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बिश्केक

सूची बिश्केक

बिश्केक (किरगिज़: Бишкек), जिसे पहले पिश्पेक और फ़्रूनज़े के नामों से भी जाना जाता था, मध्य एशिया के किरगिज़स्तान देश की राजधानी और सबसे बड़ा शहर है। यह उस देश के चुय प्रांत की राजधानी भी है। .

14 संबंधों: चुय नदी, चुय प्रांत, तियाँ शान, बोलशेविक पार्टी, मध्य एशिया, रूसी साम्राज्य, सोवियत संघ, जलसम्भर, ख़ोक़न्द, किरगिज़ लोग, किरगिज़ आला-तू, किर्गिज़ भाषा, किर्गिज़स्तान, कूमीस

चुय नदी

तोकमोक शहर के पास चुय नदी का एक नज़ारा चुय नदी (किरगिज़: Чүй, काज़ाख़​: Шу, अंग्रेज़ी: Chuy) उत्तरी किरगिज़स्तान और दक्षिणी काज़ाख़​स्तान में बहने वाली १,०६७ किमी (६६३ मील) लम्बी एक नदी है। यह किरगिज़स्तान की सबसे लम्बी नदियों में से एक है। किरगिज़स्तान के उत्तरतम प्रांत, चुय ओब्लास्त, का नाम इसी नदी पर रखा गया है। किरगिज़स्तान की राजधानी बिश्केक इसी नदी की एक उपनदी के किनारे बसी हुई है।, Bradley Mayhew, Greg Bloom, Paul Clammer, pp.

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चुय प्रांत

चुय नदी घाटी में खेत चुय प्रांत (किरगिज़: Чүй областы, अंग्रेज़ी: Chuy Province) मध्य एशिया के किर्गिज़स्तान देश का सबसे उत्तरतम प्रांत है। इस प्रांत का प्रशासनिक केंद्र बिश्केक है जो किर्गिज़स्तान की राष्ट्रीय राजधानी भी है, लेकिन सन् २००३ से मई २००६ तक तोकमोक शहर चुय प्रांत की राजधानी रहा था। बिश्केक भौगोलिक रूप से इस प्रांत के क्षेत्र में आता है हालाँकि प्रशासनिक दृष्टि से अलग है। इस प्रांत का नाम चुय नदी से आया है। किर्गिज़स्तान का अधिकतर क्षेत्र पहाड़ी है लेकिन चुय प्रांत का उत्तरी भाग मैदानी और बहुत उपजाऊ है, जिस से यहाँ कृषि विस्तृत ढंग से होती है।, Laurence Mitchell, pp.

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तियाँ शान

सूर्यास्त के वक़्त ख़ान तेन्ग्री की चोटी तियान शान (अंग्रेज़ी: Tian Shan या Tien Shan; मंगोल: Тэнгэр уул, तेंगेर उउल; उइग़ुर:, तेन्ग्री ताग़; चीनी: 天山, तियान शान) मध्य एशिया का एक पहाड़ी सिलसिला है। .

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बोलशेविक पार्टी

रूसी सोशल डेमाक्रेटिक लेबर पार्टी का वह पक्ष बोलशेविक पार्टी कहलाया, जो दूसरे पक्ष से अपेक्षाकृत अधिक उग्र था और बुर्जुआवर्ग के विरुद्ध सीधी क्रांति में विश्वास रखता था। 1898 में नौ मार्क्सवादियों ने मिंस्क में रूसी सोशल डेमॉक्रेटिक पार्टी की स्थापना की थी। वस्तुत: रूस में मार्क्सवादी आंदोलन की श्रृंखला "श्रमिक-मुक्ति-संघर्ष-संघ" (यूनिअन फ़ॉर द स्ट्रगल फ़ॉर इमैंसिपेशन ऑव लेबर) की स्थापना के साथ 1883 में आरंभ हो गई थी। इस संगठन का प्राथमिक लक्ष्य औद्योगिक श्रमिकों में मार्क्स और एंजेल्स के दर्शन का प्रचार करना था। 1890 के पश्चात् रूस के प्राय: सभी मुख्य औद्योगिक केंद्रों - मास्को, कीएव और एकातिरीनोस्लाव - में इस क्रांतिकारी आंदोलन की जड़ें गहराई से पैठ गई। शु डिग्री से ही इस आंदोलन को सुधारवादी अर्थशास्त्रियों और ऐसे पक्षों से संघर्ष करना पड़ा जो (1) श्रमिक आंदोलन का आर्थिक समाधान तक ही सीमित रखना चाहते थे और (2) तत्कालीन उदारवादी बुर्जुआ आंदोलन से समझौता कर लेना चाहते थे। 20वीं सदी के आरंभ में निकोलाई लेनिन, जो सोशल डिमॉक्रेटिक लेबर पार्टी का सर्वाधिक प्रभावशाली नेता था, पार्टी के मुखपत्र इस्क्रा (चिनगारी) का प्रधान संपादक था। पार्टी के द्वितीय अधिवेशन (ब्रूसेल्स और लंदन, जुलाई-अगस्त, 1903) में सदस्यों में फूट पड़ गई और उसके दो भाग बोलशिंस्त्वो बहुमत और मेनशिंस्त्वों (अल्पमत) हो गए। बाद में दोनों बोलशेविक और मेनशेविक कहलाए, जिनका नेतृत्व क्रमश: लेनिन और मार्तोव कर रहे थे। इस समय ट्राट्स्की बड़े ढीले-ढाले तरीके से मेनशेविकों से जुड़ा हुआ था। 1903 की फूट नीति के प्रश्न पर नहीं, अपितु संगठन के प्रश्न पर हुई थी। बाद में दोनों के बीच प्रक्रियात्मक मतभेद भी पनपे। फिर भी, फूट के बावजूद दोनों पक्ष सोशल डेमॉक्रेटिक लेबर पार्टी के अधिवेशनों में भाग लेते रहे। पार्टी के प्राग अधिवेशन (1918) में बोलशेविकों ने एक निर्णयात्मक कदम उठाकर मेनशेविकों को पार्टी से निकाल दिया। बोलशेविकों ने बुर्जुआ वर्ग के विरुद्ध सीधे संघर्ष और सर्वहारा के अधिनायकवाद का नारा दिया था। दूसरी ओर मेनशेविक क्रमिक परिवर्तन और संसदीय तथा संवैधानिक पद्धतियों द्वारा जार की एकशाही समाप्त करने के पक्षपाती थे। मार्च, 1917 में बोलशेविक पार्टी ने अपना संघर्ष छेड़ने की अंतिम घोषणा कर दी। संपूर्ण क्रांति (नवंबर, 1917) के बाद बोलशेविक पार्टी का नाम कम्युनिस्ट पार्टी हो गया और उसके बाद के रूस का इतिहास ही पार्टी का इतिहास है। भारत में बोलशेविक पार्टी की स्थापना वर्तमान शती के पाँचवें दशक में कुछ मार्क्सवादी-लेनिनवादी तत्वों ने की थी। इसके संस्थापक भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से विलग होनेवाले लोग थे। सहकारी खेती, पूर्ण नागरिक आजादी, मुफ्त शिक्षा, विदेशी पूँजी की जब्ती, बुनियादी उद्योगों - बैंक और बीमा - का राष्ट्रीयकरण, समाजवादी देशों से विशेष संबंध और व्यापार, भारत पाक एकता और राष्ट्रमंडल से संबंध विच्छेद पार्टी की नीति के अंग हैं। पार्टीं आरंभ से बंगाल में ही सीमित रही और अब तो इसका अस्तित्व केवल कलकत्ता नगर में ही सिमटकर रह गया है। .

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मध्य एशिया

मध्य एशिया एशिया के महाद्वीप का मध्य भाग है। यह पूर्व में चीन से पश्चिम में कैस्पियन सागर तक और उत्तर में रूस से दक्षिण में अफ़ग़ानिस्तान तक विस्तृत है। भूवैज्ञानिकों द्वारा मध्य एशिया की हर परिभाषा में भूतपूर्व सोवियत संघ के पाँच देश हमेशा गिने जाते हैं - काज़ाख़स्तान, किरगिज़स्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़बेकिस्तान। इसके अलावा मंगोलिया, अफ़ग़ानिस्तान, उत्तरी पाकिस्तान, भारत के लद्दाख़ प्रदेश, चीन के शिनजियांग और तिब्बत क्षेत्रों और रूस के साइबेरिया क्षेत्र के दक्षिणी भाग को भी अक्सर मध्य एशिया का हिस्सा समझा जाता है। इतिहास में मध्य एशिया रेशम मार्ग के व्यापारिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है। चीन, भारतीय उपमहाद्वीप, ईरान, मध्य पूर्व और यूरोप के बीच लोग, माल, सेनाएँ और विचार मध्य एशिया से गुज़रकर ही आते-जाते थे। इस इलाक़े का बड़ा भाग एक स्तेपी वाला घास से ढका मैदान है हालाँकि तियान शान जैसी पर्वत शृंखलाएँ, काराकुम जैसे रेगिस्तान और अरल सागर जैसी बड़ी झीलें भी इस भूभाग में आती हैं। ऐतिहासिक रूप मध्य एशिया में ख़ानाबदोश जातियों का ज़ोर रहा है। पहले इसपर पूर्वी ईरानी भाषाएँ बोलने वाली स्किथी, बैक्ट्रियाई और सोग़दाई लोगों का बोलबाला था लेकिन समय के साथ-साथ काज़ाख़, उज़बेक, किरगिज़ और उईग़ुर जैसी तुर्की जातियाँ अधिक शक्तिशाली बन गई।Encyclopædia Iranica, "CENTRAL ASIA: The Islamic period up to the Mongols", C. Edmund Bosworth: "In early Islamic times Persians tended to identify all the lands to the northeast of Khorasan and lying beyond the Oxus with the region of Turan, which in the Shahnama of Ferdowsi is regarded as the land allotted to Fereydun's son Tur.

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रूसी साम्राज्य

सन् १८६६ में रूसी साम्राज्य (हरे रंग में) रूसी साम्राज्य (रूसी: Российская Империя, रोसिस्काया इम्पेरिया) सन् १७२१ से १९१७ तक की रूसी क्रांति तक अस्तित्व में रहने वाला एक साम्राज्य था। रूसी साम्राज्य से पहले रूस में रूसी त्सार-राज्य था और उसके बाद बहुत कम अवधि के लिए रूसी गणतंत्र चला और उसके उपरान्त सोवियत संघ स्थापित हुआ। रूसी साम्राज्य दुनिया के सब से बड़े साम्राज्यों में से एक था और केवल मंगोल और ब्रिटिश साम्राज्य ही क्षेत्रफल में उस से बड़े रहे हैं। सन् १८६६ में रूसी साम्राज्य पूर्वी यूरोप से लेकर सुदूर पूर्व एशिया तक और फिर समुद्र के पार उत्तर अमेरिका के कुछ इलाक़ों पर विस्तृत था। १८९७ में सामराज्य की जनसँख्या १२.५६ करोड़ थी।, Jane Burbank, David L. Ransel, Indiana University Press, 1998, ISBN 978-0-253-21241-2,...

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सोवियत संघ

सोवियत संघ (रूसी भाषा: Сове́тский Сою́з, सोवेत्स्की सोयूज़; अंग्रेज़ी: Soviet Union), जिसका औपचारिक नाम सोवियत समाजवादी गणतंत्रों का संघ (Сою́з Сове́тских Социалисти́ческих Респу́блик, Union of Soviet Socialist Republics) था, यूरेशिया के बड़े भूभाग पर विस्तृत एक देश था जो १९२२ से १९९१ तक अस्तित्व में रहा। यह अपनी स्थापना से १९९० तक साम्यवादी पार्टी (कोम्युनिस्ट पार्टी) द्वारा शासित रहा। संवैधानिक रूप से सोवियत संघ १५ स्वशासित गणतंत्रों का संघ था लेकिन वास्तव में पूरे देश के प्रशासन और अर्थव्यवस्था पर केन्द्रीय सरकार का कड़ा नियंत्रण रहा। रूसी सोवियत संघीय समाजवादी गणतंत्र (Russian Soviet Federative Socialist Republic) इस देश का सबसे बड़ा गणतंत्र और राजनैतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक केंद्र था, इसलिए पूरे देश का गहरा रूसीकरण हुआ। यही कारण रहा कि विदेश में भी सोवियत संघ को अक्सर गलती से 'रूस' बोल दिया जाता था। .

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जलसम्भर

जलसंभर का उदहारण - लाल रंग की लकीर जलविभाजक क्षेत्र को दर्शा रही है जलसंभर या द्रोणी उस भौगोलिक क्षेत्र को कहते हैं जहाँ वर्षा अथवा पिघलती बर्फ़ का पानी नदियों, नेहरों और नालों से बह कर एक ही स्थान पर एकत्रित हो जाता है। उस स्थान से या तो एक ही बड़ी नदी में पानी जलसंभर क्षेत्र से निकास कर के आगे बह जाता है, या फिर किसी सरोवर, सागर, महासागर या दलदली इलाक़े में जा के मिल जाता है। इस सन्दर्भ में कभी-कभी जलविभाजक शब्द का भी प्रयोग होता है क्योंकि भिन्न-भिन्न जलसंभर किसी भी विस्तृत क्षेत्र को अलग-अलग जल मंडलों में विभाजित करते हैं। जलसंभर खुले या बंद हो सकते हैं। बंद जलसंभारों में पानी किसी सरोवर या सूखे सरोवर में जा कर रुक जाता है। जो बंद जलसंभर शुष्क स्थानों पर होते हैं उनमें अक्सर जल आ कर गर्मी से भाप बनकर हवा में वाष्पित (इवैपोरेट) हो जाता है या उसे धरती सोख लेती है। पड़ौसी जलसंभर अक्सर पहाड़ों, पर्वतों या धरती की भिन्न ढलानों के कारण एक-दुसरे से विभाजित होते हैं। भौगोलिक दृष्टि से जलसंभर एक कीप (यानि फनल) का काम करते हैं क्योंकि वे एक विस्तृत क्षेत्र के पानी को इक्कठा कर के एक ही नदी, जलाशय, दलदल या धरती के भीतर पानी सोखने वाले स्थान पर ले जाते हैं। .

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ख़ोक़न्द

ख़ोक़न्द में ख़ान का महल ख़ोक़न्द (उज़बेक: Қўқон, ताजिकी: Хӯқанд, फ़ारसी:, अंग्रेज़ी: Kokand) मध्य एशिया में पूर्वी उज़्बेकिस्तान के फ़रग़ना प्रान्त में स्थित एक शहर है। यह फ़रग़ना वादी के दक्षिण-पश्चिमी छोर पर क़ायम है। ख़ोक़न्द उबेकिस्तान की राजधानी ताशकंद से २२८ किमी दक्षिण-पूर्व में, अन्दीझ़ान शहर से ११५ किमी पश्चिम में और फ़रग़ना शहर से ८८ किमी पश्चिम में स्थित है। इसे कभी-कभी 'हवाओं का शहर' या 'जंगली सूअर का शहर' भी बुलाया जाता है। ख़ोक़न्द कुछ बहुत ही ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण व्यापर मार्गों पर स्थित है। एक तो यहाँ से पहाड़ों से होता हुआ पश्चिमोत्तर में ताशकंद को जाता है और दूसरा पश्चिम में ख़ुजन्द की ओर। फ़रग़ना वादी में यातायात का यह एक मुख्य पड़ाव है। सन् १९९९ की जनगणना में इसकी आबादी १,९२,५०० अनुमानित की गई थी।, Bradley Mayhew, Lonely Planet, 2007, ISBN 978-1-74104-614-4,...

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किरगिज़ लोग

काराकोल में एक मनासची कथाकार पारम्परिक किरगिज़ वेशभूषा में एक किरगिज़ परिवार किरगिज़ मध्य एशिया में बसने वाली एक तुर्की-भाषी जाति का नाम है। किरगिज़ लोग मुख्य रूप से किर्गिज़स्तान में रहते हैं हालाँकि कुछ किरगिज़ समुदाय इसके पड़ौसी देशों में भी मिलते हैं, जैसे कि उज़्बेकिस्तान, चीन, ताजिकिस्तान, अफ़्ग़ानिस्तान और रूस। .

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किरगिज़ आला-तू

किरगिज़स्तान में किरगिज़ आला-तू का एक नज़ारा किरगिज़ आला-तू (किरगिज़: Кыргыз Ала-Тоосу, अंग्रेज़ी: Kyrgyz Ala-Too) उत्तरी तियान शान की एक पर्वत शृंखला है जो पूर्व-पश्चिम दिशा में इसिक कुल झील से कज़ाख़स्तान​ के तराज़ शहर तक चलती है। इसका पश्चिमी हिस्सा किरगिज़स्तान और कज़ाख़स्तान​ के बीच में एक प्राकृतिक सीमा भी बनता है। यह शृंखला चुय वादी को कोचकोर वादी, सूसमिर वादी और तलास वादी से भी अलग करती है। इसका सबसे ऊँचा शिखर ४,८५५ मीटर (१५,९२८ फ़ुट) लम्बा आलामूदून (Аламүдүн, Alamyudyun) पर्वत है।Чүй облусу:Энциклопедия (Encyclopedia of Chuy Oblast), Chief Editorial Board of Kyrgyz Encyclopedia, Page 718, 1994, ISBN 5-89750-083-5 .

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किर्गिज़ भाषा

किर्गिज़ एक तुर्की भाषा है और रूसी भाषा के अतिरिक्त यह किर्गिज़स्तान की आधिकारिक भाषा है। कुल के हिसाब से यह अल्तेय से बहुत निकट से और कज़ाख से दूर से जुड़ती है। हालाँकि वर्तमान समय में भाषीय सम्मिलन की वजह से किर्गिज़ और कज़ाख के बीच ज्यादा निकटता नजर आती है। किर्गिज़ भाषा किर्गिज़स्तान, चीन, अफ़गानिस्तान, कज़ाख़िस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्की, उज़्बेकिस्तान, पाकिस्तान और रूस में करीबन 40 लाख लोगों द्वारा बोली जाती है। किर्गिज़ २०वीं शताब्दी तक मूलतः संशोधित अरबी-फ़ारसी लिपि में लिखी जाती थी, जिसके बाद कुछ समय के लिए रोमन लिपि का इस्तेमाल किया जाने लगा। बाद में सोवियत संघ के प्रभाव की वजह से सिरिलिक वर्णमाला मानक बन गई और आज तक चलन में है। हालाँकि कुछ लोग आज भी अरबी लिपि का उपयोग करते हैं। सोवियत संघ के 1991 में विघटन और देश के स्वतंत्र होने के बाद से किर्गिज़ भाषा को पुनः रोमन लिपि में कुछ किर्गिज राजनीतिज्ञ बात कह रहे हैं, लेकिन इस योजना को मूर्त रूप नहीं दिया जा सका। आजकल, यह अभी भी मुख्य भाषा मुख्य शहरों में, इस तरह के रूप में बिश्केक जबकि किरगिज़ जारी है जमीन खोने विशेष रूप से युवा पीढ़ी के बीच। .

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किर्गिज़स्तान

किर्ग़िज़स्तान, आधिकारिक तौर पर किर्ग़िज़ गणतंत्र, मध्य एशिया में स्थित एक देश है। चारों तरफ जमीन और पहाड़ियों से घिरे इस देश की सीमा उत्तर में कज़ाख़िस्तान, पश्चिम में उज़्बेकिस्तान, दक्षिण पश्चिम में ताजिकिस्तान और पूर्व में चीन से मिलती है। "किरगिज़", जिससे देश का नाम पड़ा है, शब्द की उत्पति मूलतः "चालीस लड़कियां" या फिर "चालीस जनजातियां" मानी जाती है। जो संभवतः महानायक मानस की ओर इंगित करती हैं, जिन्होंने किंवदंती के अनुसार, खितान के खिलाफ चालीस जनजातियों को एकजुट किया था। किर्ग़िज़स्तान के झंडे में सूर्य की चालीस किरणें मानस के इन्हीं चालीस जनजातियों का प्रतीक हैं। .

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कूमीस

रूस में कूमीस की एक बोतल और गिलास कूमीस (किरगिज़: Кымыз, अंग्रेज़ी: Kumis) घोड़ी के दूध को किण्वित (फ़रमॅन्ट​) करके बनाए जाने वाले मध्य एशिया के स्तेपी क्षेत्र के एक पारम्परिक पेय को कहते हैं। किण्वन की वजह से घोड़ी के दूध में प्राकृतिक रूप से मौजूद लैक्टोस चीनी की कुछ मात्रा शराब में बदल जाती है और इस प्रक्रिया में कुछ कार्बन डाई-ऑक्साइड बनने से दूध में गैस के बुदबुदे भी बन जाते हैं। कूमीस को मंगोलिया में ऐरग (Айраг, Airag) कहा जाता है। अन्य शराबों की तुलना में कूमीस कम नशीली होती है और इसमें केवल २% शराब होती है।, Iain Gately, Penguin, 2009, ISBN 978-1-59240-464-3,...

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बिशकेक, बिस्केक

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