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माही-माही

सूची माही-माही

माही-माही (Mahi-mahi), जिसे साधारण डोल्फ़िनफ़िश (common dolphinfish) या दोरादो (Dorado) और जीववैज्ञानिक भाषा में कोरिफ़ेना हिप्युरस (Coryphaena hippurus) भी कहा जाता है, समुद्र-सतह के पास तैरने वाली एक किरण-फ़िन मछली है जो विश्वभर में पाई जाती है। यह कोरिफ़ेना जीववैज्ञानिक गण की दो सदस्य जातियों में से एक है। माही-माही समुद्र में सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली मछिलियों में से एक है और इसका आकार ६ फ़ुट लम्बा और वज़न ४० किलो तक पहुँच सकता है। इसलिए अन्य मछलियाँ इसका बहुत शिकार करती हैं और मछुआरे भी इन्हें बहुत पकड़ते हैं।, Maurice Burton, Robert Burton, pp.

12 संबंधों: ऐक्टिनोप्टरिजियाए, पर्सिफ़ोर्मेज़, प्राणी, रज्जुकी, स्तनधारी, सूंस, हवाईवी भाषा, जाति (जीवविज्ञान), गण (जीवविज्ञान), कार्ल लीनियस, कोरिफ़ेना, कोरिफ़ेनिडाए

ऐक्टिनोप्टरिजियाए

ऐक्टिनोप्टरिजियाए (Actinopterygii) या किरण-फ़िन मछलियाँ (ray-finned fishes) वह हड्डीदार मछलियाँ होती हैं जिनके फ़िन (पर) का ढांचा उनके धड़ से किरणों की तरह निकलती कई हड्डियों से बना होता है जिसके ऊपर मांस और त्वचा लगी होती है। इनके विपरीत हड्डीदार मछलियों की दूसरी मुख्य श्रेणी है, जिसे सार्कोप्टरिजियाए (Sarcopterygii) या लोब-फ़िन मछलियाँ (lobe-finned fishes) कहते हैं, जिनमें फ़िन केवल एक मुख्य हड्डी से उनके धड़ से जुड़े होते है और उस हड्डी के इर्द-गिर्द फ़िन एक लोब (पालि) की तरह बना होता है।, Reed Wicander, James S. Monroe, pp.

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पर्सिफ़ोर्मेज़

पर्सिफ़ोर्मेज़ (Perciformes) कशेरुकी जन्तुओं (रीढ़ की हड्डी वाले) का सबसे बड़ा जीववैज्ञानिक गण है जिसमें लगभग ४०% हड्डीदार मछलियाँ आती हैं। लातिनी भाषा में 'पर्सिफ़ोर्मेज़' का मतलब 'पर्च-जैसी' होता है। यह मछलियाँ किरण-फ़िन मछलियों के जीववैज्ञानिक वर्ग का भाग हैं और इसमें लगभग सभी जलीय वातावरणों में मिलने वाली लगभग १०,००० मछलियों की जातियाँ आती हैं। पर्सिफ़ोर्मेज़ मछलियों के आकार में भी किसी भी अन्य कशेरुकी गण से अधिक विवधता है: कुछ जातियाँ केवल ७ मिलीमीटर और कुछ १६ फ़ुट (५ मीटर​) तक लम्बी होती हैं।, Thomas Scott, pp.

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प्राणी

प्राणी या जंतु या जानवर 'ऐनिमेलिया' (Animalia) या मेटाज़ोआ (Metazoa) जगत के बहुकोशिकीय और सुकेंद्रिक जीवों का एक मुख्य समूह है। पैदा होने के बाद जैसे-जैसे कोई प्राणी बड़ा होता है उसकी शारीरिक योजना निर्धारित रूप से विकसित होती जाती है, हालांकि कुछ प्राणी जीवन में आगे जाकर कायान्तरण (metamorphosis) की प्रकिया से गुज़रते हैं। अधिकांश जंतु गतिशील होते हैं, अर्थात अपने आप और स्वतंत्र रूप से गति कर सकते हैं। ज्यादातर जंतु परपोषी भी होते हैं, अर्थात वे जीने के लिए दूसरे जंतु पर निर्भर रहते हैं। अधिकतम ज्ञात जंतु संघ 542 करोड़ साल पहले कैम्ब्रियन विस्फोट के दौरान जीवाश्म रिकॉर्ड में समुद्री प्रजातियों के रूप में प्रकट हुए। .

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रज्जुकी

रज्जुकी (संघ कॉर्डेटा) जीवों का एक समूह है जिसमें कशेरुकी (वर्टिब्रेट) और कई निकट रूप से संबंधित अकशेरुकी (इनवर्टिब्रेट) शामिल हैं। इनका इस संघ मे शामित होना इस आधार पर सिद्ध होता है कि यह जीवन चक्र मे कभी न कभी निम्न संरचनाओं को धारण करते हैं जो हैं, एक पृष्ठ‍रज्जु (नोटोकॉर्ड), एक खोखला पृष्ठीय तंत्रिका कॉर्ड, फैरेंजियल स्लिट एक एंडोस्टाइल और एक पोस्ट-एनल पूंछ। संघ कॉर्डेटा तीन उपसंघों मे विभाजित है: यूरोकॉर्डेटा, जिसका प्रतिनिधित्व ट्युनिकेट्स द्वारा किया जाता है; सेफालोकॉर्डेटा, जिसका प्रतिनिधित्व लैंसलेट्स द्वारा किया जाता है और क्रेनिएटा, जिसमे वर्टिब्रेटा शामिल हैं। हेमीकॉर्डेटा को चौथे उपसंघ के रूप मे प्रस्तुत किया जाता है पर अब इसे आम तौर पर एक अलग संघ के रूप में जाना जाता है। यूरोकॉर्डेट के लार्वा में एक नोटॉकॉर्ड और एक तंत्रिका कॉर्ड पायी जाती है पर वयस्क होने पर यह लुप्त हो जातीं हैं। सेफालोकॉर्डेट एक नोटॉकॉर्ड और एक तंत्रिका कॉर्ड पायी जाती है लेकिन कोई मस्तिष्क या विशेष संवेदना अंग नहीं होता और इनका एक बहुत ही सरल परिसंचरण तंत्र होता है। क्रेनिएट ही वह उपसंघ है जिसके सदस्यों में खोपड़ी मिलती है। इनमे वास्तविक देहगुहा पाई जाती है। इनमे जनन स्तर सदैव त्री स्तरीय पाया जाता है। सामान्यत लैंगिक जनन पाया जाता है। सामान्यत प्रत्यक्ष विकास होता है। इनमे RBC उपस्थित होती है। इनमे द्वीपार्शविय सममिती पाई जाती है। इसके जंतु अधिक विकसित होते है। श्रेणी:जीव विज्ञान *.

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स्तनधारी

यह प्राणी जगत का एक समूह है, जो अपने नवजात को दूध पिलाते हैं जो इनकी (मादाओं के) स्तन ग्रंथियों से निकलता है। यह कशेरुकी होते हैं और इनकी विशेषताओं में इनके शरीर में बाल, कान के मध्य भाग में तीन हड्डियाँ तथा यह नियततापी प्राणी हैं। स्तनधारियों का आकार २९-३३ से.मी.

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सूंस

सूंस। सूंस (डॉल्फिन) समुद्री स्तनधारी जीव हैं और तिमि तथा शिंशुमार के निकट संबंधी हैं। इनके १७ वंश और ४० प्रजातियां हैं। इनका आकार १.२ मी (४ फीट) एवं ४०० कि.ग्रा (माउई सूंस) से लेकर ९.५ मी (३० फीट) १० टन (ऑर्का या किलर व्हेल) तक हो सकता है। ये विश्व भर में पाई जाती हैं, खास तौर पर महाद्वीपीय जलसीमा के उथले सागरीय क्षेत्रों में। ये मांसाहारी होती हैं और छोटी मछलियों और विद्रूपों को खाती हैं। सीटेसियन गण में डेल्फिनिडि सबसे बड़ा और अपेक्षाकृत नवीन कुल है। सूंसो का प्रादुर्भाव पृथ्वी पर लगभग १ करोड़ वर्ष पहले मियोसीन काल के दौरान हुआ था। सूंस पृथ्वी के कुछ सबसे अधिक बुद्धिमान जीवों में से एक है और उनके अक्सर दोस्ताना व्यवहार और हमेशा खुश रहने की आदत ने उन्हें मानवो के बीच खासा लोकप्रिय बना दिया है। गंगा नदी में पायी जाने वाली सूंस को भारत सरकार ने भारत का राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया है। .

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हवाईवी भाषा

हवाईवी भाषा (अंग्रेज़ी: Hawaiian language; हवाईवी: ʻŌlelo Hawaiʻi, ओलेलो हवाइ'इ) प्रशांत महासागर में स्थित हवाई द्वीपसमूह में बोली जाने वाली एक पॉलिनीशियाई भाषा है। यह उस द्वीपसमूह के सबसे बड़े द्वीप पर, जिसका नाम भी 'हवाई' है, विकसित हुई थी।, Lorrin Andrews, pp.

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जाति (जीवविज्ञान)

जाति (स्पीशीज़) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण की सबसे बुनियादी और निचली श्रेणी है जाति (अंग्रेज़ी: species, स्पीशीज़) जीवों के जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में सबसे बुनियादी और निचली श्रेणी होती है। जीववैज्ञानिक नज़रिए से ऐसे जीवों के समूह को एक जाति बुलाया जाता है जो एक दुसरे के साथ संतान उत्पन्न करने की क्षमता रखते हो और जिनकी संतान स्वयं आगे संतान जनने की क्षमता रखती हो। उदाहरण के लिए एक भेड़िया और शेर आपस में बच्चा पैदा नहीं कर सकते इसलिए वे अलग जातियों के माने जाते हैं। एक घोड़ा और गधा आपस में बच्चा पैदा कर सकते हैं (जिसे खच्चर बुलाया जाता है), लेकिन क्योंकि खच्चर आगे बच्चा जनने में असमर्थ होते हैं, इसलिए घोड़े और गधे भी अलग जातियों के माने जाते हैं। इसके विपरीत कुत्ते बहुत अलग आकारों में मिलते हैं लेकिन किसी भी नर कुत्ते और मादा कुत्ते के आपस में बच्चे हो सकते हैं जो स्वयं आगे संतान पैदा करने में सक्षम हैं। इसलिए सभी कुत्ते, चाहे वे किसी नसल के ही क्यों न हों, जीववैज्ञानिक दृष्टि से एक ही जाति के सदस्य समझे जाते हैं।, Sahotra Sarkar, Anya Plutynski, John Wiley & Sons, 2010, ISBN 978-1-4443-3785-3,...

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गण (जीवविज्ञान)

कुल आते हैं गण (अंग्रेज़ी: order, ऑर्डर; लातिनी: ordo, ओर्दो) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में जीवों के वर्गीकरण की एक श्रेणी होती है। एक गण में एक-दुसरे से समानताएँ रखने वाले कई सारे जीवों के कुल आते हैं। ध्यान दें कि हर जीववैज्ञानिक कुल में बहुत सी भिन्न जीवों की जातियाँ-प्रजातियाँ सम्मिलित होती हैं।, David E. Fastovsky, David B. Weishampel, pp.

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कार्ल लीनियस

कार्ल लीनियस (लैटिन: Carolus Linnaeus) या कार्ल वॉन लिने (२३ मई १७०७ - १० जनवरी १७७८) एक स्वीडिश वनस्पतिशास्त्री, चिकित्सक और जीव विज्ञानी थे, जिन्होने द्विपद नामकरण की आधुनिक अवधारणा की नींव रखी थी। इन्हें आधुनिक वर्गिकी (वर्गीकरण) के पिता के रूप में जाना जाता है साथ ही यह आधुनिक पारिस्थितिकी के प्रणेताओं मे से भी एक हैं। .

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कोरिफ़ेना

कोरिफ़ेना (Coryphaena), जो डोल्फ़िनफ़िश (dolphinfish) भी कहलाती है, किरण-फ़िन मछलियों का एक जीववैज्ञानिक वंश है। यह वंश कोरिफ़ेनिडाए (Coryphaenidae) गण के अंतर्गत आता है और उसका एकलौता सदस्य वंश है। इसमें आने वाली मछली जातियाँ चपटे सिर और पीठ पर एक लम्बा फ़िन रखती हैं। वास्तव में इनका डोल्फ़िनों के साथ कोई जीववैज्ञानिक सम्बन्ध नहीं है। डॉलफ़िनफ़िश समुद्र में सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली मछिलियों में से एक है और इसका आकार ६ फ़ुट लम्बा और वज़न ४० किलो तक पहुँच सकता है। इसलिए अन्य मछलियाँ इसका बहुत शिकार करती हैं और मछुआरे भी इन्हें बहुत पकड़ते हैं। क्योंकि डॉलफ़िन एक बुद्धिमान स्तनधारी माना जाता है इसलिए बहुत से लोग उसे खाना नापसंद करते हैं इसलिए डॉलफ़िनफ़िश को अक्सर 'माही-माही' के नाम से बेचा जाता है ताकि लोग इसे ग़लती से डॉलफ़िन न समझ बैठें।, Maurice Burton, Robert Burton, pp.

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कोरिफ़ेनिडाए

कोरिफ़ेनिडाए (Coryphaenidae) समुद्र में मिलने वाली पर्सिफ़ोर्मेज़​ गण की किरण-फ़िन मछलियाँ हैं। इस गण में केवल एक ही 'कोरिफ़ेना' (Coryphaena) नामक वंश आता है जिसमें दो जीववैज्ञानिक जातियाँ हैं। इन मछिलयों की सबसे बड़ी पहचान एक बड़ा, चकोर लेकिन चपटा सिर, दो गहरे काँटों वाली दुम और पीठ पर शरीर के आगे से लेकर अंत तक चलने वाला एक फ़िन होतीं हैं। इसे आम भाषा में 'डॉलफ़िनफ़िश' (Dolphinfish) कहा जाता है हालांकि इस मछली का डॉलफ़िन (सूंस) से कोई सम्बन्ध नहीं है - डॉलफ़िन वायु से सांस लेने वाली एक स्तनधारी होती है जबकि डॉलफ़िनफ़िश पानी में सांस लेने वाली एक मछली है। डॉलफ़िनफ़िश समुद्र में सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली मछिलियों में से एक है और इसका आकार ६ फ़ुट लम्बा और वज़न ४० किलो तक पहुँच सकता है। इसलिए अन्य मछलियाँ इसका बहुत शिकार करती हैं और मछुआरे भी इन्हें बहुत पकड़ते हैं। क्योंकि डॉलफ़िन एक बुद्धिमान स्तनधारी माना जाता है इसलिए बहुत से लोग उसे खाना नापसंद करते हैं इसलिए डॉलफ़िनफ़िश को अक्सर 'माही-माही' के नाम से बेचा जाता है ताकि लोग इसे ग़लती से डॉलफ़िन न समझ बैठें।, Maurice Burton, Robert Burton, pp.

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