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विलायकों के गलनांक तथा क्वथनांक

सूची विलायकों के गलनांक तथा क्वथनांक

कोई विवरण नहीं।

14 संबंधों: एनिलिन, एसीटोन, नैफ्थलीन, फिनोल, फॉर्मिक अम्ल, बेंजीन, हिमांक अवनमन, जल, विलायक, गलनांक, इथेनॉल, क्लोरोफॉर्म, क्वथनांक, क्वथनांक उन्नयन

एनिलिन

एनिलिन एक कार्बनिक यौगिक है। श्रेणी:कार्बनिक यौगिक.

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एसीटोन

ऐसीटोन (Acetone) एक रंगहीन, अभिलाक्षणिक गंधवाला, ज्वलनशील द्रव है जो पानी, ईथर और ऐलकोहल में मिश्रय है। यह काष्ठ के भंजक आसवन (destructive distillation) से प्राप्त पाइरोलिग्नियस अम्ल का घटक है। इसका मुख्य उपयोग विलायक के रूप में होता है। यह फिल्मों, शक्तिशाली विस्फोटकों, आसंजकों, काँच के समान एक प्लास्टिक (पर्स्पेक्स) और ओषधियों के निर्माण में काम आता है। अति शुद्ध ऐसीटोन का उपयोग इलेक्ट्रानिकी उद्योग में विभिन्न पुर्जो को सुखाने और उन्हें साफ करने के लिए होता है। एसीटोन का सिस्टेमैटिक नाम 'प्रोपेनोन' (propanone) है। इसका अणुसूत्र (CH3)2CO है। यह सबसे सरल कीटोन है। .

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नैफ्थलीन

नैप्थलीन (Naphthalene) एक हाइड्रोकार्बन है जिसका अणुसूत्र C10H8। यह सफेद चमकदार रवेदार ठोस है। इसमें एक विशिष्ठ गंध होती है। यह बहुचक्रीय एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन है जो दो बेंजीन छल्लों से मिलकर बना होता है। .

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फिनोल

फिनॉल फ़िनोल (IUPAC: Benzenol) वस्तुत: कार्बनिक यौगिकों की एक श्रेणी का नाम है जिसका प्रथम सदस्य 'फिनोल' या कार्बोलिक अम्ल है। बेंजीन केंद्रक का एक या एक से अधिक हाइड्रोजन जब हाइड्रॉक्सिल समूह से विस्थापित होता है, तब उससे जो उत्पाद प्राप्त होते हैं उसे फिनोल कहते हैं। यदि केंद्रक में एक ही हाइड्रॉक्सिल रहे, तो उसे मोनोहाइ-ड्रिक फिनोल, दो हाइड्रॉक्सिल रहें तो उसे डाइहॉइड्रिक फिनोल और तीन हाइड्रॉक्सिल रहें, तो उसे ट्राइहाइड्रिक फिनोल कहते हैं।; अन्य नाम .

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फॉर्मिक अम्ल

फॉर्मिक अम्ल की संरचना फॉर्मिक अम्ल एक कार्बनिक यौगिक है। यह लाल चींटियों, शहद की मक्खियों, बिच्छू तथा बर्रों के डंकों में पाया जाता है। इन कीड़ों के काटने या डंक मारने पर थोड़ा अम्ल शरीर में प्रविष्ट हो जाता है, जिससे वह स्थान फूल जाता है और दर्द करने लगता है। पहले पहल लाल चींटयों (लैटिन नाम 'फॉर्मिका') को पानी के साथ गरम करके, उनका सत खींचने पर उसमें फार्मिक अम्ल मिला पाया गया। इसीलिए अम्ल का नाम 'फॉर्मिक' पड़ा। इसका उपयोग रबड़ जमाने, रँगाई, चमड़ा कमाई तथा कार्बनिक संश्लेषण में होता है। .

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बेंजीन

बेंजीन के विभिन्न प्रकार के निरूपण बेंज़ीन या धूपेन्य एक हाइड्रोकार्बन है जिसका अणुसूत्र C6H6 है। बेंजीन का अणु ६ कार्बन परमाणुओं से बना होता है जो एक छल्ले की तरह जुड़े होते हैं तथा प्रत्येक कार्बन परमाणु से एक हाइड्रोजन परमाणु जुड़ा होता है। बेंजीन, पेट्रोलियम (क्रूड ऑयल) में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है। कोयले के शुष्क आसवन से अलकतरा तथा अलकतरे के प्रभाजी आसवन (fractional distillation) से बेंजीन बड़ी मात्रा में तैयार होता है। प्रदीपन गैस से प्राप्त तेल से फैराडे ने 1825 ई. में सर्वप्रथम इसे प्राप्त किया था। मिटशरले ने 1834 ई. में बेंज़ोइक अम्ल से इसे प्राप्त किया और इसका नाम बेंजीन रखा। अलकतरे में इसकी उपस्थिति का पता पहले पहल 1845 ई. में हॉफमैन (Hoffmann) ने लगाया था। जर्मनी में बेंजीन को 'बेंज़ोल' कहते हैं। बेंजीन रंगहीन, मीठी गन्थ वाला, अत्यन्त ज्वलनशील द्रव है। इसका उपयोग एथिलबेंजीन्न और क्यूमीन (cumene) आदि भारी मात्रा में उत्पादित रसायनों के निर्माण में होता है। चूँकि बेंजीन का ऑक्टेन संख्या अधिक होती है, इसलिये पेट्रोल में कुछ प्रतिशत तक यह मिलाया गया होता है। यह कैंसरजन है जिसके कारण इसका गैर-औद्योगिक उपयोग कम ही होता है। .

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हिमांक अवनमन

किसी विलायक में कोई विलेय मिलाने पर, विलायक के हिमांक का कम हो जाने की प्रक्रिया हिमांक अवनमन (Freezing-point depression) कहलाती है। उदाहरण के लिये, जल का हिमांक शून्य डिग्री सेल्सियस है, किन्तु यदि जल में नमक मिला दिया जाय तो जल का हिमांक, शून्य डिग्री सेल्सियस से नीचे चला जाता है। .

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जल

जल या पानी एक आम रासायनिक पदार्थ है जिसका अणु दो हाइड्रोजन परमाणु और एक ऑक्सीजन परमाणु से बना है - H2O। यह सारे प्राणियों के जीवन का आधार है। आमतौर पर जल शब्द का प्प्रयोग द्रव अवस्था के लिए उपयोग में लाया जाता है पर यह ठोस अवस्था (बर्फ) और गैसीय अवस्था (भाप या जल वाष्प) में भी पाया जाता है। पानी जल-आत्मीय सतहों पर तरल-क्रिस्टल के रूप में भी पाया जाता है। पृथ्वी का लगभग 71% सतह को 1.460 पीटा टन (पीटी) (1021 किलोग्राम) जल से आच्छदित है जो अधिकतर महासागरों और अन्य बड़े जल निकायों का हिस्सा होता है इसके अतिरिक्त, 1.6% भूमिगत जल एक्वीफर और 0.001% जल वाष्प और बादल (इनका गठन हवा में जल के निलंबित ठोस और द्रव कणों से होता है) के रूप में पाया जाता है। खारे जल के महासागरों में पृथ्वी का कुल 97%, हिमनदों और ध्रुवीय बर्फ चोटिओं में 2.4% और अन्य स्रोतों जैसे नदियों, झीलों और तालाबों में 0.6% जल पाया जाता है। पृथ्वी पर जल की एक बहुत छोटी मात्रा, पानी की टंकिओं, जैविक निकायों, विनिर्मित उत्पादों के भीतर और खाद्य भंडार में निहित है। बर्फीली चोटिओं, हिमनद, एक्वीफर या झीलों का जल कई बार धरती पर जीवन के लिए साफ जल उपलब्ध कराता है। जल लगातार एक चक्र में घूमता रहता है जिसे जलचक्र कहते है, इसमे वाष्पीकरण या ट्रांस्पिरेशन, वर्षा और बह कर सागर में पहुॅचना शामिल है। हवा जल वाष्प को स्थल के ऊपर उसी दर से उड़ा ले जाती है जिस गति से यह बहकर सागर में पहँचता है लगभग 36 Tt (1012किलोग्राम) प्रति वर्ष। भूमि पर 107 Tt वर्षा के अलावा, वाष्पीकरण 71 Tt प्रति वर्ष का अतिरिक्त योगदान देता है। साफ और ताजा पेयजल मानवीय और अन्य जीवन के लिए आवश्यक है, लेकिन दुनिया के कई भागों में खासकर विकासशील देशों में भयंकर जलसंकट है और अनुमान है कि 2025 तक विश्व की आधी जनसंख्या इस जलसंकट से दो-चार होगी।.

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विलायक

विलायक एक ऐसे पदार्थ को कहते है, जिसका उपयोग विलयन बनाने में अत्यधिक मात्रा में किया जाता है। उदाहरण के लिए यदि नमक को पानी में डाला जाये तो पानी अधिक होने के कारण पानी एक विलायक कहलायेगा लेकिन उन दोनों के घुलने के कारण वह एक विलयन बन जाता है। अतः विलायक वे पदार्थ होते हैं जिनमें किसी भी विलेय को घोला जाता है। सामान्यतः एक विलायक तरल अवस्था में होता है किंतु यह ठोस अथैया गैस भी हो सकता है। जैविक विलायकों के सामान्य उपयोग रंग तरलक (तारपीन), नाखूनी हटाने वाला तरल और गोंद विलायक (एसीटोन, मिथाइल एसिटेट, इथाइल एसिटेट) के प्रमुख उपयोग दाग धब्बे हटाने के लिए (पेट्रोल ईथर) अपमार्जक (साइट्रस टेरपेन्स) और इत्र (इथेनॉल) आदि हैं। .

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गलनांक

किसी ठोस पदार्थ का गलनांक (या द्रवणांक (melting point) वह तापमान होता है जिस पर वह अपनी ठोस अवस्था से पिघलकर द्रव अवस्था में पहुँच जाता है। गलनांक पर ठोस और द्रव प्रावस्था साम्यावथा में होती हैं। जब किसी पदार्थ की अवस्था द्रव से ठोस अवस्था में परिवर्तित होती है तो जिस तापमान पर यह होता है उस तापमान को हिमांक (freezing point) कहा जाता है। कई पदार्थों में परमशीतल होने की क्षमता होती है, इसलिए हिमांक को किसी पदार्थ की एक विशेष गुण नहीं माना जाता है। इसके विपरीत जब कोई ठोस एक निश्चित तापमान पर ठोस से द्रव अवस्था ग्रहण करता है वह तापमान उस ठोस का गलनांक कहलाता है। .

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इथेनॉल

एथेनॉल (Ethanol) एक प्रसिद्ध अल्कोहल है। इसे एथिल अल्कोहल भी कहते हैं। .

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क्लोरोफॉर्म

क्लोरोफ़ॉर्म (अंग्रेज़ी:Chloroform) या ट्राईक्लोरो मिथेन (अंग्रेज़ी:Trichloro methane) एक कार्बनिक यौगिक है, जिसका रासयनिक सूत्र CHCl3 है। यह एक रंगहीन और सुगंधित तरल पदार्थ होता है जिसे चिकित्सा क्षेत्र में किसी रोगी को शल्य क्रिया किए जाने के लिए मूर्छित करने हेतु निष्चेतक। याहू जागरण।। डॉ॰ मुमुक्षु दीक्षित: सीनियर कन्सल्टेट एनेस्थेटिस्ट।१४ अक्टूबर, २००८ के रूप में प्रयोग किया जाता था। ।हिन्दुस्तान लाइव।२९ अक्टूबर, २००९।। निश्चेतना विज्ञान (एनेस्थीसिया) के अंतर्गत निष्चेतक देने वाले डॉक्टर के तीन महत्वपूर्ण प्रयोजन होते हैं, जिनमें पहला, शल्य-क्रिया के लिए रोगी को मूर्छा की स्थिति में पहुंचाकर उसे पुन: सकुशल अवस्था में लाना होता है। इसके बाद दूसरा काम रोगी को दर्द से छुटकारा दिलाना तथा तीसरा काम शल्य-चिकित्सक की आवश्यकतानुसार रोगी की मांसपेशियों को कुछ ढीला करने का प्रयास करना होता है। आरंभिक काल में एक ही निष्चेतक यानि ईथर या क्लोरोफॉर्म से उपरोक्त तीनों काम किये जाते थे, किंतु क्लोरोफॉर्म की मात्रा के कम या अधिक होने से रोगी पर सुरक्षापूर्वक वांछित परिणाम नहीं मिल पाते थे, जिस कारण से चिकित्सा विज्ञान में अनेक शोध जारी रहे और आज इस क्षेत्र में हुई प्रगति से संतुलित निष्चेतक के माध्यम से रोगियों को भिन्न-भिन्न औषधियों के प्रभाव से आवश्यकतानुरूप वांछित परिणाम मिलते हैं। वर्तमान चिकित्सा में इसका प्रयोग बंद कर दिया गया है। आज क्लोरोफॉर्म का प्रयोग रसायन और साबुन इत्यादि बनाने में किया जाता है। इसका निर्माण इथेनॉल के साथ क्लोरीन की अभिक्रिया कराने के बाद होता है। यह विषैला होता है और इस कारण इसे सावधानीपूर्वक प्रयोग किया जाना चाहिए। क्लोरोफॉर्म के अधिक निकटस्थ प्रयोग रहने से शरीर के कई अंगों पर बुरा असर पड़ सकता है। .

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क्वथनांक

किसी द्रव का क्वथनांक वह ताप है जिसपर द्रव के भीतर वाष्प दाब, द्रव की सतह पर आरोपित वायुमंडलीय दाब के बराबर होता है। यह वायुदाब के साथ परिवर्तित होता है और वायुदाब के बढ़ने पर द्रव के क्वथन हेतु अधिक उच्च ताप की आवश्यकता होती है। .

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क्वथनांक उन्नयन

किसी विलायक में कोई विलेय मिलाने पर, विलायक के क्वथनांक बढ़ जाने की प्रक्रिया क्वथनांक उन्नयन (Boiling-point elevation) कहलाती है। यह तब होता है जब कोई अवाष्पशील विलेय (जैसे, नमक) किसी शुद्ध विलायक (जैसे, जल) में मिश्रित कर दिया जाता है। उदाहरण के लिये, जल का क्वथनांक १०० डिग्री सेल्सियस है, किन्तु यदि जल में नमक मिला दिया जाय तो जल का क्वथानांक, १०० डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाता है। .

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