सामग्री की तालिका
3 संबंधों: ऊर्जा, ट्राँसफार्मर, पृथक्कारी प्रवर्धक।
- इलेक्ट्रानिक परिपथ
ऊर्जा
दीप्तिमान (प्रकाश) ऊर्जा छोड़ता हैं। भौतिकी में, ऊर्जा वस्तुओं का एक गुण है, जो अन्य वस्तुओं को स्थानांतरित किया जा सकता है या विभिन्न रूपों में रूपांतरित किया जा सकता हैं। किसी भी कार्यकर्ता के कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा (Energy) कहते हैं। ऊँचाई से गिरते हुए जल में ऊर्जा है क्योंकि उससे एक पहिये को घुमाया जा सकता है जिससे बिजली पैदा की जा सकती है। ऊर्जा की सरल परिभाषा देना कठिन है। ऊर्जा वस्तु नहीं है। इसको हम देख नहीं सकते, यह कोई जगह नहीं घेरती, न इसकी कोई छाया ही पड़ती है। संक्षेप में, अन्य वस्तुओं की भाँति यह द्रव्य नहीं है, यद्यापि बहुधा द्रव्य से इसका घनिष्ठ संबंध रहता है। फिर भी इसका अस्तित्व उतना ही वास्तविक है जितना किसी अन्य वस्तु का और इस कारण कि किसी पिंड समुदाय में, जिसके ऊपर किसी बाहरी बल का प्रभाव नहीं रहता, इसकी मात्रा में कमी बेशी नहीं होती। .
देखें वैद्युत पृथक्करण और ऊर्जा
ट्राँसफार्मर
---- एक छोटे ट्रांसफॉर्मर का स्वरूप ट्रान्सफार्मर या परिणामित्र एक वैद्युत मशीन है जिसमें कोई चलने या घूमने वाला अवयव नहीं होता। विद्युत उपकरणों में सम्भवतः ट्रान्सफार्मर सर्वाधिक व्यापक रूप से प्रयुक्त विद्युत साषित्र (अप्लाएन्स) है। यह किसी एक विद्युत परिपथ (circuit) से अन्य परिपथ में विद्युत प्रेरण द्वारा परस्पर जुडे हुए चालकों के माध्यम से विद्युत उर्जा स्थान्तरित करता है। ट्रांसफार्मर केवल प्रत्यावर्ती धारा या विभवान्तर के साथ कार्य कर सकता है, एकदिश (direct) के साथ नहीं। ट्रांसफॉर्मर एक-फेजी, तीन-फेजी या बहु-फेजी हो सकते है। यह सभी विद्युत मशीनों में सर्वाधिक दक्ष (एफिसिएंट) मशीन है। आधुनिक युग में परिणामित्र वैद्युत् तथा इलेक्ट्रॉनी उद्योगों का अभिन्न अंग बन गया है। किसी ट्रान्सफार्मर में एक, दो या अधिक वाइन्डिंग हो सकती हैं। दो वाइंडिंग वाले ट्रान्सफार्मर के प्राथमिक (प्राइमरी) एवं द्वितियक (सेकेण्डरी) वाइण्डिंग के फेरों (टर्न्स) की संख्या एवं उनके विभवान्तरों में निम्नलिखित सम्बन्ध होता है: \frac .
देखें वैद्युत पृथक्करण और ट्राँसफार्मर
पृथक्कारी प्रवर्धक
पृथक्कारी प्रवर्धक का प्रतीक ट्रान्सफॉर्मर के माध्यम से पृथक्करण प्रदान करने वाले पृथक्कारी प्रवर्धक का सिद्धान्त प्रकाशिक कपुलिंग के द्वारा पृथक्करण प्रदान करने वाले पृथक्कारी प्रवर्धक का सिद्धान्त पृथक्कारी प्रवर्धक (Isolation amplifiers) वे प्रवर्धक हैं जिनके इन्पुट और आउटपुट के बीच उच्च प्रतिरोध (या प्रतिबाधा) होती है तथा इनपुट और आउटपुट के बीच हजारों वोल्ट (एसी या डीसी) होने के वावजूद ये अपना काम करते हैं। दूसरे शब्दों में, इनके इन्पुट और आउटपुट के बीच कोई सीधा विद्युत चालक मार्ग नहीं होता। पृथक्कारी प्रवर्धक डिजाइन करने के लिये तीन विधियाँ प्रयोग में लायीं जातीं हैं-.
देखें वैद्युत पृथक्करण और पृथक्कारी प्रवर्धक