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भूरासायनिक चक्र

सूची भूरासायनिक चक्र

भूविज्ञानों के अन्तर्गत, धरती के तल पर तथा भूगर्भ में स्थित रासायनिक तत्त्व परिवर्तन का जो मार्ग अपनाते हैं उसे भूरासायनिक चक्र (geochemical cycle) कहते हैं। इसमें सभी भूवैज्ञानिक (जिओलोजिकल) तथा रासायनिक कारक सम्मिलित किये जाते हैं। गर्म तथा दाबित रासायनिक तत्त्वों (जैसे सिलिकन, अलुमिनियम तथा अल्कली धातुएं) का निम्नस्खलन (subduction) एवं ज्वालामुख (volcanism) द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना (माइग्रेशन) ही भूरासायनिक चक्र है। श्रेणी:भूरसायन.

4 संबंधों: निम्नस्खलन, भूविज्ञान, भूवैज्ञानिक, रासायनिक तत्व

निम्नस्खलन

भूविज्ञान में निम्नस्खलन या सबडक्शन (subduction) उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसमें दो भौगोलिक तख़्तों की संमिलन सीमा पर एक तख़्ता दूसरे के नीचे फिसलकर दबने लगता है, यानि कि उसका दूसरे तख़्ते के नीचे स्खलन होने लगता है। निम्नस्खलन क्षेत्र (सबडक्शन ज़ोन, subduction zone) पृथ्वी के वे इलाक़े होते हैं जहाँ यह निम्नस्खलन चल रहा हो। अक्सर इन निम्नस्खलन क्षेत्रों में ज्वालामुखी, पर्वतमालाएँ, या (यदि यह समुद्री क्षेत्र में हो) महासागरीय गर्त (खाईयाँ या ट्रेन्च) बन जाते हैं। निम्नस्खलन की प्रक्रिया की गति चंद सेन्टीमीटर प्रति वर्ष ही होती है। एक तख़्ता दूसरे तख़्ते के नीचे दो से आठ सेमी प्रति वर्ष के औसत दर से खिसकता है। भारतीय उपमहाद्वीप में भारतीय प्लेट के यूरेशियाई प्लेट की संमिलन सीमा पर भारतीय प्लेट के निम्नस्खलन से ही हिमालय व तिब्बत के पठार की उच्चभूमि का निर्माण हुआ है। .

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भूविज्ञान

पृथ्वी के भूवैज्ञनिक क्षेत्र पृथ्वी से सम्बंधित ज्ञान ही भूविज्ञान कहलाता है।भूविज्ञान या भौमिकी (Geology) वह विज्ञान है जिसमें ठोस पृथ्वी का निर्माण करने वाली शैलों तथा उन प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है जिनसे शैलों, भूपर्पटी और स्थलरूपों का विकास होता है। इसके अंतर्गत पृथ्वी संबंधी अनेकानेक विषय आ जाते हैं जैसे, खनिज शास्त्र, तलछट विज्ञान, भूमापन और खनन इंजीनियरी इत्यादि। इसके अध्ययन बिषयों में से एक मुख्य प्रकरण उन क्रियाओं की विवेचना है जो चिरंतन काल से भूगर्भ में होती चली आ रही हैं एवं जिनके फलस्वरूप भूपृष्ठ का रूप निरंतर परिवर्तित होता रहता है, यद्यपि उसकी गति साधारणतया बहुत ही मंद होती है। अन्य प्रकरणों में पृथ्वी की आयु, भूगर्भ, ज्वालामुखी क्रिया, भूसंचलन, भूकंप और पर्वतनिर्माण, महादेशीय विस्थापन, भौमिकीय काल में जलवायु परिवर्तन तथा हिम युग विशेष उल्लेखनीय हैं। भूविज्ञान में पृथ्वी की उत्पत्ति, उसकी संरचना तथा उसके संघटन एवं शैलों द्वारा व्यक्त उसके इतिहास की विवेचना की जाती है। यह विज्ञान उन प्रक्रमों पर भी प्रकाश डालता है जिनसे शैलों में परिवर्तन आते रहते हैं। इसमें अभिनव जीवों के साथ प्रागैतिहासिक जीवों का संबंध तथा उनकी उत्पत्ति और उनके विकास का अध्ययन भी सम्मिलित है। इसके अंतर्गत पृथ्वी के संघटक पदार्थों, उन पर क्रियाशील शक्तियों तथा उनसे उत्पन्न संरचनाओं, भूपटल की शैलों के वितरण, पृथ्वी के इतिहास (भूवैज्ञानिक कालों) आदि के अध्ययन को सम्मिलित किया जाता है। .

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भूवैज्ञानिक

भूवैज्ञानिक एक प्रकार के विज्ञान में अध्ययनरत व्यक्ति हैं जो पृथ्वी की चट्टानों और आतंरिक संरचना के विविध पहलुओं का अध्ययन करते हैं। संक्षेप में ये वे लोग हैं जो भूविज्ञान का अध्ययन करते हैं। .

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रासायनिक तत्व

रासायनिक तत्वों की आवर्त सारणी रासायनिक तत्व (या केवल तत्व) ऐसे उन शुद्ध पदार्थों को कहते हैं जो केवल एक ही तरह के परमाणुओं से बने होते हैं। या जो ऐसे परमाणुओं से बने होते हैं जिनके नाभिक में समान संख्या में प्रोटॉन होते हैं। सभी रासायनिक पदार्थ तत्वों से ही मिलकर बने होते हैं। हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, आक्सीजन, तथा सिलिकॉन आदि कुछ तत्व हैं। सन २००७ तक कुल ११७ तत्व खोजे या पाये जा चुके हैं जिसमें से ९४ तत्व धरती पर प्राकृतिक रूप से विद्यमान हैं। कृत्रिम नाभिकीय अभिक्रियाओं के परिणामस्वरूप उच्च परमाणु क्रमांक वाले तत्व समय-समय पर खोजे जाते रहे हैं। .

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