लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
इंस्टॉल करें
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

सबाल्टर्न अध्ययन

सूची सबाल्टर्न अध्ययन

सबाल्टर्न अध्ययन औपनिवेशिक कालखण्ड में आभिजात्य, आधिकारिक स्रोत से इतर जनता द्वारा, जनता के लिए, जनता का इतिहास विनिर्मित करने की प्रविधि है। .

29 संबंधों: चेतना, डेविड हार्डिमन, डेविड अर्नाल्ड, दलित, दक्षिण एशिया, पार्थ चटर्जी, प्रत्यय, बेनेडिक्ट ऐण्डरसन, भारत, भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन, रंजीत गुहा, लोकगाथा, लोकगीत, सम्प्रभु राज्य, संभ्रांतवाद, सुदीप्त कविराज, सुमित सरकार, ज्ञान प्रकाश, ज्ञानेन्द्र पाण्डे, विचारधारा, विरासत, गायत्री चक्रवर्ती स्पीवाक, गौतम भद्रा, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, इतिहास, अंतोनियो ग्राम्शी, उपनिवेश, १९८२, १९९९

चेतना

१७वीं सदी से चेतना का एक चित्रण चेतना कुछ जीवधारियों में स्वयं के और अपने आसपास के वातावरण के तत्वों का बोध होने, उन्हें समझने तथा उनकी बातों का मूल्यांकन करने की शक्ति का नाम है। विज्ञान के अनुसार चेतना वह अनुभूति है जो मस्तिष्क में पहुँचनेवाले अभिगामी आवेगों से उत्पन्न होती है। इन आवेगों का अर्थ तुरंत अथवा बाद में लगाया जाता है। .

नई!!: सबाल्टर्न अध्ययन और चेतना · और देखें »

डेविड हार्डिमन

डेविड हार्डिमन आधुनिक भारत के एक इतिहासकार और सबाल्टर्न अध्ययन समूह के एक संस्थापक सदस्य है। हार्डिमन का जन्म पाकिस्तान के रावलपिंडी शहर में हुआ और शिक्षा-दीक्षा इंग्लैंड में हुई। वर्ष १९७० में लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स से स्नातक किया और १९७५ में ससेक्स विश्वविद्यालय से दक्षिण एशियाई इतिहास में डी.फिल प्राप्त किया। वह वर्तमान में वारविक विश्वविद्यालय में इतिहास विभाग के एक प्राध्यापक है। .

नई!!: सबाल्टर्न अध्ययन और डेविड हार्डिमन · और देखें »

डेविड अर्नाल्ड

डेविड अर्नाल्ड एक इतिहासकार है और वर्ष २००६ के बाद से वारविक विश्वविद्यालय में एशियाई और विश्व के इतिहास के प्राध्यापक रहे है। इसके पहले लंदन विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओरिएण्टल एंड अफ्रीकन स्टडीज़ में दक्षिण एशियाई इतिहास के प्राध्यापक थे। यहाँ अर्नाल्ड ने कई वर्षों तक महात्मा गांधी और गांधीवाद पर एक स्नातक पाठ्यक्रम पढ़ाया। १९७० के दशक में सबाल्टर्न अध्ययन समूह के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। वर्ष १९९३ में रंजीत गुहा ने उन्हे "ऍन अस्सोर्टमेंट ऑफ़ मार्जिनलाइस्ड अकॅडेमिक्स " कहकर याद किया। वर्ष १९९४ में डेविड हार्डीमैन के साथ एक प्रकाशन के लिये कुल ७ लेखो का योगदान देते हुए आठवें विस्तार-क्षेत्र को सह संपादित किया। उपनिवेशी दवा के क्षेत्र में भी पूर्व योगदानकर्ताओं मे एक है। "कोलोनाइज़िग द बॉडी " इनकी एक प्रभावशाली रचना है। .

नई!!: सबाल्टर्न अध्ययन और डेविड अर्नाल्ड · और देखें »

दलित

दलित का मतलब पहले पिडीत, शोषित, दबा हुआ, खिन्न, उदास, टुकडा, खंडित, तोडना, कुचलना, दला हुआ, पीसा हुआ, मसला हुआ, रौंदाहुआ, विनष्ट हुआ करता था, लेकिन अब अनुसूचित जाति को दलित बताया जाता है, अब दलित शब्द पूर्णता जाति विशेष को बोला जाने लगा हजारों वर्षों तक अस्‍पृश्‍य या अछूत समझी जाने वाली उन तमाम शोषित जातियों के लिए सामूहिक रूप से प्रयुक्‍त होता है जो हिंदू धर्म शास्त्रों द्वारा हिंदू समाज व्‍यवस्‍था में सबसे निचले (चौथे) पायदान पर स्थित है। और बौद्ध ग्रन्थ में पाँचवे पायदान पर (चांडाल) है संवैधानिक भाषा में इन्‍हें ही अनुसूचित जाति कहां गया है। भारतीय जनगनणा 2011 के अनुसार भारत की जनसंख्‍या में लगभग 16.6 प्रतिशत या 20.14 करोड़ आबादी दलितों की है।http://m.timesofindia.com/india/Half-of-Indias-dalit-population-lives-in-4-states/articleshow/19827757.cms आज अधिकांश हिंदू दलित बौद्ध धर्म के तरफ आकर्षित हुए हैं और हो रहे हैं, क्योंकी बौद्ध बनने से हिंदू दलितों का विकास हुआ हैं।http://www.bbc.com/hindi/india/2016/04/160414_dalit_vote_politician_rd "दलित" शब्द की व्याखा, अर्थ तुलनात्मक दृष्टी से देखे तो इसका विरुद्ध विषलेशण इस प्रकार है। "दलित" -: पिडीत, शोषित, दबा हुआ, खिन्न, उदास, टुकडा, खंडित, तोडना, कुचलना, दला हुआ, पीसा हुआ, मसला हुआ, रौंदाहुआ, विनष्ट "फलित" -: पिडामुक्त, उच्च, प्रसन्न, खुशहाल, अखंड, अखंडित, जोडना, समानता, एकरुप, पूर्णरूप, संपूर्ण .

नई!!: सबाल्टर्न अध्ययन और दलित · और देखें »

दक्षिण एशिया

thumb दक्षिण एशिया एक अनौपचारिक शब्दावली है जिसका प्रयोग एशिया महाद्वीप के दक्षिणी हिस्से के लिये किया जाता है। सामान्यतः इस शब्द से आशय हिमालय के दक्षिणवर्ती देशों से होता है जिनमें कुछ अन्य अगल-बगल के देश भी जोड़ लिये जाते हैं। भारत, पाकिस्तान, श्री लंका और बांग्लादेश को दक्षिण एशिया के देश या भारतीय उपमहाद्वीप के देश कहा जाता है जिसमें नेपाल और भूटान को भी शामिल कर लिया जाता है। कभी कभी इसमें अफगानिस्तान और म्याँमार को भी जोड़ लेते हैं। दक्षिण एशिया के देशों का एक संगठन सार्क भी है जिसके सदस्य देश निम्नवत हैं.

नई!!: सबाल्टर्न अध्ययन और दक्षिण एशिया · और देखें »

पार्थ चटर्जी

पार्थ चटर्जी सबाल्टर्न अध्ययन और उत्तर औपनिवेशिक स्कूलों से संबंधित एक भारतीय विद्वान है। इनका जन्म १९४७ में कलकत्ता में हुआ। यह एक बहु-विषयक विद्वान है जिनका विशेष ज़ोर राजनीति विज्ञान, नृविज्ञान और इतिहास पर है। शिक्षा क्षेत्र मैं उनके योगदान के लिए वर्ष २००९ में फुकुओका एशियाई संस्कृति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

नई!!: सबाल्टर्न अध्ययन और पार्थ चटर्जी · और देखें »

प्रत्यय

प्रत्यय वे शब्द हैं जो दूसरे शब्दों के अन्त में जुड़कर, अपनी प्रकृति के अनुसार, शब्द के अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं। Hari Mohit ka puruskar Dena chahe ye .

नई!!: सबाल्टर्न अध्ययन और प्रत्यय · और देखें »

बेनेडिक्ट ऐण्डरसन

बेनेडिक्ट रिचर्ड ओ'गॉर्मन ऐण्डरसन (Benedict Richard O'Gorman Anderson) (जन्म: २६ अगस्त १९३६) एक सामाजिक-राजनीतिक अध्येता और इतिहासकार हैं। इनकी ख्याति १९८३ में प्रकाशित पुस्तक इमेज़िण्ड कम्युनिटीज़ (Imagined Communities) से है, जिसमें इन्होंने राष्ट्र को कल्पित समुदाय के रूप में व्याख्यायित किया और राष्ट्रवाद से संबंधित अवधारणाओं को विनिर्मित करने का प्रयास किया है। .

नई!!: सबाल्टर्न अध्ययन और बेनेडिक्ट ऐण्डरसन · और देखें »

भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

नई!!: सबाल्टर्न अध्ययन और भारत · और देखें »

भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन

* भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय आह्वानों, उत्तेजनाओं एवं प्रयत्नों से प्रेरित, भारतीय राजनैतिक संगठनों द्वारा संचालित अहिंसावादी और सैन्यवादी आन्दोलन था, जिनका एक समान उद्देश्य, अंग्रेजी शासन को भारतीय उपमहाद्वीप से जड़ से उखाड़ फेंकना था। इस आन्दोलन की शुरुआत १८५७ में हुए सिपाही विद्रोह को माना जाता है। स्वाधीनता के लिए हजारों लोगों ने अपने प्राणों की बलि दी। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने १९३० कांग्रेस अधिवेशन में अंग्रेजो से पूर्ण स्वराज की मांग की थी। .

नई!!: सबाल्टर्न अध्ययन और भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन · और देखें »

रंजीत गुहा

रंजीत गुहा दक्षिण एशिया के एक इतिहासकार है। सबाल्टर्न अध्ययन समूह में प्रभावशाली होने के अलावा, ये इस समूह के कई प्रारंभिक संकलन के संपादक भी थे। वर्ष 1959 में, भारत से ब्रिटेन के लिए स्थानांतरण किया और ससेक्स विश्वविद्यालय में इतिहास के एक पाठक थे। ये वर्तमान में वियना, ऑस्ट्रिया में रहते हैं। उनकी किताब, "एलीमेंट्री आस्पेक्ट्स ऑफ़ पेअसंत इंसर्जेंसी इन कोलोनियल इंडिया" को व्यापक रूप से एक क्लासिक माना जाता है। .

नई!!: सबाल्टर्न अध्ययन और रंजीत गुहा · और देखें »

लोकगाथा

लोकगाथा या कथात्मक गीत, अंग्रेजी में 'बैलेड' (Ballad) शब्द से अभिहित हैं। इस की व्युत्पत्ति लैटिन के 'वेप्लेर' शब्द से है जिसका अर्थ है 'नृत्य करना'। कालांतर में इसका प्रयोग केवल लोकगाथाओं के लिए किया जाने लगा। अंग्रेजी साहित्यकार इसकी ओर अधिक आकृष्ट हुए और यह अंग्रेजी साहित्य का लोकप्रिय काव्यरूप ही बन गया। लोकगाथा की परिभाषा करते हुए विभिन्न विद्वानों ने भिन्न भिन्न विचार प्रकट किए हैं। किंतु परिभाषाओं में कुछ सर्वसामान्य तत्व विद्यमान हैं। इस विषय में कुछ प्रमुख विद्वानों के विचार ये हैं - जी.एन.

नई!!: सबाल्टर्न अध्ययन और लोकगाथा · और देखें »

लोकगीत

लोकनृत्य के साथ लोकगीत लोकगीत लोक के गीत हैं। जिन्हें कोई एक व्यक्ति नहीं बल्कि पूरा लोक समाज अपनाता है। सामान्यतः लोक में प्रचलित, लोक द्वारा रचित एवं लोक के लिए लिखे गए गीतों को लोकगीत कहा जा सकता है। लोकगीतों का रचनाकार अपने व्यक्तित्व को लोक समर्पित कर देता है। शास्त्रीय नियमों की विशेष परवाह न करके सामान्य लोकव्यवहार के उपयोग में लाने के लिए मानव अपने आनन्द की तरंग में जो छन्दोबद्ध वाणी सहज उद्भूत करता हॅ, वही लोकगीत है। इस प्रकार लोकगीत शब्द का अर्थ हॅ- १- लोक में प्रचलित गीत २- लोक-रचित गीत ३- लोक-विषयक गीत कजरी, सोहर, चैती, लंगुरिया आदि लोकगीतों की प्रसिद्ध शैलियाँ हैं। .

नई!!: सबाल्टर्न अध्ययन और लोकगीत · और देखें »

सम्प्रभु राज्य

राष्ट्र कहते हैं, एक जन समूह को, जिनकी एक पहचान होती है, जो कि उन्हें उस राष्ट्र से जोङती है। इस परिभाषा से तात्पर्य है कि वह जन समूह साधारणतः समान भाषा, धर्म, इतिहास, नैतिक आचार, या मूल उद्गम से होता है। ‘राजृ-दीप्तो’ अर्थात ‘राजृ’ धातु से कर्म में ‘ष्ट्रन्’ प्रत्यय करने से संस्कृत में राष्ट्र शब्द बनता है अर्थात विविध संसाधनों से समृद्ध सांस्कृतिक पहचान वाला देश ही एक राष्ट्र होता है | देश शब्द की उत्पत्ति "दिश" यानि दिशा या देशांतर से हुआ जिसका अर्थ भूगोल और सीमाओं से है | देश विभाजनकारी अभिव्यक्ति है जबकि राष्ट्र, जीवंत, सार्वभौमिक, युगांतकारी और हर विविधताओं को समाहित करने की क्षमता रखने वाला एक दर्शन है | सामान्य अर्थों में राष्ट्र शब्द देश का पर्यायवाची बन जाता है, जहाँ कुछ असार्वभौमिक राष्ट्र, जिन्होंने अपनी पहचान जुङने के बाद, पृथक सार्वभौमिकिता बनाए रखी है। एक राष्ट्र कई राज्यों में बँटा हो सकता है तथा वे एक निर्धारित भौगोलिक क्षेत्र में रहते हैं, जिसे राष्ट्र कहा जाता है। देश को अपने रहेने वालों का रक्षा करना है। .

नई!!: सबाल्टर्न अध्ययन और सम्प्रभु राज्य · और देखें »

संभ्रांतवाद

संभ्रांतवाद (अंग्रेज़ी: elitism, इलीटिज़्म​) यह विश्वास या सोच होती है कि अपनी जाति, शिक्षा, धन-सम्पन्नता, बुद्धि, अनुभव या किसी अन्य गुण के कारण किसी संभ्रांत वर्ग (इलीट, या विशिष्ट वर्ग) की सदस्यता रखने वाले कुछ व्यक्तियों के मतों का महत्व अधिक है, या उनके करे कार्य समाज के लिए अधिक लाभदायक हैं, या वे शासन करने या निर्देश देने की विशेष क्षमता रखते हैं।, Charles Herman Pritchett, Public Affairs Conference Center, Rand McNally, 1968,...

नई!!: सबाल्टर्न अध्ययन और संभ्रांतवाद · और देखें »

सुदीप्त कविराज

सुदीप्त कविराज दक्षिण एशियाई राजनीति व बौद्धिक इतिहास के एक विद्वान है जिनका नाम अक्सर पोस्टकोलोनियल और सबाल्टर्न अध्ययन के संबद्ध में लिया जाता है। ये वर्तमान में कोलम्बिया विश्वविद्यालय के मध्य पूर्वी, दक्षिण एशियाई और अफ्रीकी अध्ययन विभाग में शिक्षण कर रहे हैं। .

नई!!: सबाल्टर्न अध्ययन और सुदीप्त कविराज · और देखें »

सुमित सरकार

सुमित सरकार भारत के एक सुप्रसिद्ध इतिहासविद हैं और दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्यापन करते हैं। इन्होंनें आधुनिक भारत के इतिहास पर कई महत्वपूर्ण पुस्तकों की रचना की है और बहुत से शोध प्रबंधों का निर्देशन किया है। .

नई!!: सबाल्टर्न अध्ययन और सुमित सरकार · और देखें »

ज्ञान प्रकाश

ज्ञान प्रकाश आधुनिक भारत के एक इतिहासकार और प्रिंसटन विश्वविद्यालय में इतिहास के डेटन-स्टॉकटन प्राध्यापक है। प्रकाश सबाल्टर्न अध्ययन सामूहिक के एक सदस्य है। वर्ष १९७३ में दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में बी.ए. की डिग्री प्राप्त की, १९७५ में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से इतिहास में एम.ए. की उपाधि और १९८४ में पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय से इतिहास में डॉक्टर की उपाधि प्राप्त की। ज्ञान प्रकाश आधुनिक दक्षिण एशियाई इतिहास, तुलनात्मक उपनिवेशवाद और उत्तर औपनिवेशिक सिद्धांत, शहरी इतिहास, विश्व इतिहास, और विज्ञान के इतिहास पर लिखते है। .

नई!!: सबाल्टर्न अध्ययन और ज्ञान प्रकाश · और देखें »

ज्ञानेन्द्र पाण्डे

ज्ञानेन्द्र पाण्डे एक इतिहासकार और सबाल्टर्न अध्ययन के संस्थापक सदस्यों में से एक है। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से डिग्री प्राप्त की है। वर्श २००५ से एमोरी विश्वविद्यालय में प्राध्यापक के पद पर है। इसके पहले रोड्स छात्रवृत्ति को हासिल कर चुके है, और दो ऑक्सफोर्ड कॉलेजों, वोल्फसन और लिंकन (१९७४-७८), के रिसर्च फैलो भी रह चुके है। लीड्स विश्वविद्यालय और हैदराबाद विश्वविद्यालय में कुछ समय तक लेक्चरर रहने के बाद, १९९० में कलकत्ता के सेंटर फॉर स्टडीज़ इन सोशल साइंसेज़ में अध्येतावृत्ति प्रारम्भ की। १९८५ में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के एक प्राध्यापक बने और इसी समान पद को १९८६-९८ के बीच दिल्ली विश्वविद्यालय में निभाया। एमोरी विश्वविद्यालय में नियुक्त होने से पहले उनकी आखिरी पदवी जॉन्स हॉपकिंस विश्वविद्यालय में थी। यहाँ ये नृविज्ञान और इतिहास के प्रोफेसर होने के साथ-साथ नृविज्ञान विभाग के अध्यक्ष भी थे। .

नई!!: सबाल्टर्न अध्ययन और ज्ञानेन्द्र पाण्डे · और देखें »

विचारधारा

विचारधारा, सामाजिक राजनीतिक दर्शन में राजनीतिक, कानूनी, नैतिक, सौंदर्यात्मक, धार्मिक तथा दार्शनिक विचार चिंतन और सिद्धांत प्रतिपादन की व्यवस्थित प्राविधिक प्रक्रिया है। विचारधारा का सामान्य आशय राजनीतिक सिद्धांत रूप में किसी समाज या समूह में प्रचलित उन विचारों का समुच्चय है जिनके आधार पर वह किसी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संगठन विशेष को उचित या अनुचित ठहराता है। विचारधारा के आलोचक बहुधा इसे एक ऐसे विश्वास के विषय के रूप में व्यवहृत करते हैं जिसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं होता। तर्क दिया जाता है कि किसी विचारधारा विशेष के अनुयायी उसे अपने आप में सत्य मानकर उसका अनुसरण करते हैं, उसके सत्यापन की आवश्यकता नहीं समझी जाती। वस्तुतः प्रत्येक विचारधारा के समर्थक उसकी पुष्टि के लिए किंचित सिद्धांत और तर्क अवश्य प्रस्तुत करते हैं और दूसरे के मन में उसके प्रति आस्था और विश्वास पैदा करने का प्रयत्न करते हैं। .

नई!!: सबाल्टर्न अध्ययन और विचारधारा · और देखें »

विरासत

कोई विवरण नहीं।

नई!!: सबाल्टर्न अध्ययन और विरासत · और देखें »

गायत्री चक्रवर्ती स्पीवाक

गायत्री चक्रवर्ती स्पीवाक (जन्म २४ फ़रवरी १९४२) एक भारतीय साहित्यिक विचारक, दार्शनिक और कोलंबिया विश्वविद्यालय में विश्वविद्यालय प्राध्यापिका है, जहां ये तुलनात्मक साहित्य और समाज संस्थान की एक संस्थापक सदस्य है। वर्ष २०१२ मे उन्हे कला और दर्शनशास्र में क्योटो पुरस्कार से सम्मानित किया गया। २०१३ में उन्हें भारत गणराज्य के द्वारा दिए गए तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से नवाज़ा गया। स्पीवाक उनकी समकालीन सांस्कृतिक और "उपनिवेशवाद की विरासत" को चुनौती देने वाली आलोचनात्मक सिद्धांतों के लिए प्रसिद्ध है। ये पाठकों के साहित्य और संस्कृति के साथ संलग्न पर भी चिंतन करना चाहती है। ये ज्यादातर उन लोगों के सांस्कृतिक ग्रंथों पर अपना ध्यान केंद्रित करती है जो प्रमुख पश्चिमी संस्कृति द्वारा अधिकारहीन किये गए हो: श्रमिक वर्ग, औरत, नए आप्रवासी सबाल्टर्न के अन्य स्थान। .

नई!!: सबाल्टर्न अध्ययन और गायत्री चक्रवर्ती स्पीवाक · और देखें »

गौतम भद्रा

गौतम भद्रा एक इतिहासकार है, जिनका जन्म कलकत्ता में १९४८ में हुआ। यह प्रेसीडेंसी कॉलेज, जादवपुर विश्वविद्यालय और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र रह चुके है। .

नई!!: सबाल्टर्न अध्ययन और गौतम भद्रा · और देखें »

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस (ओयूपी) दुनिया की सबसे बड़ी विश्वविद्यालय प्रेस है। यह ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय का एक विभाग है और इसका संचालन उपकुलपति द्वारा नियुक्त 15 शिक्षाविदों के एक समूह द्वारा किया जाता है जिन्हें प्रेस प्रतिनिधि के नाम से जाना जाता है। उनका नेतृत्व प्रतिनिधियों के सचिव द्वारा किया जाता है जो ओयूपी के मुख्य कार्यकारी और अन्य विश्वविद्यालय निकायों के प्रमुख प्रतिनिधि की भूमिका निभाता है। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय सत्रहवीं सदी के बाद से प्रेस की देखरेख के लिए इसी तरह की प्रणाली का इस्तेमाल करता आ रहा है। विश्वविद्यालय ने 1480 के आसपास मुद्रण व्यापार में कदम रखा और बाइबल, प्रार्थना पुस्तकों और अध्ययनशील रचनाओं का प्रमुख मुद्रक बन गया। इसकी प्रेस द्वारा शुरु की गयी एक परियोजना उन्नीसवीं सदी के अंतिम दौर में ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी बन गई और बढ़ती लागतों से निपटने के लिए इसने अपना विस्तार जारी रखा। नतीजतन अपने शैक्षणिक और धार्मिक शीर्षकों से मेल स्थापित करने के लिए ऑक्सफोर्ड ने पिछले सौ सालों में बच्चों की पुस्तकों, स्कूल की पाठ्य पुस्तकों, संगीत, पत्रिकाओं, वर्ल्ड्स क्लासिक्स सीरीज और सबसे ज्यादा बिकने वाली अंग्रेजी भाषा शिक्षण पाठ्य पुस्तकों का प्रकाशन किया है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कदम रखने के फलस्वरूप 1896 में न्यूयॉर्क से शुरुआत करने वाली इस प्रेस ने यूनाइटेड किंगडम के बाहर भी अपना कार्यालय खोलना शुरू कर दिया। कंप्यूटर प्रौद्योगिकी के आगमन और उत्तरोत्तर बढ़ती व्यापारिक दशाओं की वजह से 1989 में ऑक्सफोर्ड में स्थित प्रेस के छापेखाने को बंद कर दिया गया और वोल्वरकोट में स्थित उसकी पूर्व कागज़ की मिल को 2004 में ध्वस्त कर दिया गया। अपनी छपाई और जिल्दसाजी कार्य का ठेका देकर आधुनिक प्रेस हर साल दुनिया भर में लगभग 6000 नए शीर्षकों का प्रकाशन करता है और दुनिया भर में इसके कर्मचारियों की संख्या लगभग 4000 है। एक धर्मार्थ संगठन के हिस्से के रूप में ओयूपी अपने मूल विश्वविद्यालय को अधिक से अधिक वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए और इसके अलावा अपनी प्रकाशन गतिविधियों के माध्यम से छात्रवृत्ति, अनुसन्धान और शिक्षा में बेहतरीन प्रदर्शन करने में विश्वविद्यालय के लक्ष्यों को पूरा करने में उसकी सहायता करने के लिए प्रतिबद्ध है। ओयूपी को सबसे पहले 1972 में यूएस कॉर्पोरेशन टैक्स से और उसके बाद 1978 में यूके कॉर्पोरेशन टैक्स से मुक्त किया गया। एक धर्मार्थ संगठन का एक विभाग होने के नाते ओयूपी को अधिकांश देशों में आयकर और निगम कर से मुक्त कर दिया गया है लेकिन इसे अपने उत्पादों पर बिक्री और अन्य वाणिज्यिक करों का भुगतान करना पड़ता है। प्रति वर्ष कम से कम 12 मिलियन पाउंड का हस्तांतरण करने की वचनबद्धता के साथ यह प्रेस वर्तमान में विश्वविद्यालय के शेष हिस्सों को अपने वार्षिक अधिशेष का 30% हस्तांतरित करता है। प्रकाशन की संख्या की दृष्टि से ओयूपी दुनिया का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय प्रेस है जो हर साल 4500 से अधिक नई पुस्तकों का प्रकाशन करता है और जहां लगभग 4000 लोग काम करते हैं। ओयूपी ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी, कंसाइस ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी, ऑक्सफोर्ड वर्ल्ड्स क्लासिक्स, ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी ऑफ नेशनल बायोग्राफी और कंसाइस डिक्शनरी ऑफ नेशनल बायोग्राफी सहित कई सन्दर्भ, पेशेवर और शैक्षणिक रचनाओं का प्रकाशन करता है। इसके कई सबसे महत्वपूर्ण शीर्षक अब "ऑक्सफोर्ड रेफरेंस ऑनलाइन" नामक एक पैकेज के रूप में इंटरनेट पर उपलब्ध है और इन्हें यूके की कई सार्वजनिक पुस्तकालयों के पाठक कार्ड धारकों को मुफ्त में प्रदान किया जाता है। ऑक्सफोर्ड द्वारा प्रकाशित पुस्तकों में अंतर्राष्ट्रीय मानक पुस्तक संख्या होती है जो 0-19 से शुरू होती है जो प्रेस को आईएसबीएन सिस्टम में दो-अंकीय पहचान संख्या वाले कई छोटे-छोटे प्रकाशकों में से एक बनाती है। आतंरिक समझौते द्वारा व्यक्तिगत संस्करण संख्या का पहला अंक (0-19- के बाद) एक विशेष प्रभाग का संकेत दे सकता है, उदाहरण के लिए: संगीत के लिए 3 (आईएसएमएन को परिभाषित करने से पहले); न्यूयॉर्क कार्यालय के लिए 5; क्लेयरेंडन प्रेस प्रकाशनों के लिए 8.

नई!!: सबाल्टर्न अध्ययन और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस · और देखें »

इतिहास

बोधिसत्व पद्मपनी, अजंता, भारत। इतिहास(History) का प्रयोग विशेषत: दो अर्थों में किया जाता है। एक है प्राचीन अथवा विगत काल की घटनाएँ और दूसरा उन घटनाओं के विषय में धारणा। इतिहास शब्द (इति + ह + आस; अस् धातु, लिट् लकार अन्य पुरुष तथा एक वचन) का तात्पर्य है "यह निश्चय था"। ग्रीस के लोग इतिहास के लिए "हिस्तरी" (history) शब्द का प्रयोग करते थे। "हिस्तरी" का शाब्दिक अर्थ "बुनना" था। अनुमान होता है कि ज्ञात घटनाओं को व्यवस्थित ढंग से बुनकर ऐसा चित्र उपस्थित करने की कोशिश की जाती थी जो सार्थक और सुसंबद्ध हो। इस प्रकार इतिहास शब्द का अर्थ है - परंपरा से प्राप्त उपाख्यान समूह (जैसे कि लोक कथाएँ), वीरगाथा (जैसे कि महाभारत) या ऐतिहासिक साक्ष्य। इतिहास के अंतर्गत हम जिस विषय का अध्ययन करते हैं उसमें अब तक घटित घटनाओं या उससे संबंध रखनेवाली घटनाओं का कालक्रमानुसार वर्णन होता है। दूसरे शब्दों में मानव की विशिष्ट घटनाओं का नाम ही इतिहास है। या फिर प्राचीनता से नवीनता की ओर आने वाली, मानवजाति से संबंधित घटनाओं का वर्णन इतिहास है।Whitney, W. D. (1889).

नई!!: सबाल्टर्न अध्ययन और इतिहास · और देखें »

अंतोनियो ग्राम्शी

अंतोनियो ग्राम्शी (१८९१- १९३७) इटली की कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक, मार्क्सवाद के सिद्धांतकार तथा प्रचारक थे। बीसवीं सदी के आरंभिक चार दशकों के दौरान दक्षिणपंथी फ़ासीवादी विचारधारा से जूझने और साम्यवाद की पक्षधरता के लिए विख्यात हैं। .

नई!!: सबाल्टर्न अध्ययन और अंतोनियो ग्राम्शी · और देखें »

उपनिवेश

उपनिवेश (कालोनी) किसी राज्य के बाहर की उस दूरस्थ बस्ती को कहते हैं जहाँ उस राज्य की जनता निवास करती है। किसी पूर्ण प्रभुसत्ता संपन्न राज्य (सावरेन स्टेट) के लोगों के अन्य देश की सीमा में जाकर बसने के स्थान के लिए भी इस शब्द का प्रयोग होता है। इस अर्थ में अधिकतर यूरोपीय देशों के "उपनिवेश" लंदन में स्थित हैं। परंतु साधारणत: अधिक संकुचित अर्थ में ही इस शब्द का प्रयोग होता है, विशेषकर निम्नलिखित दशाओं में: (क) एक राज्य के निवासियों की अपने राज्य को भौगोलिक सीमाओं के बाहर अन्य स्थान पर बसी बस्ती को तब तक उपनिवेश कहते हैं, जब तक वह स्थान उस राज्य के ही प्रशासकीय क्षेत्र में आता हो, अथवा (ख) कोई स्वतंत्र राष्ट्र, जो किसी अन्य (प्रधान) राष्ट्र की राष्ट्रीयता, प्रशासन, तथा आर्थिक एकता से घनिष्ट संबंध रखता हो। उदाहरणार्थ, प्रथम श्रेणी के अंतर्गत त्यूतनिक उपनिवेश हैं जो बाल्टिक प्रांतों में स्थित हैं तथा इसी प्रकार के उपनिवेश बालकन प्रायद्वीप में भी हैं। दूसरी श्रेणी के उपनिवेश-और यही अधिक प्रचलित प्रयोग है-अफ्रीका अथवा आस्ट्रेलिया में अंग्रेजों के हैं। सन १९४५ में उपनिवेश .

नई!!: सबाल्टर्न अध्ययन और उपनिवेश · और देखें »

१९८२

१९८२ ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

नई!!: सबाल्टर्न अध्ययन और १९८२ · और देखें »

१९९९

१९९९ ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

नई!!: सबाल्टर्न अध्ययन और १९९९ · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

निम्नवर्गीय प्रसंग

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »