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प्लूटोनियम-२४१

सूची प्लूटोनियम-२४१

400px प्लूटोनियम-२४१ (Pu-241) प्लूटोनियम का एक समस्थानिक होता है। इसका अर्धायु काल १४ वर्ष होता है। श्रेणी:प्लूटोनियम के समस्थानिक श्रेणी:एक्टिनाइड.

7 संबंधों: प्लूटोनियम, प्लूटोनियम-२३९, प्लूटोनियम-२४०, प्लूटोनियम-२४२, बीटा क्षय, समस्थानिक, अल्फा क्षय

प्लूटोनियम

प्लूटोनियम एक दुर्लभ ट्रांसयूरेनिक रेडियोधर्मी तत्त्व है। इसका रासायनिक प्रतीक Pu और परमाणु भार ९४ होता है। प्लूटोनियम के छः अपरूप होते हैं। यह एक ऐक्टिनाइड तत्त्व है जो दिखने में रुपहले श्वेत (सिल्वर व्हाइट) रंग का होता है। प्लूटोनियम-२३८ का अर्धायु काल ८७.७४ वर्ष होता है।। हिन्दुस्तान लाइव। १० दिसम्बर २००९ प्लूटोनियम-२३९, प्लूटोनियम का एक महत्वपूर्ण समस्थानिक है जिसकी अर्धायु काल २४,१०० वर्ष होता है। प्लूटोनियम-२४४, प्लूटोनियम का सर्वाधिक स्थाई समस्थानिक होता है। इसका अर्धायु काल ८ करोड़ वर्ष होता है। .

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प्लूटोनियम-२३९

प्लूटोनियम-२३९ प्लूटोनियम का एक समस्थानिक होता है। इसका अर्धायु काल २४,११० वर्ष होता है। श्रेणी:एक्टिनाइड श्रेणी:प्लूटोनियम के समस्थानिक.

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प्लूटोनियम-२४०

प्लूटोनियम-२४० (Pu-240) प्लूटोनियम का एक समस्थानिक होता है। इसकी अर्धायु ६५६३ वर्ष होती है। श्रेणी:एक्टिनाइड श्रेणी:प्लूटोनियम के समस्थानिक.

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प्लूटोनियम-२४२

प्लूटोनियम-२४२ प्लूटोनियम का एक समस्थानिक होता है। इसका अर्धायु काल २४,११० वर्ष होता है। श्रेणी:एक्टिनाइड श्रेणी:प्लूटोनियम के समस्थानिक.

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बीटा क्षय

नाभिकीय भौतिकी में, बीटा क्षय (बीटा-डीके) एक प्रकार का रेडियोधर्मी क्षय होता है, जिसमें बीटा कण (एक विद्युदणु (इलेक्ट्रॉन) या एक धनाणु (पॉज़िट्रॉन)) उत्सर्जित होते हैं। यह दो प्रकार का होता है। विद्युदणु उत्सर्जन होने पर, इसे बीटा-ऋण कहते हैं, जबकि धनाणु उत्सर्जन होने पर इसे बीटा धन कहते हैं। बीटा कणों की गतिज ऊर्जा लगातार वर्णक्रम की होती है और इसका परास शून्य से अधिकतम उपलब्ध ऊर्जा तक होता है। कार्बन-14 का क्षय होकर नाइट्रोजन-14 में बदलना इलेक्ट्रॉन क्षय (electron emission या β− क्षय) का उदाहरण है। इसी प्रकार, मैगनीशियम-23 का क्षय होकर सोडियम-23 में परिवर्तन पॉजिट्रॉन-क्षय या β+ क्षय का उदाहरण है। नीचे दो अन्य उदाहरण दिये गये हैं- बीटा-क्षय का सामान्य सूत्र- .

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समस्थानिक

समस्थानिक (फ्रेंच, अंग्रेज़ी: Isotope, जर्मन: Isotop, पुर्तगाली, स्पेनिश: Isótopo) एक ही तत्व के परमाणु जिनकी परमाणु संख्या समान होती हैं, परन्तु भार अलग-अलग होता है, उन्हें समस्थानिक कहा जाता है। इनमें प्रत्येक परमाणु में समान प्रोटोन होते हैं। जबकि न्यूट्रॉन की संख्या अलग अलग रहती है। इस कारण परमाणु संख्या तो समान रहती है, लेकिन परमाणु का द्रव्यमान अलग अलग हो जाता है। समस्थानिक का अर्थ "समान स्थान" से है। आवर्त सारणी में तत्वों को परमाणु संख्या के आधार पर अलग अलग रखा जाता है, जबकि समस्थानिक में परमाणु संख्या के समान रहने के कारण उन्हें अलग नहीं किया गया है, इस कारण इन्हें समस्थानिक कहा जाता है। परमाणु के नाभिक के भीतर प्रोटोन की संख्या को परमाणु संख्या कहा जाता है, जो बिना आयन वाले परमाणु के इलेक्ट्रॉन के बराबर होते हैं। प्रत्येक परमाणु संख्या किसी विशिष्ट तत्व की पहचान बताता है, लेकिन ऐसा समस्थानिक में नहीं होता है। इसमें किसी तत्व के परमाणु में न्यूट्रॉन की संख्या विस्तृत हो सकती है। प्रोटोन और न्यूट्रॉन की संख्या उस परमाणु का द्रव्यमान संख्या होता है और प्रत्येक समस्थानिक में द्रव्यमान संख्या अलग अलग होता है। उदाहरण के लिए, कार्बन के तीन समस्थानिक कार्बन-12, कार्बन-13 और कार्बन-14 हैं। इनमें सभी का द्रव्यमान संख्या क्रमशः 12, 13 और 14 है। कार्बन में 6 परमाणु होता है, जिसका मतलब है कि कार्बन के सभी परमाणु में 6 प्रोटोन होते हैं और न्यूट्रॉन की संख्या क्रमशः 6, 7 और आठ है। .

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अल्फा क्षय

कोई विवरण नहीं।

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