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वित्तिय प्रबन्धक

सूची वित्तिय प्रबन्धक

वित्तिय प्रबन्धक अंगूठाकार संगठन के उद्देश्यों को पूरा करने के लिये वित्तीय प्रबंधन कहते है। इस तरीके से पैसे की कुशल और प्रभावी प्रबंधन फंड के रूप में दर्शाया है। यह सीधे शीर्ष प्रबंधन से जुड़े विशेष समारोह है। इस समारोह का महत्व 'लाइन' में है, लेकिन यह भी एक कंपनी की समग्र में ' स्टाफ ' की हैसियत से नहीं देखा जाता है। इस क्षेत्र में विभिन्न विशेषज्ञों ने अलग ढंग से परिभाषित किया गया है। व्यक्तिगत वित्त या वित्तीय जीवन प्रबंधन के एक व्यक्ति के प्रबंधन रणनीति को दर्शाता है, जबकि अवधि आम तौर पर है, एक संगठन या कंपनी की वित्तीय रणनीति लागू होता है। यह राजधानी और कैसे पूंजी का आवंटन करने के लिए, यानी पूंजी बजट को बढ़ाने के लिए कैसे भी शामिल होते है। इतना ही नहीं लंबी अवधि के बजट के लिए भी है, लेकिन यह भी मौजूदा देनदारियों की तरह कम अवधि के संसाधनों के आवंटन के लिए है। यह भी शेयर धारकों का लाभांश की नीतियों के साथ संबंधित है।वित्तीय प्रबंधन, आयोजन निर्देशन और इस तरह की खरीद और उद्यम के धन के उपयोग के रूप में वित्तीय गतिविधियों को नियंत्रित करने की योजना बनाना है। यह उद्यम के वित्तीय संसाधनों के लिए सामान्य प्रबंधन सिद्धांतों को लागू करने का मतलब है।वित्तीय प्रबंधन वित्त समारोह के एक संबंधित पहलू है। वर्तमान व्यवसाय प्रशासन में वित्तीय प्रबंधन एक महत्वपूर्ण शाखा है। कोई भी वित्त निहितार्थ बिना बारे व्यापार गतिविधि पर सोचना होगा। वित्तीय प्रबंधन वित्तीय कार्यान्वयन के लिए सामान्य प्रबंधन के सिद्धांतों के गोद लेने में शामिल हैं। निम्नलिखित उपस्थित कार्यान्वयन और वित्तीय लेखांकन, लागत लेखांकन, बजट और खाता की मदद से भविष्य के घटनाक्रम को नियंत्रित कर सकते है। लाभ के इन फंडों की भविष्य की गतिविधियों की योजना बनाने का उपयोग करके धन के वित्तीय प्रबंधन को ऊयह निवेश के लिए और अधिक अवसर उपलब्ध है, जहां मार्गदर्शन के रूप में कार्य करता है। वित्तीय प्रबंधन उनके महत्व और पुनर्भुगतान क्षमता के आधार पर विभिन्न परियोजनाओं के संसाधनों के आवंटन के लिए एक उपकरण के रूप में उपयोगी है। .

23 संबंधों: डिबेंचर, प्रबन्धन, पैसा, पूँजी, बाज़ार, बजट, भविष्य, रणनीति, राजधानी, लाभ, लेखाकरण, संतुलन, संप्राप्ति, सुरक्षा, वित्त, वित्‍तीय प्रबंधन, विद्युत, विधेयक, विक्रय, व्यवसाय, गुणवत्ता नियंत्रण, कंपनी, अंश (वित्त)

डिबेंचर

क़ानून में, डिबेंचर एक दस्तावेज है जो ऋण सृजित करता है या उसे स्वीकार करता है। कार्पोरेट वित्त में यह शब्द, पैसे उधार लेने के लिए बड़ी कंपनियों द्वारा प्रयुक्त मध्यम से दीर्घावधि ऋण लिखत के लिए इस्तेमाल होता है। कुछ देशों में इस शब्द को बांड, ऋण स्टॉक या नोट के लिए अंतर्बदल तौर पर उपयोग किया जाता है। आम तौर पर डिबेंचर, डिबेंचर-धारक द्वारा स्वतंत्र रूप से हस्तांतरणीय हैं। डिबेंचर-धारकों को कोई वोटिंग अधिकार नहीं होता और उनको प्रदत्त ब्याज, कंपनी की वित्तीय विवरणियों में लाभ के प्रति प्रभार होता है। संयुक्त राज्य अमेरिका में, डिबेंचर विशेष रूप से एक बेजमानती कॉर्पोरेट बांड को निर्दिष्ट करता है; अर्थात्, एक बांड, जहां बांड की परिपक्वता पर मूलधन को लौटाने की गारंटी के लिए निश्चित आय या संपत्ति का अंश या उपकरण मौजूद नहीं है। अमेरिका में ऋण स्टॉक या बांड के लिए जहां जमानत उपलब्ध कराई जाती है, उन्हें 'बंधक बांड' कहा जाता है। लेकिन, यूनाइटेड किंगडम में आम तौर पर डिबेंचर जमानती होते हैं। एशिया में, यदि भूमि पर प्रभार द्वारा चुकौती रक्षित हो, तो ऋण दस्तावेज को बंधक कहा जाता है; जहां चुकौती, कंपनी की अन्य आस्तियों पर प्रभार द्वारा रक्षित होती है, दस्तावेज को डिबेंचर कहा जाता है; और जहां कोई जमानत शामिल ना हो, दस्तावेज को नोट या 'ग़ैर जमानती जमा नोट' कहा जाता है। एक अमेरिकी निगम को तब फ़ायदा पहुंचता है, जब वह डिबेंचर (जमानती कॉर्पोरेट बांड जारी करने के बजाय) जारी करता है, क्योंकि इस वजह से कंपनी को परिपक्वता पर मूलधन चुकौती में उसके द्वारा चूक के प्रति गारंटी देने के लिए किसी परिसंपत्ति या आय को अलग रखने की आवश्यकता नहीं होगी.इसलिए, डिबेंचर जारी करने वाले निगम द्वारा अन्यथा एक अलग खाते में धारित की जाने वाली उन परिसंपत्तियों या निधि का इस्तेमाल, अन्य वित्तीय गतिविधियों के लिए किया जा सकता है। .

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प्रबन्धन

व्यवसाय एवं संगठन के सन्दर्भ में प्रबन्धन (Management) का अर्थ है - उपलब्ध संसाधनों का दक्षतापूर्वक तथा प्रभावपूर्ण तरीके से उपयोग करते हुए लोगों के कार्यों में समन्वय करना ताकि लक्ष्यों की प्राप्ति सुनिश्चित की जा सके। प्रबन्धन के अन्तर्गत आयोजन (planning), संगठन-निर्माण (organizing), स्टाफिंग (staffing), नेतृत्व करना (leading या directing), तथा संगठन अथवा पहल का नियंत्रण करना आदि आते हैं। संगठन भले ही बड़ा हो या छोटा, लाभ के लिए हो अथवा गैर-लाभ वाला, सेवा प्रदान करता हो अथवा विनिर्माणकर्ता, प्रबंध सभी के लिए आवश्यक है। प्रबंध इसलिए आवश्यक है कि व्यक्ति सामूहिक उद्देश्यों की पूर्ति में अपना श्रेष्ठतम योगदान दे सकें। प्रबंध में पारस्परिक रूप से संबंधित वह कार्य सम्मिलित हैं जिन्हें सभी प्रबंधक करते हैं। प्रबंधक अलग-अलग कार्यों पर भिन्न समय लगाते हैं। संगठन के उच्चस्तर पर बैठे प्रबंधक नियोजन एवं संगठन पर नीचे स्तर के प्रबंधकों की तुलना में अधिक समय लगाते हैं। kisi bhi business ko start krne se phle prabandh yaani ke managements ki jaroort hoti h .

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पैसा

पैसा भारत की राष्ट्रीय मुद्रा रुपया का सौवा हिस्सा है। यह नाम बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल में भी है। यह बांग्लादेश के अलावा सभी देशों में रुपये के भाग होता है। जबकि यह बांग्लादेश में टका इसके भाग का होता है। .

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पूँजी

पूँजी (Capital) साधारणतया उस धनराशि को कहते हैं जिससे कोई व्यापार चलाया जाए। किंतु कंपनी अधिनियम के अंतर्गत इसका अभिप्राय अंशपूँजी से हैं; न कि उधार राशि से, जिसे कभी कभी उधार पूँजी भी कहते हैं। प्रत्येक कंपनी के लिए यह अनिवार्य है कि वह अपने सीमानियम में अंशपूँजी, जिसे रजिस्टर्ड, प्राधिकृत अथवा अंकित पूँजी कहते हैं, तथा उसके निश्चित मूल्य के अंशों में विभाजन का उल्लेख करे। प्राधिकृत पूँजी के कुछ भाग को निर्गमित (इशू) किया जा सकता है और शेष को आवश्यकतानुसार निर्गमित किया जा सकता है। निर्गमित भाग के अंशों के अंकित मूल्य को निर्गमित पूँजी कहते हैं। जनता जिन अंशों के क्रय के लिए प्रार्थनापात्र दे उनके अंकित मूल्य को प्रार्थित पूँजी (Subscribed captial) तथा अंशधारियों द्वारा जितनी राशि का भुगतान किया जाए उसे दत्तपूँजी (Paid captial) कहते हैं। कंपनी चाहे तो नए अंश निर्गमित करके अंशूपूँजी में वृद्धि कर सकती है, सभी या कुछ पूर्णदत्त अंशों को स्कंधों में परिवर्तित कर सकती है सभी या कुछ अंशों को कम कीमत के छोटे अंशों में परिवर्तित कर सकती है अथवा जिन अंशों का निर्गमन न हुआ हो उन्हें निरस्त कर सकती है। ये सब परिवर्तन तभी संभव हैं जब अंतिर्नियमों (आर्टिकल्स ऑव असोसिएशन) में इनकी व्यवस्था हो। अधिकतर कंपनियों में निम्न प्रकार के अंश होते हैं: 1.

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बाज़ार

भारत की एक दुकान में मौजूद वस्तुओं का चित्र Wet market in Singapore बाज़ार ऐसी जगह को कहते हैं जहाँ पर किसी भी चीज़ का व्यापार होता है। आम बाज़ार और ख़ास चीज़ों के बाज़ार दोनों तरह के बाज़ार अस्तित्व में हैं। बाज़ार में कई बेचने वाले एक जगह पर होतें हैं ताकि जो उन चीज़ों को खरीदना चाहें वे उन्हें आसानी से ढूँढ सकें। बाजार जहां पर वस्तुओं और सेवाओं का क्रय व विक्रय होता है उसे बाजार कहते हैं.

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बजट

अर्थसंकल्प सामान्यतः बजट (फ्रांसीसी भाषा के शब्द bougette से व्युत्पन्न) धन (राजस्व) के आय और उसके व्यय की सूची को कहते हैं। व्यष्टि अर्थशास्त्र (microeconomics) में अर्थसंकल्प एक महत्वपूर्ण अवधारणा (कांसेप्ट) है। अर्थसंकल्प किसी देश का हो सकता है; किसी संस्था का हो सकता है या व्यक्तिगत अथवा पारिवारिक अर्थसंकल्प हो सकता है। .

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भविष्य

वर्तमान से निकल कर जैसे ही हम अपना अगला, देखने, सुनने, और समझ कर करने का प्रयास शुरु करेंगे, वह ही भविष्य ही भविष्य होगा.

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रणनीति

रणनीति (Strategy) मूलतः सैन्यविज्ञान से आया हुआ शब्द है, जिसका मतलब है - 'किसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिये बनायी गयी कार्ययोजना'। अर्थात, अनिश्चय की स्थिति में, एक या अधिक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये, उच्च स्तर पर बनायी गयी योजना को रणनीति कहते हैं। .

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राजधानी

राजधानी वह नगरपालिका होती है, जिसे किसी देश, प्रदेश, प्रान्त या अन्य प्रशासनिक ईकाई अथवा क्षेत्र में सरकार की गद्दी होने का प्राथमिक दर्जा हासिल होता है। राजधानी मिसाली तौर पर एक शहर होता है, जहाँ संबंधित सरकार के दफ़्तर और सम्मेलन -टिकाने स्थित होते हैं और आम तौर पर अपने क़ानून या संविधान द्वारा निर्धारित होती है। .

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लाभ

लाभ खरीद और वितरित माल और / या सेवाओं के घटक लागत और किसी भी ऑपरेटिंग या अन्य खर्चों के बीच का अंतर है। लेखा मुनाफे आर्थिक किराए कहा जाता है जिसमे आर्थिक लाभ, शामिल होना चाहिए। उदाहरण के लिए, एक एकाधिकार में बहुत उच्च आर्थिक मुनाफा हो सकता है और उन लाभ में कुछ प्राकृतिक संसाधन जो एक कंपनियों के मालिकन में है पर एक किराए भी शामिल हो सकता है, जिससे कि संसाधन आसानी से अन्य कंपनियों से नहीं दोहराया जा सकता है।.

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लेखाकरण

चित्र:उदाहरण.jpgलेखा शास्त्र शेयर धारकों और प्रबंधकों आदि के लिए किसी व्यावसायिक इकाई के बारे में वित्तीय जानकारी संप्रेषित करने की कला है। लेखांकन को 'व्यवसाय की भाषा' कहा गया है। हिन्दी में 'एकाउन्टैन्सी' के समतुल्य 'लेखाविधि' तथा 'लेखाकर्म' शब्दों का भी प्रयोग किया जाता है। लेखाशास्त्र गणितीय विज्ञान की वह शाखा है जो व्यवसाय में सफलता और विफलता के कारणों का पता लगाने में उपयोगी है। लेखाशास्त्र के सिद्धांत व्यावसयिक इकाइयों पर व्यावहारिक कला के तीन प्रभागों में लागू होते हैं, जिनके नाम हैं, लेखांकन, बही-खाता (बुक कीपिंग), तथा लेखा परीक्षा (ऑडिटिंग)। .

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संतुलन

संतुलन या साम्य या साम्यावस्था (इक्विलिब्रिअम) से तात्पर्य किसी निकाय की उस अवस्था से है जब दो या अधिक परस्पर विरोधी वस्तुओं या बलों के होने पर भी 'स्थिरता' (अगति) का दर्शन हो। बहुत से निकायों में साम्यावस्था देखने को मिलती है। शाब्दिक अर्थ की दृष्टि से संतुलन का अर्थ निम्नलिखित है- .

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संप्राप्ति

किसी व्यापार से होने वाली आय को संप्राप्ति या राजस्व या विक्री या टर्नओवर (revenue या turnover या sales) कहते हैं। श्रेणी:वाणिज्य.

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सुरक्षा

सुरक्षा (security) हानि से बचाव करने की क्रिया और व्यवस्था को कहते हैं। यह व्यक्ति, स्थान, वस्तु, निर्माण, निवास, देश, संगठन या ऐसी किसी भी अन्य चीज़ के सन्दर्भ में प्रयोग हो सकती है जिसे नुकसान पहुँचाया जा सकता हो। .

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वित्त

सरल रूप में वित्त (Finance) की परिभाषा 'धन या कोश (फण्ड) के प्रबन्धन' के रूप में की जाती है। किन्तु आधुनिक वित्त अनेकों वाणिज्यिक कार्यविधियों का एक समूह है। चूंकि व्यक्ति, व्यापार संस्थान तथा सरकार सभी के काम करने के लिये वित्त अत्यावश्यक है, इसलिये वित्त के क्षेत्र को भी तीन प्रकार से विभाजित किया जाता है-.

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वित्‍तीय प्रबंधन

वित्तीय प्रबन्धन (Financial management) से आशय धन (फण्ड) के दक्ष एवं प्रभावी प्रबन्धन है ताकि संगठन के लक्ष्यों की प्राप्ति की जा सके। वित्त प्रबन्धन का कार्य संगठन के सबसे ऊपरी प्रबन्धकों का विशिष्ट कार्य है। मनुष्य द्वारा अपने जीवन काल में प्रायः दो प्रकार की क्रियाएं सम्पादित की जाती है - आर्थिक क्रियायें तथा अनार्थिक क्रियाएं। आर्थिक क्रियाओं के अर्न्तगत हम उन समस्त क्रियाओं को सम्मिलित करते हैं जिनमें प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से धन की संलग्नता होती है जैसे रोटी, कपड़े, मकान की व्यवस्था आदि। अनार्थिक क्रियाओं के अन्तर्गत पूजा-पाठ, व अन्य सामाजिक व राजनैतिक कार्यों को सम्मिलित किया जा सकता है। जब हम किसी प्रकार का व्यवसाय करते हैं अथवा उद्योग लगाते हैं अथवा फिर कतिपय तकनीकी दक्षता प्राप्त करके किसी पेशे को अपनाते हैं तो हमें सर्वप्रथम वित्त (finance) धन (money) की आवश्यकता पड़ती है जिसे हम पूँजी (capital) कहते हैं। जिस प्रकार किसी मशीन को चलाने हेतु ऊर्जा के रूप में तेल, गैस या बिजली की आवश्यकता होती है उसी प्रकार किसी भी आर्थिक संगठन के संचालन हेतु वित्त की आवश्यकता होती है। अतः वित्त जैसे अमूल्य तत्व का प्रबन्ध ही वित्तीय प्रबन्धन कहलाता है। व्यवसाय के लिये कितनी मात्रा में धन की आवश्यकता होगी, वह धन कहॉं से प्राप्त होगा और उपयोग संगठन में किस रूप में किया जायेगा, वित्तीय प्रबन्धक को इन्हीं प्रश्नों के उत्तर खोजने पड़ते हैं। व्यवसाय का उद्देश्य अधिकतम लाभ अर्जन करना होता है जो दो प्रकार से किया जा सकता है।.

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विद्युत

वायुमण्डलीय विद्युत विद्युत आवेशों के मौजूदगी और बहाव से जुड़े भौतिक परिघटनाओं के समुच्चय को विद्युत (Electricity) कहा जाता है। विद्युत से अनेक जानी-मानी घटनाएं जुड़ी है जैसे कि तडित, स्थैतिक विद्युत, विद्युतचुम्बकीय प्रेरण, तथा विद्युत धारा। इसके अतिरिक्त, विद्युत के द्वारा ही वैद्युतचुम्बकीय तरंगो (जैसे रेडियो तरंग) का सृजन एवं प्राप्ति सम्भव होता है? विद्युत के साथ चुम्बकत्व जुड़ी हुई घटना है। विद्युत आवेश वैद्युतचुम्बकीय क्षेत्र पैदा करते हैं। विद्युत क्षेत्र में रखे विद्युत आवेशों पर बल लगता है। समस्त विद्युत का आधार इलेक्ट्रॉन हैं। इलेक्ट्रानों के हस्तानान्तरण के कारण ही कोई वस्तु आवेशित होती है। आवेश की गति ही विद्युत धारा है। विद्युत के अनेक प्रभाव हैं जैसे चुम्बकीय क्षेत्र, ऊष्मा, रासायनिक प्रभाव आदि। जब विद्युत और चुम्बकत्व का एक साथ अध्ययन किया जाता है तो इसे विद्युत चुम्बकत्व कहते हैं। विद्युत को अनेकों प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है किन्तु सरल शब्दों में कहा जाये तो विद्युत आवेश की उपस्थिति तथा बहाव के परिणामस्वरूप उत्पन्न उस सामान्य अवस्था को विद्युत कहते हैं जिसमें अनेकों कार्यों को सम्पन्न करने की क्षमता होती है। विद्युत चल अथवा अचल इलेक्ट्रान या प्रोटान से सम्बद्ध एक भौतिक घटना है। किसी चालक में विद्युत आवेशों के बहाव से उत्पन्न उर्जा को विद्युत कहते हैं। .

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विधेयक

संसद में 'बिल' का प्रयोग। 'विधेयक' अंग्रेजी के बिल (Bill) का हिन्दी रूपान्तरण है। इस लेख में 'बिल' शब्द का प्रयोग 'संसद द्वारा पारित विधि' के संबंध में किया गया है। इंग्लैंड की संसद ही आधुनिक काल में संसदीय पद्धति की जन्मदात्री है। इंग्लैंड के राजा हेनरी षष्ठ के काल से पहले राजनियम बनाने की प्रथा दूसरे प्रकार की थी। पार्लमेंट राजा के पास प्रार्थनापत्र भेजती थी कि राजा अमुक नियम बनाए। परंतु धीरे-धीरे राजनियम बनाने का प्रथा दूसरे प्रकार की थी। अपने हाथ में लेना शुरू किया और ब्रिटिश संसद ही पूर्णतया विधि बनाने की अधिकारिणी हो गई। इस प्रथा का अनुसरण संसार की सभी विधायिनी सभाओं ने किया है। बिल या विधेयक एक प्रस्ताव होता है जिसे विधि का स्वरूप देना होता है। कुछ देशों में, जैसे इंग्लैंड या भारत में, विधेयकों की दो श्रेणियाँ होती हैं- सार्वजनिक तथा असार्वजनिक विधेयक। इसके अतिरिक्त यदि कोई विधेयक सरकार द्वारा प्रेषित होता है तो उसे सरकारी विधेयक कहते हैं। सरकारी विधेयक दो प्रकार के होते हैं। सामान्य सार्वजनिक विधेयक तथा धन विधेयक। पर जब संसद का कोई साधारण सदस्य सार्वजनिक विधेयक प्रस्तुत करता है तब इसे प्राइवट सदस्य का सार्वजनिक विधेयक कहते हैं। सार्वजनिक तथा असार्वजनिक विधेयकों को पारित करने की प्रक्रिया में अंतर होता है। संयुक्तराष्ट्र अमेरिका में सार्वजनिक या असार्वजनिक विधेयक जैसे भेद नहीं हैं। साधारणतया संसद के दोनों सदनों में समान कार्यविधि की व्यवस्था होती है। प्रत्येक विधेयक को कानून बनने से पहले प्रत्येक सदन में अलग-अलग पांच स्थितियों से गुजरना पड़ता है और उसके तीन वाचन (Reading) होते हैं। पाँचों स्थितियाँ इस प्रकार हैं पहला वाचन, दूसरा वाचन, प्रवर समिति की स्थिति, प्रतिवेदन काल (report stage) तथा तीसरा वाचन। जब दोनों सदनों में इन पाँचों स्थितियों से विधेयक गुजर कर बहुमत से प्रत्येक सदन में पारित हो जाता है तब विधेयक सर्वोच्च कार्यपालिका के हस्ताक्षर के लिए भेजा जाता है। सर्वोच्च कार्यपालिका की अनुमति के बिना कोई विधेयक कानून नहीं बन सकता। अत: किसी भी विधेयक को विधि में परिणत होने के लिए सर्वप्रथम यह आवश्यक है कि वह दोनों सभाओं द्वारा स्वीकृत हो। इसके उपरांत सर्वोच्च कार्यपालिका की, हस्ताक्षर सहित, स्वीकृत भी अनिवार्य है। .

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विक्रय

विक्रय अथवा बिक्री विपणन की एक प्रक्रिया है जिसमें कोई उत्पाद अथवा सेवा को धन अथवा किसी अन्य वस्तु के प्रतिफल के रूप में दिया जाता है। इसका तुल्य अंग्रेज़ी शब्द सेल अथवा सेल्स (Sales) है। .

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व्यवसाय

व्यवसाय (Business) विधिक रूप से मान्य संस्था है जो उपभोक्ताओं को कोई उत्पाद या सेवा प्रदान करने के लक्ष्य से निर्मित की जाती है। व्यवसाय को 'कम्पनी', 'इंटरप्राइज' या 'फर्म' भी कहते हैं। पूँजीवादी अर्थव्यवस्थाओं में व्यापार का प्रमुख स्थान है जो अधिकांशत: निजी हाथों में होते हैं और लाभ कमाने के ध्येय से काम करते हैं तथा साथ-साथ स्वयं व्यापार की भी वृद्धि करते हैं। किन्तु सहकारी संस्थाएँ तथा सरकार द्वारा चलायी जानी वाली संस्थाएं प्राय: लाभ के बजाय अन्य उद्देश्यों की पूर्ति के लिये बनायी गयी होती हैं। हम व्यावसायिक वातावरण में रहते हैं। यह समाज का एक अनिवार्य अंग है। यह व्यावसायिक क्रियाओं के विस्तृत नेटवर्क के माध्यम से विभिन्न प्रकार की वस्तुएं तथा सेवाएं उपलब्ध कराकर हमारी आश्यकताओं की पूर्ति करता है। अन्य शब्द - व्यापार, व्यवसाय-प्रतिष्‍ठान, फर्म, धंधा, व्यवसाय, कारबार, कारोबार, काम-काज, काम-धंधा, उद्यम .

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गुणवत्ता नियंत्रण

इंजीनियरिंग और उत्पादन क्षेत्र में, गुणवत्ता नियंत्रण और गुणवत्ता इंजीनियरिंग का प्रयोग उत्पाद या सेवाएं ग्राहकों की आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु डिज़ाइन तथा उत्पादित की गई हैं या नहीं यह सुनिश्चित करने के लिए सिस्टम को विकसित करने के लिए किया जाता है। गुणवत्ता नियंत्रण इंजीनियरिंग और निर्माण की शाखा है जो ग्राहकों की जरूरतों को पूरा करने या उससे ज्यादा करने के लिए, उत्पाद या सेवाओं के उत्पादन और डिजाईन में विश्वसनीयता और विफलता परीक्षण लेने का कार्य करता है। .

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कंपनी

समवाय या कंपनी (Company), व्यापारिक संगठन का एक रूप है। संयुक्त राज्य अमेरिका में कंपनी एक निगम होता है- जिसका आशय एक संघ, संगठन, भागीदारी से हो सकता है और ये एक औद्योगिक उद्देश्य से जुड़ी होनी चाहिये। 'कम्पनी' शब्द लैटिन भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ 'साथ-साथ' है। प्रारम्भ में कम्पनी, ऐसे व्यक्तियों के संघ को कहा जाता था जो अपना खाना साथ-साथ खाते थे। इस खाने पर व्यवसाय की बातें भी होती थी। आजकल कम्पनियों का आशय ऐसे संघ से हो गया जिसमें संयुक्त पूंजी होती है। कम्पनी का आशय कम्पनी अधिनियम के अधीन निर्मित एक 'कृत्रिम व्यक्ति' से है, जिसका अपने सदस्यों से पृथक अस्तित्व एवं अविच्छिन्न उत्तराधिकार होता है। साधारणतः ऐसी कम्पनी का निर्माण किसी विशेष उद्देश्य की प्राप्ति के लिए होता है और जिसकी एक सार्वमुद्रा (common seal) होती है। गौरव श्याम शुक्ल के अनुसार, .

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अंश (वित्त)

वित्त में, अंश अथवा शेयर का अर्थ किसी कम्पनी में भाग या हिस्सा होता है। एक कंपनी के कुल स्वामित्व को लाखों करोड़ों टुकड़ों में बाँट दिया जाता है। स्वामित्व का हर एक टुकड़ा एक शेयर होता है। जिसके पास ऐसे जितने ज्यादा टुकड़े, यानी जितने ज्यादा शेयर होंगे, कंपनी में उसकी हिस्सेदारी उतनी ही ज्यादा होगी। लोग इस हिस्सेदारी को खरीद-बेच भी सकते हैं। इसके लिए बाकायदा शेयर बाजार (स्टॉक एक्सचेंज) बने हुए हैं। भारत में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बी॰एस॰ई॰) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एन॰एस॰ई॰) सबसे प्रमुख शेयर बाजार हैं। .

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