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लोक प्रशासन के सिद्धान्त

सूची लोक प्रशासन के सिद्धान्त

लोक प्रशासन के सिद्धान्त इतिहास, संगठन के सिद्धान्त, सामाजिक सिद्धान्त एवं आम जनता से जुड़े अन्य विषयों के सम्मिश्रण से बने हैं। .

6 संबंधों: लोक प्रशासन, लोक प्रशासन का इतिहास, लोक प्रशासन की प्रकृति, समाजशास्त्रीय सिद्धान्त, संगठन सिद्धान्त, इतिहास

लोक प्रशासन

लोक प्रशासन (Public administration) मोटे तौर पर शासकीय नीति (government policy) के विभिन्न पहलुओं का विकास, उन पर अमल एवं उनका अध्ययन है। प्रशासन का वह भाग जो सामान्य जनता के लाभ के लिये होता है, लोकप्रशासन कहलाता है। लोकप्रशासन का संबंध सामान्य नीतियों अथवा सार्वजनिक नीतियों से होता है। एक अनुशासन के रूप में इसका अर्थ वह जनसेवा है जिसे 'सरकार' कहे जाने वाले व्यक्तियों का एक संगठन करता है। इसका प्रमुख उद्देश्य और अस्तित्व का आधार 'सेवा' है। इस प्रकार की सेवा उठाने के लिए सरकार को जन का वित्तीय बोझ करों और महसूलों के रूप में राजस्व वसूल कर संसाधन जुटाने पड़ते हैं। जिनकी कुछ आय है उनसे कुछ लेकर सेवाओं के माध्यम से उसका समतापूर्ण वितरण करना इसका उद्देश्य है। किसी भी देश में लोक प्रशासन के उद्देश्य वहां की संस्थाओं, प्रक्रियाओं, कार्मिक-राजनीतिक व्यवस्था की संरचनाओं तथा उस देश के संविधान में व्यक्त शासन के सिद्धातों पर निर्भर होते हैं। प्रतिनिधित्व, उत्तरदायित्व, औचित्य और समता की दृष्टि से शासन का स्वरूप महत्व रखता है, लेकिन सरकार एक अच्छे प्रशासन के माध्यम से इन्हें साकार करने का प्रयास करती है। .

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लोक प्रशासन का इतिहास

एक व्यवस्थित अध्ययन के रूप में लोक-प्रशासन का विकास अभी नया ही है। लोक-प्रशासन के शैक्षिक अध्ययन का प्रारम्भ करने का श्रेय वुडरो विल्सन को जाता है जिसने १८८७ में प्रकाशित अपने लेख ‘द स्टडी ऑफ ऐडमिनिस्ट्रेशन' में इस शास्त्र के वैज्ञानिक आधार को विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया। इस लेख में राजनीति तथा प्रशासन के बीच स्पष्ट भिन्नता दिखाई गई और घोषित किया गया कि प्रशासन की राजनीति से दूर रहना चाहिए। इसी को तथाकथित ‘राजनीति-प्रशासन-द्विभाजन’ कहते हैं। लोक प्रशासन का इतिहास निम्नलिखित 5 चरणों में विभाज्य है- .

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लोक प्रशासन की प्रकृति

जिस प्रकार लोक प्रशासन की परिभाषा में कई दृष्टिकोण दिखाई देते हैं, उसी प्रकार इसकी प्रकृति के विषय में भी दो तरह के दृष्टिकोण हैं। प्रथम, व्यापक दृष्टिकोण जिसे 'पूर्ण विचार' अथवा 'एकीकृत विचार' कहा जाता है और दूसरा संकुचित दृष्टिकोण जिसे 'प्रबन्धकीय विचार' कहा जाता है। .

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समाजशास्त्रीय सिद्धान्त

समाजविज्ञान के सम्बन्ध में समाजशास्त्रीय सिद्धान्त (sociological theoriy) से आशय समाज से सम्बन्धित तथ्यों की व्याख्या करने वाले सिद्धान्त हैं। .

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संगठन सिद्धान्त

संगठन सिद्धान्त (Organizational theory) के अन्तर्गत राष्ट्रीय सामाजिक संगठन एक स्वयं सेवी एवं सामुदायिक संगठन है।जो की समाजशास्त्रीय अध्ययन किया जाता है। संगठन तथा मानव सेवा प्रकृत निर्मित प्राणियों की सेवा ही परम कर्तव्य है राष्ट्रीय सामाजिक संगठन की कार्य सम्पूर्ण भारत है। सभी वर्गी की राष्ट्रके हित में एकता स्थापित करना,मानव सेवा के लिए युवाओ को चरित्र निर्माण करना और भारत माता की सेवा व राष्ट्र भगति के लिए सादर समर्पित करना व देश स्मपुर भागीदारी सौपना जिससे देश व राष्ट्र बिकसित हो आदि कार्य है व भारत देश की संविधान की रक्षा करना,युवाओ की हक व अधिकार लड़ाई लड़ना भरतीय लोकतंत्र की हत्या होने से बचना। दिन दुखनियो को सेवा ही परम कर्तब व मुख सिद्धयन्त है। राष्ट्रीय अध्यक्ष सोशल वैज्ञानिक सह समाज सुधारक श्री शशीभूषण गाँन्धी Rashtriya samajik sangthan indian science reasurch organization welfare charitable mission head quater cnnagar nathpur narpatganj araria bihar.

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इतिहास

बोधिसत्व पद्मपनी, अजंता, भारत। इतिहास(History) का प्रयोग विशेषत: दो अर्थों में किया जाता है। एक है प्राचीन अथवा विगत काल की घटनाएँ और दूसरा उन घटनाओं के विषय में धारणा। इतिहास शब्द (इति + ह + आस; अस् धातु, लिट् लकार अन्य पुरुष तथा एक वचन) का तात्पर्य है "यह निश्चय था"। ग्रीस के लोग इतिहास के लिए "हिस्तरी" (history) शब्द का प्रयोग करते थे। "हिस्तरी" का शाब्दिक अर्थ "बुनना" था। अनुमान होता है कि ज्ञात घटनाओं को व्यवस्थित ढंग से बुनकर ऐसा चित्र उपस्थित करने की कोशिश की जाती थी जो सार्थक और सुसंबद्ध हो। इस प्रकार इतिहास शब्द का अर्थ है - परंपरा से प्राप्त उपाख्यान समूह (जैसे कि लोक कथाएँ), वीरगाथा (जैसे कि महाभारत) या ऐतिहासिक साक्ष्य। इतिहास के अंतर्गत हम जिस विषय का अध्ययन करते हैं उसमें अब तक घटित घटनाओं या उससे संबंध रखनेवाली घटनाओं का कालक्रमानुसार वर्णन होता है। दूसरे शब्दों में मानव की विशिष्ट घटनाओं का नाम ही इतिहास है। या फिर प्राचीनता से नवीनता की ओर आने वाली, मानवजाति से संबंधित घटनाओं का वर्णन इतिहास है।Whitney, W. D. (1889).

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