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वात्सल्य ग्राम

सूची वात्सल्य ग्राम

वात्सल्य ग्राम, परमशक्ति पीठ द्वारा संचालित एक अनाथालय है। यह साध्वी ऋतम्भरा (दीदी माँ) द्वारा स्थापित है। इसमें अनाथ बच्चों एवं परित्यक्त महिलाओं को आवास, भोजन, स्वास्थ्य एवं शिक्षा का प्रबन्ध किया जाता है। इसका मूल मंत्र यह है कि परित्यक्त महिलाएँ एवं बच्चे एक दूसरे के पूरक होकर एक-दूसरे की भवनात्मक आवश्यकताओं की पूर्ति करें। वृन्दावन शहर से कुछ बाहर वात्सल्य ग्राम के नाम से प्रसिद्ध यह स्थान अपने आप में अनेक पटकथाओं का केन्द्र बन सकता है। इस प्रकल्प के मुख्यद्वार के निकट यशोदा और बालकृष्ण की एक प्रतिमा वात्सल्य रस को साकार रूप प्रदान करती है। वास्तव में इस अनूठे प्रकल्प के पीछे की सोच अनाथालय की व्यावसायिकता और भावहीनता के स्थान पर समाज के समक्ष एक ऐसा मॉडल प्रस्तुत करने की अभिलाषा है जो भारत की परिवार की परम्परा को सहेज कर संस्कारित बालक-बालिकाओं का निर्माण करे न कि उनमें हीन भावना का भाव व्याप्त कर उन्हें अपनी परम्परा और संस्कृति छोड़ने पर विवश करे.

4 संबंधों: यशोदा, साध्वी ऋतम्भरा, वृन्दावन, कृष्ण

यशोदा

यशोदा और नंद कृष्ण को झुलाते हुए। बालक कृष्ण को स्नान कराती यशोदा- भागवद पुराण की एक हस्तलिपि से १५वीं शती। यशोदा को पौराणिक ग्रंथों में नंद की पत्नी कहा गया है। भागवत पुराण में यह कहा गया है देवकी के पुत्र भगवान श्रीकृष्ण का जन्म देवकी के गर्भ से मथुरा के राजा कंस के कारागार में हुआ। कंस से रक्षा करने के लिए जब वासुदेव जन्म के बाद आधी रात में ही उन्हें यशोदा के घर गोकुल में छोड़ आए तो उनका का पालन पोषण यशोदा ने किया। .

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साध्वी ऋतम्भरा

और जब जल उठे बुझते दीप...

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वृन्दावन

कृष्ण बलराम मन्दिर इस्कॉन वृन्दावन वृन्दावन मथुरा क्षेत्र में एक स्थान है जो भगवान कृष्ण की लीला से जुडा हुआ है। यह स्थान श्री कृष्ण भगवान के बाललीलाओं का स्थान माना जाता है। यह मथुरा से १५ किमी कि दूरी पर है। यहाँ पर श्री कृष्ण और राधा रानी के मन्दिर की विशाल संख्या है। यहाँ स्थित बांके विहारी जी का मंदिर सबसे प्राचीन है। इसके अतिरिक्त यहाँ श्री कृष्ण बलराम, इस्कान मन्दिर, पागलबाबा का मंदिर, रंगनाथ जी का मंदिर, प्रेम मंदिर, श्री कृष्ण प्रणामी मन्दिर, अक्षय पात्र, निधि वन आदिदर्शनीय स्थान है। यह कृष्ण की लीलास्थली है। हरिवंश पुराण, श्रीमद्भागवत, विष्णु पुराण आदि में वृन्दावन की महिमा का वर्णन किया गया है। कालिदास ने इसका उल्लेख रघुवंश में इंदुमती-स्वयंवर के प्रसंग में शूरसेनाधिपति सुषेण का परिचय देते हुए किया है इससे कालिदास के समय में वृन्दावन के मनोहारी उद्यानों की स्थिति का ज्ञान होता है। श्रीमद्भागवत के अनुसार गोकुल से कंस के अत्याचार से बचने के लिए नंदजी कुटुंबियों और सजातीयों के साथ वृन्दावन निवास के लिए आये थे। विष्णु पुराण में इसी प्रसंग का उल्लेख है। विष्णुपुराण में अन्यत्र वृन्दावन में कृष्ण की लीलाओं का वर्णन भी है। .

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कृष्ण

बाल कृष्ण का लड्डू गोपाल रूप, जिनकी घर घर में पूजा सदियों से की जाती रही है। कृष्ण भारत में अवतरित हुये भगवान विष्णु के ८वें अवतार और हिन्दू धर्म के ईश्वर हैं। कन्हैया, श्याम, केशव, द्वारकेश या द्वारकाधीश, वासुदेव आदि नामों से भी उनको जाना जाता हैं। कृष्ण निष्काम कर्मयोगी, एक आदर्श दार्शनिक, स्थितप्रज्ञ एवं दैवी संपदाओं से सुसज्ज महान पुरुष थे। उनका जन्म द्वापरयुग में हुआ था। उनको इस युग के सर्वश्रेष्ठ पुरुष युगपुरुष या युगावतार का स्थान दिया गया है। कृष्ण के समकालीन महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित श्रीमद्भागवत और महाभारत में कृष्ण का चरित्र विस्तुत रूप से लिखा गया है। भगवद्गीता कृष्ण और अर्जुन का संवाद है जो ग्रंथ आज भी पूरे विश्व में लोकप्रिय है। इस कृति के लिए कृष्ण को जगतगुरु का सम्मान भी दिया जाता है। कृष्ण वसुदेव और देवकी की ८वीं संतान थे। मथुरा के कारावास में उनका जन्म हुआ था और गोकुल में उनका लालन पालन हुआ था। यशोदा और नन्द उनके पालक माता पिता थे। उनका बचपन गोकुल में व्यतित हुआ। बाल्य अवस्था में ही उन्होंने बड़े बड़े कार्य किये जो किसी सामान्य मनुष्य के लिए सम्भव नहीं थे। मथुरा में मामा कंस का वध किया। सौराष्ट्र में द्वारका नगरी की स्थापना की और वहाँ अपना राज्य बसाया। पांडवों की मदद की और विभिन्न आपत्तियों में उनकी रक्षा की। महाभारत के युद्ध में उन्होंने अर्जुन के सारथी की भूमिका निभाई और भगवद्गीता का ज्ञान दिया जो उनके जीवन की सर्वश्रेष्ठ रचना मानी जाती है। १२५ वर्षों के जीवनकाल के बाद उन्होंने अपनी लीला समाप्त की। उनकी मृत्यु के तुरंत बाद ही कलियुग का आरंभ माना जाता है। .

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