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यांत्रिकी

सूची यांत्रिकी

यांत्रिकी (Mechanics) भौतिकी की वह शाखा है जिसमें पिण्डों पर बल लगाने या विस्थापित करने पर उनके व्यवहार का अध्ययन करती है। यांत्रिकी की जड़ें कई प्राचीन सभ्यताओं से निकली हैं। .

19 संबंधों: चिरसम्मत यांत्रिकी, ठोस यांत्रिकी, तरल यांत्रिकी, ध्वनि, नभिकीय भौतिकी, नौकायन, भौतिक शास्त्र, मिस्त्री, मृदा यांत्रिकी, यांत्रिक इंजीनियरी, श्रोडिंगर समीकरण, स्थैतिकी, स्वनविज्ञान, जल इंजीनियरी, जैवभौतिकी, खगोलीय यांत्रिकी, कण भौतिकी, अनुप्रयुक्त यांत्रिकी, अल्बर्ट आइंस्टीन

चिरसम्मत यांत्रिकी

भौतिक विज्ञान में चिरसम्मत यांत्रिकी, यांत्रिकी के दो विशाल क्षेत्रों में से एक है, जो बलों के प्रभाव में वस्तुओं की गति से सम्बंधित भौतिकी के नियमो के समुच्चय की विवेचना करता है। वस्तुओं की गति का अध्ययन बहुत प्राचीन है, जो चिरसम्मत यांत्रिकी को विज्ञान, अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी सबसे प्राचीन विषयों में से एक और विशाल विषय बनाता है। .

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ठोस यांत्रिकी

ठोस यांत्रिकी की एक समस्या ठोस यांत्रिकी (Solid mechanics) सातत्यक यांत्रिकी (continuum mechanics/कन्टिनुअम यांत्रिकी) की वह शाखा है जिसमें ठोस वस्तुओं के व्यवहार का अध्ययन किया जाता है। इसमें विशेषतः विभिन्न प्रकार के बल लगाने पर ठोसों की गति और इनमें होने वाली विरूपण (डिफॉर्मेशन) का अध्यन किया जाता है। बल के अलावा ताप परिवर्तन, प्रावस्था परिवर्तन (phase changes) तथा अन्य वाह्य तथा आन्तरिक कारकों के कारण उत्पन्न गति एवं विरूपण का भी अध्ययन किया जाता है। ठोस यांत्रिकी का अध्ययन सिविल इंजीनियरी, यांत्रिक इंजीनियरी, भूविज्ञान तथा पदार्थ विज्ञान आदि के क्षेत्र में बहुत महत्व रखता है। .

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तरल यांत्रिकी

तरल यांत्रिकी (अंग्रेज़ी:Fluid Mechanics) तरल पदार्थो के स्वभाव एवं गति के सिद्धान्तों को समझाने वाली यांत्रिकी की एक शाखा है। तरल, द्रव या गैस हो सकते हैं और उनमें सीमित मात्रा में ठोस के मिले या घुले रहने पर भी इन सिद्धांतों का प्रयोग किया जा सकता है। तरल पदार्थ भी न्यूटन के गति नियमों का अनुसरण करते हैं, पर आकार आसानी से बदल जाने के स्वभाव के कारण इनके गति नियमों को विशेष रूप दिया जाता है। नेवियर-स्टोक्स समीकरण तरल यांत्रिकी के समीकरणों का सबसे विस्तृत रूप है। तरल यांत्रिकी वायव्य, यांत्रिकी, सिविल तथा रासायनिक यंताओं द्वारा मुख्य रूप से प्रयुक्त होता है। जटिल तरल गतिक प्रश्नों के हल के लिए संगणित तरल यांत्रिकी का प्रयोग किया जाता है। तरलयांत्रिकी गणित की वह शाखा है, जिसमें (स्थिर अथवा प्रवहयुक्त) तरलों के व्यवहार का अध्ययन होता है। यदि तरल गतिहीन है तो इस अध्ययन को द्रवस्थिति विज्ञान (Hydrostatics) कहते हैं और यदि तरल गतियुक्त है तो उसे तरल यांत्रिकी के विविध उपयोग .

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ध्वनि

ड्रम की झिल्ली में कंपन पैदा होता होता जो जो हवा के सम्पर्क में आकर ध्वनि तरंगें पैदा करती है मानव एवं अन्य जन्तु ध्वनि को कैसे सुनते हैं? -- ('''नीला''': ध्वनि तरंग, '''लाल''': कान का पर्दा, '''पीला''': कान की वह मेकेनिज्म जो ध्वनि को संकेतों में बदल देती है। '''हरा''': श्रवण तंत्रिकाएँ, '''नीललोहित''' (पर्पल): ध्वनि संकेत का आवृति स्पेक्ट्रम, '''नारंगी''': तंत्रिका में गया संकेत) ध्वनि (Sound) एक प्रकार का कम्पन या विक्षोभ है जो किसी ठोस, द्रव या गैस से होकर संचारित होती है। किन्तु मुख्य रूप से उन कम्पनों को ही ध्वनि कहते हैं जो मानव के कान (Ear) से सुनायी पडती हैं। .

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नभिकीय भौतिकी

नाभिकीय भौतिक यह क्वा्न्टम भौतिक कि वह शाखा है जिसमें परमाणु के नाभिक को तोड़। फोड कर ऊर्जा उत्पन्न किया जाता है। मैं डा पानडे हु।.

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नौकायन

एक डॉक्ड नौका शौकिया तौर पर या मनोरंजन के लिए अथवा खेल के उद्देश्य से नाव चलाने या अन्य प्रकार के जलयानों के उपयोग को नौकायन कहा जाता है। .

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भौतिक शास्त्र

भौतिकी के अन्तर्गत बहुत से प्राकृतिक विज्ञान आते हैं भौतिक शास्त्र अथवा भौतिकी, प्रकृति विज्ञान की एक विशाल शाखा है। भौतिकी को परिभाषित करना कठिन है। कुछ विद्वानों के मतानुसार यह ऊर्जा विषयक विज्ञान है और इसमें ऊर्जा के रूपांतरण तथा उसके द्रव्य संबन्धों की विवेचना की जाती है। इसके द्वारा प्राकृत जगत और उसकी आन्तरिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। स्थान, काल, गति, द्रव्य, विद्युत, प्रकाश, ऊष्मा तथा ध्वनि इत्यादि अनेक विषय इसकी परिधि में आते हैं। यह विज्ञान का एक प्रमुख विभाग है। इसके सिद्धांत समूचे विज्ञान में मान्य हैं और विज्ञान के प्रत्येक अंग में लागू होते हैं। इसका क्षेत्र विस्तृत है और इसकी सीमा निर्धारित करना अति दुष्कर है। सभी वैज्ञानिक विषय अल्पाधिक मात्रा में इसके अंतर्गत आ जाते हैं। विज्ञान की अन्य शाखायें या तो सीधे ही भौतिक पर आधारित हैं, अथवा इनके तथ्यों को इसके मूल सिद्धांतों से संबद्ध करने का प्रयत्न किया जाता है। भौतिकी का महत्व इसलिये भी अधिक है कि अभियांत्रिकी तथा शिल्पविज्ञान की जन्मदात्री होने के नाते यह इस युग के अखिल सामाजिक एवं आर्थिक विकास की मूल प्रेरक है। बहुत पहले इसको दर्शन शास्त्र का अंग मानकर नैचुरल फिलॉसोफी या प्राकृतिक दर्शनशास्त्र कहते थे, किंतु १८७० ईस्वी के लगभग इसको वर्तमान नाम भौतिकी या फिजिक्स द्वारा संबोधित करने लगे। धीरे-धीरे यह विज्ञान उन्नति करता गया और इस समय तो इसके विकास की तीव्र गति देखकर, अग्रगण्य भौतिक विज्ञानियों को भी आश्चर्य हो रहा है। धीरे-धीरे इससे अनेक महत्वपूर्ण शाखाओं की उत्पत्ति हुई, जैसे रासायनिक भौतिकी, तारा भौतिकी, जीवभौतिकी, भूभौतिकी, नाभिकीय भौतिकी, आकाशीय भौतिकी इत्यादि। भौतिकी का मुख्य सिद्धांत "उर्जा संरक्षण का नियम" है। इसके अनुसार किसी भी द्रव्यसमुदाय की ऊर्जा की मात्रा स्थिर होती है। समुदाय की आंतरिक क्रियाओं द्वारा इस मात्रा को घटाना या बढ़ाना संभव नहीं। ऊर्जा के अनेक रूप होते हैं और उसका रूपांतरण हो सकता है, किंतु उसकी मात्रा में किसी प्रकार परिवर्तन करना संभव नहीं हो सकता। आइंस्टाइन के सापेक्षिकता सिद्धांत के अनुसार द्रव्यमान भी उर्जा में बदला जा सकता है। इस प्रकार ऊर्जा संरक्षण और द्रव्यमान संरक्षण दोनों सिद्धांतों का समन्वय हो जाता है और इस सिद्धांत के द्वारा भौतिकी और रसायन एक दूसरे से संबद्ध हो जाते हैं। .

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मिस्त्री

अन्तर्दहन इंजन की मरम्मत करते हुए मेकैनिक (१९५२) लेकिन विद्युतमिस्त्री (लेक्ट्रिसियन) का तेल और ग्रीज से कोई काम नहीं विभिन्न औजारों का प्रयोग करके किसी मशीनरी का निर्माण या मरम्मत करने वाले व्यक्ति को '''मिस्त्री''' या '''मेकैनिक''' कहते हैं। श्रेणी:व्यवसाय.

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मृदा यांत्रिकी

'''पीसा की झुकी मीनार''' -- यह लोड पड़ने पर भूमि के अपरूपण का अच्छा उदाहरण है भूयांत्रिकी (Soil mechanics), इंजीनियरी यांत्रिकी (engineering mechanics) की एक शाखा है जो भूमि के गुणधर्मों का अध्ययन एवं वर्णन करती है। यह तरल यांत्रिकी एवं ठोस यांत्रिकी से इस अर्थ में अलग है कि भूमि गैस (हवा), द्रव (जल आदि) एवं ठोस (मिट्टी, रेत आदि) के विषमांग मिश्रण से बनी होती है। इसके अलावा भूमि में जैव ठोस, द्रव एवं गैसें भी हो सकतीं हैं। शैल यांत्रिकी (rock mechanics) और भूयांत्रिकी मिलकर भूतकनीकी इंजीनियरी का सैद्धान्तिक आधार तैयार करते हैं। भूतकनीकी इंजीनियरी, सिविल इंजीनियरी का उपविषय है। भूतकनीकी का उपयोग भवनों तथा पुलों की नींव, रिटेनिंग दीवार, तथा बांध के निर्माण में होता है। .

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यांत्रिक इंजीनियरी

सिलाई मशीन (सन् 1900 के आसपास); मशीन के कार्य आज भी लगभग वही है जो पहले था। एक आधुनिक मशीन: फिलिंग और डोसिंग मशीन यांत्रिक इंजीनियर इंजन, शक्ति-संयंत्र आदि की डिजाइन करते हैं। Two involute gears, the left driving the right: Blue arrows show the contact forces between them. The force line (or Line of Action) runs along a tangent common to both base circles. यान्त्रिक अभियांत्रिकी (Mechanical engineering) तरह-तरह की मशीनों की बनावट, निर्माण, चालन आदि का सैद्धान्तिक और व्यावहारिक ज्ञान है। यान्त्रिक अभियांत्रिकी, अभियांत्रिकी की सबसे पुरानी और विस्तृत शाखाओं में से एक है। यान्त्रिक अभियांत्रिकी १८वीं शताब्दी में यूरोप में औद्योगिक क्रांति के दौरान एक क्षेत्र के रूप में उभरी है, लेकिन, इसका विकास दुनिया भर में कई हजार साल में हुआ है। १९वीं सदी में भौतिकी के क्षेत्र में विकास के एक परिणाम के रूप में यांत्रिक अभियांत्रिकी विज्ञान सामने आया। इसके आधआरभूत विषय हैं.

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श्रोडिंगर समीकरण

क्वांटम यांत्रिकी में, श्रोडिंगर समीकरण हमें यह बताता है की किसी भौतिक निकाय की क्वांटम अवस्था समय के अनुसार कैसे बदलती है| इसे ऑस्ट्रिया के भौतिक विज्ञानी इरविन श्रोडिंगर द्वारा 1925 में स्थापित तथा 1926 में प्रकाशित किया गया था| चिरसम्मत यांत्रिकी (classical mechanics) में गति की समीकरण (ईक्वेशन ऑफ मोशन) न्यूटन के दूसरे नियम में या ऑयलर लग्रांजी समीकरण के रूप में हमे समय प्रारंभिक स्थिति और सिस्टम के विन्यास के बारे मे बताता है| परंतु क्वांटम यांत्रिकी की मानक व्याख्या में तरंग-फलन हमें भौतिक अवस्था की पूर्ण जानकारी देता है| श्रोडिंगर समीकरण ना केवल परमाणु, आणविक और उपपरमाण्विक अवस्था की जानकारी देता है बल्कि मैक्रो सिस्टम (स्थूल-काय), सम्भवतः पूरे ब्रह्मांड की जानकारी भी देता है| .

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स्थैतिकी

स्थैतिक संतुलन में स्थित एक धरन (बीम) - सभी बलों का योग शून्य है; इसी प्रकार सभी आघूर्णों का योग भी शून्य है। स्थैतिकी या स्थिति विज्ञान (Statics) यांत्रिकी की वह शाखा है जिसमें भौतिक वस्तुओं पर लगे लोडों (बलों एवं आघूर्णों) की उपस्थिति में उसके स्थैतिक संतुलन (static equilibrium) का अध्ययन किया जाता है। .

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स्वनविज्ञान

स्वानिकी या स्वनविज्ञान (Phonetics), भाषाविज्ञान की वह शाखा है जिसके अंतर्गत मानव द्वारा बोली जाने वाली ध्वनियों का अध्ययन किया जाता है। यह बोली जाने वाली ध्वनियों के भौतिक गुण, उनके शारीरिक उत्पादन, श्रवण ग्रहण और तंत्रिका-शारीरिक बोध की प्रक्रियाओं से संबंधित है। .

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जल इंजीनियरी

द्रविकी का अन्य विधाओं से सम्बन्ध द्रविकी (Hydraulics / 'द्रवविज्ञान' या जल इंजीनियरी अथवा द्रव इंजीनियरी) के अंतर्गत तरल पदार्थों के प्रवाह के गुणधर्म का अध्ययन करती है। प्रौद्योगिकी में द्रविकी का उपयोग अन्य कार्यों के अलावा संकेत, बल या ऊर्जा के संचरण (ट्रांसमिशन) के लिये किया जाता है। द्रविकी में इंजीनियरी के उपतत्वों का विचार आ जाता है जिनके अंतर्गत जल, वायु तथा तैल और अन्य रासायनिक विलयनों का उपयोग प्राकृतिक दशा में या दबाव के अंदर होता है। इन द्रवों के प्राकृतिक गुणों का, जैसे घनत्व, श्यानता, प्रत्यास्थता और पृष्ठ तनाव आदि, के ऊपर इंजीनियरी के समस्त अभिकल्प निर्भर होते हैं, क्योंकि सारे द्रवों का आधारभूत व्यवहार एक सा ही होता है। जल इंजीनियरी के और भी बहुत से विशेष अंग हैं जिनका विवरण उन विशेष अंगों के अंतर्गत मिल सकता है। जल इंजीनियरी में मुख्यत: जल का स्थिर दबाव, उसकी गति तथा उसका प्रभाव, उसके द्वारा चालित यंत्र जल का मापन आदि विषयों का विचार आ जाता है। .

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जैवभौतिकी

जैवभौतिकी (Biophysics) एक अन्तरविषयी विज्ञान है जो जीववैज्ञानिक तन्त्रों के अध्ययन के लिये भौतिकी की विधियों का सहारा लेता है। श्रेणी:भौतिकी श्रेणी:चिकित्साविज्ञान *.

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खगोलीय यांत्रिकी

खगोलीय यांत्रिकी (Celestial mechanics) में आकाशीय पिंडों (heavenly bodies) की गतियों के गणितीय सिद्धांतों का विवेचन किया जाता है। न्यूटन द्वारा प्रिंसिपिया में उपस्थापित गुरुत्वाकर्षण नियम तथा तीन गतिनियम खगोलीय यांत्रिकी के मूल आधार हैं। इस प्रकार इसमें विचारणीय समस्या द्वितीय वर्ण के सामान्य अवकल समीकरणों के एक वर्ग के हल करने तक सीमित हो जाती है। .

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कण भौतिकी

कण भौतिकी, भौतिकी की एक शाखा है जिसमें मूलभूत उप परमाणविक कणो के पारस्परिक संबन्धो तथा उनके अस्तित्व का अध्ययन किया जाता है, जिनसे पदार्थ तथा विकिरण निर्मित हैं। हमारी अब तक कि समझ के अनुसार कण क्वांटम क्षेत्रों के उत्तेजन (excitations) हैं। दूसरे कणों के साथ इनकी अन्तःक्रिया की अपनी गतिकी है। कण भौतिकी के क्षेत्र में अधिकांश रुचि मूलभूत क्षेत्रों (fundamental fields) में है। मौलिक क्षेत्रों और उनकी गतिशीलताओ के सार को सिद्धान्त के रूप में प्रस्तुत किया गया है। इसिलिये कण भौतिकी में अधिकतर स्टैंडर्ड मॉडल (Standard Model) के मूल कणों तथा उनके सम्भावित विस्तार के बारे में अध्यन किया जाता है। .

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अनुप्रयुक्त यांत्रिकी

अनुप्रयुक्त यांत्रिकी (Applied mechanics) भौतिक विज्ञानों की की वह शाखा है जिसमें यांत्रिकी के व्यावहारिक उपयोगों का अध्ययन किया जाता है। अनुप्रयुक्त यांत्रिकी भौतिक विज्ञान की शाखा यांत्रिकी का व्यावहारिक अनुप्रयोग है। अनुप्रयुक्त यांत्रिकी मे विष्लेषण मुल रूप से गतिज एवम स्थैतिज विष्लेषण का समागम है। अभियान्त्रिक यान्त्रिकी (अन्ग्रेजी में Engineering Mechanics) किसी पिण्ड पर बाहरी बल लगाये जाने पर दी जाने वाली प्रतिक्रिया का गणितीय समीकरणो के माध्यम से निरिक्षण करता है। अनुप्रयुक्त यान्त्रिकी निकायों के कुछ उदाहरण तरल के प्रवाह, बाहरी बल के आवेदन से एक ठोस का फ्रैक्चर, या ध्वनि के प्रतिक्रिया स्वरुप् कान का कंपन शामिल हैं। अनुप्रयुक्त यांत्रिकी के अध्यन्कर्ता को अन्ग्रेजी में mechanician कहा जाता है। जैसा की नाम प्रदर्शित करता है अनुप्रयुक्त यांत्रिकी, यांत्रिकी विज्ञान के सिद्धांतो का, प्रायोगिक तकनिकी क्षेत्र मे, के बीच की खायी को भरता है। अनुप्रयुक्त यांत्रिकी ईन्जिनियरिन्ग के कयी सारे शाखाओ मे मुलभुत रूप से प्रयुक्त होता है। सर आइसेक न्युटन को सिद्धान्तिक यन्त्रिकी का पिता माना जाता है उसी प्रकार टिमोशेन्को को अनुप्रयुक्त यांत्रिकी का पिता माना जाता है। .

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अल्बर्ट आइंस्टीन

अल्बर्ट आइंस्टीन (Albert Einstein; १४ मार्च १८७९ - १८ अप्रैल १९५५) एक विश्वप्रसिद्ध सैद्धांतिक भौतिकविद् थे जो सापेक्षता के सिद्धांत और द्रव्यमान-ऊर्जा समीकरण E .

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