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मनोग्रसित-बाध्यता विकार

सूची मनोग्रसित-बाध्यता विकार

मनोग्रसित-बाध्यता विकार से ग्रसित कुछ लोग बार-बार हाथ धोते हैं। मनोग्रसित-बाध्यता विकार (Obsessive–compulsive disorder /OCD) एक तरह का चिन्ता विकार है। इस विकार से ग्रसित व्यक्ति एक ही चीज की बार-बार जाँच करने की आवश्यकता अनुभव करता है, कुछ विशेष कामों को बार-बार करता है (जैसे बार-बार हाथ धोना), या कुछ विचार उसके मन में बार-बार आते हैं। अर्थात उस व्यक्ति में बाध्यताओं (कम्पल्सन्स) या मनोग्रस्तियों के लक्षण पाए जाते हैं। ऐसे अन्तर्वेधी (intrusive) विचार आते हैं जिनके कारण बेचैनी, डर, चिन्ता पैदा होती है। इस विकार से ग्रसित व्यक्ति जो काम प्रायः करते हैं, वे ये हैं- बार-बार हाथ धोना, बार-बार वस्तुओं को गिनना, बार-बार जाकर देखना कि दरवाजा बन्द है कि नहीं। ये क्रियाएँ वह इतनी बार करता है कि उसका दैनिक जीवन ही प्रभावित होने लगता है। प्रायः दिन भर में इन कामों में वह कम से कम एक घण्टा तो खपा ही देता है। अधिकांध वयस्क लोगों को यह लगता भी है कि ऐसा व्यवहार का कोई मतलब नहीं है। इसके प्रमुख लक्षण हैं-.

सामग्री की तालिका

  1. 6 संबंधों: चिंता, डर, दुश्चिंता, मनोचिकित्सा, राँची, केन्द्रीय मनश्चिकित्सा संस्थान

  2. रीति

चिंता

चिंता संज्ञानात्मक, शारीरिक, भावनात्मक और व्यवहारिक विशेषतावाले घटकों की मनोवैज्ञानिक और शारीरिक दशा है।सेलिगमैन, एम्.इ.पी., वॉकर, इ.ऍफ़.

देखें मनोग्रसित-बाध्यता विकार और चिंता

डर

डर एक नकारात्मक भावना है। डर संभावित खतरे के लिए एक सहज वृत्ति प्रतिक्रिया के रूप में सभी जानवरों और लोगों में पूर्व क्रमादेशित एक ऐसी भावना है। यह भावना हमेशा अनुकूली नहीं है। यह एक अच्छी भावना नहीं है; कोई आजादी, खुशी नहीं है। यह कई रूपों में प्रकट होता है। सबसे आम अभिव्यक्ति गुस्सा है। आपका जीवन डर के जीत के लिए एक संघर्ष है। डर के विपरीत, एकता के बारे में जागरूकता है। डर के सबसे शक्तिशाली जनरेटर मृत्यु की अवधारणा है। डर हम सब एक समय पर महसूस करते हैं। यह बच्चों के रूप में सबसे पहले अनुभव किया जाता है। ज्यादातर लोगों को डर एक अप्रिय भावना लगती है। खतरे की उपस्थिति या निकटस्थता की वजह से एक बहुत अप्रिय भावना को डर केहते हैं। भय, मानव प्रजाति द्वारा अनुभव किया जाता है, यह एक पूरी तरह से अपरिहार्य भावना है। भय की हद और सीमा व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बदलता है, लेकिन भावना एक ही है। यह प्रत्याशा के कारण होता है। डर में कुछ आम चेहरे के भाव -- डरा हुआ चेहरा, बड़ी आंखें, खुला मुंह आदि। अंधविश्वासी, बुद्घिमान, और अनिश्चितता: भय के तीन अलग अलग प्रकार होते हैं। अंधविश्वासी डर काल्पनिक चीजों का एक भय है। बुद्घिमान डर बड़े हो जाने पर और उसके दुनिया का अधिक ज्ञान लाभ के रूप में आता है। अनिश्चितता के डर से एक के कार्रवाई के परिणाम का ना पता चलना होता है। डर एक खतरनाक प्रोत्साहन की उपस्थिति, या प्रत्याशा में एक भावनात्मक राज्य है। कुछ भय कंडीशनिंग प्रक्रिया के माध्यम से हासिल किया जाता है। कुछ माता पिता और भाई के भय के नकल के माध्यम से सीखा रहे जाता है। इन्सानों एवं जानवरों में एक एेसी भावना है जो अनुभूति द्वारा संग्राहक होती है। जब वस्तुओं या घटनाओं के लिए भय तर्कहीन हो जाता है तो उसे "फोबिया" कहा जाता है। डर इन्सानों मैं तब देखा जाता है जब उन्हें किसी वस्तु से किसी प्रकार का जोखिम महसूस होता हो। यह जोख़िम किसी भी प्रकार का हो सकता है- स्वास्थ्य,धन,निजी सुरक्षा,आदि। डर शब्द "फिर" से उत्पन्न हुआ जिसका अर्थ है आपदा या खतरा। अमेरिका में दस प्रकार के डर हैं-- आतंकवादी हमले, मकडियाँ, मौत,असफलता, युद्ध या आपराधिक हालात, अकेलापन, भविष्य या परमाणु युद्ध आदि। .

देखें मनोग्रसित-बाध्यता विकार और डर

दुश्चिंता

दुश्चिंता (या, व्यग्रता विकार या घबराहट) (अंग्रेज़ी:Anxiety disorder) एक प्रकार का मनोरोग है। साधारण शब्दों में चिंता या घबराहट आने वाले समय में कुछ बुरा या खराब घटने की आशंका होना है जबकि इनका कोई वास्तविक आधार नहीं होता। थोड़ी-बहुत चिन्ता सभी को होती है और यह हमारे लक्ष्य की प्राप्ति या सफलता के लिए आवश्यक भी है। यदि चिंता बहुत बढ़ जाती है और इसके व्यापक दुष्प्रभाव व्यक्ति के पारिवारिक, सामाजिक और आर्थिक जीवन पर पड़ने लगता है तो हम इसे घबराहट और चिंता रोग (Anxiety Disorder) कहते हैं। .

देखें मनोग्रसित-बाध्यता विकार और दुश्चिंता

मनोचिकित्सा

किसी मनोचिकित्सक द्वारा किसी मानसिक रोगी के साथ सम्बन्धपूर्वक बातचीत एवं सलाह मनोचिकित्सा या मनश्चिकित्सा (Psychotherapy) कहलाती है। यह लोगों की व्यवहार सम्बन्धी विविध समस्याओं में बहुत उपयोगी होती है। मनोचिकित्सक कई तरह की तकनीकें प्रयोग करते हैं, जैसे- प्रायोगिक सम्बन्ध-निर्माण, संवाद, संचार तथा व्यवहार-परिवर्तन आदि। इनसे रोगी का मानसिक-स्वास्थ्य एवं सामूहिक-सम्बन्ध (group relationships) सुधरते हैं। डॉ॰ विक्टर फ्रैंकलिन ने गहन अध्ययन के बाद यह निष्कर्ष निकाला कि पूरा मनोविज्ञान और मनोचिकित्सा की पद्धति जीवन की सार्थकता के विचार पर ही आधारित होती हैं। मनोचिकित्सा शास्त्र में किसी रोगी की बुनियादी दिक्कतों को समझने की कोशिश की जाती है। आधुनिक समाज में हम वास्तविक खुशियों से दूर होते जा रहे हैं। आधुनिकता का सही मतलब हम नहीं समझते हैं। जीवन के लिए क्या और कितना जरूरी है। क्या गैर-जरूरी है। आंख मूंद कर, तर्क किए बगैर हम चीजों का अनुसरण करने लग जाते हैं। जीवन का लुत्फ उठाना और पीड़ा की उपेक्षा करना ही केवल मनुष्य को प्रेरित नहीं करती है। मनोचिकित्सा या एक मनोचिकित्सक के साथ व्यक्तिगत परामर्श, एक साभिप्राय अंतर्वैयक्तिक सम्बन्ध होता है, जिसका प्रयोग प्रशिक्षित मनोचिकित्सक एक ग्राहक या रोगी की जीवनयापन संबंधी समस्याओं के निवारण में सहायता के लिए करते हैं। इसका उद्देश्य किसी व्यक्ति में अपने कल्याण के प्रति भावना को बढाना होता है। मनोचिकित्सक अनुभवजनित सम्बन्ध निर्माण, संवाद, संचार और व्यवहार पर आधारित तकनीकों की एक विस्तृत श्रंखला का प्रयोग करते हैं, इन तकनीकों की संरचना ग्राहक या रोगी के मानसिक स्वास्थ अथवा समूह के साथ उसके व्यवहार में सुधार करने वाली होती है, (जैसे परिवार में रोगी का व्यवहार).

देखें मनोग्रसित-बाध्यता विकार और मनोचिकित्सा

राँची

राँची भारत का एक प्रमुख नगर और झारखंड प्रदेश की राजधानी है। यह झारखंड का तीसरा सबसे प्रसिद्ध शहर है। इसे झरनों का शहर भी कहा जाता है। पहले जब यह बिहार राज्य का भाग था तब गर्मियों में अपने अपेक्षाकृत ठंडे मौसम के कारण प्रदेश की राजधानी हुआ करती थी। झारखंड आंदोलन के दौरान राँची इसका केन्द्र हुआ करता था। राँची एक प्रमुख औद्योगिक केन्द्र भी है। जहाँ मुख्य रूप से एच ई सी (हेवी इंजिनियरिंग कारपोरेशन), भारतीय इस्पात प्राधिकरण, मेकन इत्यादि के कारखाने हैं। राँची के साथ साथ जमशेदपुर और बोकारो इस प्रांत के दो अन्य प्रमुख औद्योगिक केन्द्र हैं। राँची को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्मार्ट सिटीज मिशन के अन्तर्गत एक स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किये जाने वाले सौ भारतीय शहरों में से एक के रूप में चुना गया है। राँची भारतीय क्रिकेट कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का गृहनगर होने के लिए प्रसिद्ध है। झारखंड की राजधानी राँची में प्रकृति ने अपने सौंदर्य को खुलकर लुटाया है। प्राकृतिक सुन्दरता के अलावा राँची ने अपने खूबसूरत पर्यटक स्थलों के दम पर विश्व के पर्यटक मानचित्र पर भी पुख्ता पहचान बनाई है। गोंडा हिल और रॉक गार्डन, मछली घर, बिरसा जैविक उद्यान, टैगोर हिल, मैक क्लुस्किगंज और आदिवासी संग्राहलय इसके प्रमुख पर्यटक स्थल हैं। इन पर्यटक स्थलों की सैर करने के अलावा यहां पर प्रकृति की बहुमूल्य देन झरनों के पास बेहतरीन पिकनिक भी मना सकते हैं। राँची के झरनों में पांच गाघ झरना सबसे खूबसूरत है क्योंकि यह पांच धाराओं में गिरता है। यह झरने और पर्यटक स्थल मिलकर राँची को पर्यटन का स्वर्ग बनाते हैं और पर्यटक शानदार छुट्टियां बिताने के लिए हर वर्ष यहां आते हैं। राँची का नाम उराँव गांव के पिछले नाम से एक ही स्थान पर, राची के नाम से लिया गया है। "राँची" उराँव शब्द 'रअयची' से निकला है जिसका मतलब है रहने दो। पौराणिक कथाओं के अनुसार, आत्मा के साथ विवाद के बाद,एक किसान ने अपने बांस के साथ आत्मा को हराया। आत्मा ने रअयची रअयची चिल्लाया और गायब हो गया। रअयची राची बन गई, जो राँची बन गई। राची के ऐतिहासिक रूप से एक महत्वपूर्ण पड़ोस में डोरांडा (दुरन "दुरङ" का अर्थ है गीत और दाह "दएः" का अर्थ मुंदारी भाषा में जल है)। डोरांडा हीनू (भुसूर) और हरमू नदियों के बीच स्थित है, जहां ब्रिटिश राज द्वारा स्थापित सिविल स्टेशन, ट्रेजरी और चर्च सिपाही विद्रोह के दौरान विद्रोही बलों द्वारा नष्ट किए गए थे। .

देखें मनोग्रसित-बाध्यता विकार और राँची

केन्द्रीय मनश्चिकित्सा संस्थान

केन्द्रीय मनश्चिकित्सा संस्थान, राँची केन्द्रीय मनश्चिकित्सा संस्थान (Central institute of Psychiatry) झारखण्ड की राजधानी राँची के पास काँके में स्थित भारत का मानसिक स्वास्थ्य का प्रमुख संस्थान है। है। यह भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग द्वारा नियंत्रित है। इसकी स्थापना ब्रिटिश राज के समय १७ मई १९१८ को हुई थी और उस समय इसका नाम 'राँची यूरोपियन लुनैटिक एसाइलम' (Ranchi European Lunatic Asylum) था। यहाँ केवल यूरोपीय मानसिक रोगियों की चिकित्सा की जाती थी। .

देखें मनोग्रसित-बाध्यता विकार और केन्द्रीय मनश्चिकित्सा संस्थान

यह भी देखें

रीति