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अग्रवाल

सूची अग्रवाल

प्राचीन भारतीय राजवंश | अग्रेयवंशी क्षत्रिय ही वर्तमान में अग्रवाल नाम से जाने जाते हैं। इनकी एक शाखा राजवंशी भी कहलाती है। युनानी बादशाह सिकंदर के आक्रमण के फलस्वरूप अग्रेयगणराज्य का पतन हो गया और अधिकांश अग्रेयवीर वीरगति को प्राप्त हो गये। बचे हुवे अग्रेयवंशी अग्रोहा से निष्क्रमण कर सुदूर भारत में फैल गये और आजीविका के लिये तलवार छोड़ तराजू पकड़ ली। आज इस समुदाय के बहुसंख्य लोग वाणिज्य व्यवसाय से जुड़े हुवे हैं और इनकी गणना विश्व के सफलतम उद्यमी समुदायों में होती है। पिछले दो हजार वर्षों से इनकी आजीविका का आधार वाणिज्य होने से इनकी गणना क्षत्रिय वर्ण होने के बावजूद वैश्य वर्ग में होती है और स्वयं अग्रवाल समाज के लोग अपने आप को वैश्य समुदाय का एक अभिन्न अंग मानते हैं। इनके १८ गोत्र हैं। संस्थापक: महाराजा अग्रसेन वंश: सुर्यवंश एवं नागवंश (इस वंश की अठारह शाखाओं में से १० सुर्यवंश की एवं ८ नागवंश की हैं) गद्दी: अग्रोहा, प्रवर: पंचप्रवर, कुलदेवी: महालक्षमी, गोत्र: १८:- गर्ग, गोयन,गोयल, कंसल, बंसल, सिंहल, मित्तल, जिंदल, बिंदल, नागल, कुच्छल, भंदल, धारण, तायल, तिंगल, ऐरण, मधुकुल, मंगल| .

सामग्री की तालिका

  1. 18 संबंधों: बलराम अग्रवाल, बी एन अग्रवाल, भारतभूषण अग्रवाल, भगवतशरण अग्रवाल, मणीन्द्र अग्रवाल, रामनारायण अग्रवाल, शैल अग्रवाल, सुदर्शन अग्रवाल, स्मिता अग्रवाल, जयवीर अग्रवाल, ज्योतिप्रसाद आगरवाला, वासुदेव शरण अग्रवाल, काजल अग्रवाल, केदारनाथ अग्रवाल, अनिल कुमार अग्रवाल, अनु अग्रवाल, अग्रसेन, अग्रोहा

  2. उत्तर प्रदेश के सामाजिक समुदाय
  3. उत्तराखण्ड के सामाजिक समुदाय
  4. राजस्थान के सामाजिक समुदाय
  5. हरियाणा के सामाजिक समुदाय
  6. हिमाचल प्रदेश के सामाजिक समुदाय

बलराम अग्रवाल

हिन्दी कवि और लेखक बलराम अग्रवाल एक प्रसिद्ध साहित्यकार हैं। इनकी लघुकथाएं बहुत ही शिक्षाप्रद और मनोरंजक होती हैं। अपनी लेखनी के आधार पर कई सामाजिक समस्याओं को भी उठाते हैं। इनकी अविरल चलने वाली लेखनी निरंतर हिन्दी साहित्य को समृद्ध कर रही है। इनके अपने ब्लॉग भी हैं। इनके नाम हैं, |.

देखें अग्रवाल और बलराम अग्रवाल

बी एन अग्रवाल

बी एन अग्रवाल भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं। श्रेणी:सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश.

देखें अग्रवाल और बी एन अग्रवाल

भारतभूषण अग्रवाल

भारतभूषण अग्रवाल छायावादोत्तर हिंदी कविता के एक सशक्त हस्ताक्षर हैं। वे अज्ञेय द्वारा संपादित तारसप्तक के महत्वपूर्ण कवि हैं। .

देखें अग्रवाल और भारतभूषण अग्रवाल

भगवतशरण अग्रवाल

डॉ॰ भगवत शरण अग्रवाल (जन्म: २३ फ़रवरी १९३०) हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकार हैं। वे हाइकु लिखने में सिद्धहस्त हैं। वे 'हाइकु–भारती' के सम्पादक हैं। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के बरेली जनपद के फतेहगंज पूर्वी में हुआ था। उन्होने लखनऊ विश्वविद्यालय से बी.ए., पी–एच.डी.

देखें अग्रवाल और भगवतशरण अग्रवाल

मणीन्द्र अग्रवाल

मणीन्द्र अग्रवाल (जन्म: २० मई १९६६, इलाहाबाद) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर के संगणक विज्ञान एवं अभियान्त्रिकी विभाग में प्रोफेसर है। संगणक विज्ञान के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए सन् २०१३ में भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री प्रदान किया। .

देखें अग्रवाल और मणीन्द्र अग्रवाल

रामनारायण अग्रवाल

रामनारायण अग्रवाल को सन २००० में भारत सरकार ने विज्ञान एवं अभियांत्रिकी क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया था। ये आंध्र प्रदेश राज्य से हैं। .

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शैल अग्रवाल

शैल अग्रवाल (जन्म २१ जनवरी १९४७)) ब्रिटेन मे बसी भारतीय मूल की हिंदी लेखक है। उनका जन्म बनारस में हुआ था। वे गद्य एवं पद्य दोनों विधाओं में समान अधिकार रखती हैं। उनके लेखन का कैनवस अत्यंत विस्तृत है। उनकी कहानियां मानव मन की सूक्ष्म अभिव्यंजना प्रस्तुत करती हैं तो कविताएं अपनी एक विशेष छाप छोड़ती हैं। उनके लेखन में बनारस की ताज़गी और ब्रिटेन की समझ दोनों की झलक देखी जा सकती है। उनका एक कहानी संग्रह 'ध्रुवतारा' और एक कविता संग्रह 'समिधा' प्रकाशित हो चुका है। .

देखें अग्रवाल और शैल अग्रवाल

सुदर्शन अग्रवाल

सुदर्शन अग्रवाल उत्तराखण्ड ऑर सिक्किम के पुर्व राज्यपाल। .

देखें अग्रवाल और सुदर्शन अग्रवाल

स्मिता अग्रवाल

स्मिता अग्रवाल (जन्म: 1958) भारत से एक अँग्रेजी की कवयित्री हैं। .

देखें अग्रवाल और स्मिता अग्रवाल

जयवीर अग्रवाल

जयवीर अग्रवाल को भारत सरकार द्वारा सन २००६ में चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये तमिलनाडु से हैं। .

देखें अग्रवाल और जयवीर अग्रवाल

ज्योतिप्रसाद आगरवाला

रूपकुंवर ज्योतिप्रसाद आगरवाला एक बहुआयामी और विलक्षण प्रतिभा संपन्न व्यक्ति थे। उनकी महानता, लोकप्रियता और व्यक्तित्व का विश्लेषण करते हुए राज्य की एक लोकप्रिय पत्रिका ने एक हजार साल के दस 'सर्वश्रेष्ठ असमिया' में उन्हें भी स्थान दिया है। ज्योतिप्रसाद का शुभ आगमन उस सन्धिक्षण में हुआ जब असमिया संस्कृ्ति तथा सभ्यता अपने मूल रूप से विछिन्न होती जा रही थी। प्रगतिशील विश्व की साहित्यिक और सांस्कृ्तिक धारा से असम का प्रत्यक्ष संपर्क नहीं रह गया था। यहां का बुद्धिजीवी वर्ग अपने को उपेक्षित समक्षकर किंकर्त्तव्यविमूढ़ हो रहा था। उन दिनों भारतीय साहित्य, संस्कृ्ति, कला और विज्ञान आदि क्षेत्रों में एक अभिनव परिवर्तन आने लगा था, परन्तु असम ऎसे परिवर्तन से लाभ उठाने में अक्षम हो रहा था। इसी काल में ज्योति प्रसाद ने अपनी प्रतिभा से, असम की जनता को नई दृष्टि देकर विश्व के मानचित्र पर असम के संस्कृ्ति को उजागर कर एक ऎसा कार्य कर दिखाया, जिसकी कल्पना भी उन दिनों कोई नहीं कर सकता था। जिन महानुभावों के अथक प्रयासों से असम ने आधुनिक शिल्प-कला, साहित्य आदि के क्षेत्र में प्रगति की है, उनमें सबसे पहले ज्योतिप्रसाद का ही नाम गिनाया जायेगा। सबसे दिलचस्प बात यह है कि मारवाड़ी समाज से कहीं ज्यादा असमिया समाज उन्हें अपना मानता है। "रूपकुंवर" के सम्बोधन से ऎसा मह्सूस होता है कि यह किसी नाम की संज्ञा हो, यह शब्द असमिया समाज की तरफ से दिया गया सबसे बड़ा सम्मान का सूचक है जो असम के अन्य किसी भी साहित्यकार को न तो मिला है और न ही अब मिलेगा। अठारहवीं शताब्दी में राजस्थान के जयपुर रियासत के अन्तर्गत "केड़" नामक छोटा सा गांव (वर्तमान में झूंझूंणू जिला) जहां से आकर इनके पूर्वज - केशराम, कपूरचंद, चानमल, घासीराम 'केडिया' किसी कारणवस राजस्थान के ही दूसरे गांव 'गट्टा' आकर बस गये, फिर वहां से 'टांई' में अपनी बुआ के पास बस गये और वाणिज्य-व्यापार करने लगे। सन् 1820-21 के आसपास यह परिवार चूरू आया। परिवार में कुल 4 प्राणी - 10 वर्ष का बालक नवरंगराम, माता व दो छोटे भाई, पिता का साया सर से उठ चुका था। बालक नवरंगराम की उम्र जब 15-16 साल की थी तब उन्हें परदेश जाकर कुछ कमाने की सूक्षी सन् 1827-28 में ये कलकत्ता, मुर्शिदाबाद, बंगाल होते हुये असम में विश्वनाथ चारिआली नामक स्थान पर बस गये और रतनगढ़ के एक फर्म 'नवरंगराम रामदयाल पोद्दार' के यहां बतौर मुनिम नौकरी की। सन् 1932-33 के आसपास नौकरी छोड़कर " गमीरी " नामक स्थान पर आ अपना निजी व्यवसाय आरंभ कर दिये और यहीं अपना घर-बार बसा कर स्थानिय असमिया परिवार में कुलुक राजखोवा की बहन सादरी से विवाह कर लिया। सादरी की अकाल मृ्त्यु हो जाने के पश्चात उन्होंने पुनः दूसरा विवाह कलंगपुर के चारखोलिया गांव के लक्ष्मीकांत सैकिया की बहन सोनपाही से किया। सादरी से दो पुत्र - हरिविलास (बीपीराम) एवं थानुराम तथा सोनपाही से काशीराम प्राप्त हुये। हरिविलास धार्मिक प्रवृ्ति के व्यक्ति थे। इन्होंने अपनी एक आत्मकथा भी लिखी थी जो असमिया साहित्य में एक मूल्यवान दस्तावेज के रूप में मौजूद है। उनके 5 पुत्र हुए- विष्णुप्रसाद, चंद्रकुमार, परमानंद, कृ्ष्णाप्रसाद तथा गोपालचंद्र। चंद्रकुमार अगरवाला असमीया साहित्य में ' जोनाकी" युग के प्रमुख तीन कवियों में से एक माने जाते हैं। काशीराम के पुत्र आनन्दचन्द्र अगरवाल भी असमिया साहित्य में अमर कवि के रूप में प्रसिद्ध हैं। और "रूपकंवर" प्रसिद्ध संगीतज्ञ के पुत्र हैं। ज्योतिप्रसाद का जन्म 17 जून 1903 को डिब्रुगढ़ जिले में स्थित तामुलबारी चायबागान में हुआ। बहुमुखी प्रतिभा के धनी ज्योतिप्रसाद अगरवाल न सिर्फ एक नाटककार, कथाकार, गीतकार, पत्र संपादक, संगीतकार तथा गायक सभी कुछ थे। मात्र 14 वर्ष की उम्र में ही 'शोणित कुंवरी' नाटक की रचना कर आपने असमिया साहित्य को समृ्द्ध कर दिया। 1935 में असमिया साहित्यकार लक्ष्मीकांत बेजबरूआ के ऎतिहासिक नाटक ' ज्योमति कुंवारी' को आधार मानकर प्रथम असमिया फिल्म बनाई। वे इस फिल्म के निर्माता, निर्देशक, पटकथाकार, सेट डिजाइनर, संगीत तथा नृ्त्य निर्देशक सभी कुछ थे। ज्योति प्रसाद ने दो सहयोगियों बोडो कला गुरु विष्णु प्रसाद सभा (1909-69) और फणि शर्मा (1909-69) के साथ असमिया जन-संस्कृ्ति को नई चेतना दी। यह असमिया जातिय इतिहास का स्वर्ण युग है। ज्योतिप्रसाद की संपूर्ण रचनाएं असम की सरकारी प्रकाशन संस्था ने चार खंडों में प्रकाशित की है। उनमें 10 नाटक और लगभग अतनी ही कहानियां, एक उपन्यास,20 से ऊपर निबंध, तथा 359 गीतों का संकल्न है। जिनमें प्रायः सभी असमिया भाषा में लिखे गये हैं तीन-चार गीत हिन्दी और कुछ अंग्रेजी मे नाटक भी लिखे गये हैं। असम सरकार प्रत्येक वर्ष 17 जनवरी को ज्योतिप्रसाद की पुण्यतिथि को शिल्पी दिवश के रूप में मनाती है। इस दिन पूरे असम प्रदेश में सार्वजनिक छुट्टी रहती है। सरकारी प्रायोजनों के अतिरिक्त शिक्षण संस्थाओं में बड़े उत्साह से कार्यक्रम पेश किये जाते हैं। जगह- जगह प्रभात फेरियां निकाली जाती है, साहित्यिक गोष्ठियां आयोजित की जाती है। आजादी की लड़ाई में ज्योतिप्रसाद के योगदानों की चर्चा नहीं की जाय तो यह लेख अधुरा रह जायेगा इसके लिये सिर्फ इतना ही लिखना काफी होगा कि आजादी की लड़ाई में जमुनालाल बजाज के पहले इनके योगदानों को लिखा जाना चाहिये था। अपने जीवन के अंतिम दिनों तक आपने नाटक, गीत, कविता, जीवनी, शिशु कविता, चित्रनाट्य, कहानी, उपन्यास, निबंध आदि के माध्यम से असमिया भाषा- साहित्य और संस्कृ्ति में अतुलनीय योगदान देकर खुद तो अमर हो गये साथ ही मारवाड़ी समाज को भी अमर कर गये। असम के एक कवि शंकरलाल पारीक ने अपने शब्दों में इस प्रकार पिरोया है रूपकुंवर ज्योतिप्रसाद अग्रवाला को: असम मातृ के आंगन में, जन्म हुआ ध्रुव-तारे का; नाम था उसका 'ज्योतिप्रसाद' यथा नाम तथा गुण का, था उसमें सच्चा प्रकाश जान गया जग उसको सारा गीत रचे और गाये उसने, नाटक के पात्र बनाये उसने; जन-जन तक पहुंचाये उसने, स्वतंत्रता की लड़ी लड़ाई, घर-घर अलख जगाई असम की माटी की गंध में, फूलों की सुगंध में लोहित की बहती धारा की कल-कल में, रचा-बसा है नाम 'ज्योति' का असम संस्कृ्ति को महकाने वाला, आजादी का बिगुल बजाने वाला। श्रेणी:असम के लोग श्रेणी:असम के संगीतकार.

देखें अग्रवाल और ज्योतिप्रसाद आगरवाला

वासुदेव शरण अग्रवाल

वासुदेव शरण अग्रवाल (1904 - 1966) भारत के इतिहास, संस्कृति, कला एवं साहित्य के विद्वान थे। वे साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत हिन्दी गद्यकार हैं। .

देखें अग्रवाल और वासुदेव शरण अग्रवाल

काजल अग्रवाल

काजल अग्रवाल (जन्म: 19 जून, 1985) एक भारतीय फ़िल्म अभिनेत्री है, जों अधिकतर तेलगू फ़िल्मों में कार्य कर चुकी है। वे तमिल और हिन्दी सिनेमा में भी पदार्पण कर चुकी हैं। इन्होंने अपने अभिनय की शुरुआत एक हिन्दी फिल्म क्यों! हो गया ना...

देखें अग्रवाल और काजल अग्रवाल

केदारनाथ अग्रवाल

केदारनाथ अग्रवाल (१ अप्रैल १९११ - २०००) प्रमुख हिन्दी कवि थे। .

देखें अग्रवाल और केदारनाथ अग्रवाल

अनिल कुमार अग्रवाल

अनिल कुमार अग्रवाल को सन २००० में भारत सरकार ने अन्य क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया था। ये दिल्ली राज्य से हैं। .

देखें अग्रवाल और अनिल कुमार अग्रवाल

अनु अग्रवाल

अनु अग्रवाल हिन्दी फिल्मों की एक अभिनेत्री हैं। वह पहले एक मॉडल थी। 1990 में महेश भट्ट की फिल्म 'आशिकी' इनकी कामयाब फिल्म रही। २०१३ की फिल्म आशिकी 2 के कारण दोबारा चर्चा में आईं। .

देखें अग्रवाल और अनु अग्रवाल

अग्रसेन

महाराजा अग्रसेन (४२५० BC से ६३७ AD) एक पौराणिक समाजवाद के प्रर्वतक, युग पुरुष, राम राज्य के समर्थक एवं महादानी एवं समाजवाद के प्रथम प्रणेता थे। वे अग्रोदय नामक गणराज्य के महाराजा थे। जिसकी राजधानी अग्रोहा थी .

देखें अग्रवाल और अग्रसेन

अग्रोहा

अग्रोहा निम्न में से एक हो सकता है.

देखें अग्रवाल और अग्रोहा

यह भी देखें

उत्तर प्रदेश के सामाजिक समुदाय

उत्तराखण्ड के सामाजिक समुदाय

राजस्थान के सामाजिक समुदाय

हरियाणा के सामाजिक समुदाय

हिमाचल प्रदेश के सामाजिक समुदाय

अगरवाल के रूप में भी जाना जाता है।