यह राग भैरव थाट से निकलता है। इस राग में सातों स्वर लगते हैं, इसलिये इसकी जाति सम्पूर्ण मानी जाती है। ः?रे"' और ः?ध"' इस राग में कोमल लगते हैं। वादी स्वर ः?ध"' और सम्वादी स्वर ः?रे"' माना जाता है। गाने बजाने का समय सुबह का माना जाता है। आरोह--स रे ग म प ध नी सं। अवरोह--सं नी ध प म ग रे स। पकड़--स ग म प प। .
'''वसन्त रागिनी''' वसन्त का राग है। इस चित्र में कृष्ण गोपियों के साथ नृत्य करते दिख रहे हैं। राग सुरों के आरोहण और अवतरण का ऐसा नियम है जिससे संगीत की रचना की जाती है। पाश्चात्य संगीत में "improvisation" इसी प्रकार की पद्धति है। .