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सआदत अली खान द्वितीय

सूची सआदत अली खान द्वितीय

"क्लॉड मार्टिन का घर जिसे सआदत अली खान ने ५० हज़ार रुपए में खरीदा था यामीन उद् दौला नवाब सआदत अली खान (१७५२-१८१४) अवध के शासक (शासनकाल १७९८-१८१४) नवाब शुजाउद्दौला के दूसरे बेटे थे। सआदत अली खान अपने सौतेले भाई, आसफ़ुद्दौला, के बाद अवध के तख्त पर १७९८ पर बैठे। सआदत अली खान की ताजपोशी २१ जनवरी १७९८ को बिबियापुर महल, लखनऊ में सर जॉन शोर द्वारा की गई। उन्होंने १८०१ में अंग्रेज़ों को आधा अवध दे दिया। उनका १८०५ में सर गोर औसेली द्वारा निर्मित दिलकुशा कोठी नामक एक महल भी था। १० सितंबर २००७ को पठित नवाब सआदत अली खान १८१४ में मरे और उन्हें अपनी पत्नी 'खुरशीद ज़ादी' के साथ जुड़वाँ क़ैसरबाग़ के मकबरे में दफ़नाया गया। .

10 संबंधों: नवाब, नवाब ग़ाज़ीउद्दीन हैदर, लखनऊ, शुजाउद्दौला, वज़ीर अली ख़ान, आसफ़ुद्दौला, अवध, अवध के नवाब, १७९८, २१ जनवरी

नवाब

नवाब यह सम्मान की उपाधि मुग़ल शासकों द्वारा उपयोग किया जाता था। भारत में मुग़ल शासन के अधीन यह उपाधि बाद में बंगाल, अवध तथा ऑर्काट के स्वतंत्र शासकों द्वारा अपनाई गई थी। इंग्लैंड में नवाब नाम उन लोगों को दिया गया, जिन्होंने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी में काम करते हुए बहुत पैसा कमाया तथा घर लौटकर संसद की सीटें ख़रीदीं। अत: नवाब शब्द से तात्पर्य उस व्यक्ति से है, जिसके पास अकूत संपदा या असामान्य विशिष्टता हो। .

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नवाब ग़ाज़ीउद्दीन हैदर

ग़ाजी-उद्-दीन हैदन (१७६९- १९ अक्टूबर, १८२७) अवध का नवाब था। वह नवाब सआदत अली खान का तीसरा बेटा था और उसकी माँ का नाम मुशीरज़ादी था। वह ११ जुलाई १८१४ में अपने पिता की मृत्यु के बाद अवध का नवाब वज़ीर बना। १८१९ में अँग्रेज गवर्नर जनरल लॉर्ड हेस्टिंग्स से प्रभावित होकर उसने स्वयं को स्वतंत्र अवध का बादशाह घोषित कर दिया था। उसका देहांथ लखनऊ के फरहत बख्श महल में १८२७ में हुआ। उसे बाद उसका बेटा नासिरुद्दीन हैदर उसकी गद्दी पर बैठा। नवाब गाजीउद्दीन हैदर के शासनकाल में बनवाई गई प्रसिद्ध इमारतों में छतर मंजिल आज भी अपने सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। श्रेणी:लखनऊ के नवाब.

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लखनऊ

लखनऊ (भारत के सर्वाधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी है। इस शहर में लखनऊ जिले और लखनऊ मंडल के प्रशासनिक मुख्यालय भी स्थित हैं। लखनऊ शहर अपनी खास नज़ाकत और तहजीब वाली बहुसांस्कृतिक खूबी, दशहरी आम के बाग़ों तथा चिकन की कढ़ाई के काम के लिये जाना जाता है। २००६ मे इसकी जनसंख्या २,५४१,१०१ तथा साक्षरता दर ६८.६३% थी। भारत सरकार की २००१ की जनगणना, सामाजिक आर्थिक सूचकांक और बुनियादी सुविधा सूचकांक संबंधी आंकड़ों के अनुसार, लखनऊ जिला अल्पसंख्यकों की घनी आबादी वाला जिला है। कानपुर के बाद यह शहर उत्तर-प्रदेश का सबसे बड़ा शहरी क्षेत्र है। शहर के बीच से गोमती नदी बहती है, जो लखनऊ की संस्कृति का हिस्सा है। लखनऊ उस क्ष्रेत्र मे स्थित है जिसे ऐतिहासिक रूप से अवध क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। लखनऊ हमेशा से एक बहुसांस्कृतिक शहर रहा है। यहाँ के शिया नवाबों द्वारा शिष्टाचार, खूबसूरत उद्यानों, कविता, संगीत और बढ़िया व्यंजनों को हमेशा संरक्षण दिया गया। लखनऊ को नवाबों के शहर के रूप में भी जाना जाता है। इसे पूर्व की स्वर्ण नगर (गोल्डन सिटी) और शिराज-ए-हिंद के रूप में जाना जाता है। आज का लखनऊ एक जीवंत शहर है जिसमे एक आर्थिक विकास दिखता है और यह भारत के तेजी से बढ़ रहे गैर-महानगरों के शीर्ष पंद्रह में से एक है। यह हिंदी और उर्दू साहित्य के केंद्रों में से एक है। यहां अधिकांश लोग हिन्दी बोलते हैं। यहां की हिन्दी में लखनवी अंदाज़ है, जो विश्वप्रसिद्ध है। इसके अलावा यहाँ उर्दू और अंग्रेज़ी भी बोली जाती हैं। .

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शुजाउद्दौला

शुजाउद्दौला (१९ जनवरी१७३२, दारा शिकोह के महल में, दिल्ली – १७७५) अवध के नवाब थे। उन्हें वज़ीर उल ममालिक ए हिंदुस्तान, शुजा उद् दौला, नवाब मिर्ज़ा जलाल उद् दीन हैदर खान बहादुर, अवध के नवाब वज़ीर आदि नामों से भी जाना जाता था। अवध का साम्राज्य उस समय औरंगज़ेब की मौत की वजह से मुग़ल साम्राज्य के पतन के बाद एक छोटी रियासत बन गया था। एक छोटे शासक होने के बावजूद वे भारत के इतिहास के दो प्रमुख युद्धों में भाग लेने के लिए जाने जाते हैं - पानीपत की तीसरी लड़ाई, जिसने भारत में मराठों का वर्चस्व समाप्त किया और बक्सर की लड़ाई, जिसने अंग्रेज़ों की हुकूमत स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई। .

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वज़ीर अली ख़ान

मिर्ज़ा वज़ीर अली खान(१७८० - १८१७), चौथे नवाब वज़ीर अल ममालिक ए एवध थे। चार माह के शासन काल के अंदर ही उन्हें अंग्रेज़ों और अपनी प्रजा, दोनों ही द्वारा विलग कर दिया गया और अंततः उन्हें पदच्युत कर के चुनार के किले में बंदी बनाया गया और वहीं उनका देहांत हुआ। .

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आसफ़ुद्दौला

आसफ़ुद्दौला (२३ सितंबर १७४८-२१ सितंबर १७९७) १७७५ से १७९७ के बीच अवध के नवाब वज़ीर और शुजाउद्दौला के बेटे थे, उनकी माँ और दादी अवध की बेग़में थी। अवध की लूट ही वारेन हेस्टिंग्स के खिलाफ़ इल्ज़ामों में से प्रमुख था। .

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अवध

अवध अवध वर्तमान उत्तर प्रदेश के एक भाग का नाम है जो प्राचीन काल में कोशल कहलाता था। इसकी राजधानी अयोध्या थी। अवध शब्द अयोध्या से ही निकला है। अवध की राजधानी प्रांरभ में फैजाबाद थी किंतु बाद को लखनऊ उठ आई थी। अवध पर नवाबों का आधिपत्य था जो प्राय: स्वतंत्र थे, क्योंकि अवध के नवाब शिया मुसलमान थे अत: अवध में इसलाम के इस संप्रदाय को विशेष संरक्षण मिला। लखनऊ उर्दू कविता का भी प्रसिद्ध केंद्र रहा। दिल्ली केंद्र के नष्ट होने पर बहुत से दिल्ली के भी प्रसिद्ध उर्दू कवि लखनऊ वापस चले आए थे। अवध की पारम्परिक राजधानी लखनऊ है। भौगोलिक रूप से अवध की आधुनिक परिभाषा - लखनऊ, सुल्तानपुर, रायबरेली, उन्नाव, कानपुर, भदोही, इलाहाबाद, बाराबंकी, फैजाबाद, प्रतापगढ़, बहराइच, बलरामपुर, गोंडा, हरदोई, लखीमपुर खीरी, कौशाम्बी, सीतापुर, श्रावस्ती, बस्ती, सिद्धार्थ नगर, खलीलाबाद, उन्नाव, फतेहपुर, कानपुर, (जौनपुर, और मिर्जापुर के पश्चिमी हिस्सों), कन्नौज, पीलीभीत, शाहजहांपुर से बनती है। .

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अवध के नवाब

भारत के अवध के १८वीं तथा १९वीं सदी में शासकों को अवध के नवाब कहते हैं। अवध के नवाब, इरान के निशापुर के कारागोयुन्लु वंश के थे। नवाब सआदत खान प्रथम नवाब थे। .

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१७९८

1798 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

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२१ जनवरी

२१ जनवरी ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २१वाँ दिन है। वर्ष में अभी और ३४४ दिन बाकी हैं (लीप वर्ष में ३४५)। .

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