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मदीना
मदीना या अल-मदीना (अरबी) जिसे सम्मानपूर्वक 'अल-मदीना अल-मुनव्वरा' (/ mədiːnə/; अरबी: المدينة المنورة, अल-मदीना अल-मुनव्वरा, " चमकदार शहर"; या المدينة, अल-मदीना (हेजाज़ी उच्चारण), "शहर"), मदीना के रूप में भी लिप्यंतरित, अरब प्रायद्वीप के हेजाज़ क्षेत्र में एक शहर है और सऊदी अरब के अल-मदीना क्षेत्र के प्रशासनिक मुख्यालय है। ग्रान्धिक रूप से अरबी शब्द मदीना का अर्थ 'शहर' या 'नगर' है। मदीनतुन-नबी का अर्थ नबी का शहर है। शहर के दिल में अल-मस्जिद अन-नबवी ("पैगंबर की मस्जिद") है, जो इस्लामी पैगंबर हज़रत मुहम्मद का दफन किया हवा स्थल है, और मक्का के बाद इस्लाम का दूसरा सबसे पवित्र शहर है। मुहम्मद ने मक्का से मदीना को अपनी हिजरत (प्रवासन) की। मुहम्मद के नेतृत्व में, तेजी से बढ़ रहे मुस्लिम साम्राज्य की राजधानी मदीना बन गई। यह पहली शताब्दी में इस्लाम के पावर बेस के रूप में कार्य करता था जहां प्रारंभिक मुस्लिम समुदाय विकसित हुआ था। मदीना तीन सबसे पुरानी मस्जिदों का घर है, अर्थात् मस्जिद ए क़ुबा, मस्जिद ए नबवी, और मस्जिद अल-क़िबलतैन ("दो क़िब्लों की मस्जिद")। मुसलमानों का मानना है कि कुरान के कालानुक्रमिक रूप से अंतिम सूरह मदीना में मुहम्मद को प्रकट हुआ था, और उन्हें पहले मक्कन सूरह के विपरीत मेदीनन सूरह कहा जाता है। यह इस्लाम में पवित्रतम दूसरा शहर है और इस्लामी पैगंबर मुहम्मद की दफ़नगाह है और यह उनकी हिजरह (विस्थापित होने) के बाद उनके घर आने के कारण ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है। इस्लाम के आगमन से पहले, मदीना शहर 'यसरिब' नाम से जाना जाता था, लेकिन व्यक्तिगत रूप से पैगंबर मुहम्मद द्वारा नाम दिया गया। मदीना में इस्लाम के तीन सबसे पुराने मस्जिद मस्जिद अल नबवी (पैगंबर की मस्जिद), मस्जिद ए क़ुबा (इस्लाम के इतिहास में पहली मस्जिद) और मस्जिद अल क़िब्लतैन (वह मस्जिद जिस में दो क़िब्लओं की तरफ़ मुंह करके नमाज़ पढी गयी) उपस्थित है। मक्का की तरह, मदीना का शहर केंद्र किसी भी व्यक्ति के लिए बंद है जिसे गैर-मुसलमान माना जाता है, जिसमें राष्ट्रीय सरकार द्वारा अहमदीय आंदोलन के सदस्य भी शामिल हैं; हालांकि, शहर के अन्य हिस्सों को बंद नहीं किया गया है। Sandra Mackey's account of her attempt to enter Mecca in .
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मक्का (शहर)
मस्जिद अल-हरम और मक्का का शहरी केंद्र मक्का (IPA: / mɛkə /, अरबी: مكة المكرمة, शाब्दिक आदरणीय मक्का) इस्लाम का पवित्रतम शहर है जहाँ पर काबा तीर्थ और मस्जिद-अल-हरम (पवित्र या विशाल मस्जिद) स्थित है। मक्का शहर वार्षिक हज तीर्थयात्रा, जो इस्लाम के पाँच स्तंभों में से एक है के लिये प्रसिद्ध है। हर साल करीब 40 लाख हजयात्री मक्का आते हैं। इस्लामी परंपरा के अनुसार मक्का की शुरुआत इश्माइल वंश ने की थी। 7 वीं शताब्दी में, इस्लामी पैगम्बर मुहम्मद ने शहर में जो तब तक, एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केन्द्र था में इस्लाम की घोषणा की और इस शहर ने इस्लाम के प्रारंभिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सन 966 से लेकर 1924 तक, मक्का शहर का नेतृत्व स्थानीय शरीफ द्वारा किया जाता था। 1924 में यह सउदी अरब के शासन के अधीन आ गया। आधुनिक काल में, मक्का शहर के आकार और बुनियादी संरचना में एक महान विस्तार देखा गया है। आधुनिक मक्का शहर सउदी अरब के मक्काह प्रांत की राजधानी है और, ऐतिहासिक हेजाज़ क्षेत्र में स्थित है। शहर की आबादी 1700000 (2008) के करीब है और यह जेद्दा से 73 किमी (45 मील) की दूरी पर एक संकरी घाटी में समुद्र तल से 277 मीटर (910 फीट) की ऊँचाई पर स्थित है। अरबी के मूल अंग्रेजी लिप्यंतरण और अंग्रेजी शब्दकोशों में "मक्का" शब्द अत्यधिक इस्तेमाल किया जाता है, उनकी अंग्रेजी भाषा और साहित्य और अकादमिक लेखन में अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा। मक्का शहर के लिए प्राचीनतम नाम बक्काह (भी बाका, बाकाह्, बेक्का, आदि) क उपयोग किया जाता था। अरबी भाषा शब्द, इसकी व्युत्पत्ति की तरह है कि मक्का के अस्पष्ट है। व्यापक रूप से मक्का के लिए एक पर्याय माना जा रहा है, उसमें स्थित घाटी के लिए और अधिक विशेष रूप से जल्दी नाम कहा जाता है, जबकि मुस्लिम विद्वानों आम तौर पर यह उपयोग करने के लिए हैं कि शहर के पवित्र क्षेत्र में उल्लेख तुरंत चारों ओर से घेरे और Kaaba शामिल हैं। .
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मुसलमान
मिसरी (ईजिप्ट) मुस्लिमान नमाज़ पढ रहे हैं, एक तस्वीर। मुसलमान (अरबी: مسلم، مسلمة फ़ारसी: مسلمان،, अंग्रेजी: Muslim) का मतलब वह व्यक्ति है जो इस्लाम में विश्वास रखता हो। हालाँकि मुसलमानों के आस्था के अनुसार इस्लाम ईश्वर का धर्म है और धर्म हज़रत मुहम्मद से पहले मौजूद था और जो लोग अल्लाह के धर्म का पालन करते रहे वह मुसलमान हैं। जैसे कुरान के अनुसार हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम भी मुसलमान थे। मगर आजकल मुसलमान का मतलब उसे लिया जाता है जो हज़रत मुहम्मद लाए हुए दीन का पालन करता हो और विश्वास रखता हो। मध्यकालीन मुस्लिम इतिहासकारों ने भारत को हिन्द अथवा हिन्दुस्तान कहा है । .
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मुहम्मद
हज़रत मुहम्मद (محمد صلی اللہ علیہ و آلہ و سلم) - "मुहम्मद इब्न अब्दुल्लाह इब्न अब्दुल मुत्तलिब" का जन्म सन ५७० ईसवी में हुआ था। इन्होंने इस्लाम धर्म का प्रवर्तन किया। ये इस्लाम के सबसे महान नबी और आख़िरी सन्देशवाहक (अरबी: नबी या रसूल, फ़ारसी: पैग़म्बर) माने जाते हैं जिन को अल्लाह ने फ़रिश्ते जिब्रईल द्वारा क़ुरआन का सन्देश' दिया था। मुसलमान इनके लिये परम आदर भाव रखते हैं। .
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सहाबा
अल्लाह के नबी जो कि मोहम्मद घोषित है इस्लाम की मूल आस्था के एनिमेटेड अरबी रूप है। सहाबा या अस-सहाबा (अरबी:, अंग्रेज़ी: As Sahabah) इस्लाम की सर्वोच्च धार्मिक हस्ती पैग़म्बर मुहम्मद के साथियों, शिष्यों, लेखकों और परिवारजनों का नाम है जिन्होनें उनके जीवनकाल में उनका साथ दिया। अरबी भाषा में 'साहब' का अर्थ 'साथी' या 'सहयोगी' होता है और इसका बहुवचन शब्द 'सहाबा' है। .
देखें मदीनन सूरा और सहाबा
सूरा
सूरा (यदा कदा सूरह भी कहा जाता है سورة, سور) एक अरबी शब्द है। इसका अक्षरशः अर्थ है "कोई वस्तु, जो किसी दीवार या बाडः से घिरी है"। यह शब्द कुरान के अध्याय के लिए प्रयोग होता है, जो कि परंपरा अनुसार कम होती लम्बाई के क्रम से लिखे हैं। प्रत्येक सूरा का नाम एक शब्द पर है, जो उस सूरा के अयाह (भाग) में उल्लेखित है। कुछ सूरा मुस्लिमों के लिए अपने रहस्योद्घाटन काल में विस्मयकारी थे। उदाहरणतः ईशू मसीह की माँ - मरियम का अति उच्च स्तर, जो कि इसाइयत (ईशू) की माँ थीं - जैसा सूरा 19 में उल्लेखित है। .
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हिजरत
हिज्राह या हिजरत (Hegira or Hijrah (هِجْرَة) हज़रत मुहम्मद का अपने अनुयाइयों (सहाबा) के साथ, शहर मक्का से शहर मदीना जिस का पुराना नाम यस्रिब था, को सन ६२२ ई में प्रवास है। In June 622 ई में, शहर मक्का में हज़रत मुहम्मद को पता चला कि उनकी हत्या का प्रयास किया जारहा है, इस सन्दर्भ में, शहर मक्का छोड़ कर यस्रिब (मदीना) प्रवास किये। इनके साथ इनके दोस्त और सहाबी अबू बक्र भी थे। यस्रिब को 'मदीनत-अन-नबी' का नाम दिया गया। अर्थात प्रेशित का नगर। बाद में अन-नबी बोलना कम होगया, सिर्फ मदीना कहलाने लगा। मदीना क मतलब "शहर" है। F.
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क़ुरआन
'''क़ुरान''' का आवरण पृष्ठ क़ुरआन, क़ुरान या कोरआन (अरबी: القرآن, अल-क़ुर्'आन) इस्लाम की पवित्रतम किताब है और इसकी नींव है। मुसलमान मानते हैं कि इसे अल्लाह ने फ़रिश्ते जिब्रील द्वारा हज़रत मुहम्मद को सुनाया था। मुसलमान मानते हैं कि क़ुरआन ही अल्लाह की भेजी अन्तिम और सर्वोच्च किताब है। यह ग्रन्थ लगभग 1400 साल पहले अवतरण हुई है। इस्लाम की मान्यताओं के मुताबिक़ क़ुरआन अल्लाह के फ़रिश्ते जिब्रील (दूत) द्वारा हज़रत मुहम्मद को सन् 610 से सन् 632 में उनकी मौत तक ख़ुलासा किया गया था। हालांकि आरंभ में इसका प्रसार मौखिक रूप से हुआ पर पैग़म्बर मुहम्मद की मौत के बाद सन् 633 में इसे पहली बार लिखा गया था और सन् 653 में इसे मानकीकृत कर इसकी प्रतियाँ इस्लामी साम्राज्य में वितरित की गईं थी। मुसलमानों का मानना है कि ईश्वर द्वारा भेजे गए पवित्र संदेशों के सबसे आख़िरी संदेश क़ुरआन में लिखे गए हैं। इन संदेशों की शुरुआत आदम से हुई थी। हज़रत आदम इस्लामी (और यहूदी तथा ईसाई) मान्यताओं में सबसे पहला नबी (पैग़म्बर या पयम्बर) था और इसकी तुलना हिन्दू धर्म के मनु से एक हद तक की जा सकती है। जिस तरह से हिन्दू धर्म में मनु की संतानों को मानव कहा गया है वैसे ही इस्लाम में आदम की संतानों को आदमी कहा जाता है। तौहीद, धार्मिक आदेश, जन्नत, जहन्नम, सब्र, धर्म परायणता (तक्वा) के विषय ऐसे हैं जो बारम्बार दोहराए गए। क़ुरआन ने अपने समय में एक सीधे साधे, नेक व्यापारी इंसान को, जो अपने परिवार में एक भरपूर जीवन गुज़ार रहा था। विश्व की दो महान शक्तियों (रोमन तथा ईरानी) के समक्ष खड़ा कर दिया। केवल यही नहीं उसने रेगिस्तान के अनपढ़ लोगों को ऐसा सभ्य बना दिया कि पूरे विश्व पर इस सभ्यता की छाप से सैकड़ों वर्षों बाद भी इसके निशान पक्के मिलते हैं। क़ुरआन ने युध्द, शांति, राज्य संचालन इबादत, परिवार के वे आदर्श प्रस्तुत किए जिसका मानव समाज में आज प्रभाव है। मुसलमानों के अनुसार कुरआन में दिए गए ज्ञान से ये साबित होता है कि हज़रत मुहम्मद एक नबी है | .
देखें मदीनन सूरा और क़ुरआन