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टप्पा

सूची टप्पा

टप्पा हिंदुस्तानी संगीत की एक विशिष्ट शैली है। इसमें छोटी लम्बाई के बोल होते हैं और लय अक्सर चंचल होती है। ये गीत बहुधा पंजाबी भाषा में होते हैं। इन्हें मुग़ल काल में दरबारी गायन के रूप में स्थापित करने का श्रेय शौरी मियां को जाता है। ग्वालियर घराने के गायक टप्पा गायन में निपुण माने जाते हैं। .

3 संबंधों: पंजाबी भाषा, हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत, ग्वालियर घराना

पंजाबी भाषा

पंजाबी (गुरमुखी: ਪੰਜਾਬੀ; शाहमुखी: پنجابی) एक हिंद-आर्यन भाषा है और ऐतिहासिक पंजाब क्षेत्र (अब भारत और पाकिस्तान के बीच विभाजित) के निवासियों तथा प्रवासियों द्वारा बोली जाती है। इसके बोलने वालों में सिख, मुसलमान और हिंदू सभी शामिल हैं। पाकिस्तान की १९९८ की जनगणना और २००१ की भारत की जनगणना के अनुसार, भारत और पाकिस्तान में भाषा के कुल वक्ताओं की संख्या लगभग ९-१३ करोड़ है, जिसके अनुसार यह विश्व की ११वीं सबसे व्यापक भाषा है। कम से कम पिछले ३०० वर्षों से लिखित पंजाबी भाषा का मानक रूप, माझी बोली पर आधारित है, जो ऐतिहासिक माझा क्षेत्र की भाषा है। .

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हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत

हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत भारतीय शास्त्रीय संगीत के दो प्रमुख शैली में से एक है। दूसरी प्रमुख शैली है - कर्नाटक संगीत। यह एक परम्प्रिक उद्विकासी है जिसने 11वीं और 12वीं शताब्दी में मुस्लिम सभ्यता के प्रसार ने भारतीय संगीत की दिशा को नया आयाम दिया। यह दिशा प्रोफेसर ललित किशोर सिंह के अनुसार यूनानी पायथागॉरस के ग्राम व अरबी फ़ारसी ग्राम के अनुरूप आधुनिक बिलावल ठाठ की स्थापना मानी जा सकती है। इससे पूर्व काफी ठाठ शुद्ध मेल था। किंतु शुद्ध मेल के अतिरिक्त उत्तर भारतीय संगीत में अरबी-फ़ारसी अथवा अन्य विदेशी संगीत का कोई दूसरा प्रभाव नहीं पड़ा। "मध्यकालीन मुसलमान गायकों और नायकों ने भारतीय संस्कारों को बनाए रखा।" राजदरबार संगीत के प्रमुख संरक्षक बने और जहां अनेक शासकों ने प्राचीन भारतीय संगीत की समृद्ध परंपरा को प्रोत्साहन दिया वहीं अपनी आवश्यकता और रुचि के अनुसार उन्होंने इसमें अनेक परिवर्तन भी किए। हिंदुस्तानी संगीत केवल उत्तर भारत का ही नहीं। बांगलादेश और पाकिस्तान का भी शास्त्रीय संगीत है। .

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ग्वालियर घराना

हस्सू, हद्दू खाँ के दादा नत्थन पीरबख्श को इस घराने का जन्मदाता कहा जाता है। दिल्लीके राजा ने इनको अपने पास बुला लिया था। इनके दो पुत्र थे--ः?कादिर बख्श"' और ः?पीर बख्श"' इनमें कादिर बख्श को ग्वालियर के महाराज दौलत राव जी ने अपने राज्य में नौकर रख लिया था। कादिर बख्श के तीन पुत्र थे जिनके नाम इस प्रकार हैं--हद्दू खाँ, हस्सू खाँ और नत्थू खाँ। ये तीनों भाई मशहूर ख्याल गाने वाले और ग्वालियर राज्य के दरबारी उस्ताद थे। इसी परम्परा के शिष्य बालकृष्ण बुआ इचलकरजीकर थे। इनके शिष्य पं॰ विष्णु दिगम्बर पलुस्कर थे। पलुस्कर जी के प्रसिद्ध शिष्य ओंकारनाथ ठाकुर, विनायक राव पटवर्धन, नारायण राव व्यास तथा वी.ऐ. क्शालकर हुए जिन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत का खूब प्रचार किया। नत्थू खाँ ग्वालियर महाराज जियाजी राव शिंदे के गुरु थे। इनके दत्तक पुत्र निसार हुसेन खाँ थे। इन्होंने नत्थू खाँ से ही शिक्षा प्राप्त की थी। नत्थू खाँ के बाद ग्वालियर महाराज ने ः?निसार हुसेन"' को अपने दरबार में रखा। इनकी शिष्य-परम्परा इस प्रकार है--शंकर राव पंडित, भाऊ राव जोशी, राम कृष्ण बझे इत्यादि। शंकर राव पंडित के पुत्र कृष्ण राव शंकर पंडित तथा शिष्य राजा भैया पूंछवाले, रामपुर के प्रसिद्ध मुस्ताक हुसेन भी इसी घरानेके गायक थे। ग्वालियर घराने की शैली की .

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