत महापात्र द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1974 में ओड़िया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और शब्दर आकाश
शिवदेव सिंह सुशील
शिवदेव सिंह सुशील डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास बखरे–बखरे सच्च के लिये उन्हें सन् 1997 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और शिवदेव सिंह सुशील
शिवनाथ नदी
शिवनाथ नदी महानदी की प्रमुख सहायक नदी है। यह राजनांदगांव जिले की अंबागढ़ तहसील की 625 मीटर ऊँची पानाबरस पहाड़ी क्षेत्र से निकलकर शिवरीनारायण (जिला जांजगीर चांपा) के पास महानदी में मिल जाती है। इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ लीलागर, मनियारी, आगर, हांप, खारून, अरपा, आमनेर, सकरी, खरखरा, तांदुला तथा जमुनिया नदी आदि हैं। इसकी कुल लम्बाई 290 किमी है। प्रसिद्ध मोंगरा बैराज परियोजना राजनांदगांव में शिवनाथ नदी पर संचालित है। शिवनाथ नदी के कुछ भागों में सिर्फ वर्षा के समय ही नावें चलती हैं। और कहीं-कहीं कुछ भागों में जुलाई से फरवरी तक नावें चलती हैं। शिवनाथ की सहायक नदियां बालोद - खरखरा, तंदुला रायपुर- खारुन बलौदाबाजार- जमुनिया कवर्धा- हॉफ, आमनेर मुंगेली- मनियारी बिलासपुर- अरप्पा, लीलागर .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और शिवनाथ नदी
शिवराम दीप
शिवराम दीप डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह गमले दे कैक्टस के लिये उन्हें सन् 1984 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और शिवराम दीप
श्रीवत्स विकल
श्रीवत्स विकल डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास फुल्ल बिना डाली के लिये उन्हें सन् 1972 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित(मरणोपरांत) किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और श्रीवत्स विकल
शैलेन्द्र सिंह
शैलेन्द्र सिंह डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास हाशिये पर के लिये उन्हें सन् 2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और शैलेन्द्र सिंह
शूद्रक
शूद्रक नामक राजा का संस्कृत साहित्य में बहुत उल्लेख है। ‘मृच्छकटिकम्’ इनकी ही रचना है। जिस प्रकार विक्रमादित्य के विषय में अनेक दंतकथाएँ प्रचलित हैं वैसे ही शूद्रक के विषय में भी अनेक दंतकथाएँ हैं। कादम्बरी में विदिशा में, कथासरित्सागर में शोभावती तथा वेतालपंचविंशति में वर्धन नामक नगर में शूद्रक के राजा होने का उल्लेख है। मृच्छकटिकम् में कई उल्लेखों से ज्ञात होता है कि शूद्रक दक्षिण भारतीय थे तथा उन्हें प्राकृत तथा अपभ्रंश भाषाओं का भी अच्छा ज्ञान था। वे वर्ण व्यवस्था में विश्वास रखते थे तथा गायों और ब्राह्मणों का विशेष आदर करते थे। शूद्रक का समय छठी शताब्दी था। मृच्छकटिकम के अतिरिक्त उन्होने वासवदत्ता, पद्मप्रभृतका आदि की रचना भी की। राजा शूद्रक बड़ा कवि था। कुछ लोग कहते हैं, शूद्रक कोई था ही नहीं, एक कल्पित पात्र है। परन्तु पुराने समय में शूद्रक कोई राजा था इसका उल्लेख हमें स्कन्दपुराण में मिलता है। महाकवि भास ने एक नाटक लिखा है जिसका नाम ‘दरिद्र चारुदत्त’ है। ‘दरिद्र चारुदत्त’ भाषा और कला की दृष्टि से ‘मृच्छकटिक’ से पुराना नाटक है। निश्चयपूर्वक शूद्रक के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। बाण ने अपनी ‘कादम्बरी’ में राजा शूद्रक को अपना पात्र बनाया है, पर यह नहीं कहा कि वह कवि भी था। बाण का समय छठी शती है। ऐसा लगता है कि शूद्रक कोई कवि था, जो राजा भी था। वह बहुत पुराना था। परन्तु कालिदास के समय तक उसे प्रधानता नहीं दी गई थी, या कहें कि जिस कालिदास ने सौमिल्ल, भास और कविपुत्र का नाम अपने से पहले बड़े लेखकों में गिनाया है, उसने सबकी सूची नहीं दी थी। शूद्रक का बनाया नाटक पुराना था, जो निरन्तर सम्पादित होता रहा और बाद में प्रसिद्ध हो गया। हो सकता है वह भास के बाद हुआ हो। भास का समय ईसा की पहली या दूसरी शती माना जाता है। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और शूद्रक
साहित्य अकादमी पुरस्कार
साहित्य अकादमी पुरस्कार भारत में एक साहित्यिक सम्मान है, जो साहित्य अकादमी प्रतिवर्ष भारत की अपने द्वारा मान्यता प्रदत्त प्रमुख भाषाओं में से प्रत्येक में प्रकाशित सर्वोत्कृष्ट साहित्यिक कृति को पुरस्कार प्रदान करती है। भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल २२ भारतीय भाषाओं के अलावा ये राजस्थानी और अंग्रेज़ी भाषा; याने कुल २४ भाषाओं में प्रदान किया जाता हैं। पहली बार ये पुरस्कार सन् 1955 में दिए गए। पुरस्कार की स्थापना के समय पुरस्कार राशि 5,000/- रुपए थी, जो सन् 1983 में ब़ढा कर 10,000/- रुपए कर दी गई और सन् 1988 में ब़ढा कर इसे 25,000/- रुपए कर दिया गया। सन् 2001 से यह राशि 40,000/- रुपए की गई थी। सन् 2003 से यह राशि 50,000/- रुपए कर दी गई है। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और साहित्य अकादमी पुरस्कार
सांझी धरती बखले मानु
सांझी धरती बखले मानु डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार नरसिंह देव जम्वाल द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1978 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और सांझी धरती बखले मानु
सोध समुंदरें दी
सोध समुंदरें दी डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार मोहनलाल सपोलिया द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1989 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और सोध समुंदरें दी
सीताराम सपोलिया
सीताराम सपोलिया डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता-संग्रह दोहा सतसई के लिये उन्हें सन् 2013 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और सीताराम सपोलिया
सीताकांत महापात्र
ओड़िया के प्रसिद्ध कवि सीताकान्त महापात्र सीताकांत महापात्र (जन्म: १७ सितम्बर १९३७) उड़िया साहित्यकार हैं। इन्हें 1993 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्हें सन २००३ में भारत सरकार द्वारा साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया था। सीताकान्त की कविता का काव्य संसार यथार्थ और अनुभूति के सोलेन सम्मिश्रम से निर्मित हुआ है। उनकी कविताओं का सांस्कृतिक धरातल उनके अनुभव की उपज है। अतीत के जिस झरोखे से वे गांव की पगडंडी, तालाब, नदी, घर मन्दिर, सूर्योदय, ढलती शाम व मानवीय संबंधों इत्यादि का अवलोकन करते हुए सहजता से अपनी कविता में अभिव्यक्ति करते हैं, वह अनायास ही पाठकों को अपने में बांध लेती हैं। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और सीताकांत महापात्र
हाशिये पर
हाशिये पर डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार शैलेन्द्र सिंह द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2014 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और हाशिये पर
हजारी प्रसाद द्विवेदी
हजारी प्रसाद द्विवेदी (19 अगस्त 1907 - 19 मई 1979) हिन्दी के मौलिक निबन्धकार, उत्कृष्ट समालोचक एवं सांस्कृतिक विचारधारा के प्रमुख उपन्यासकार थे। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और हजारी प्रसाद द्विवेदी
जितेन्द्र शर्मा
जितेन्द्र शर्मा डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक एकांकी–संग्रह बुड्ढ सुहागन के लिये उन्हें सन् 1994 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और जितेन्द्र शर्मा
जितेन्द्र उधमपुरी
जितेन्द्र उधमपुरी (Jitendra Udhampuri) डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह इक शहर यादें दा के लिये उन्हें सन् 1981 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। भारत सरकार ने उन्हें 2010 में देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और जितेन्द्र उधमपुरी
ज्ञान सिंह पगोच
ज्ञान सिंह पगोच डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक महाकाव्य महात्मा विदुर के लिये उन्हें सन् 2007 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और ज्ञान सिंह पगोच
जो तेरे मन–चित्त लग्गी जा
जो तेरे मन–चित्त लग्गी जा डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार यश शर्मा द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1992 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और जो तेरे मन–चित्त लग्गी जा
जीवन लैह्रां
जीवन लैह्रां डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार तारा स्मैलपुरी द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1990 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और जीवन लैह्रां
वेद राही
वेद राही (जन्म १९३३) हिन्दी और डोगरी के साहित्यकार तथा फिल्म निर्देशक हैं, जिन्होंने स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी विनायक दामोदर सावरकर के जीवन पर आधारित फिल्म वीर-सावरकर बनाई। वेद राही ने दूरदर्शन धारावाहिक गुल गुलशन गुलफाम का भी निर्देशन किया। वेद राही का जन्म 22 मई 1933 को जम्मू कश्मीर में हुआ था। इनके पिता का नाम लाला मुल्कराज सराफ था जो जम्मू से “रणबीर” नाम का समाचार-पत्र निकलते थे। राही जी को बचपन से ही लिखने का शौक था। उन्होंने पहले उर्दू में लिखना आरम्भ किया और फिर हिंदी और डोगरी भाषा में भी लिखने लगे। उनकी अब तक की कुछ मशहूर कहानियां है - काले हत्थे (1958), आले (1982), क्रॉस फायरिंग। उनके प्रमुख उपन्यासों में झाड़ू बेदी ते पत्तन (1960), परेड (1982), टूटी हुई डोर (1980), गर्म जून आदि। वेद राही ने फिल्मी संसार में कदम रामानंद सागर के कारण रखा जिनके साथ जुड़ रहकर उन्होंने लगभग 25 हिंदी फिल्मों के लिए कहानिया, डायलॉग और स्क्रीन राइटिंग की। इन्होने कई फिल्में की जैसे वीर सावरकर (1982), बेज़ुबान (1976), चरस (1975), संन्यासी (1972), बे-ईमान (1972), मोम की गुड़िया (1971), आप आये बहार आई (1971), पराया धन (1970), पवित्र पापी (1966), 'यह रात फिर न आएगी' आदि। इसके अलावा उन्होंने 9 फिल्मे और सीरियल का निर्देशन किया एहसास (टीवी सीरीज) (1994), रिश्ते (टीवी सीरीज) (1987), ज़िन्दगी (टीवी सीरीज)(1987), गुल गुलशन गुलफाम (टीवी सीरीज) (1984), नादानियाँ (1980), काली घटा (1973), प्रेम पर्वत (1972), दरार आदि। इसके अलावा इन्होने काली घटा नामक फिल्म निर्मित भी की। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और वेद राही
वीरेन्द्र केसर
वीरेन्द्र केसर डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक ग़ज़ल–संग्रह निघे रंग के लिये उन्हें सन् 2001 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और वीरेन्द्र केसर
गमले दे कैक्टस
गमले दे कैक्टस डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार शिवराम दीप द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1984 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और गमले दे कैक्टस
गुरदयाल सिंह
गुरदयाल सिंह(10 जनवरी 1933 - 16 अगस्त 2016) एक पंजाबी साहित्यकार थे जो उपन्यास और कहानी लेखक थे। इन्हें 1999 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने अपनी प्रथम कहानी भागों वाले प्रो.मोहन सिंह के साहित्य मैगजीन पंज दरिया में प्रकाशित की थी। उनके पंजाबी साहित्य में आने से पंजाबी उपन्यास में बुनियादी तबदीली आई थी।उनके उपन्यास मढ़ी दा दीवा, .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और गुरदयाल सिंह
गीत सरोवर
गीत सरोवर डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार प्रद्युम्न सिंह ‘जिन्द्राहिया’ द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2009 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और गीत सरोवर
ओ. पी. शर्मा सारथी
ओ. पी.
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और ओ. पी. शर्मा सारथी
ओम विद्यार्थी
ओम विद्यार्थी डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक यात्रा–वृत्तांत त्रिप–त्रिप चेते के लिये उन्हें सन् 2002 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और ओम विद्यार्थी
आले
आले डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार वेद राही द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1983 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और आले
इक शहर यादें दा
इक शहर यादें दा डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार जितेन्द्र उधमपुरी द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1981 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और इक शहर यादें दा
कमलेश्वर
कमलेश्वर (६ जनवरी१९३२-२७ जनवरी २००७) हिन्दी लेखक कमलेश्वर बीसवीं शती के सबसे सशक्त लेखकों में से एक समझे जाते हैं। कहानी, उपन्यास, पत्रकारिता, स्तंभ लेखन, फिल्म पटकथा जैसी अनेक विधाओं में उन्होंने अपनी लेखन प्रतिभा का परिचय दिया। कमलेश्वर का लेखन केवल गंभीर साहित्य से ही जुड़ा नहीं रहा बल्कि उनके लेखन के कई तरह के रंग देखने को मिलते हैं। उनका उपन्यास 'कितने पाकिस्तान' हो या फिर भारतीय राजनीति का एक चेहरा दिखाती फ़िल्म 'आंधी' हो, कमलेश्वर का काम एक मानक के तौर पर देखा जाता रहा है। उन्होंने मुंबई में जो टीवी पत्रकारिता की, वो बेहद मायने रखती है। 'कामगार विश्व’ नाम के कार्यक्रम में उन्होंने ग़रीबों, मज़दूरों की पीड़ा-उनकी दुनिया को अपनी आवाज़ दी। कमलेश्वर का जन्म ६ जनवरी १९३२ को उत्तरप्रदेश के मैनपुरी जिले में हुआ। उन्होंने १९५४ में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में एम.ए.
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और कमलेश्वर
कलि–कथा : वाया बाइपास
कलि–कथा: वाया बाइपास हिन्दी के विख्यात साहित्यकार अलका सरावगी द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2001 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और कलि–कथा : वाया बाइपास
क़ैदी
क़ैदी डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार देशबंधु डोगरा ‘नूतन’ द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1982 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और क़ैदी
कालिदास
कालिदास संस्कृत भाषा के महान कवि और नाटककार थे। उन्होंने भारत की पौराणिक कथाओं और दर्शन को आधार बनाकर रचनाएं की और उनकी रचनाओं में भारतीय जीवन और दर्शन के विविध रूप और मूल तत्व निरूपित हैं। कालिदास अपनी इन्हीं विशेषताओं के कारण राष्ट्र की समग्र राष्ट्रीय चेतना को स्वर देने वाले कवि माने जाते हैं और कुछ विद्वान उन्हें राष्ट्रीय कवि का स्थान तक देते हैं। अभिज्ञानशाकुंतलम् कालिदास की सबसे प्रसिद्ध रचना है। यह नाटक कुछ उन भारतीय साहित्यिक कृतियों में से है जिनका सबसे पहले यूरोपीय भाषाओं में अनुवाद हुआ था। यह पूरे विश्व साहित्य में अग्रगण्य रचना मानी जाती है। मेघदूतम् कालिदास की सर्वश्रेष्ठ रचना है जिसमें कवि की कल्पनाशक्ति और अभिव्यंजनावादभावाभिव्यन्जना शक्ति अपने सर्वोत्कृष्ट स्तर पर है और प्रकृति के मानवीकरण का अद्भुत रखंडकाव्ये से खंडकाव्य में दिखता है। कालिदास वैदर्भी रीति के कवि हैं और तदनुरूप वे अपनी अलंकार युक्त किन्तु सरल और मधुर भाषा के लिये विशेष रूप से जाने जाते हैं। उनके प्रकृति वर्णन अद्वितीय हैं और विशेष रूप से अपनी उपमाओं के लिये जाने जाते हैं। साहित्य में औदार्य गुण के प्रति कालिदास का विशेष प्रेम है और उन्होंने अपने शृंगार रस प्रधान साहित्य में भी आदर्शवादी परंपरा और नैतिक मूल्यों का समुचित ध्यान रखा है। कालिदास के परवर्ती कवि बाणभट्ट ने उनकी सूक्तियों की विशेष रूप से प्रशंसा की है। thumb .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और कालिदास
कितने पाकिस्तान
कितने पाकिस्तान हिन्दी के विख्यात साहित्यकार कमलेश्वर द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2003 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह उपन्यास भारत-पाकिस्तान के बँटवारे और हिंदू-मुस्लिम संबंधों पर आधारित है।। यह उनके मन के भीतर चलने वाले अंतर्द्वंद्व का परिणाम माना जाता हे। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और कितने पाकिस्तान
किशन स्मैलपुरी
किशन स्मैलपुरी डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह मेरे डोगरी गीत के लिये उन्हें सन् 1975 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और किशन स्मैलपुरी
कुँवर वियोगी
कुँवर वियोगी डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास घर के लिये उन्हें सन् 1980 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और कुँवर वियोगी
कुर्अतुल ऐन हैदर
ऐनी आपा के नाम से जानी जानी वाली क़ुर्रतुल ऐन हैदर (२० जनवरी १९२७ - २१ अगस्त २००७) प्रसिद्ध उपन्यासकार और लेखिका थीं। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और कुर्अतुल ऐन हैदर
कृष्ण शर्मा
कृष्ण शर्मा डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह ढलदी धुप्पै दा सेक के लिये उन्हें सन् 2005 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और कृष्ण शर्मा
केहरि सिंह मधुकर
केहरि सिंह मधुकर डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह मैं मेले रा जानू के लिये उन्हें सन् 1977 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और केहरि सिंह मधुकर
कोरे काकल कोरियां तलियां
कोरे काकल कोरियां तलियां डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार दर्शन दर्शी द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2006 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और कोरे काकल कोरियां तलियां
अपनी डफली अपना राग
अपनी डफली अपना राग डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार मोहन सिंह द्वारा रचित एक नाटक–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1991 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और अपनी डफली अपना राग
अभिशाप
अभिशाप डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह लालसा के लिये उन्हें सन् 1995 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और अभिशाप
अभिज्ञानशाकुन्तलम्
शकुंतला राजा रवि वर्मा की कृति. दुष्यन्त को पत्र लिखती शकुंतलाराजा रवि वर्मा की कृति. हताश शकुंतलाराजा रवि वर्मा की कृति.
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और अभिज्ञानशाकुन्तलम्
अयोधिया
अयोधिया डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार दीनू भाई पंत द्वारा रचित एक नाटक है जिसके लिये उन्हें सन् 1985 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी और अयोधिया
यह भी देखें
डोगरी भाषा
- चंपा शर्मा
- जितेन्द्र उधमपुरी
- टाकरी लिपि
- डोगरी भाषा
- पद्मा सचदेव
- बंधु शर्मा
- राम नाथ शास्त्री
- साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी