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दिल्ली के स्टेडियम

सूची दिल्ली के स्टेडियम

यह सूची दिल्ली के स्टेडियम की है:-.

15 संबंधों: डी एल टी ए स्टेडियम, तालकटोरा तरणताल, तालकटोरा स्टेडियम, दिल्ली, दिल्ली गोल्फ कोर्स, पंजाबी बाग स्टेडियम, फिरोज शाह कोटला ग्राउंड, मेजर ध्यानचंद राष्ट्रीय स्टेडियम, दिल्ली, मॉडल टाउन स्टेडियम, यमुना वेलोड्रोम, शिवाजी स्टेडियम, हरबख्श सिंह स्टेडियम, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, दिल्ली, क्रीडांगन, छत्रसाल स्टेडियम

डी एल टी ए स्टेडियम

दिल्ली का स्टेडियम है। श्रेणी:दिल्ली के स्टेडियम.

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तालकटोरा तरणताल

दिल्ली का एक तरणताल है यहां तैराकी प्रतिरोगिताएं आयोजित होतीं है। श्रेणी:दिल्ली के स्टेडियम.

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तालकटोरा स्टेडियम

तालकटोरा स्टेडियम एक प्रमुख खेल का मैदान हैं। तालकटोरा स्टेडियम पर 377 करोड खर्च होना है, जिसमें से 112 करोड़ रुपए ही खर्च हुए हैं। तालकटोरा उद्यान से दिखता स्टेडियम .

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दिल्ली

दिल्ली (IPA), आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (अंग्रेज़ी: National Capital Territory of Delhi) भारत का एक केंद्र-शासित प्रदेश और महानगर है। इसमें नई दिल्ली सम्मिलित है जो भारत की राजधानी है। दिल्ली राजधानी होने के नाते केंद्र सरकार की तीनों इकाइयों - कार्यपालिका, संसद और न्यायपालिका के मुख्यालय नई दिल्ली और दिल्ली में स्थापित हैं १४८३ वर्ग किलोमीटर में फैला दिल्ली जनसंख्या के तौर पर भारत का दूसरा सबसे बड़ा महानगर है। यहाँ की जनसंख्या लगभग १ करोड़ ७० लाख है। यहाँ बोली जाने वाली मुख्य भाषाएँ हैं: हिन्दी, पंजाबी, उर्दू और अंग्रेज़ी। भारत में दिल्ली का ऐतिहासिक महत्त्व है। इसके दक्षिण पश्चिम में अरावली पहाड़ियां और पूर्व में यमुना नदी है, जिसके किनारे यह बसा है। यह प्राचीन समय में गंगा के मैदान से होकर जाने वाले वाणिज्य पथों के रास्ते में पड़ने वाला मुख्य पड़ाव था। यमुना नदी के किनारे स्थित इस नगर का गौरवशाली पौराणिक इतिहास है। यह भारत का अति प्राचीन नगर है। इसके इतिहास का प्रारम्भ सिन्धु घाटी सभ्यता से जुड़ा हुआ है। हरियाणा के आसपास के क्षेत्रों में हुई खुदाई से इस बात के प्रमाण मिले हैं। महाभारत काल में इसका नाम इन्द्रप्रस्थ था। दिल्ली सल्तनत के उत्थान के साथ ही दिल्ली एक प्रमुख राजनैतिक, सांस्कृतिक एवं वाणिज्यिक शहर के रूप में उभरी। यहाँ कई प्राचीन एवं मध्यकालीन इमारतों तथा उनके अवशेषों को देखा जा सकता हैं। १६३९ में मुगल बादशाह शाहजहाँ ने दिल्ली में ही एक चारदीवारी से घिरे शहर का निर्माण करवाया जो १६७९ से १८५७ तक मुगल साम्राज्य की राजधानी रही। १८वीं एवं १९वीं शताब्दी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने लगभग पूरे भारत को अपने कब्जे में ले लिया। इन लोगों ने कोलकाता को अपनी राजधानी बनाया। १९११ में अंग्रेजी सरकार ने फैसला किया कि राजधानी को वापस दिल्ली लाया जाए। इसके लिए पुरानी दिल्ली के दक्षिण में एक नए नगर नई दिल्ली का निर्माण प्रारम्भ हुआ। अंग्रेजों से १९४७ में स्वतंत्रता प्राप्त कर नई दिल्ली को भारत की राजधानी घोषित किया गया। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् दिल्ली में विभिन्न क्षेत्रों से लोगों का प्रवासन हुआ, इससे दिल्ली के स्वरूप में आमूल परिवर्तन हुआ। विभिन्न प्रान्तो, धर्मों एवं जातियों के लोगों के दिल्ली में बसने के कारण दिल्ली का शहरीकरण तो हुआ ही साथ ही यहाँ एक मिश्रित संस्कृति ने भी जन्म लिया। आज दिल्ली भारत का एक प्रमुख राजनैतिक, सांस्कृतिक एवं वाणिज्यिक केन्द्र है। .

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दिल्ली गोल्फ कोर्स

दिल्ली का गोल्फ मैदान (कोर्स) है। श्रेणी:दिल्ली के स्टेडियम.

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पंजाबी बाग स्टेडियम

दिल्ली का स्टेडियम है। यह पंजाबी बाग में स्थित है। श्रेणी:दिल्ली के स्टेडियम.

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फिरोज शाह कोटला ग्राउंड

फिरोज शाह कोटला ग्राउंड दिल्ली का एक प्रमुख खेल का मैदान हैं। यहा क्रिकेट खेला जाता हैं। .

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मेजर ध्यानचंद राष्ट्रीय स्टेडियम, दिल्ली

मेजर ध्यानचंद राष्ट्रीय स्टेडियम, भारत की राजधानी दिल्ली में राजपथ पर स्थित एक खेल स्टेडियम है। यह मुख्यतः एक मैदानी हॉकी स्टेडियम है, तथा इसकी क्षमता २५००० दर्शकों की है। इस मैदान पर हॉकी विश्वकप (पुरुष) 2010 का आयोजन किया गया था। .

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मॉडल टाउन स्टेडियम

दिल्ली का स्टेडियम है। यह मॉडल टाउन, दिल्ली में स्थित है। श्रेणी:दिल्ली के स्टेडियम.

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यमुना वेलोड्रोम

दिल्ली का स्टेडियम है। श्रेणी:दिल्ली के स्टेडियम.

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शिवाजी स्टेडियम

यह एक प्रमुख खेल का मैदान हैं। .

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हरबख्श सिंह स्टेडियम

दिल्ली का स्टेडियम है। श्रेणी:दिल्ली के स्टेडियम.

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जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, दिल्ली

जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, भारत की राजधानी नयी दिल्ली में स्थित एक बहुउद्देशीय स्टेडियम है, जहां बड़े स्तर पर खेल स्पर्धायें और संगीत कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के नाम पर स्थापित इस स्टेडियम का निर्माण सन १९८२ में नवम एशियाई खेलों के आयोजन के लिए करवाया गया था, साथ ही यह स्टेडियम ३ अक्टूबर से १४ अक्टूबर २०१०, तक होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी भी करेगा। इस स्टेडियम में भारतीय ओलंपिक संघ का मुख्यालय भी स्थित है। इस स्टेडियम में किसी खेल स्पर्धा के समय ६०,००० दर्शक बैठ सकते हैं, जबकि किसी संगीत कार्यक्रम के आयोजन के समय यह क्षमता बढकर १००,००० हो जाती है। .

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क्रीडांगन

कोलकाता का '''इडेन गार्डेन''' ग्रीस में इलिस (Elis) के मैदान में पहाड़ों एवं नदियों से घिरा हुआ एक मनोरम स्थान है जिसको ओलिंपिया (Olympia) कहते हैं। वहाँ दुनिया का पहला खेल का मैदान बना था। ग्रीक लोग इस बात में विश्वास करते थे कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क हो सकता है। उन्होंने खेल के महत्व को समझा और खेलों को अपनी सभ्यता में ऊँचा स्थान दिया। ग्रीस में लगभग हर बड़े शहर में व्यायामशाला (gymmasium) होती थी जिसमें शहर के नवयुवक जाकर कसरत करते थे। फिर उन्होंने बड़े बड़े खेल संगठित किए जिनमें सारे ग्रीस से नवयुवक आकर भाग लेते थे। इन खेलों में ओलिंपियन, पीथियन, निमियन तथा इस्थमियन (Olympian, Pythian, Nemean and Isthmian) बड़े मशहूर हैं। इन चारों खेलों में सबसे पुराने और सबसे बड़े ओलिंपियन खेल थे। ओलिंपियन खेल चार साल में एक बार होते थे और जिस महीने में ये होते थे उसमें आपस की लड़ाइयाँ और झगड़े बंद हो जाते थे ताकि नौजवान शांतिपूर्वक आकर उनमें भाग ले सकें और असंख्य दर्शक भी आ सकें। ओलिंपिया का मैदान बहुत बड़ा था जिसमें दर्शकों के बैठने की पर्याप्त जगह थी और बीच में दौड़ने का मैदान था। इसमें आदमी दौड़ते थे और रथों की दौड़ होती थी। फाँदने की जगह और कुश्ती के अखाड़े भी होते थे। करीब की पहाड़ी के ऊ पर जियस (Zeus) का मंदिर था जहाँ ओलिंपिक दौड़ में जीतनेवाले खिलाड़ी ले जाए जाते थे। ओलिंपिक एक दौड़ होती थी जो स्टेड (Stade) या 606 फुट की दूरी में होती थी। स्टेड से ही स्टेडियम (Stadium) शब्द बना। ग्रीस में स्थान स्थान पर ऐसे मैदान थे जहाँ पर दौड़नेवाले ओर देखनेवाले इकट्ठा होते थे। ग्रीस के बाद रोम में खेलों की बहुत चर्चा रही और रोमवासियों ने कई प्रकार के खेल के मैदान बनवाए। रोम में खेल सरकारी खर्चे पर होते थे तथा बहुधा त्योहारों के अवसर पर आयोजित किए जाते थे। लड़ाई जीतने की खुशी में, या किसी बड़े आदमी के मर जाने पर भी, रोम में खेल होते थे। रोमवासी खेलों के पीछे पागल थे, परंतु उन्हें ग्रीसवासियों की तरह खेल में स्वयं भाग लेने की चाह नहीं थी, वरन देखने का अधिक शौक था। रोम का सबसे बड़ा खेल का मैदान कोलोसियम (Colosseum) था, जिसके खंडहर अब भी मौजूद हैं। इसमें पचास हजार आदमी बैठ सकते थे। रोम के खेलों के मैदान में रथों और मामूली घोड़ों के अलावा और भी खेल होते थे, उदाहरणत: जंगली जानवरों की लड़ाई या जंगली पशुओं एवं आदमियों की लड़ाई। एक एक खेल में हजारों जानवर और सैकड़ों आदमी मारे जाते थे। कोलोसियम के निर्माण के अवसर पर जो खेल हुए थे उनमें 9,000 जानवर मारे गए थे। फिर इन मैदानों में ग्लैडिएटरों (Gladiators) की लड़ाई भी होती थी। ये लोग मामूली या लड़ाई के कैदी होते थे और आपस में जान की बाजी लगाकर लड़ते थे। जब कोई मारा जाता था तो मैदान दर्शकों के शोर गुल से गूँज उठता था। रोम में खेल के कुछ मैदान ऐसे भी थे जिनमें पानी भर दिया जाता था और एक झील बन जाती थी। इस झील में नियमित रूप से समुद्री लड़ाइयाँ होती थीं और बहुत आदमी मारे जाते थे। मध्य युग में खेल का महत्व समाप्त हो गया। 19वीं सदी तक खेल का कोई मैदान नहीं बना। सिर्फ स्पेन और मेक्सिको में साँड़ों की लड़ाई के कुछ मैदान बने। इन मैदानों में आदमी साँड़ों से लड़ते थे और हजारों आदमी उसका तमाशा देखते थे। ये लड़ाइयाँ स्पेन में अब भी होती थी। 19वीं सदी में यूरोपवालों ने खेल के महत्व को फिर से समझा और ओलिंपिक खेलों को पुनर्जीवित किया। आधुनिक युग में पहला ओलिंपिक खेल 1896 में एथेंस में आयोजित किया गया और उसके लिये संगमरमर का क्रीडांगण बनाया गया जिसमें 66 हजार आदमी बैठ सकते थे। तब से बराबर खेल के मैदान सारी दुनिया में बनते जा रहे हैं। 20वीं सदी में जितने क्रीडांगण बने हैं, उतने इतिहास के किसी काल में नहीं बने। केवल अमेरिका में ही सौ से ऊ पर खेल के मैदान बने हैं, जिनमें बंद एवं खुले दोनों प्रकार के मैदान शामिल हैं। लंदन, न्यूयार्क तथा शिकागो में बहुत बड़े बड़े ढँके हुए क्रीडांगण हैं। इनमें बैडमिंटन, टेनिस, बॉक्सिंग और बर्फ के खेल होते हैं। शिकागो का बंद क्रीडांगण इतना बड़ा है कि उसमें दो लाख आदमी आ सकते हैं। खेल के इन मैदानों का आकार भिन्न-भिन्न प्रकार का होता है। कुछ मैदान गोल होते हैं, कुछ अंडे की शकल के, कुछ चौकोर और कुछ घोड़े की नाल की तरह। बीच में दौड़ने वालों के लिए क्रमश: ऊ ँची होती जानेवाले आसनों की श्रेणियाँ होती है। आजकल के स्टेडियम दर्शनीय होते हैं। इनके सीमेंट के भवन बहुत शानदार और सुंदर होते हैं। ओलिंपिक खेलों का आजकल ढंग यह होता है कि भिन्न-भिन्न देश उनको बारी बारी से अपने यहाँ आयोजित करते हैं। इसलिए जिस देश की बारी होती है उसमें एक बहुत बड़ा स्टेडियम तैयार हो जाता है। बहुत से देशों में आधुनिक स्टेडियम इसी प्रकार बने हैं। श्रेणी:खेल.

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छत्रसाल स्टेडियम

छत्रसाल स्टेडियम दिल्ली का एक स्टेडियम है। यह दिल्ली के रिंग मार्ग पर आने वाला एक बस स्टॉप भी है। यह श्रेणी:दिल्ली के बस स्टॉप श्रेणी:रिंग मार्ग के बस स्टॉप श्रेणी:दिल्ली के स्थल.

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