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पुरु लोग

सूची पुरु लोग

पुरु बृहत भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमोत्तर भाग में बसने वाले आर्य समुदाय का एक क़बीला या क़बीलाई परिसंघ था। ऋग्वेद ७:९६:२ में वे सरस्वती नदी के किनारे बसे हुए बताए जाते हैं। इनमें आपस में कई गुट थे, जिनमें से एक भारत नामक समुदाय था। ऋग्वेद के सातवे मंडल में पुरुओं द्वारा कई अन्य क़बीलों का मित्रपक्ष बनाकर दस राजाओं के युद्ध (दशराज्ञ युद्ध) में भारत क़बीले के राजा सुदास से हुई जंग का वर्णन है। इसमें पुरु हार गए और भारत विजयी रहे।, Krishna Reddy, pp.

9 संबंधों: दशराज्ञ युद्ध, परिसंघ (प्रशासन), भारत लोग (ऋग्वेद), मित्रपक्ष, सरस्वती नदी, सुदास (ऋग्वेद), वृहद भारत, आर्य, ऋग्वेद

दशराज्ञ युद्ध

दशराज्ञ युद्ध या दस राजाओं का युद्ध एक युद्ध था जिसका उल्लेख ऋग्वेद के सातवें मंडल में ७:१८, ७:३३ और ७:८३:४-८ में मिलता है। इस युद्ध में एक तरफ़ पुरु नामक आर्य क़बीला और उनका मित्रपक्ष समुदाय था, जिनके सलाहकार ऋषि विश्वामित्र थे। दूसरी ओर भारत नामक समुदाय था, जिसका नेतृत्व तृत्सु नामक क़बीले के राजा सुदास कर रहें थे और जिनके प्रेरक ऋषि वशिष्ठ थे।, Sushant Kumar, pp.

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परिसंघ (प्रशासन)

२००३ में सर्बिया और मोण्टेनेग्रो का परिसंघ बना लेकिन २००६ में मोण्टेनेग्रो (नीला रंग) के निकल जाने पर परिसंघ बिखर गया परिसंघ ऐसी राजनैतिक व्यवस्था को कहा जाता है जिसमें दो या उस से अधिक लगभग पूर्णतः स्वतन्त्र राष्ट्र समझौता कर लें के बाक़ी विश्व के साथ वे एक ही राष्ट्र की तरह सम्बन्ध रखेंगे। संघों की तुलना में परिसंघों के सदस्यों को अधिक स्वतंत्रता होती है। परिसंघों में कभी-कभी केवल नाम मात्र की केन्द्रीय सरकार होती है जिसके पास कोई असली शक्तियां नहीं होती। .

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भारत लोग (ऋग्वेद)

ऋग्वेद हिंदू देवताओं के 1000 से अधिक वैदिक संस्कृत भजनों का संग्रह है। भारत या भरत बृहत भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमोत्तर भाग में बसने वाले आर्य समुदाय की एक शाखा थी। इनका उल्लेख ऋग्वेद के तीसरे मंडल में मिलता है जो इसी समुदाय के महऋषि विश्वामित्र द्वारा रचित कहा जाता है। ऋग्वेद ३:३३ में पूर्ण भारत क़बीले द्वारा एक नदी को पार करने का वर्णन है। ऋग्वेद के सातवे मंडल में भारत लोगों की दस राजाओं के युद्ध (दशराज्ञ युद्ध) में भूमिका का बखान है जिसमें उनकी तृत्सु शाखा के राजा सुदास विजयी रहे। इससे हिन्द-आर्यों पर उनका बोलबाला हो गया और भारत लोग सिन्धु नदी क्षेत्र से आगे बढ़कर कुरुक्षेत्र के इलाक़े में बस पाए।, Krishna Reddy, pp.

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मित्रपक्ष

उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) नामक सैनिक मित्रपक्ष के एक समारोह में सदस्य राष्ट्रों के झंडों का प्रदर्शन हाथी पर बैठा सिन्धु राज्य का नरेश जयद्रथ कौरव नहीं था, लेकिन उनका जीजा होने के नाते महाभारत के युद्ध में उनके साथ मित्रपक्ष में पांडवों के ख़िलाफ़ लड़ा मित्रपक्ष (अंग्रेज़ी: Allies, ऐलाइज़​) उन व्यक्तियों, दलों, संस्थाओं या राष्ट्रों को कहते हैं जो किसी सांझे ध्येय के लिए एक-दूसरे से सहयोग करते हैं। यह ज़रूरी नहीं है कि उनमें आपस में कोई लिखित समझौता हो या वे किसी विधि से आपसी सहयोग करने के लिए बद्ध हों।, रफ़्तार शब्दकोष, Accessed 01 जुलाई 2012,...

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सरस्वती नदी

सरस्वती एक पौराणिक नदी जिसकी चर्चा वेदों में भी है। ऋग्वेद (२ ४१ १६-१८) में सरस्वती का अन्नवती तथा उदकवती के रूप में वर्णन आया है। यह नदी सर्वदा जल से भरी रहती थी और इसके किनारे अन्न की प्रचुर उत्पत्ति होती थी। कहते हैं, यह नदी पंजाब में सिरमूरराज्य के पर्वतीय भाग से निकलकर अंबाला तथा कुरुक्षेत्र होती हुई कर्नाल जिला और पटियाला राज्य में प्रविष्ट होकर सिरसा जिले की दृशद्वती (कांगार) नदी में मिल गई थी। प्राचीन काल में इस सम्मिलित नदी ने राजपूताना के अनेक स्थलों को जलसिक्त कर दिया था। यह भी कहा जाता है कि प्रयाग के निकट तक आकार यह गंगा तथा यमुना में मिलकर त्रिवेणी बन गई थी। कालांतर में यह इन सब स्थानों से तिरोहित हो गई, फिर भी लोगों की धारणा है कि प्रयाग में वह अब भी अंत:सलिला होकर बहती है। मनुसंहिता से स्पष्ट है कि सरस्वती और दृषद्वती के बीच का भूभाग ही ब्रह्मावर्त कहलाता था। .

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सुदास (ऋग्वेद)

सुदास भारत में एक प्राचीन राजा थे जिनका उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है। वे दशराज्ञ युद्ध के विजेता थे जिसका वर्णन ऋग्वेद ७:१८, ७:३३ और ७:८३:४-८ में है।, Sushant Kumar, pp.

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वृहद भारत

'''वृहद भारत''': केसरिया - भारतीय उपमहाद्वीप; हल्का केसरिया: वे क्षेत्र जहाँ हिन्दू धर्म फैला; पीला - वे क्षेत्र जिनमें बौद्ध धर्म का प्रसार हुआ वृहद भारत (Greater India) से अभिप्राय भारत सहित उन अन्य देशों से है जिनमें ऐतिहासिक रूप से भारतीय संस्कृति का प्रभाव है। इसमें दक्षिणपूर्व एशिया के भारतीकृत राज्य मुख्य रूप से शामिल है जिनमें ५वीं से १५वीं सदी तक हिन्दू धर्म का प्रसार हुआ था। वृहद भारत में मध्य एशिया एवं चीन के वे वे भूभाग भी सम्मिलित किये जा सकते हैं जिनमे भारत में उद्भूत बौद्ध धर्म का प्रसार हुआ था। इस प्रकार पश्चिम में वृहद भारत कीघा सीमा वृहद फारस की सीमा में हिन्दुकुश एवं पामीर पर्वतों तक जायेगी। भारत का सांस्कृतिक प्रभाव क्षेत्र .

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आर्य

आर्य समस्त हिन्दुओं तथा उनके मनुकुलीय पूर्वजों का वैदिक सम्बोधन है। इसका सरलार्थ है श्रेष्ठ अथवा कुलीन। .

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ऋग्वेद

ऋग्वेद सनातन धर्म का सबसे आरंभिक स्रोत है। इसमें १०२८ सूक्त हैं, जिनमें देवताओं की स्तुति की गयी है इसमें देवताओं का यज्ञ में आह्वान करने के लिये मन्त्र हैं, यही सर्वप्रथम वेद है। ऋग्वेद को इतिहासकार हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार की अभी तक उपलब्ध पहली रचनाऔं में एक मानते हैं। यह संसार के उन सर्वप्रथम ग्रन्थों में से एक है जिसकी किसी रूप में मान्यता आज तक समाज में बनी हुई है। यह एक प्रमुख हिन्दू धर्म ग्रंथ है। ऋक् संहिता में १० मंडल, बालखिल्य सहित १०२८ सूक्त हैं। वेद मंत्रों के समूह को सूक्त कहा जाता है, जिसमें एकदैवत्व तथा एकार्थ का ही प्रतिपादन रहता है। ऋग्वेद में ही मृत्युनिवारक त्र्यम्बक-मंत्र या मृत्युंजय मन्त्र (७/५९/१२) वर्णित है, ऋग्विधान के अनुसार इस मंत्र के जप के साथ विधिवत व्रत तथा हवन करने से दीर्घ आयु प्राप्त होती है तथा मृत्यु दूर हो कर सब प्रकार का सुख प्राप्त होता है। विश्व-विख्यात गायत्री मन्त्र (ऋ० ३/६२/१०) भी इसी में वर्णित है। ऋग्वेद में अनेक प्रकार के लोकोपयोगी-सूक्त, तत्त्वज्ञान-सूक्त, संस्कार-सुक्त उदाहरणतः रोग निवारक-सूक्त (ऋ०१०/१३७/१-७), श्री सूक्त या लक्ष्मी सूक्त (ऋग्वेद के परिशिष्ट सूक्त के खिलसूक्त में), तत्त्वज्ञान के नासदीय-सूक्त (ऋ० १०/१२९/१-७) तथा हिरण्यगर्भ सूक्त (ऋ०१०/१२१/१-१०) और विवाह आदि के सूक्त (ऋ० १०/८५/१-४७) वर्णित हैं, जिनमें ज्ञान विज्ञान का चरमोत्कर्ष दिखलाई देता है। ऋग्वेद के विषय में कुछ प्रमुख बातें निम्नलिखित है-.

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