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निडारिया

सूची निडारिया

निडारिया (Cnidaria) १०,००० जीववैज्ञानिक जातियों से भी अधिक सदस्यों वाला प्राणियों का एक जीववैज्ञानिक संघ है जो समुद्री व मीठे जलाश्यों में मिलते हैं, हालांकि इनमें से अधिकतर समुद्रवासी हैं। यह अपनी निडोसाइट नामक विशेष कोशिकाओं के लिये जाने जाते हैं जो सुई जैसी विषैली वस्तुएँ विस्फोटक रूप से छोड़कर अन्य प्राणियों का शिकार करते हैं। इनके शरीर का अधिकांश भाग मीसोग्लीया (mesoglea) नामक अवलेह (जेली) जैसी सामग्री का बना होता है जो एक पतली त्वचा के अन्दर बन्द होता है। इनके शरीरों में व्यासीय सममिति (radial symmetry) दिखती है और एक मुख होता है जिसके इर्द-गिर्द निडोसाइट कोशिकाएँ धारण किये हुए टेन्टेकल होते हैं। जेलीमछली सबसे अधिक पहचानी जाने वाली निडारिया संघ की श्रेणी है। .

13 संबंधों: टेन्टेकल, निडोसाइट, परजीवी, प्राणी, मूँगा (जीव), सागर, संघ (जीवविज्ञान), हाइड्रा, जाति (जीवविज्ञान), जेलीफ़िश, जीवविज्ञान में सममिति, वर्ग (जीवविज्ञान), कोशिका

टेन्टेकल

प्राणी विज्ञान में टेन्टेकल (tentacle) किसी प्राणी के शरीर से लगा हुआ लचकीला और लम्बा उपांग होता है जिस से वह प्राणी चीज़ों को छू, सूँघ, चख़, पकड़, खींच या डस सके। आम तौर पर टेन्टेकल अकशेरुकी प्राणियों (invertebrates) में मिलते हैं और अक्सर यह जोड़ियों में होते हैं। .

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निडोसाइट

निडोसाइट (cnidocyte) निडारिया (cnidaria) नामक जीववैज्ञानिक संघ के प्राणीयों - जिनमें समुद्री मूँगा, हाइड्रा, जेलिमछली (जेलिफ़िश) शामिल हैं - में पाई जाने वाली एक विस्फोटक कोशिका (सेल) होती है। कोशिकाओं में एक विष से भरा हुआ निमैटोसिस्ट (nematocyst) या निडोसिस्ट (cnidocyst) नामक कोशिकांग होता है जिसे यह प्राणी परभक्षियों से बचने के लिये या फिर अपने ग्रास को मारने के लिये कोशिका में विस्फोट करके बाहर की ओर चला देते हैं। जब एक साथ कई निडोसाइटों द्वारा चलाए गये निमैटोसिस्टों का प्रहार किसी अन्य प्राणी पर होता है तो उसे चोट लगती है या वह मूर्छित हो जाता है या, अगर वह छोटा है, तो मर जाता है। यही कारण है कि जेलिमछली के टेन्टेकल लगने पर मानव व अन्य प्राणियों को काटे जाने का एहसास होता है और जिस शरीर के भाग का उनके साथ स्पर्श होता है उसे हानि पहुँचती है। .

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परजीवी

परजीवी का मतलब होता है दूसरे जीवो पर आश्रित जीव.

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प्राणी

प्राणी या जंतु या जानवर 'ऐनिमेलिया' (Animalia) या मेटाज़ोआ (Metazoa) जगत के बहुकोशिकीय और सुकेंद्रिक जीवों का एक मुख्य समूह है। पैदा होने के बाद जैसे-जैसे कोई प्राणी बड़ा होता है उसकी शारीरिक योजना निर्धारित रूप से विकसित होती जाती है, हालांकि कुछ प्राणी जीवन में आगे जाकर कायान्तरण (metamorphosis) की प्रकिया से गुज़रते हैं। अधिकांश जंतु गतिशील होते हैं, अर्थात अपने आप और स्वतंत्र रूप से गति कर सकते हैं। ज्यादातर जंतु परपोषी भी होते हैं, अर्थात वे जीने के लिए दूसरे जंतु पर निर्भर रहते हैं। अधिकतम ज्ञात जंतु संघ 542 करोड़ साल पहले कैम्ब्रियन विस्फोट के दौरान जीवाश्म रिकॉर्ड में समुद्री प्रजातियों के रूप में प्रकट हुए। .

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मूँगा (जीव)

मूँगा (कोरल) शब्द के कई अर्थ हैं - अन्य अर्थों के लिए मूँगा का लेख देखें मूँगे के शरीर के अन्दर का दृश्य मूँगा, जिसे कोरल और मिरजान भी कहते हैं, एक प्रकार का नन्हा समुद्री जीव है जो लाखों-करोड़ों की संख्या में एक समूह में रहते हैं। मूँगे की बहुत सी क़िस्मों में, यह जीव अपने इर्द-गिर्द एक बहुत ही सख़्त शंख बना लेते है, जिसके अन्दर वह रहता है। जब ऐसे हजारों-लाखों नन्हे और बेहद सख़्त शंख एक दुसरे से चिपक कर समूह में बनते हैं, तो उस समूह की सख़्ती और स्पर्श लगभग पत्थर जैसा होता है। समुद्र में कई स्थानों पर मूंगे की बड़े क्षेत्र पर फैली हुई शृंखलाएं बन जाती हैं, जिन्हें रीफ़ कहा जाता है। किसी भी मूंगे के समूह में हर एक मूंगे और उसके शंख को वैज्ञानिक भाषा में "पॉलिप" कहते हैं। मूँगा गरम समुद्रों में ही उगता है और अलग-अलग रंगों में मिलता है। लाल और गुलाबी रंगों के मूँगे के क़ीमती पत्थर को पत्थर की ही तरह तराश और चमका कर ज़ेवरों में इस्तेमाल किया जाता है। इनके सब से लोकप्रिय रंग को भी मूँगा (रंग) कहा जाता है। मूँगे समुद्रतल में रहने वाले एक प्रकार के कृमि हैं जो खोलड़ी की तरह का घर बनाकर एक दूसरे से लगे हुए जमते चले जाते हैं। ये कृमि अचर (न चलने वाले) जीवों में हैं। ज्यों ज्यों इनकी वंशवृद्धि होती जाती है, त्यों त्यों इनका समूहपिंड थूहर के पेड़ के आकार में बढ़ता चला जाता है। सुमात्रा और जावा के आसपास प्रशांत महासागर में समुद्र के तल में ऐसे समूहपिंड हजारों मील तक खड़े मिलते हैं। इनकी वृद्धि बहुत जल्दी जल्दी होती है। इनके समूह एक दूसरे के ऊपर पटते चले जाते हैं जिससे समुद्र की सतह पर एक खासा टापू निकल आता है। ऐसे टापू प्रशांत महासागर में बहुत से हैं जो 'प्रवालद्वीप' कहलाते हैं। मूँगे की केवल गुरिया ही नहीं बनती; छड़ी, कुरसी आदि चीजें भी बनती हैं। आभूषण के रूप में मूँगे का व्यवहार भी मोती के समान बहुत दिनों से है। मोती और मूँगे का नाम प्रायः साथ साथ लिया जाता है। रत्नपरीक्षा की पुस्तकों में मूँगे का भी वर्णन रहता है। साधारणतः मूँगे का दाना जितना ही बड़ा होता है, उतना अधिक उसका मूल्य भी होता है। कवि लोग बहुत पुराने समय से ओठों की उपमा मूँगे से देते आए हैं। .

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सागर

कोई विवरण नहीं।

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संघ (जीवविज्ञान)

वर्ग आते हैं संघ (अंग्रेज़ी: phylum, फ़ायलम) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में जीवों के वर्गीकरण की एक श्रेणी होती है। आधुनिक जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में यह श्रेणी वर्गों (क्लासों) से ऊपर और जगत (किंगडम) के नीचे आता है, यानि एक संघ में बहुत से वर्ग होते हैं और बहुत से संघों को एक जीववैज्ञानिक जगत में संगठित किया जाता है। ध्यान दें कि हर जीववैज्ञानिक संघ में बहुत सी भिन्न जीवों की जातियाँ-प्रजातियाँ सम्मिलित होती हैं।, David E. Fastovsky, David B. Weishampel, pp.

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हाइड्रा

जलव्याल जलव्याल (हाइड्रा) निडेरिया संघ का जन्तु है। इस जलीय जन्तु का आकार कुछ मिलीमीटर का होता है तथा इनके अध्ययन के लिए सूक्ष्मदर्शी यंत्र की आवश्यकता पड़ती है। इनमें प्रजनन की क्रिया अलैंगिक जनन से होती है। जलव्याल के शरीर में अलग से मलोत्सर्ग प्रणाली नहीं होता है। इसके शरीर में बनने वाला उत्सर्जी पदार्थ विसरण विधि द्वारा शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है। श्रेणी:अकशेरुक श्रेणी:प्राणी विज्ञान.

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जाति (जीवविज्ञान)

जाति (स्पीशीज़) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण की सबसे बुनियादी और निचली श्रेणी है जाति (अंग्रेज़ी: species, स्पीशीज़) जीवों के जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में सबसे बुनियादी और निचली श्रेणी होती है। जीववैज्ञानिक नज़रिए से ऐसे जीवों के समूह को एक जाति बुलाया जाता है जो एक दुसरे के साथ संतान उत्पन्न करने की क्षमता रखते हो और जिनकी संतान स्वयं आगे संतान जनने की क्षमता रखती हो। उदाहरण के लिए एक भेड़िया और शेर आपस में बच्चा पैदा नहीं कर सकते इसलिए वे अलग जातियों के माने जाते हैं। एक घोड़ा और गधा आपस में बच्चा पैदा कर सकते हैं (जिसे खच्चर बुलाया जाता है), लेकिन क्योंकि खच्चर आगे बच्चा जनने में असमर्थ होते हैं, इसलिए घोड़े और गधे भी अलग जातियों के माने जाते हैं। इसके विपरीत कुत्ते बहुत अलग आकारों में मिलते हैं लेकिन किसी भी नर कुत्ते और मादा कुत्ते के आपस में बच्चे हो सकते हैं जो स्वयं आगे संतान पैदा करने में सक्षम हैं। इसलिए सभी कुत्ते, चाहे वे किसी नसल के ही क्यों न हों, जीववैज्ञानिक दृष्टि से एक ही जाति के सदस्य समझे जाते हैं।, Sahotra Sarkar, Anya Plutynski, John Wiley & Sons, 2010, ISBN 978-1-4443-3785-3,...

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जेलीफ़िश

जेलीफ़िश या जेली या समुद्री जेली या मेड्युसोज़ोआ, या गिजगिजिया नाइडेरिया संघ का मुक्त-तैराक़ सदस्य है। जेलीफ़िश के कई अलग रूप हैं जो स्काइफ़ोज़ोआ (200 से अधिक प्रजातियां), स्टॉरोज़ोआ (लगभग 50 प्रजातियां), क्यूबोज़ोआ (लगभग 20 प्रजातियां) और हाइड्रोज़ोआ (लगभग 1000-1500 प्रजातियाँ जिसमें जेलीफ़िश और कई अनेक शामिल हैं) सहित विभिन्न नाइडेरियाई वर्गों का प्रतिनिधित्व करती हैं। इन समूहों में जेलीफ़िश को, क्रमशः, स्काइफ़ोमेड्युसे, स्टॉरोमेड्युसे, क्यूबोमेड्युसे और हाइड्रोमेड्युसे भी कहा जाता है। सभी जेलीफ़िश उपसंघ मेड्युसोज़ोआ में सन्निहित हैं। मेड्युसा जेलीफ़िश के लिए एक और शब्द है और इसलिए जीवन-चक्र के वयस्क चरण के लिए विशेष रूप से प्रयुक्त होता है। जेलीफ़िश हर समुद्र में, सतह से समुद्र की गहराई तक पाए जाते हैं। कुछ हाइड्रोज़ोआई जेलीफ़िश, या हाइड्रोमेड्युसे ताज़ा पानी में भी पाए जाते हैं; मीठे पानी की प्रजातियां व्यास में एक इंच (25 मि.मी.), बेरंग होती हैं और डंक नहीं मारती हैं। ऑरेलिया जैसे कई सुविख्यात जेलीफ़िश, स्काइफ़ोमेड्युसे हैं। ये बड़े, अक्सर रंगीन जेलीफ़िश हैं, जो विश्व भर में सामान्यतः तटीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं। अपने व्यापक अर्थ में, शब्द जेलीफ़िश आम तौर पर संघ टीनोफ़ोरा के सदस्यों को निर्दिष्ट करता है। हालांकि नाइडेरियन जेलीफ़िश से कोई निकट संबंध नहीं है, टीनोफ़ोर मुक्त-तैराक़ प्लैंक्टोनिक मांसभक्षी हैं, जो सामान्यतः पारदर्शी या पारभासी और विश्व के सभी महासागरों के उथले से गहरे भागों में मौजूद होते हैं। शेर अयाल जेलीफ़िश सर्वाधिक विख्यात जेलीफ़िश हैं और विवादास्पद तौर पर दुनिया का सबसे लंबा जानवर है। .

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जीवविज्ञान में सममिति

जीवविज्ञान में सममिति (symmetry in biology) किसी जीव में समान रूप के अंगों की संतुलित उपस्थिति को कहते हैं, मसलन मनुष्यों में संतुलित व्यवस्था से एक बायाँ और उसी के जैसा एक दायाँ हाथ होता है। जीवविज्ञान में कई प्रकार की सममिति देखी जाती है और ऐतिहासिक रूप में इसका जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में काफ़ी महत्व रहा है। .

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वर्ग (जीवविज्ञान)

गण आते हैं वर्ग (अंग्रेज़ी: class, क्लास) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में जीवों के वर्गीकरण की एक श्रेणी होती है। आधुनिक जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में यह श्रेणी गणों (ओर्डरों) से ऊपर और संघों (फ़ायलमों) के नीचे आती है, यानि एक वर्ग में बहुत से गण होते हैं और बहुत से वर्गों को एक फ़ायलम में संगठित किया जाता है। ध्यान दें कि हर जीववैज्ञानिक वर्ग में बहुत सी भिन्न जीवों की जातियाँ-प्रजातियाँ सम्मिलित होती हैं।, David E. Fastovsky, David B. Weishampel, pp.

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कोशिका

कोशिका कोशिका (Cell) सजीवों के शरीर की रचनात्मक और क्रियात्मक इकाई है और प्राय: स्वत: जनन की सामर्थ्य रखती है। यह विभिन्न पदार्थों का वह छोटे-से-छोटा संगठित रूप है जिसमें वे सभी क्रियाएँ होती हैं जिन्हें सामूहिक रूप से हम जीवन कहतें हैं। 'कोशिका' का अंग्रेजी शब्द सेल (Cell) लैटिन भाषा के 'शेलुला' शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ 'एक छोटा कमरा' है। कुछ सजीव जैसे जीवाणुओं के शरीर एक ही कोशिका से बने होते हैं, उन्हें एककोशकीय जीव कहते हैं जबकि कुछ सजीव जैसे मनुष्य का शरीर अनेक कोशिकाओं से मिलकर बना होता है उन्हें बहुकोशकीय सजीव कहते हैं। कोशिका की खोज रॉबर्ट हूक ने १६६५ ई० में किया।"...

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

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