सामग्री की तालिका
16 संबंधों: तारकनाथ दास, प्रफुल्ल चाकी, प्रीतिलता वाद्देदार, बारीन्द्र कुमार घोष, बाघा यतीन, बंगाल, भारत, भूपेन्द्र कुमार दत्त, शान्ति घोष, सुनीति चौधुरी, खुदीराम बोस, कल्पना दत्त, अनुशीलन समिति, अमरेन्द्रनाथ चट्टोपाध्याय, अम्बिका चक्रवर्ती, अरविन्द घोष।
तारकनाथ दास
तारकनाथ दास या तारक नाथ दास (बंगला: তারকানাথ দাস, 15 जून 1884 - 22 दिसम्बर 1958), एक ब्रिटिश-विरोधी भारतीय बंगाली क्रांतिकारी और अंतर्राष्ट्रवादी विद्वान थे। वे उत्तरी अमेरिका के पश्चमी तट में एक अग्रणी आप्रवासी थे और टॉल्स्टॉय के साथ अपनी योजनाओं के बारे में चर्चा किया करते थे, जबकि वे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के पक्ष में एशियाई भारतीय आप्रवासियों को सुनियोजित कर रहे थे। वे कोलंबिया विश्वविद्यालय में राजनीतिक विज्ञान के प्रोफेसर थे और साथ ही कई अन्य विश्वविद्यालयों में अतिथि प्रोफेसर के रूप में भी कार्यरत थे। .
देखें युगान्तर और तारकनाथ दास
प्रफुल्ल चाकी
प्रफुल्ल चाकी क्रांतिकारी प्रफुल्ल चाकी (बांग्ला: প্রফুল্ল চাকী) (१० दिसंबर १८८८ - १ मई १९०८) का नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में अत्यंत सम्मान के साथ लिया जाता है। प्रफुल्ल का जन्म उत्तरी बंगाल के बोगरा जिला (अब बांग्लादेश में स्थित) के बिहारी गाँव में हुआ था। जब प्रफुल्ल दो वर्ष के थे तभी उनके पिता जी का निधन हो गया। उनकी माता ने अत्यंत कठिनाई से प्रफुल्ल का पालन पोषण किया। विद्यार्थी जीवन में ही प्रफुल्ल का परिचय स्वामी महेश्वरानन्द द्वारा स्थापित गुप्त क्रांतिकारी संगठन से हुआ। प्रफुल्ल ने स्वामी विवेकानंद के साहित्य का अध्ययन किया और वे उससे बहुत प्रभावित हुए। अनेक क्रांतिकारियों के विचारों का भी प्रफुल्ल ने अध्ययन किया इससे उनके अन्दर देश को स्वतंत्र कराने की भावना बलवती हो गई। बंगाल विभाजन के समय अनेक लोग इसके विरोध में उठ खड़े हुए। अनेक विद्यार्थियों ने भी इस आन्दोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया। प्रफुल्ल ने भी इस आन्दोलन में भाग लिया। वे उस समय रंगपुर जिला स्कूल में कक्षा ९ के छात्र थे। प्रफुल्ल को आन्दोलन में भाग लेने के कारण उनके विद्यालय से निकाल दिया गया। इसके बाद प्रफुल्ल का सम्पर्क क्रांतिकारियों की युगान्तर पार्टी से हुआ। .
देखें युगान्तर और प्रफुल्ल चाकी
प्रीतिलता वाद्देदार
5 मई 1911 को बंगाल में पैदा हुई थी भारत के स्वाधीनता संग्राम की एक और लक्ष्मीबाई " प्रीतिलता वाद्देदार " ! मातृभूमि की मुक्ति के लिए पूर्वी बंगाल के चटगांव में हुए सशस्त्र क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली प्रीतिलता साहस की प्रतिमूर्ति थी। डॉ॰ खस्तगीर सरकार हाई स्कूल 'चटगांव ' में पढ़ते हुए प्रीतिलता ने 1928 में प्रथम श्रेणी में मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की। ईडन कॉलेज, ढाका में अपनी शिक्षा जारी रखा और 1929 में इंटरमीडिएट बोर्ड ढाका से सभी उम्मीदवारों के बीच पांचवें स्थान हासिल किया। दो साल बाद., प्रीतिलता ने कोलकाता बिथयून कॉलेज से डिस्टिंक्शन के साथ दर्शन में स्नातक किया। कॉलेज के दिनों में, प्रीतिलता को क्रांतिकारी रामकृष्ण बिस्वास से मिलने लगी थी और उन लोगों से जुड़कर उसने भी स्वाधीनता के सपने देखने शुरू कर दिए। क्रांतिकारियों के गुट में रह कर प्रीतिलता ने निर्मल सेन से अंग्रेजों के विरुद्ध सशस्त्र लड़ाई का प्रशिक्षण लिया। क्रांतिकारियों के नेता मास्टर दा सुरज्या सेन ने स्थानीय यूरोपीय क्लब और ब्रिटिश शस्त्रागार समेत पांच स्थानों पर हमले की योजना बनाई। यह वही यूरोपियन क्लब था जहाँ के साइन बोर्ड पर " कुत्तों और भारतीयों की अनुमति नहीं " लिखा हुआ था। प्रीतिलता को १०-१२ क्रन्तिकारी युवकों की टुकड़ी का नेतृत्व सौंपा गया था। सुरज्या सेन ने इस लड़ाई में शरीक होने वाले सभी क्रांतिकारियों को सख्त हिद्यता देते हुए पास में सायनाइड रखने के लिए कहा था ताकि कोई भी जिन्दा पकड़ा ना जाए | मर्दों वाले वेश में हमले का नेतृत्व करने वाली प्रीतिलता ने हमले को सफलतापूर्वक अंजाम दिया लेकिन पकड़े जाने की स्थिति में उन्होंने सायनाइड खाकर अपनी जान दे दी। http://www.janokti.com/?p.
देखें युगान्तर और प्रीतिलता वाद्देदार
बारीन्द्र कुमार घोष
बारींद्रनाथ घोष (5 जनवरी 1880 - 18 अप्रैल 1959) भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी और पत्रकार तथा "युगांतर" के संस्थापकों में से एक थे। वह 'बारिन घोष' नाम से भी लोकप्रिय हैं। बंगाल में क्रांतिकारी विचारधारा को फेलाने का श्री बारीन्द्र और भूपेन्द्र नाथ दत्त (स्वामी विवेकानंद जी के छोटे भाई) को ही जाता है। महान अध्यात्मवादी श्री अरविन्द घोष उनके बड़े भाई थे। .
देखें युगान्तर और बारीन्द्र कुमार घोष
बाघा यतीन
बाघा जतीन (बांग्ला में বাঘা যতীন (उच्चारणः बाघा जोतिन) (०७ दिसम्बर १८७९ - १० सितम्बर १९१५) के बचपन का नाम जतीन्द्रनाथ मुखर्जी (जतीन्द्रनाथ मुखोपाध्याय) था। वे ब्रिटिश शासन के विरुद्ध कार्यकारी दार्शनिक क्रान्तिकारी थे। वे युगान्तर पार्टी के मुख्य नेता थे। युगान्तर पार्टी बंगाल में क्रान्तिकारियों का प्रमुख संगठन थी। .
देखें युगान्तर और बाघा यतीन
बंगाल
बंगाल (बांग्ला: বঙ্গ बॉंगो, বাংলা बांला, বঙ্গদেশ बॉंगोदेश या বাংলাদেশ बांलादेश, संस्कृत: अंग, वंग) उत्तरपूर्वी दक्षिण एशिया में एक क्षेत्र है। आज बंगाल एक स्वाधीन राष्ट्र, बांग्लादेश (पूर्वी बंगाल) और भारतीय संघीय प्रजातन्त्र का अंगभूत राज्य पश्चिम बंगाल के बीच में सहभाजी है, यद्यपि पहले बंगाली राज्य (स्थानीय राज्य का ढंग और ब्रिटिश के समय में) के कुछ क्षेत्र अब पड़ोसी भारतीय राज्य बिहार, त्रिपुरा और उड़ीसा में है। बंगाल में बहुमत में बंगाली लोग रहते हैं। इनकी मातृभाषा बांग्ला है। .
देखें युगान्तर और बंगाल
भारत
भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .
देखें युगान्तर और भारत
भूपेन्द्र कुमार दत्त
महान क्रान्तिकारी भूपेन्द्र कुमार दत्त भूपेन्द्र कुमार दत्त (8 अक्टूबर 1892– 29 सितम्बर 1979) भारतीय स्वतंत्रता के लिये अंग्रेजों से संघर्ष करने वाले प्रसिद्ध क्रांतिकारी थे। युगान्तर के नेता के रूप में योगदान के अलावा बिलासपुर जेल में ७८ दिन तक का भूख हड़ताल करने का कीर्तिमान उनके ही नाम है। श्रेणी:अनुशीलन समिति श्रेणी:भारतीय क्रांतिकारी.
देखें युगान्तर और भूपेन्द्र कुमार दत्त
शान्ति घोष
शान्ति घोष (२२ नवम्बर १९१६ -- १९८९) भारत के स्वतंत्रता संग्राम की क्रान्तिकारी वीरांगना थीं। अपनी सहपाठिनी सुनीति चौधरी के साथ मिलकर उन्होने १४ दिसम्बर १९३१ को त्रिपुरा के कलेक्टर सी जी वी स्टिवेन को उसके बंगले पर गोली मारी थी। शान्ति और सुनीति को संसार की सबसे कम उम्र की क्रान्तिकारी माना जाता है। अंग्रेज सरकार ने उन्हें आजीवन काले पानी की सजा दी थी। शान्ति घोष जन्म कोलकाता में हुआ था। वह प्रोफेसर देवेन्द्र नाथ घोष की पुत्री थीं। वे कोमिल्ला के स्थानीय विद्यालय फैजुनिशां बालिका विद्यालय की आठवीं कक्षा की छात्रा थीं। उनकी आवाज बहुत मधुर थी और वे गायन भी करतीं थीं। श्रेणी:भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम श्रेणी:भारतीय स्वतंत्रता का क्रान्तिकारी इतिहास.
देखें युगान्तर और शान्ति घोष
सुनीति चौधुरी
सुनीति चौधुरी (22 मई 1917) भारत की एक क्रान्तिकारी नारी थीं। स्वतंत्रता संग्राम में बहुत कम अवस्था में बडा कारनामा करके दिखाने वाली सुनीति उस समय के प्रसिद्ध दीपाली संघ की सदस्या थीं। आजादी की लडाई में सुनीति चौधुरी का कारनामा सुनकर लोग आज भी दाँतों तले अँगुली दबा लेते हैं। २४ दिसम्बर १९३१, त्रिपुरा फैजुन्निसा बालिका विद्यालय की दो छात्राओं कुमारी शांति घोष और कुमारी सुनीति चौधरी ने मजिस्ट्रेट बी जी स्टीवेंसन से मिलने की अनुमति मांगी | कारण पूछने पर उन्होंने उत्तर दिया की वो लडकियों की तैराकी प्रतियोगिता के सन्दर्भ में उनसे कुछ बात करना चाहती हैं। मजिस्ट्रेट के कमरे में पंहुचते ही उन्होंने गोली चला दी। उन वीरांगनाओं का निशाना अचूक था, स्टीवेंसन वहीं मर गया। दोनों वीर बालाएं गिरफ्तार कर ली गयीं। २७ फ़रवरी १९३२ को उन्हें अजन्म काला पानी का दंड हुआ। सत्तावनी क्रांति के बाद यह पहली घटना थी जिसमे किसी महिला ने राजनीतिक हत्या की थी। जहाँ इस वीरतापूर्ण कार्य की सराहना होनी चाहिए थी वहीँ गांधीवाद और अहिंसा के नशे में चूर सरदार बल्लभ भाई पटेल ने कहा कि ये दोनों लड़कियां भारतीय नारियों के लिए कलंक स्वरूप हैं। महान क्रांतिकारी मन्मथनाथ गुप्त जी लिखते हैं -" इतिहास ही बताएगा कि ये लड़कियां भारत के इतिहास का कलंक नहीं हैं | हाँ इस प्रकार का बयान अवश्य कलंक था |" श्रेणी:भारतीय स्वतंत्रता सेनानी श्रेणी:क्रान्तिकारी महिलाएँ.
देखें युगान्तर और सुनीति चौधुरी
खुदीराम बोस
युवा क्रान्तिकारी '''खुदीराम बोस''' (१९०५ में) खुदीराम बोस (बांग्ला: ক্ষুদিরাম বসু; जन्म: ३-१२-१८८९ - मृत्यु: ११ अगस्त १९०८) भारतीय स्वाधीनता के लिये मात्र १९ साल की उम्र में हिन्दुस्तान की आजादी के लिये फाँसी पर चढ़ गये। कुछ इतिहासकारों की यह धारणा है कि वे अपने देश के लिये फाँसी पर चढ़ने वाले सबसे कम उम्र के ज्वलन्त तथा युवा क्रान्तिकारी देशभक्त थे। लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि खुदीराम से पूर्व १७ जनवरी १८७२ को ६८ कूकाओं के सार्वजनिक नरसंहार के समय १३ वर्ष का एक बालक भी शहीद हुआ था। उपलब्ध तथ्यानुसार उस बालक को, जिसका नम्बर ५०वाँ था, जैसे ही तोप के सामने लाया गया, उसने लुधियाना के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर कावन की दाढी कसकर पकड ली और तब तक नहीं छोडी जब तक उसके दोनों हाथ तलवार से काट नहीं दिये गये बाद में उसे उसी तलवार से मौत के घाट उतार दिया गया था। (देखें सरफरोशी की तमन्ना भाग ४ पृष्ठ १३) .
देखें युगान्तर और खुदीराम बोस
कल्पना दत्त
यह प्रसिद्ध भारतीय महिला क्रान्तिकारी थी जिन्होंने अंग्रेजी सरकार को भारत से मिटाने के लिए हिंसात्मक गतिविधियों का मार्ग अपनाया था। श्रेणी:हिन्द की बेटियाँ श्रेणी:विकिपरियोजना हिन्द की बेटियाँ दत्त, कल्पना श्रेणी:1913 में जन्मे लोग श्रेणी:१९९५ में निधन.
देखें युगान्तर और कल्पना दत्त
अनुशीलन समिति
अनुशीलन समिति का प्रतीक: अखण्ड भारत (United India) अनुशीलन समिति भारत के स्वतंत्रता संग्राम के समय बंगाल में बनी अंग्रेज-विरोधी, गुप्त, क्रान्तिकारी, सशस्त्र संस्था थी। इसका उद्देश्य वन्दे मातरम् के प्रणेता व प्रख्यात बांग्ला उपन्यासकार बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय के बताये गये मार्ग का 'अनुशीलन' करना था। अनुशीलन का शाब्दिक अर्थ यह होता है: इसका आरम्भ १९०२ में अखाड़ों से हुआ तथा इसके दो प्रमुख (तथा लगभग स्वतंत्र) रूप थे- ढाका अनुशीलन समिति तथा युगान्तर। यह बीसवीं शताब्दी के आरम्भिक दिनों में समूचे बंगाल में कार्य कर रही थी। पहले-पहल कलकत्ता और उसके कुछ बाद में ढाका इसके दो ही प्रमुख गढ़ थे। इसका आरम्भ अखाड़ों से हुआ। बाद में इसकी गतिविधियों का प्रचार प्रसार ग्रामीण क्षेत्रों सहित पूरे बंगाल में हो गया। इसके प्रभाव के कारण ही ब्रिटिश भारत की सरकार को बंग-भंग का निर्णय वापस लेना पडा था। इसकी प्रमुख गतिविधियों में स्थान स्थान पर शाखाओं के माध्यम से नवयुवकों को एकत्र करना, उन्हें मानसिक व शारीरिक रूप से शक्तिशाली बनाना ताकि वे अंग्रेजों का डटकर मुकाबला कर सकें। उनकी गुप्त योजनाओं में बम बनाना, शस्त्र-प्रशिक्षण देना व दुष्ट अंग्रेज अधिकारियों वध करना आदि सम्मिलित थे। अनुशीलन समिति के सक्रिय सदस्य उन भारतीय अधिकारियों का वध करने में भी नहीं चूकते थे जिन्हें वे 'अंग्रेजों का पिट्ठू' व हिन्दुस्तान का 'गद्दार' समझते थे। इसके प्रतीक-चिन्ह की भाषा से ही स्पष्ठ होता है कि वे इस देश को एक (अविभाजित) रखना चाहते थे। .
देखें युगान्तर और अनुशीलन समिति
अमरेन्द्रनाथ चट्टोपाध्याय
अमरेन्द्रनाथ चट्टोपाध्याय (অমরেন্দ্রনাথ চট্টোপাধ্যায়) (1 जुलाई 1880 – 4 सितम्बर 1957) भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे। उनके ऊपर युगान्तर आन्दोलन के लिए पैसा एकत्र करने का दायित्व था। उनकी क्रान्तिकारी गतिबिधियाँ मुख्यतः बिहार, उड़ीसा और संयुक्त प्रान्त में केन्द्रित थीं। श्रेणी:भारतीय क्रांतिकारी.
देखें युगान्तर और अमरेन्द्रनाथ चट्टोपाध्याय
अम्बिका चक्रवर्ती
अम्बिका चक्रवर्ती (जन्म- 1892 ई., म्यांमार (बर्मा); मृत्यु- 6 मार्च 1962) भारत के प्रसिद्ध क्रान्तिकारी और नेता थे। .
देखें युगान्तर और अम्बिका चक्रवर्ती
अरविन्द घोष
अरविन्द घोष या श्री अरविन्द (बांग्ला: শ্রী অরবিন্দ, जन्म: १८७२, मृत्यु: १९५०) एक योगी एवं दार्शनिक थे। वे १५ अगस्त १८७२ को कलकत्ता में जन्मे थे। इनके पिता एक डाक्टर थे। इन्होंने युवा अवस्था में स्वतन्त्रता संग्राम में क्रान्तिकारी के रूप में भाग लिया, किन्तु बाद में यह एक योगी बन गये और इन्होंने पांडिचेरी में एक आश्रम स्थापित किया। वेद, उपनिषद ग्रन्थों आदि पर टीका लिखी। योग साधना पर मौलिक ग्रन्थ लिखे। उनका पूरे विश्व में दर्शन शास्त्र पर बहुत प्रभाव रहा है और उनकी साधना पद्धति के अनुयायी सब देशों में पाये जाते हैं। यह कवि भी थे और गुरु भी। .
देखें युगान्तर और अरविन्द घोष
युगान्तर पार्टी, युगांतर के रूप में भी जाना जाता है।