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महाराजा रायसिंह

सूची महाराजा रायसिंह

महाराजा रायसिंह जिन्होंने (१५७४ से १६१२) तक शासन किया था। राव कल्याणमल की मृत्यु के बाद राव रायसिंह को बीकानेर का शासक बनाया गया। इन्होंने १५९४ में बीकानेर के सुदृढ़ जूनागढ़ दुर्ग का निर्माण करवाया था । इन्होंने किले के भीतर एक प्रशस्ति लिखवाई जिसे अब रायसिंह प्रशस्ति कहते हैं। सन् १६१२ में "दक्षिण भारत (बुरहानपुर) में इनका निधन हुआ था। .

सामग्री की तालिका

  1. 4 संबंधों: प्रशस्ति, बुरहानपुर, बीकानेर, जूनागढ़ दुर्ग

प्रशस्ति

किसी व्यक्ति या वस्तु की प्रशंसा में लिखा गया भाषण या ग्रन्थ प्रशस्ति (eulogy) कहलाता है। प्रशस्ति वंश के बारे में भी बताती है, इनका प्रयोग राजा या बड़े प्रधान द्वारा की जाती थी, ये अपने आत्म सम्मान में बड़े-बड़े प्रशस्तिया लिखवाते थे,एसे ही प्रशस्ति हमें गुप्तवंश के पहले शासक चंद्रगुप्त की मिलती है।.

देखें महाराजा रायसिंह और प्रशस्ति

बुरहानपुर

बुरहानपुर भारत के मध्य प्रदेश का एक प्रमुख शहर है। बुरहानपुर मध्य प्रदेश में ताप्ती नदी के किनारे पर स्थित एक नगर है। यह ख़ानदेश की राजधानी था। इसको चौदहवीं शताब्दी में ख़ानदेश के फ़ारूक़ी वंश के सुल्तान मलिक अहमद के पुत्र नसीर द्वारा बसाया गया। .

देखें महाराजा रायसिंह और बुरहानपुर

बीकानेर

बीकानेर राजस्थान राज्य का एक शहर है। बीकानेर राज्य का पुराना नाम जांगल देश था। इसके उत्तर में कुरु और मद्र देश थे, इसलिए महाभारत में जांगल नाम कहीं अकेला और कहीं कुरु और मद्र देशों के साथ जुड़ा हुआ मिलता है। बीकानेर के राजा जंगल देश के स्वामी होने के कारण अब तक "जंगल धर बादशाह' कहलाते हैं। बीकानेर राज्य तथा जोधपुर का उत्तरी भाग जांगल देश था राव बीका द्वारा १४८५ में इस शहर की स्थापना की गई। ऐसा कहा जाता है कि नेरा नामक व्यक्ति गड़रिया था, जब राव बीका ने नेरा से एक शुभ जगह के बारे में पूछा तो उसने इस जगह के बारे में एक जवाब दिया उसने कहा की इस जगह पर मेरी एक भेड़ का मेमना ३ दिन तक भेड़ के साथ ७ सियारों के बीच एकला रहा और सियारों ने भेड़ और उसके बच्चे को कोई नुकसान नहीं पहुचायां और उसने इस बात के साथ एक शर्त रख दी की उसके नाम को नगर के नाम के साथ जोड़ा जाए। इसी कारण इसका नाम बीका+नेर, बीकानेर पड़ा। अक्षय तृतीया के यह दिन आज भी बीकानेर के लोग पतंग उड़ाकर स्मरण करते हैं। बीकानेर का इतिहास अन्य रियासतों की तरह राजाओं का इतिहास है। ने नवीन बीकानेर रेल नहर व अन्य आधारभूत व्यवस्थाओं से समृद्ध किया। बीकानेर की भुजिया मिठाई व जिप्सम तथा क्ले आज भी पूरे विश्व में अपनी विशिष्ट पहचान रखती हैं। यहां सभी धर्मों व जातियों के लोग शांति व सौहार्द्र के साथ रहते हैं यह यहां की दूसरी महत्वपूर्ण विशिष्टता है। यदि इतिहास की बात चल रही हो तो इटली के टैसीटोरी का नाम भी बीकानेर से बहुत प्रेम से जुड़ा हुआ है। बीकानेर शहर के ५ द्वार आज भी आंतरिक नगर की परंपरा से जीवित जुड़े हैं। कोटगेट, जस्सूसरगेट, नत्थूसरगेट, गोगागेट व शीतलागेट इनके नाम हैं। बीकानेर की भौगोलिक स्तिथि ७३ डिग्री पूर्वी अक्षांस २८.०१ उत्तरी देशंतार पर स्थित है। समुद्र तल से ऊंचाई सामान्य रूप से २४३मीटर अथवा ७९७ फीट है .

देखें महाराजा रायसिंह और बीकानेर

जूनागढ़ दुर्ग

जूनागढ़ दुर्ग, राजस्थान के बीकानेर में स्थित है। मूलतः इसका नाम चिन्तामणि था। यह राजस्थान के उन मुख्य दुर्गों में से एक है जो पहाड़ी पर नहीं बने हैं।Michell p.

देखें महाराजा रायसिंह और जूनागढ़ दुर्ग