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तिंगल

सूची तिंगल

मित्तल अग्रवाल समुदाय का एक गोत्र हैं। .

सामग्री की तालिका

  1. 5 संबंधों: लक्ष्मी मित्तल, सुनील भारती मित्तल, गोत्र, अरुण मित्तल 'अद्भुत', अग्रवाल

  2. सूडान की मानव जातियाँ

लक्ष्मी मित्तल

लक्ष्मी निवास मित्तल (जन्म: १५ जून १९५०) लंदन में बसे भारतीय मूल के उद्योगपति है। उनका जन्म राजस्थान के चूरु जिले के शादूलपुर नामक स्थान में हुआ है। वे दुनिया के सबसे धनी भारतीय, ब्रिटेन के सबसे धनी एशियाई और विश्व के ५वें सबसे धनी व्यक्ति है। मित्तल एल एन एम नामक उद्योग समूह के मालिक हैं। इस समूह का सबसे बड़ा व्यवसाय इस्पात क्षेत्र में है। अब भी उन्होंने अपनी भारतीय नागरिकता नहीं छोड़ी है। .

देखें तिंगल और लक्ष्मी मित्तल

सुनील भारती मित्तल

सुनील मित्तल भारतीय मूल के एक प्रमुख व्यवसायी हैं। भारत के दूरसचार उद्योग में श्री मित्तल का काफी दबदबा है। सुनील भारती मित्तल को सन २००७ में भारत सरकार द्वारा उद्योग एवं व्यापार के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये दिल्ली से हैं। .

देखें तिंगल और सुनील भारती मित्तल

गोत्र

गोत्र मोटे तौर पर उन लोगों के समूह को कहते हैं जिनका वंश एक मूल पुरुष पूर्वज से अटूट क्रम में जुड़ा है। व्याकरण के प्रयोजनों के लिये पाणिनि में गोत्र की परिभाषा है 'अपात्यम पौत्रप्रभ्रति गोत्रम्' (४.१.१६२), अर्थात 'गोत्र शब्द का अर्थ है बेटे के बेटे के साथ शुरू होने वाली (एक साधु की) संतान्। गोत्र, कुल या वंश की संज्ञा है जो उसके किसी मूल पुरुष के अनुसार होती है संक्षेप में कहे तो मनुस्मृति के अनुसार सात पीढ़ी बाद सगापन खत्म हो जाता है अर्थात सात पीढ़ी बाद गोत्र का मान बदल जाता है और आठवी पीढ़ी के पुरुष के नाम से नया गोत्र आरम्भ होता है। लेकिन गोत्र की सही गणना का पता न होने के कारण हिन्दू लोग लाखो हजारो वर्ष पहले पैदा हुए पूर्वजो के नाम से ही अज्ञानतावश अपना गोत्र चला रहे है जिससे वैवाहिक जटिलताएं उतपन्न हो रही हैं। .

देखें तिंगल और गोत्र

अरुण मित्तल 'अद्भुत'

डॉ॰ अरुण मित्तल ‘अद्भुत’ (जन्म 21 फ़रवरी 1985) एक हिन्दी कवि हैं। पेशे से प्रबंधन के प्राध्यापक अरुण गजल, कविता, कहानी, लघुकथा, संस्मरण, लेख तथा फीचर विधाओं में अपनी लेखनी चला रहे हैं। अरुण अद्भुत का मुख्य स्वर “ओज” है। उनकी लगभग 300 रचनाएँ विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। एवं लगभग 50 कविताएँ, गजलें एवं लेख, हिन्दयुग्म, अनुभूति, नई कलम, काव्यांचल, रचनाकार, सृजनगाथा, आदि अंतरजाल पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं, उन्हें अग्रवाल सभा, मानव कल्याण संघ, लायंस क्लब, सहित अनेक सामजिक एवं साहित्यिक संस्थाओं उनकी साहित्यिक प्रतिभा तथा साहित्यिक समर्पण के लिए सम्मानित किया है हाल ही में उन्हें सांस्कृतिक मंच, भिवानी ने राज्य स्तरीय राजेश चेतन काव्य पुरस्कार से सम्मानित किया है। .

देखें तिंगल और अरुण मित्तल 'अद्भुत'

अग्रवाल

प्राचीन भारतीय राजवंश | अग्रेयवंशी क्षत्रिय ही वर्तमान में अग्रवाल नाम से जाने जाते हैं। इनकी एक शाखा राजवंशी भी कहलाती है। युनानी बादशाह सिकंदर के आक्रमण के फलस्वरूप अग्रेयगणराज्य का पतन हो गया और अधिकांश अग्रेयवीर वीरगति को प्राप्त हो गये। बचे हुवे अग्रेयवंशी अग्रोहा से निष्क्रमण कर सुदूर भारत में फैल गये और आजीविका के लिये तलवार छोड़ तराजू पकड़ ली। आज इस समुदाय के बहुसंख्य लोग वाणिज्य व्यवसाय से जुड़े हुवे हैं और इनकी गणना विश्व के सफलतम उद्यमी समुदायों में होती है। पिछले दो हजार वर्षों से इनकी आजीविका का आधार वाणिज्य होने से इनकी गणना क्षत्रिय वर्ण होने के बावजूद वैश्य वर्ग में होती है और स्वयं अग्रवाल समाज के लोग अपने आप को वैश्य समुदाय का एक अभिन्न अंग मानते हैं। इनके १८ गोत्र हैं। संस्थापक: महाराजा अग्रसेन वंश: सुर्यवंश एवं नागवंश (इस वंश की अठारह शाखाओं में से १० सुर्यवंश की एवं ८ नागवंश की हैं) गद्दी: अग्रोहा, प्रवर: पंचप्रवर, कुलदेवी: महालक्षमी, गोत्र: १८:- गर्ग, गोयन,गोयल, कंसल, बंसल, सिंहल, मित्तल, जिंदल, बिंदल, नागल, कुच्छल, भंदल, धारण, तायल, तिंगल, ऐरण, मधुकुल, मंगल| .

देखें तिंगल और अग्रवाल

यह भी देखें

सूडान की मानव जातियाँ