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नाम्ड्रोल्लिङ

सूची नाम्ड्रोल्लिङ

नाम्ड्रोल्लिङ और पूरा नाम थेग्छोग नाम्ड्रोल शद्ड्रुब दरग्यास लिङ (तिब्बती: ཐེག་མཆོག་རྣམ་གྲོལ་བཤད་སྒྲུབ་དར་རྒྱས་གླིང་།, Wylie: theg-mchog-rnam-grol-bshad-sgrub-dar-rgyas-ling) पद्म नोर्बु रिन्पोछे द्वारा सन १९६३ में स्थापित किया गया एक बौद्ध सांप्रदायिक शिक्षा केंद्र है जो विश्व में तिब्बती बौद्ध धर्म की अन्तर्गत ञिङमा सम्प्रदाय का सबसे बड़ा शिक्षा संस्था में से एक है। इस शैक्षिक केंद्र दक्षिण भारत, कर्नाटक, मैसूर जिले की बैलकुप्पे में स्थित है। यह हजारों बौद्ध छात्रों के लिए छात्रावास, शिक्षा केन्द्र, पुस्तकालय, स्कूल, अस्पताल, ध्यान केंद्र इत्यादिका सुविधाओं है। .

8 संबंधों: ञिङमा, दक्षिण, पद्म नोर्बु रिन्पोछे, पल्युल संप्रदाय, बैलकुप्पे, मैसूर, वयली लिप्यंतरण, कर्नाटक

ञिङमा

ञिङमा (तिब्बती भाषा: རྙིང་མ་པ།, अंग्रेज़ी: Nyingma), तिब्बती बौद्ध धर्म की पांच प्रमुख शाखाओं में से एक हैं। तिब्बती भाषा में "ञिङमा" का अर्थ "प्राचीन" होता है। कभी-कभी इसे ङग्युर (སྔ་འགྱུར།, Ngagyur) भी कहा जाता है जिसका अर्थ "पूर्वानूदित" होता है, जो नाम इस सम्प्रदाय द्वारा सर्वप्रथम महायोग, अनुयोग, अतियोग और त्रिपिटक आदि बौद्ध ग्रंथों को संस्कृत इत्यादि भारतीय भाषों से तिब्बती में अनुवाद करने के कारण रखा गया। तिब्बती लिपि और तिब्बती भाषा के औपचारिक व्याकरण की आधारशिला भी इसी ध्येय से रखी गई थी। आधुनिक काल में ञिङमा संप्रदाय का धार्मिक संगठन तिब्बत के खम प्रदेश पर केन्द्रित है। .

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दक्षिण

कुतुबनुमा-दक्षिण को इंगित करता दिशाकमल दक्षिण कुतुबनुमा द्वारा दिखायी जाने वाली चार दिशाओं में से एक दिशा है। दक्षिण दिशा उत्तर दिशा के विपरीत (दूसरी तरफ) होती है और पूर्व एवं पश्चिम दिशाओं से ९० डिग्री (अंश) पर होती है। (उत्तर दक्षिण एक दूसरे के आमने सामने हैं और पूर्व पश्चिम भी एक दुसरे के आमने सामने हैं।) यदि आप सूर्य की तरफ मुख कर के खड़े होंगे तो आपका मुख पूर्व की ओर होगा, दक्षिण दिशा आपके दाएँ हाथ की तरफ होगी, बाएँ हाथ की तरफ उत्तर होगा और पश्चिम आपकी पीठ की ओर होगी। नक्शों में दक्षिण दिशा अधिकतर पन्ने के नीचे की तरफ दिखायी जाती है और उत्तर दिशा पन्ने के ऊपर की ओर। श्रेणी:दिशाएँ भारत उपमहाद्वीप के दक्षिण में समुद्र है.

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पद्म नोर्बु रिन्पोछे

'''पद्म नोर्बु रिन्पोछे''' फोटो द्वारा: Chris Fynn, 1981 पद्म नोर्बु रिन्पोछे, पद्नोर रिन्पोछे या ड्रुब्वाङ पद्म नोर्बु रिन्पोछे (तिब्बती: པདྨ་ནོར་བུ་, Wylie: pad ma nor bu, 1932 - मार्च 27, 2009) ञिङमा पल्युल सांप्रदायिक मठ के ग्यारहवें सिंहासन-धारक और ञिङमा संप्रदाय के तीसरे परम प्रमुख गुरु हैं। उन्हें भारतीय बौद्ध धर्म के महापण्डित विमलमित्र के अवतार के रूप में भी माना जाता है। बौद्ध वज्रयान महासन्धि शिक्षण परंपरा का सुविज्ञ गुरु होने की कारण से तिब्बती बौद्ध की दुनिया में व्यापक रूप से प्रसिद्ध थे। .

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पल्युल संप्रदाय

पल्युल सांप्रदायिक मूल मठ, तिब्बत चीन दक्षिण भारत, मैसूर, बैलाकुप्पे में मौजूदा पल्युल सांप्रदायिक मठ, नाम्ड्रोल्लिङ पद्म सम्भव बौद्ध विहार पल्युल संप्रदाय पल्युल मठ तिब्बती बौद्ध धर्म के ञिङमा पारम्परिक छ मूल मठ में से एक है। इस मठ को पल्युल संप्रदाय के प्रथम सिंहासन धारक विद्याधर कुन्जाङ शेसरब द्वारा 1665 में स्थापित किया गया था, जो आजकल चीन के सिचुआन प्रांत, बैयु काउंटी, गर्जे तिब्बती स्वायत्त प्रान्त के पूर्वी शहर में है। वास्तव में पल्युल एक जगह का नाम था और बाद में उस जगह पर स्थापित मठ और गोन्पा को पल्युल मठ या पल्युल गोन्पा कहा गया, और उसी मठ से सम्बंधित बौद्ध महासिद्ध और गुरु द्वारा दिएगए बौद्ध शिक्षण संप्रदाय का नाम भी पल्युल संप्रदाय रहा गया। .

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बैलकुप्पे

बैलकुप्पे, कर्नाटक के मैसूर जिले के पश्चिम में स्थित है जहाँ "लुगस्सम सुंड्रेल लिङ" (1961 में स्थापित) और "देक्यीद लार्सो" (1969 में स्थापित) नामक दो आसन्न तिब्बती शरणार्थी बस्तियाँ स्थित हैं, साथ ही यहां कई तिब्बती बौद्ध मठ हैं। जुड़वां शहर कुशलनगर, बैलकुप्पे से 6 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है। .

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मैसूर

मैसूर भारत के कर्नाटक प्रान्त का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। यह प्रदेश की राजधानी बंगलौर से लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर दक्षिण में तमिलनाडु की सीमा पर स्थित है। .

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वयली लिप्यंतरण

thumb वयली लिप्यंतरण (Wylie transliteration) तिब्बती लिपि के रोमनीकरण की एक विधि है जिसमें उन रोमन वर्णों का उपयोग किया जाता है जो अंग्रेजी भाषा के किसी साधारण टाइपराइटर पर भी उपलब्ध होते हैं। यह नाम, टरेल वी वयली (Turrell V. Wylie) के नाम पर पड़ा है जिन्होने १९५९ में इस योजना को प्रस्तुत किया था। समय के साथ यह लिप्यन्तरण योजना एक मानक बन गयी (विशेषकर संयुक्त राज्य अमेरिका में)। तिब्बती भाषा के रोमनीकरण की सभी योजनाओं में सदा एक दुविधा की स्थिति पायी जाती है। यह दुविधा यह है कि रोमनीकरन करते समय बोली/कही गयी तिब्बती भाषा के उच्चारण को संरक्षित रखने की कोशिश की जाय या तिब्बती लिपि की वर्तनी का अनुकरण किया जाय। बात यह है कि तिब्बती में लिखी और बोली गयी भाषा में बहुत अन्तर होता है। वयली लिप्यन्तरण से पहले प्रचलित लिप्यन्तरण योजनाएँ न तो उच्चारण को पूर्णतः संरक्षित कर पातीं थीं न ही लिपि की वर्तनी को। वयली लिप्यन्तरण योजना, तिब्बती उच्चारण का अनुगमन नहीं करती बल्कि तिब्बती लिपि (वर्तनी) को रोमन लिपि में प्रस्तुत करने की योजना है। .

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कर्नाटक

कर्नाटक, जिसे कर्णाटक भी कहते हैं, दक्षिण भारत का एक राज्य है। इस राज्य का गठन १ नवंबर, १९५६ को राज्य पुनर्गठन अधिनियम के अधीन किया गया था। पहले यह मैसूर राज्य कहलाता था। १९७३ में पुनर्नामकरण कर इसका नाम कर्नाटक कर दिया गया। इसकी सीमाएं पश्चिम में अरब सागर, उत्तर पश्चिम में गोआ, उत्तर में महाराष्ट्र, पूर्व में आंध्र प्रदेश, दक्षिण-पूर्व में तमिल नाडु एवं दक्षिण में केरल से लगती हैं। इसका कुल क्षेत्रफल ७४,१२२ वर्ग मील (१,९१,९७६ कि॰मी॰²) है, जो भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का ५.८३% है। २९ जिलों के साथ यह राज्य आठवां सबसे बड़ा राज्य है। राज्य की आधिकारिक और सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है कन्नड़। कर्नाटक शब्द के उद्गम के कई व्याख्याओं में से सर्वाधिक स्वीकृत व्याख्या यह है कि कर्नाटक शब्द का उद्गम कन्नड़ शब्द करु, अर्थात काली या ऊंची और नाडु अर्थात भूमि या प्रदेश या क्षेत्र से आया है, जिसके संयोजन करुनाडु का पूरा अर्थ हुआ काली भूमि या ऊंचा प्रदेश। काला शब्द यहां के बयालुसीम क्षेत्र की काली मिट्टी से आया है और ऊंचा यानि दक्कन के पठारी भूमि से आया है। ब्रिटिश राज में यहां के लिये कार्नेटिक शब्द का प्रयोग किया जाता था, जो कृष्णा नदी के दक्षिणी ओर की प्रायद्वीपीय भूमि के लिये प्रयुक्त है और मूलतः कर्नाटक शब्द का अपभ्रंश है। प्राचीन एवं मध्यकालीन इतिहास देखें तो कर्नाटक क्षेत्र कई बड़े शक्तिशाली साम्राज्यों का क्षेत्र रहा है। इन साम्राज्यों के दरबारों के विचारक, दार्शनिक और भाट व कवियों के सामाजिक, साहित्यिक व धार्मिक संरक्षण में आज का कर्नाटक उपजा है। भारतीय शास्त्रीय संगीत के दोनों ही रूपों, कर्नाटक संगीत और हिन्दुस्तानी संगीत को इस राज्य का महत्त्वपूर्ण योगदान मिला है। आधुनिक युग के कन्नड़ लेखकों को सर्वाधिक ज्ञानपीठ सम्मान मिले हैं। राज्य की राजधानी बंगलुरु शहर है, जो भारत में हो रही त्वरित आर्थिक एवं प्रौद्योगिकी का अग्रणी योगदानकर्त्ता है। .

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