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बाला साहेब पूछवाले

सूची बाला साहेब पूछवाले

पं.

5 संबंधों: टप्पा, शास्त्रीय संगीत, शिखर सम्मान, संगीत नाटक अकादमी, ग्वालियर घराना

टप्पा

टप्पा हिंदुस्तानी संगीत की एक विशिष्ट शैली है। इसमें छोटी लम्बाई के बोल होते हैं और लय अक्सर चंचल होती है। ये गीत बहुधा पंजाबी भाषा में होते हैं। इन्हें मुग़ल काल में दरबारी गायन के रूप में स्थापित करने का श्रेय शौरी मियां को जाता है। ग्वालियर घराने के गायक टप्पा गायन में निपुण माने जाते हैं। .

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शास्त्रीय संगीत

भारतीय शास्त्रीय संगीत या मार्ग, भारतीय संगीत का अभिन्न अंग है। शास्त्रीय संगीत को ही ‘क्लासिकल म्जूजिक’ भी कहते हैं। शास्त्रीय गायन ध्वनि-प्रधान होता है, शब्द-प्रधान नहीं। इसमें महत्व ध्वनि का होता है (उसके चढ़ाव-उतार का, शब्द और अर्थ का नहीं)। इसको जहाँ शास्त्रीय संगीत-ध्वनि विषयक साधना के अभ्यस्त कान ही समझ सकते हैं, अनभ्यस्त कान भी शब्दों का अर्थ जानने मात्र से देशी गानों या लोकगीत का सुख ले सकते हैं। इससे अनेक लोग स्वाभाविक ही ऊब भी जाते हैं पर इसके ऊबने का कारण उस संगीतज्ञ की कमजोरी नहीं, लोगों में जानकारी की कमी है। .

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शिखर सम्मान

शिखर सम्मान,मध्य प्रदेश में साहित्य और विभिन्न कलाओं के क्षेत्र में जो सृजन कार्य के लिए, मध्य प्रदेश शासन द्वारा प्रदान किया जाता है।समग्र योगदान के आधार पर साहित्य, प्रदर्शनकारी कलाओं और रूपंकर कलाओं में एक-एक राज्यस्तरीय शिखर सम्मान दिया जाता है। .

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संगीत नाटक अकादमी

संगीत नाटक अकादमी भारत सरकार द्वारा स्थापित भारत की संगीत एवं नाटक की राष्ट्रीय स्तर की सबसे बड़ी अकादमी है। इसका मुख्यालय दिल्ली में है। .

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ग्वालियर घराना

हस्सू, हद्दू खाँ के दादा नत्थन पीरबख्श को इस घराने का जन्मदाता कहा जाता है। दिल्लीके राजा ने इनको अपने पास बुला लिया था। इनके दो पुत्र थे--ः?कादिर बख्श"' और ः?पीर बख्श"' इनमें कादिर बख्श को ग्वालियर के महाराज दौलत राव जी ने अपने राज्य में नौकर रख लिया था। कादिर बख्श के तीन पुत्र थे जिनके नाम इस प्रकार हैं--हद्दू खाँ, हस्सू खाँ और नत्थू खाँ। ये तीनों भाई मशहूर ख्याल गाने वाले और ग्वालियर राज्य के दरबारी उस्ताद थे। इसी परम्परा के शिष्य बालकृष्ण बुआ इचलकरजीकर थे। इनके शिष्य पं॰ विष्णु दिगम्बर पलुस्कर थे। पलुस्कर जी के प्रसिद्ध शिष्य ओंकारनाथ ठाकुर, विनायक राव पटवर्धन, नारायण राव व्यास तथा वी.ऐ. क्शालकर हुए जिन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत का खूब प्रचार किया। नत्थू खाँ ग्वालियर महाराज जियाजी राव शिंदे के गुरु थे। इनके दत्तक पुत्र निसार हुसेन खाँ थे। इन्होंने नत्थू खाँ से ही शिक्षा प्राप्त की थी। नत्थू खाँ के बाद ग्वालियर महाराज ने ः?निसार हुसेन"' को अपने दरबार में रखा। इनकी शिष्य-परम्परा इस प्रकार है--शंकर राव पंडित, भाऊ राव जोशी, राम कृष्ण बझे इत्यादि। शंकर राव पंडित के पुत्र कृष्ण राव शंकर पंडित तथा शिष्य राजा भैया पूंछवाले, रामपुर के प्रसिद्ध मुस्ताक हुसेन भी इसी घरानेके गायक थे। ग्वालियर घराने की शैली की .

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