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भारतीय उर्दू शायरों की सूची

सूची भारतीय उर्दू शायरों की सूची

श्रेणी: शायर श्रेणी: उर्दू शायर.

29 संबंधों: दया शंकर कौल नसीम, फहीम जोगापुरी, फ़िराक़ गोरखपुरी, बेखुद बदायूँनी, मसूद हुसैन ख़ान, मजरुह सुल्तानपुरी, मजाज़, मखदूम मोहिउद्दीन, मुघनी अब्बासी, राम प्रसाद 'बिस्मिल', राहत इन्दौरी, शिफ़ा ग्वालियरी, सरदार अंजुम, साहिर लुधियानवी, साहिर होशियारपुरी, सैयद वहीद अशरफ, ज़िया फतेहबादी, जाँनिसार अख्तर, खलील उर रहमान आजमी, खुशबीर सिंह 'शाद', ग़ुलाम अहमद फ़रोगी, कबीरुद्दीन कलीम, काज़िम जरवली, कुँवर मोहिंदर सिंह बेदी 'सहर', अफसर मौदूदी, अमजद हैदराबादी, अर्श मलसियानी, अली सरदार जाफरी, अख़लाक़ मुहम्मद ख़ान 'शहरयार'

दया शंकर कौल नसीम

दया शंकर कौल नसीम (1811-1845) १९वीं सदी के उर्दू शायर थे जिन्हें मुख्यतः उनके महाकाव्य गुल बकावली के लिए जाना जाता है। .

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फहीम जोगापुरी

फहीम जोगापुरी (जन्म: 12 मार्च 1956) भारत से एक उर्दू भाषा के शायर हैं। उनका जन्म सिवान, बिहार में हुआ। वे उर्दू विषय से स्नातकोत्तर हैं। वे अपनी पुस्तकें 'नावेद-ए-सहर' और 'अधूरी बात' से चर्चित हुए। .

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फ़िराक़ गोरखपुरी

फिराक गोरखपुरी (मूल नाम रघुपति सहाय) (२८ अगस्त १८९६ - ३ मार्च १९८२) उर्दू भाषा के प्रसिद्ध रचनाकार है। उनका जन्म गोरखपुर, उत्तर प्रदेश में कायस्थ परिवार में हुआ। इनका मूल नाम रघुपति सहाय था। रामकृष्ण की कहानियों से शुरुआत के बाद की शिक्षा अरबी, फारसी और अंग्रेजी में हुई। .

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बेखुद बदायूँनी

मुहम्मद अब्दुल हई सिद्दीकी (उर्दू/अरबी: محمّد عبدالحي صدیقی, प्रचलित नाम:बेखुद बदायूँनी, उर्दू/फ़ारसी: بےخود بدایونی) उनीसवीं और बीसवीं सदी के एक प्रमुख भारतीय उर्दू शायर थे। .

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मसूद हुसैन ख़ान

मसूद हुसैन ख़ान (28 जनवरी 1919 - 16 अक्टूबर 2010) एक प्रख्यात भारतीय शिक्षाविद, भाषाविद् और साहित्यकार थे। वे अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में सामाजिक विज्ञान के पहले प्रोफेसर एमेरिटस थे और नई दिल्ली स्थित केन्द्रीय विश्वविद्यालय जामिया मिलिया इस्लामिया के पांचवें कुलपति थे। वर्ष-१९८४ में उनकी साहित्यिक आलोचना की पुस्तक इक़बाल की नज़री–ओ–अमली शेरियात के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया था। .

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मजरुह सुल्तानपुरी

मजरुह सुल्तानपुरी (مجرُوح سُلطانپُوری) (1 अक्टूबर 1919 − 24 मई 2000) एक भारती उर्दू शायर थे। हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध गीतकार और प्रगतिशील आंदोलन के उर्दू के सबसे बड़े शायरों में से एक थे। Retrieved 11 May 2018 वह 20वीं सदी के उर्दु साहिती जगत के बेहतरीन शायरों में गिना जाता है। बॉलीवुड में गीतकार के रूप में प्रसिद्ध हुवे। उन्होंने अपनी रचनाओं के जरिए देश, समाज और साहित्य को नयी दिशा देने का काम किया। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा सुल्तानपुर जिले के गनपत सहाय कालेज में मजरुह सुल्तानपुरी ग़ज़ल के आइने में शीर्षक से मजरूह सुल्तानपुरी पर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। देश के प्रमुख विश्वविद्यालयों के शिक्षाविदों ने इस सेमिनार में हिस्सा लिया और कहा कि वे ऐसी शख्सियत थे जिन्होंने उर्दू को एक नयी ऊंचाई दी है। लखनऊ विश्वविद्यालय की उर्दू विभागाध्यक्ष डॉ॰सीमा रिज़वी की अध्यक्षता व गनपत सहाय कालेज की उर्दू विभागाध्यक्ष डॉ॰जेबा महमूद के संयोजन में राष्ट्रीय सेमिनार को सम्बोधित करते हुए इलाहाबाद विश्वविद्यालय के उर्दू विभागाध्यक्ष प्रो॰अली अहमद फातिमी ने कहा मजरूह, सुल्तानपुर में पैदा हुए और उनके शायरी में यहां की झलक साफ मिलती है। वे इस देश के ऐसे तरक्की पसंद शायर थे जिनकी वजह से उर्दू को नया मुकाम हासिल हुआ। उनकी मशहूर पंक्तियों में 'मै अकेला ही चला था, जानिबे मंजिल मगर लोग पास आते गये और कारवां बनता गया' का जिक्र भी वक्ताओं ने किया। लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो॰मलिक जादा मंजूर अहमद ने कहा कि यूजीसी ने मजरूह पर राष्ट्रीय सेमिनार उनकी जन्मस्थली सुल्तानपुर में आयोजित करके एक नयी दिशा दी है। .

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मजाज़

मजाज़ लखनऊ से उर्दु के प्रख्यात शायर रहे हैं। कुछ तो होते हैं मोहब्बत में जुनूं के आसार और कुछ लोग दीवाना बना देते हैं श्रेणी:शायर श्रेणी:उर्दू शायर 🐍🐍🐍 मजाज़ की एक ग़ज़ल: ख़ुद दिल में रह के आंख से पर्दा करे कोई हां लुत्फ़ जब है पाके भी ढूंढा करे कोई तुम ने तो हुक्म-ए-तर्क-ए-तमन्ना सुना दिया, किस दिल से आह तर्क-ए-तमन्ना करे कोई दुनिया लरज़ गई दिल-ए-हिरमांनसीब की, इस तरह साज़-ए-ऐश न छेड़ा करे कोई मुझ को ये आरज़ू वो उठायें नक़ाब ख़ुद, उन को ये इन्तज़ार तक़ाज़ा करे कोई रंगीनी-ए-नक़ाब में ग़ुम हो गई नज़र, क्या बे-हिजाबियों का तक़ाज़ा करे कोई या तो किसी को जुर्रत-ए-दीदारही न हो, या फिर मेरी निगाह से देखा करे कोई होती है इस में हुस्न की तौहीन ऐ ‘मज़ाज़’, इतना न अहल-ए-इश्क़ को रुसवा करे कोई.

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मखदूम मोहिउद्दीन

मखदूम मोहिउद्दीन (مخدوم محی الدین., మఖ్దూం మొహియుద్దీన్) या अबू सईद मोहम्मद मखदूम मोहिउद्दीन हुजरी (4 फ़रवरी 1908 - 25 अगस्त 1969), भारत से उर्दू के एक शायर और मार्क्सवादी राजनीतिक कार्यकर्ता थे। वे एक प्रतिष्ठित क्रांतिकारी उर्दू कवि थे। .

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मुघनी अब्बासी

मुघनी अब्बासी (21 मार्च 1921 - 22 अक्टूबर 2000) भारत से एक उर्दू शायर, फ़िल्म निर्माता और पटकथा लेखक थे। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के अमरोहा में हुआ था। .

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राम प्रसाद 'बिस्मिल'

राम प्रसाद 'बिस्मिल' (११ जून १८९७-१९ दिसम्बर १९२७) भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की क्रान्तिकारी धारा के एक प्रमुख सेनानी थे, जिन्हें ३० वर्ष की आयु में ब्रिटिश सरकार ने फाँसी दे दी। वे मैनपुरी षड्यन्त्र व काकोरी-काण्ड जैसी कई घटनाओं में शामिल थे तथा हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के सदस्य भी थे। राम प्रसाद एक कवि, शायर, अनुवादक, बहुभाषाभाषी, इतिहासकार व साहित्यकार भी थे। बिस्मिल उनका उर्दू तखल्लुस (उपनाम) था जिसका हिन्दी में अर्थ होता है आत्मिक रूप से आहत। बिस्मिल के अतिरिक्त वे राम और अज्ञात के नाम से भी लेख व कवितायें लिखते थे। ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी (निर्जला एकादशी) विक्रमी संवत् १९५४, शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर में जन्मे राम प्रसाद ३० वर्ष की आयु में पौष कृष्ण एकादशी (सफला एकादशी), सोमवार, विक्रमी संवत् १९८४ को शहीद हुए। उन्होंने सन् १९१६ में १९ वर्ष की आयु में क्रान्तिकारी मार्ग में कदम रखा था। ११ वर्ष के क्रान्तिकारी जीवन में उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं और स्वयं ही उन्हें प्रकाशित किया। उन पुस्तकों को बेचकर जो पैसा मिला उससे उन्होंने हथियार खरीदे और उन हथियारों का उपयोग ब्रिटिश राज का विरोध करने के लिये किया। ११ पुस्तकें उनके जीवन काल में प्रकाशित हुईं, जिनमें से अधिकतर सरकार द्वारा ज़ब्त कर ली गयीं। --> बिस्मिल को तत्कालीन संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध की लखनऊ सेण्ट्रल जेल की ११ नम्बर बैरक--> में रखा गया था। इसी जेल में उनके दल के अन्य साथियोँ को एक साथ रखकर उन सभी पर ब्रिटिश राज के विरुद्ध साजिश रचने का ऐतिहासिक मुकदमा चलाया गया था। --> .

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राहत इन्दौरी

राहत इन्दौरी (उर्दू: ڈاکٹر راحت اندوری) (जन्म: 1 जनवरी 1950) एक भारतीय उर्दू शायर और हिंदी फिल्मों के गीतकार हैं। वे देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर में उर्दू साहित्य के प्राध्यापक भी रह चुके हैं। .

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शिफ़ा ग्वालियरी

शिफा ग्वालियरी (1912–1968) भारत से एक उर्दू शायर थे। वे मूल रूप से गज़ल और नज़्म लिखते थे। उनका जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में हुआ था। वे उर्दू शायर सीमाब अकबराबादी के शिष्य थे। उनके तीन गज़ल संग्रह प्रकाशित है। मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी के द्वारा 2010 में उनके नाम पर एक वार्षिक साहित्यिक पुरस्कार की स्थापना की गई। .

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सरदार अंजुम

सरदार अंजुम भारत के एक प्रख्यात शायर एवं लेखक हैं। उन्हें भारत सरकार द्वारा सन २००५ में साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया था। ये हरियाणा राज्य के पंचकुला से हैं। इससे पहले १९९१ में उन्हें पद्म श्री से भी सम्मानित किया जा चुका है। .

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साहिर लुधियानवी

साहिर लुधियानवी (८ मार्च १९२१ - २५ अक्टूबर १९८०) एक प्रसिद्ध शायर तथा गीतकार थे। इनका जन्म लुधियाना में हुआ था और लाहौर (चार उर्दू पत्रिकाओं का सम्पादन, सन् १९४८ तक) तथा बंबई (१९४९ के बाद) इनकी कर्मभूमि रही। .

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साहिर होशियारपुरी

साहिर होशियारपुरी (ساحر ہوشیارپوری) जन्म नाम: राम प्रकाश (رام پرکاش.) (मार्च 1913 - 12 अगस्त 1994), भारत से उर्दू के एक शायर थे। उन्होंने शायरी की कई पुस्तकें लिखी है, जो मुख्य रूप से ग़ज़ल है। इसके अलावा, उनकी कई गज़लें जगजीत सिंह सहित प्रमुख गायकों द्वारा गई गई है। .

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सैयद वहीद अशरफ

सैयद वहीद अशरफ (अंग्रेजी: Syed Waheed Ashraf, जन्म: ४ फ़रवरी १९३३) एक भारतीय सूफी विद्वान और फारसी तथा उर्दू भाषा के कविहैं।.

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ज़िया फतेहबादी

ज़िया फतेहबादी, मूल नाम: मेहर लाल सोनी (1913–1986), भारत से एक उर्दू ग़ज़ल और नज़्म लेखक थे। वे सैयद आशिक हुसैन सिद्दीकी (सीमाब अकबराबादी) के शिष्य थे, जो नवाब मिर्जा खान (दाग देहलवी) के शिष्य थे। उन्होंने अपने उस्ताद गुलाम कादीर फारेख अमृतसरी के सुझाव पर अपने नाम के साथ जिया तख्ल्लुस का इस्तेमाल किया। .

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जाँनिसार अख्तर

जाँनिसार अख्तर (उर्दू: جان نثار اختر;अंग्रेजी:Jan Nisar Akhtar, 18 फ़रवरी 1914 – 19 अगस्त 1976) भारत से 20 वीं सदी के एक महत्वपूर्ण उर्दू शायर, गीतकार और कवि थे। वे प्रगतिशील लेखक आंदोलन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थे। उन्होंने हिंदी फिल्मों के लिए भी गाने लिखे.

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खलील उर रहमान आजमी

खलील उर रहमान आजमी(1927-1978), एक भारतीय उर्दू शायर और साहित्यिक आलोचक थे। .

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खुशबीर सिंह 'शाद'

खुशबीर सिंह 'शाद' (Urdu: خوشبیر سنگھ شاد), भारत से उर्दू भाषा के एक शायर हैं।उनकी गज़ल की सात पुस्तकें देवनागरी और उर्दू में एक साथ प्रकाशित हुई है। .

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ग़ुलाम अहमद फ़रोगी

ग़ुलाम अहमद फ़रोगी (1861-1919) भोपाल राज्य में अरबी और फ़ारसी भाषा के ख्याति के एक विद्वान और शायर थे। उन्होंने भोपाल के जहांगीरा स्कूल में शिक्षक और सुलेमानिया स्कूल में 'हेड मौलवी' के रूप में कार्य किया। ये दोनों स्कूल भोपाल रियासत के दौरान धनी वर्ग के छात्रों के दाखिले के लिए बहुत प्रसिद्ध थे। .

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कबीरुद्दीन कलीम

कबीरुद्दीन कलीम (1870-1952) भोपाल (भारत) के उर्दू के प्रसिद्ध शायर, लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता थे। वे मशहूर शायर ज़किरुद्दीन जकी के छोटे भाई थे। उनकी मृत्यु 1952 में भोपाल में हुई। .

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काज़िम जरवली

काज़िम जरवली (کاظم جاروالی) (जन्म: जून, 1955) भारत से उर्दू भाषा के शायर हैं।उन्होंने कविता की कई पुस्तकें लिखी है और उनके साहित्यिक काम के लिए उन्हें कतिपय पुरस्कार प्राप्त हुए है। .

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कुँवर मोहिंदर सिंह बेदी 'सहर'

कुंवर मोहिंदर सिंह बेदी सहर (उर्दू کنور مہیندرا سنگھ بیدی سحر, तखल्लुस: सहर) एक भारतीय उर्दू शायर थे। वे दिल्ली में प्रशासनिक सेवा के आला अफसर थे और मुशायरों के सिद्धहस्त शायर माने जाते थे। .

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अफसर मौदूदी

सैयद महमूद हुसैन अफसर मौदूदी (1874-1948) भारत से एक उर्दू शायर और यूनानी चिकित्सा के चिकित्सक थे। वे प्रशंसित शास्त्रीय उर्दू शायर सैयद अहमद हुसैन फिदा के पुत्र थे। .

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अमजद हैदराबादी

अमजद हुसैन (سيد امجد حسين‎; 1878–1961), लेखकीय नाम: अमजद हैदराबादी (امجد حيدرابادى), भारत के हैदराबाद से उर्दू और फारसी के शायर थे। .

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अर्श मलसियानी

अर्श मलसियानी (1908 – 1979) (उर्दू:عرش ملسیانی) जन्म नाम: बाल मुकंद (उर्दू: بال مکند), उर्दू के एक प्रख्यात भारतीय शायर और लेखक थे। वे उर्दू और फारसी के विद्वान तथा उर्दू शायर लाभु राम जोश मल्सियाना के पुत्र थे। वर्ष 1948 से 1968 के सेवानिवृति तक उन्होंने भारत सरकार के प्रकाशन विभाग में पहले "आज कल" उर्दू पत्रिका के सहायक संपादक और उसके बाद 1954 में जोश मलीहाबादी के बाद संपादक का दायित्व निभाया। उनकी कविता के चार संग्रह कुंदा रंग, चांग ओ अहंग, शरार ए संग और अहंग ए हिजाज़ प्रकाशित हुए हैं। मौलाना अबुल कलाम आज़ाद पर उनकी आत्मकथा की पुस्तक 1976 में प्रकाशित हुई। .

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अली सरदार जाफरी

अली सरदार जाफरी एक उर्दू साहित्यकार हैं। इन्हें 1997 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। .

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अख़लाक़ मुहम्मद ख़ान 'शहरयार'

अख़लाक़ मुहम्मद ख़ान (१६ जून १९३६ – १३ फ़रवरी २०१२), जिन्हें उनके तख़ल्लुस या उपनाम शहरयार से ही पहचाना जाना जाता है, एक भारतीय शिक्षाविद और भारत में उर्दू शायरी के दिग्गज थे। .

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