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पूँजी

सूची पूँजी

पूँजी (Capital) साधारणतया उस धनराशि को कहते हैं जिससे कोई व्यापार चलाया जाए। किंतु कंपनी अधिनियम के अंतर्गत इसका अभिप्राय अंशपूँजी से हैं; न कि उधार राशि से, जिसे कभी कभी उधार पूँजी भी कहते हैं। प्रत्येक कंपनी के लिए यह अनिवार्य है कि वह अपने सीमानियम में अंशपूँजी, जिसे रजिस्टर्ड, प्राधिकृत अथवा अंकित पूँजी कहते हैं, तथा उसके निश्चित मूल्य के अंशों में विभाजन का उल्लेख करे। प्राधिकृत पूँजी के कुछ भाग को निर्गमित (इशू) किया जा सकता है और शेष को आवश्यकतानुसार निर्गमित किया जा सकता है। निर्गमित भाग के अंशों के अंकित मूल्य को निर्गमित पूँजी कहते हैं। जनता जिन अंशों के क्रय के लिए प्रार्थनापात्र दे उनके अंकित मूल्य को प्रार्थित पूँजी (Subscribed captial) तथा अंशधारियों द्वारा जितनी राशि का भुगतान किया जाए उसे दत्तपूँजी (Paid captial) कहते हैं। कंपनी चाहे तो नए अंश निर्गमित करके अंशूपूँजी में वृद्धि कर सकती है, सभी या कुछ पूर्णदत्त अंशों को स्कंधों में परिवर्तित कर सकती है सभी या कुछ अंशों को कम कीमत के छोटे अंशों में परिवर्तित कर सकती है अथवा जिन अंशों का निर्गमन न हुआ हो उन्हें निरस्त कर सकती है। ये सब परिवर्तन तभी संभव हैं जब अंतिर्नियमों (आर्टिकल्स ऑव असोसिएशन) में इनकी व्यवस्था हो। अधिकतर कंपनियों में निम्न प्रकार के अंश होते हैं: 1.

3 संबंधों: पूंजीवाद, लाभांश, अंश

पूंजीवाद

पूंजीवाद (Capitalism) सामन्यत: उस आर्थिक प्रणाली या तंत्र को कहते हैं जिसमें उत्पादन के साधन पर निजी स्वामित्व होता है। इसे कभी कभी "व्यक्तिगत स्वामित्व" के पर्यायवाची के तौर पर भी प्रयुक्त किया जाता है यद्यपि यहाँ "व्यक्तिगत" का अर्थ किसी एक व्यक्ति से भी हो सकता है और व्यक्तियों के समूह से भी। मोटे तौर पर कहा जा सकता है कि सरकारी प्रणाली के अतिरिक्त निजी तौर पर स्वामित्व वाले किसी भी आर्थिक तंत्र को पूंजीवादी तंत्र के नाम से जाना जा सकता है। दूसरे रूप में ये कहा जा सकता है कि पूंजीवादी तंत्र लाभ के लिए चलाया जाता है, जिसमें निवेश, वितरण, आय उत्पादन मूल्य, बाजार मूल्य इत्यादि का निर्धारण मुक्त बाजार में प्रतिस्पर्धा द्वारा निर्धारित होता है। पूँजीवाद एक आर्थिक पद्धति है जिसमें पूँजी के निजी स्वामित्व, उत्पादन के साधनों पर व्यक्तिगत नियंत्रण, स्वतंत्र औद्योगिक प्रतियोगिता और उपभोक्ता द्रव्यों के अनियंत्रित वितरण की व्यवस्था होती है। पूँजीवाद की कभी कोई निश्चित परिभाषा स्थिर नहीं हुई; देश, काल और नैतिक मूल्यों के अनुसार इसके भिन्न-भिन्न रूप बनते रहे हैं। .

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लाभांश

लाभांश (अंग्रेज़ी:Dividend / डिविडेंड) किसी कंपनी के लाभ में भागीदारों का अंश होता है जो वह कंपनी लाभ कमाने पर अपने शेयरधारकों को देती है। किसी ज्वाइंट स्टॉक कंपनी में लाभांश, शेयरों के निश्चित मूल्य के आधार पर मिलता है। इस मामले में शेयरधारक उसके शेयर के अनुपात में डिविडेंड ग्रहण करता है। डिविडेंड पैसे, शेयर या अन्य कई रूपों में दिया जा सकता है। किसी व्यापारिक कंपनी के अंशधारियों में लाभ के जिस भाग का विभाजन किया जाता है उसे लाभांश कहते है। प्रत्येक व्यापारिक कंपनी को लाभांश वितरण करने का समवायी अधिकार होता है। संचालक इस बात की सिफारिश करते हैं कि कितनी राशि लाभांश के रूप में घोषित की जाए। उसके पश्चात्‌ कंपनी अपनी सामान्य बैठक में लाभांश की घोषणा करती है, किंतु यह राशि संचालकों द्वारा सिफारिश की गई राशि से अधिक नहीं होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त अंतर्नियमों द्वारा अधिकृत होने पर संचालक दो सामान्य बैठकों के बीच में ही अंतरिम लाभांश की घोषणा भी कर सकते है। यत: लाभांश कंपनी के लाभ का ही भाग होता है, अत: इसे केवल लाभ से ही दिया जा सकता है, न कि पूँजी से। लाभांश के विषय में अंशधारियों के सामान्य अधिकारों, जैसे लाभांश की दर तथा पूर्वाधिकार आदि का प्रकथन कभी कभी सीमानियम में ही कर दिया जाता है जिससे यथासंभव, उन अधिकारों में परिवर्तन न हो सके। कई बार इनका प्रकथन अंतर्नियमों में किया जात है और कभी कभी दोनों प्रलेखों में भी इनका प्रकथन होता है। किस ढंग से लाभांश की घोषणा तथा अदायगी की जाएगी, इसका प्रकथन साधारणतया अंतर्नियमों में ही होता है। जब तक कंपनी चालू रहती है, वह पूरा लाभ अंशधारियों में वितरण करने के लिए बाध्य नहीं होती। लाभांश वितरण करने के स्थान पर, अंतर्नियमों में इसकी व्यवस्था होने पर यह अपने लाभ को पूँजी में परिवर्तित (Capitalise) कर सकती है। लाभांश को इसकी घोषणा के दिन से ऋण माना जाता है तथा यह देय हो जाता है। कभी कभी अंतर्नियमों में यह भी प्रावधान होता है कि घोषणा के बाद निश्चित समय तक लाभांश के अयाचित रहने पर इसे जब्त किया जा सकता है। कंपनी से सदस्य अंतर्नियमों के नियमानुसार लाभांश की अधियाचना कर सकते हैं किंतु यह आवश्यक है कि ऐसे सदस्यों का नाम लाभांश घोषणा के दिन कंपनी के रजिस्टर में दर्ज हो। जब अंशों का हस्तांतरण लाभांश घोषित करने पर उसके बहुत निकट किस तिथि को हो, तो हस्तांतरक तथा हस्तांतरी यह भी संविदा कर सकते हैं कि लाभांश किसको मिले। .

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अंश

अंश भिन्न के समान भागों की संख्या को निरूपित करता है। आम तौर पर भिन्न का उपरी भाग अंश होता है। उदाहरण स्वरूप - \tfrac भिन्न में 3 अंश है। .

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