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खाती

सूची खाती

समाज का इतिहास चंद्रवंशी खाती समाज श्री पुत्र सहस्त्रबाहु के पुत्र है । समाज के इष्टदेव भगवान जगदीश है, कुलदेवी महागौरी अष्टमी है, कुलदेव भैरव देव और आराध्या देव भोले शंकर है । खाती समाज भगवान परशुराम जी के आशीर्वाद से उत्त्पन्न जाती है.।इस जाती के लोग सुन्दर और गोर वर्ण अर्थात ‘गोरे ’आते है । क्षत्रिय खाती समाज जम्मू कश्मीर के अभेपुर और नभेपुर के मूल निवासी है आज भी चंद्रवंशी लोग हिमालय क्षेत्र में केसर की खेती करते है । समाज के लिए दोहे प्रसिद्द है ”उत्तर देसी पटक मूलः,नभर नाभयपुर रे,चन्द्रवंश सेवा करी,शंकर सदा सहाय” और ”चंद्रवंशम गोकुलनंदम जयति ”भगवान जगदीश के लिए । समाज १२०० वर्ष पहले से ही कश्मीर से पलायन करने लग गया था और भारत के अन्य राज्यों में बसने लग गया था । समकालीन राजा के आदेश से समाज को राज छोड़ना पड़ा था। खाती समाज के लोग बहुत ही धनि और संपन्न थे, उच्च शिक्षा को महत्व दिया जाता था । जम्मू कश्मीर के अलाउद्दीन ख़िलजी ने १३०५ में मालवा और मद्य भारत में विजय प्राप्त की | उस समाज चन्द्रवंशी खाती समाज के सैनिक भी सैना का संचालन करते थे विजय से खुश होकर ख़िलजी ने समाज को मालवा पर राज करने को कहा परन्तु समाज के वरिष्ठ लोगो ने सोच विचार कर जमींदारी और खेती करने का निश्चय किया.

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