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चरघातांकी क्षय

सूची चरघातांकी क्षय

चरघातांकी क्षय से गुजरने वाली एक राशी। क्षय नियतांक का मान जितना अधिक होगा राशी का मान उतना ही तेजी से कम होगा। उपरोक्त ग्राफ में x को 0 से 5 तक परिवर्तित करने पर समबंधित क्षय नियतांक (λ) के 25, 5, 1, 1/5 और 1/25 के क्षय जो दिखाया गया है। एक राशी को चरघातांकी क्षय के रूप में अध्ययन किया जायेगा यदि राशी अपनी वर्तमान मान के अनुक्रमानुपाती कम हो रही है अर्थात इसके मान की कम होने की दर इसके वर्तमान मान के अनुक्रमानुपाती है। गणितीय रूप में उपरोक्त कथन को निम्न अवकल समीकरण द्वारा व्यक्त किया जा सकता है, जहाँ N मात्रा है और λ (लैम्डा) एक धनात्मक संख्या है जिसे क्षय नियतांक कहते हैं: उपरोक्त समीकरण का हल निम्न है: चरघातांकी परिवर्तन की दर यहाँ N(t) समय t पर मात्रा है और N0 .

5 संबंधों: चरघातांकी फलन, पोलोनियम, रेडियोसक्रियता, अर्धायु काल, E (गणितीय नियतांक)

चरघातांकी फलन

गणित में चरघातांकी फलन एक ऐसा फलन है जिसका अवकलज उसी के बराबर होता है। अर्थात किसी बिन्दु पर इस फलन के वृद्धि की दर उस बिन्दु पर इस फलन के मान के बराबर होती है। इस फलन को e^x से निरुपित किया जाता है जहाँ e एक अपरिमेय संख्या है जिसका मान लगभग 2.718281828 के बराबर होता है। इस फलन को प्रायः exp(x) भी लिखते हैं .

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पोलोनियम

पोलोनियम एक रासायनिक तत्व है। इसकी खोज सन् १८९८ में मेरी क्युरी और प्येर क्युरी ने की थी। श्रेणी:पोलोनियम श्रेणी:विषविज्ञान श्रेणी:रासायनिक तत्व श्रेणी:संक्रमणोपरांत धातु श्रेणी:धातु श्रेणी:काल्कोजन.

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रेडियोसक्रियता

अल्फा, बीटा और गामा विकिरण की भेदन क्षमता अलग-अलग होती है। रेडियोसक्रियता (रेडियोऐक्टिविटी / radioactivity) या रेडियोधर्मिता वह प्रकिया होती है जिसमें एक अस्थिर परमाणु अपने नाभिक (न्यूक्लियस) से आयनकारी विकिरण (ionizing radiation) के रूप में ऊर्जा फेंकता है। ऐसे पदार्थ जो स्वयं ही ऐसी ऊर्जा निकालते हों विकिरणशील या रेडियोधर्मी कहलाते हैं। यह विकिरण अल्फा कण (alpha particles), बीटा कण (beta particle), गामा किरण (gamma rays) और इलेक्ट्रॉनों के रूप में होती है। ऐसे पदार्थ जिनकी परमाण्विक नाभी स्थिर नहीं होती और जो निश्चित मात्रा में आवेशित कणों को छोड़ते हैं, रेडियोधर्मी (रेडियोऐक्टिव) कहलाते हैं। .

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अर्धायु काल

अर्धायु काल, क्षय होते हुए किसी तत्त्व का वो काल होता है; जिसमें वो तत्त्व मूल मात्रा से आधा हो जाये। ये नाम पहले अस्थिर परमाणुओं (रेडियोधर्मी क्षय) के लिए प्रयोग किया जाता था, किन्तु अब इसे किसी भी निश्चित क्षय वाले तत्त्व के लिए प्रयोग किया जाता है। यह मूल शब्द १९०७ में अर्धायु काल के नाम से प्रयुक्त हुआ था, जिसे बाद में १९५० में घटा कर अर्धायु कर दिया गया। .

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E (गणितीय नियतांक)

गणित में e एक प्रागनुभविक संख्या है। इसका मान लगभग 2.71828 है। इसको यदाकदा 'आयलर संख्या' (Euler's number) भी कहते हैं। e एक महत्त्वपूर्ण गणितीय नियतांक है। प्राकृतिक लघुगणक का आधार यही संख्या ली जाती है। .

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