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हाइड्रा

सूची हाइड्रा

जलव्याल जलव्याल (हाइड्रा) निडेरिया संघ का जन्तु है। इस जलीय जन्तु का आकार कुछ मिलीमीटर का होता है तथा इनके अध्ययन के लिए सूक्ष्मदर्शी यंत्र की आवश्यकता पड़ती है। इनमें प्रजनन की क्रिया अलैंगिक जनन से होती है। जलव्याल के शरीर में अलग से मलोत्सर्ग प्रणाली नहीं होता है। इसके शरीर में बनने वाला उत्सर्जी पदार्थ विसरण विधि द्वारा शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है। श्रेणी:अकशेरुक श्रेणी:प्राणी विज्ञान.

6 संबंधों: मलोत्सर्ग प्रणाली, मिलीमीटर, सूक्ष्मदर्शी, जनन, विसरण, अलैंगिक प्रजनन

मलोत्सर्ग प्रणाली

मलोत्सर्ग प्रणाली एक निष्क्रिय जैविक प्रणाली है जो जीवों के भीतर से अतिरिक्त, अनावश्यक या खतरनाक पदार्थों को हटाती है, ताकि जीव के भीतर होमीयोस्टेसिस को बनाए रखने में मदद मिल सके और शरीर के नुकसान को रोका जा सके। यह चयापचय के अपशिष्ट उत्पादों और साथ ही साथ अन्य तरल और गैसीय अपशिष्ट के उन्मूलन के लिए जिम्मेदार है। चूंकि अधिकांश स्वस्थ रूप से कार्य करने वाले अंग चयापचय सम्बंधी और अन्य अपशिष्ट उत्पादित करते हैं, संपूर्ण जीव इस प्रणाली के कार्य करने पर निर्भर करता है; हालांकि, केवल वे अंग जो विशेष रूप से उत्सर्जन प्रक्रिया के लिए होते हैं उन्हें मलोत्सर्ग प्रणाली का एक हिस्सा माना जाता है। चूंकि इसमें कई ऐसे कार्य शामिल हैं जो एक दूसरे से केवल ऊपरी तौर पर संबंधित हैं, इसका उपयोग आमतौर पर शरीर रचना या प्रकार्य के और अधिक औपचारिक वर्गीकरण में नहीं किया जाता है। .

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मिलीमीटर

मिलीमीटर लम्बाई या दूरी के मापन की ईकाई है। यह एक मीटर के एक हजारवें भाग के बराबर होता है। १ सेन्टीमीटर में १० मिलीमीटर होते हैं। श्रेणी:परिमाण की कोटि (लम्बाई).

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सूक्ष्मदर्शी

सूक्ष्मदर्शी या सूक्ष्मबीन (माइक्रोस्कोप) वह यंत्र है जिसकी सहायता से आँख से न दिखने योग्य सूक्ष्म वस्तुओं को भी देखा जा सकता है। सूक्ष्मदर्शी की सहायता से चीजों का अवलोकन व जांच किया जाता है वह सूक्ष्मदर्शन कहलाता है। सूक्ष्मदर्शी का इतिहास लगभग ४०० वर्ष पुराना है। सबसे पहले नीदरलैण्ड में सन १६०० के आस-पास किसी काम के योग्य सूक्ष्मदर्शी का विकास हुआ। .

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जनन

जनन (Reproduction) द्वारा कोई जीव (वनस्पति या प्राणी) अपने ही सदृश किसी दूसरे जीव को जन्म देकर अपनी जाति की वृद्धि करता है। जन्म देने की इस क्रिया को जनन कहते हैं। जनन जीवितों की विशेषता है। जीव की उत्पत्ति किसी पूर्ववर्ती जीवित जीव से ही होती है। निर्जीव पिंड से सजीव की उत्पत्ति नहीं देखी गई है। संभवत: विषाणु (Virus) इसके अपवाद हों (देखें, स्वयंजनन, Abiogenesis)। जनन के दो उद्देश्य होते हैं एक व्यक्तिविशेष का संरक्षण और दूसरा जाति की शृंखला बनाए रखना। दोनों का आधार पोषण है। पोषण से ही संरक्षण, वृद्धि और जनन होते हैं। जीवधारियों के अंतअंतहेलनस्पति और प्राणी दोनों आते हैं। दोनों में ही जैविक घटनाएँ घटित होती है। दोनों की जननविधियों में समानता है, पर सूक्ष्म विस्तार में अंतर अवश्य है। अत: उनका विचार अलग अलग किया जा रहा है। .

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विसरण

तीन अलग-अलग समयों पर किसी गैस का विसरण: (१) विसरण के ठीक पहले (२) विसरण के थोडी देर बाद (३) विसरण आरम्भ होने के बहुत देर बाद विसरण के पहले और बाद में दो या दो से अधिक पादार्थों का स्वतः एक दूसरे से मिलकर समांग मिश्रण बनाने की क्रिया को विसरण (डिफ्यूजन) कहते हैं। सजीव कोशिकाओं में अमीनो अम्ल के संवहन में विसरण की मुख्य भूमिका है। .

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अलैंगिक प्रजनन

अधिकांश जंतुओं में प्रजनन की क्रिया के लिए संसेचन (शुक्राणु का अंड से मिलना) अनिवार्य है; परंतु कुछ ऐसे भी जंतु हैं जिनमें बिना संसेचन के प्रजनन हो जाता है, इसको आनिषेक जनन या अलैंगिक जनन (Asexual reproduction) कहते हैं। कुछ मछलियों को छोड़कर किसी भी पृष्ठवंशी में अनिषेक जनन नहीं पाया जाता और न कुछ बड़े बड़े कीटगण, जैसे व्याधपतंगगण (ओडोनेटा) तथा भिन्नपक्षानुगण (हेटरोष्टरा) में। कुछ ऐसे भी जंतु हैं जिनमें प्रजनन सर्वथा (अथवा लगभग सर्वथा) अनिषेक जनन द्वारा ही होता है, जैसे द्विजननिक विद्धपत्रा (डाइजेनेटिक ट्रेमैडोड्स), किरोटवर्ग (रोटिफर्स), जलपिंशु (वाटर फ़्ली) तथा द्रुयूका (ऐफ़िड) में। शल्किपक्षा (लेपिडोप्टरा) में अनिषेक जनन बिरले ही मिलता है, किंतु स्यूनशलभवंश (सिकिड्स) की कई एक जातियों में पाया जाता है। घुनों के कुछ अनुवंशों में भी अनिषेक जनन प्राय: पाया जाता है। प्रजनन, लिंगनिश्चयन, तथा कोशिकाविज्ञान (साइटॉलोजी) की दृष्टि से कई प्रकार के अनिषेक जननतंत्र पहचाने जा सकते हैं। .

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