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पश्च-प्रदीप

सूची पश्च-प्रदीप

चित्र:LCD layers.svg पश्च-प्रदीप (कभी कभी पश्चालोक) या पश्च-प्रदीपक द्रव क्रिस्टल प्रादर्शी (एलसीडी) को प्रकाशित करने की एक युक्ति है। पश्च-प्रदीपक किसी एलसीडी को पीछे से या पार्श्व से प्रकाशित करते हैं जबकि इसके विपरीत अग्र-प्रदीपक को प्रकाशन हेतु एलसीडी के सामने रखा जाता है। पश्च-प्रदीपकों का प्रयोग छोटे प्रादर्शी पटलों में कम प्रकाश की स्थितियों में पठनीयता को बढ़ाने के लिए,संगणक प्रादर्शी पटलों और एलसीडी टेलीविजन में सीआरटी प्रादर्शी पटलों की भांति प्रकाश उतपन्न करने के लिए किया जाता है। सामान्य प्रकार के एलसीडी प्रादर्शी पटलों का निर्माण बिना किसी आंतरिक प्रकाश स्रोत के बिना किया जाता है और उपयोगकर्ता के लिए संप्रेषित छवि प्रदर्शित करने के लिए एक बाहरी प्रकाश स्रोत की आवश्यकता होती है। हालांकि, आधुनिक एलसीडी स्क्रीन एक आंतरिक प्रकाश स्रोत के साथ बनाये जाते हैं। ऐसी एलसीडी स्क्रीन कई परतों से मिलकर बनी होती है और आमतौर पर पश्च-प्रदीपक पीछे से पहली परत होती है। स्क्रीन पर छवियों के सर्जन हेतु स्क्रीन के पिक्सल के प्रकाश की तीव्रता को विनियमित करने के लिए एक तंत्र की आवश्यकता होती है और इस के लिए, प्रकाश वाल्व का प्रयोग किया जाता है। प्रकाश वाल्व लक्ष्य तक पहुँचने वाले प्रकाश का मार्ग अवरुद्ध करके इसकी मात्रा को किसी तरह नियंत्रित करता है। ऐसा करने का सबसे आम तरीका ध्रुवीकरण फिल्टर का प्रयोग है जो एक स्रोत से निकलने वाले प्रकाश का ध्रुवण एक या दो अनुप्रस्थ दिशाओं में कर, इसे फिर एक स्विचन ध्रुवीकरण फिल्टर के माध्यम से पारित कर अवांछनीय प्रकाश का रास्ता रोक देता है। पश्च-प्रदीपक किसी भी रंग का हो सकता है। एकवर्णी (मोनोक्रोम) एलसीडी आमतौर पर पीले, हरे, नीले या सफेद रंग के होते हैं, जबकि बहुवर्णी एलसीडी सफेद रंग का प्रयोग करते हैं क्योंकि सफेद रंग में वर्णक्रम के अधिकतर रंग समाहित होते हैं। .

8 संबंधों: द्रव क्रिस्टल प्रादर्शी, ध्रुवक, नीला, प्रकाश वाल्व, पीला, श्वेत, हरा, कंप्यूटर

द्रव क्रिस्टल प्रादर्शी

एलसीडी घड़ी द्रव क्रिस्टल प्रादर्शी के विभिन्न स्तर द्रव क्रिस्टल प्रादर्शी ('लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले', लघुरूप: LCD) एक प्रकार का डिस्प्ले (प्रादर्शी) है जो टेक्स्ट, छबि, विडियो आदि को एलेक्ट्रानिक विधि से प्रदर्शित करने के काम आता है। यह स्वयं कोई प्रकाश उत्पन्न नहीं करता बल्कि किसी दूसरे स्रोत से असके उपर पड़ने वाले प्रकाश को मॉडुलेट करता है। द्रव क्रिस्टल प्रादर्शी, द्रव क्रिस्टलों के विभिन्न आकृति वाले मूल अवयवों (एलिमेन्ट्स) से बना होता है। वाह्य विद्युत क्षेत्र के प्रभाव में ये द्रव क्रिस्टल अपना झुकाव (ओरिएण्टेशन) बदल देते हैं। इन क्रिस्टलों का ओरिएण्टेशन बदलने से इन पर पड़ने वाले प्रकाश के ध्रुवण भी बदलता है। जो उस क्रिस्टल-एलिमेन्ट की दृश्यता/अदृष्यता का निर्धारण करता है। इसी से ही कम्प्यूटर के मॉनिटर, टीवी, उपकरणों के पैनेल, तथा सामान्य जनजीवन में प्रयुक्त उपभोक्ता बस्तुओं (जैसे कैलकुलेटर, कलाई की घड़ियाँ आदि) के डिस्प्ले बनते हैं। हल्का होना, पोर्टेबल होना, कम बिजली से चलना, बड़ी आकृति में भी निर्माण में आसानी आदि इसकी प्रमुख विशेषताएं हैं। वस्तुत: यह एक "एलेक्ट्रानिक रीति से परिवर्तनीय प्रकाशीय युक्ति" (electronically-modulated optical device) है जो अनेकानेक एलिमेन्ट्स/पिक्सलों (pixels) से बनी होती है जिनमें द्रव क्रिस्टल से भरे होते हैं। .

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ध्रुवक

एक ध्रुवीकरण फिल्टर परावर्तन (शीर्ष) को कम कर शीशे के माध्यम से देखना संभव बनाता है। ध्रुवक या ध्रुवीयक विद्युत चुंबकीय तरंगों (प्रकाश) के एक अस्पष्ट या मिश्रित ध्रुवीकरण वाले किरणपुंज को एक सु-स्पष्ट किरणपुंज में परिवर्तित करने वाली युक्ति है। ध्रुवको का प्रयोग कई प्रकाशीय तकनीकों और उपकरणों में किया जाता है और ध्रुवीकरण फिल्टर फोटोग्राफी (छायांकन) और द्रव क्रिस्टल प्रादर्शी प्रौद्योगिकी में प्रयोग किए जाते है। ध्रुवक को दो सामान्य श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है: अवशोषक ध्रुवक, जहां उपकरण के द्वारा अवांछित ध्रुवीकरण अवस्थाओं का अवशोषण किया जाता है और किरणपुंज-विभाजक ध्रुवक, जहां अध्रुवीकृत किरणपुंज को दो विपरीत ध्रुवीकरण अवस्थाओं वाले किरणपुंज में विभाजित किया जाता है। .

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नीला

नीला रंग वह है, जिसे प्रकाश के प्रत्यक्ष वर्णक्रम की 440–490 nm की तरंगदैर्घ्य द्वारा दृश्य किया जाता है। यह एक संयोजी प्राथमिक रंग है। इसका सम्पूरक रंग पीला है, यदि HSL एवं HSV वर्ण चक्र पर देखें तो। परंपरागत वर्णचक्र पर इसका सम्पूरक रंग है नारंगी। भारत का राष्ट्रीय क्रीडा़ रंग भी नीला ही है। यह धर्म-निर्पेक्षता दिखलाता है। .

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प्रकाश वाल्व

प्रकाश वाल्व या प्रकाश कपाट ऐसी युक्ति है जो किसी प्रकाश-स्रोत से निकलकर किसी लक्ष्य तक पहुँचने वाले प्रकाश की मात्रा को आवश्यकतानुसार परिवर्तित करने की सुविधा प्रदान करती है। संगणक स्क्रीन या वीडियो प्रक्षेपण (प्रोजेक्टर) में प्रयोग होने वाला पर्दा 'लक्ष्य' के कुछ उदाहरण हैं। प्रकाश वाल्व की क्रिया को प्राप्त करने के दो बुनियादी सिद्धांत हैं। पहला, लक्ष्य तक पहुँचने वाले प्रकाश का इसके मार्ग से विक्षेपण करके (एक परावर्तक प्रकाश वाल्व) और दूसरा प्रकाश को अवरुद्ध करके (एक पारगम्य प्रकाश वाल्व)। अवरुद्ध विधि का प्रयोग द्रव क्रिस्टल प्रादर्शी (LCDs) स्क्रीन, वीडियो प्रक्षेपक और पश्च-प्रक्षेपण टेलीविज़न में होता है। .

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पीला

पीला एक रंग है जो कि मानवीय चक्षु के शंकुओं में लम्बे एवं मध्यम, दोनों तरंग दैर्घ्य वालों को प्रभावित करता है। यह वह वर्ण है, जिसमें लाल एवं हरा वर्ण बाहुल्य में, एवं नीला वर्ण न्यून हो। इस का तरंग दैर्घ्य 570–580 nm है। .

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श्वेत

श्वेत रंग प्रत्यक्ष प्रकाश के सभी रंगों को मिलाने पर बनता है।.

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हरा

हरा एक रंग है। .

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कंप्यूटर

निजी संगणक कंप्यूटर (अन्य नाम - संगणक, कंप्यूटर, परिकलक) वस्तुतः एक अभिकलक यंत्र (programmable machine) है जो दिये गये गणितीय तथा तार्किक संक्रियाओं को क्रम से स्वचालित रूप से करने में सक्षम है। इसे अंक गणितीय, तार्किक क्रियाओं व अन्य विभिन्न प्रकार की गणनाओं को सटीकता से पूर्ण करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से निर्देशित किया जा सकता है। चूंकि किसी भी कार्य योजना को पूर्ण करने के लिए निर्देशो का क्रम बदला जा सकता है इसलिए संगणक एक से ज्यादा तरह की कार्यवाही को अंजाम दे सकता है। इस निर्देशन को ही कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग कहते है और संगणक कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग भाषा की मदद से उपयोगकर्ता के निर्देशो को समझता है। यांत्रिक संगणक कई सदियों से मौजूद थे किंतु आजकल अभिकलित्र से आशय मुख्यतः बीसवीं सदी के मध्य में विकसित हुए विद्दुत चालित अभिकलित्र से है। तब से अबतक यह आकार में क्रमशः छोटा और संक्रिया की दृष्टि से अत्यधिक समर्थ होता गया हैं। अब अभिकलक घड़ी के अन्दर समा सकते हैं और विद्युत कोष (बैटरी) से चलाये जा सकते हैं। निजी अभिकलक के विभिन्न रूप जैसे कि सुवाह्य संगणक, टैबलेट आदि रोजमर्रा की जरूरत बन गए हैं। परंपरागत संगणकों में एक केंद्रीय संचालन इकाई (सीपीयू) और सूचना भन्डारण के लिए स्मृति होती है। संचालन इकाई अंकगणित व तार्किक गणनाओ को अंजाम देती है और एक अनुक्रमण व नियंत्रण इकाई स्मृति में रखे निर्देशो के आधार पर संचालन का क्रम बदल सकती है। परिधीय या सतह पे लगे उपकरण किसी बाहरी स्रोत से सूचना ले सकते है व कार्यवाही के फल को स्मृति में सुरक्षित रख सकते है व जरूरत पड़ने पर पुन: प्राप्त कर सकते हैं। एकीकृत परिपथ पर आधारित आधुनिक संगणक पुराने जमाने के संगणकों के मुकबले करोड़ो अरबो गुना ज्यादा समर्थ है और बहुत ही कम जगह लेते है। सामान्य संगणक इतने छोटे होते है कि मोबाइल फ़ोन में भी समा सकते है और मोबाइल संगणक एक छोटी सी विद्युत कोष (बैटरी) से मिली ऊर्जा से भी काम कर सकते है। ज्यादातर लोग “संगणकों” के बारे में यही राय रखते है कि अपने विभिन्न स्वरूपों में व्यक्तिगत संगणक सूचना प्रौद्योगिकी युग के नायक है। हालाँकि embedded system|सन्निहित संगणक जो कि ज्यादातर उपकरणों जैसे कि आंकिक श्रव्य वादक|एम.पी.३ वादक, वायुयान व खिलौनो से लेकर औद्योगिक मानव यन्त्र में पाये जाते है लोगो के बीच ज्यादा प्रचलित है। .

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