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तारायान

सूची तारायान

सन् १९७८ में डेडलस परियोजना में प्रस्तावित तारायान का चित्रण तारायान ऐसे अंतरिक्ष यान को कहते हैं जो एक तारे से दुसरे तारे तक यात्रा करने में सक्षम हो। ऐसे यान वर्तमान में केवल काल्पनिक हैं और विज्ञान कथा साहित्य में इनपर आधारित बहुत कहानियाँ मिलती हैं। हक़ीक़त में, मनुष्यों ने सौर मंडल के अन्दर यात्रा कर सकने वाले तो कई यान बनाए हैं लेकिन सूरज से किसी अन्य तारे तक जा सकने वाले कोई यान नहीं बनाए। केवल वॉयेजर प्रथम, वॉयेजर द्वितीय, पायोनीअर १० और पायोनीअर ११ ही सूरज के वातावरण से निकलकर अंतरतारकीय दिक् (इन्टरस्टॅलर स्पेस, यानि तारों के बीच का व्योम) में दाख़िल होने की क्षमता रखने वाले मानवों द्वारा निर्मित यान हैं। लेकिन इनमें स्वचालन शक्ति नहीं है और न ही इनमें कोई मनुष्य यात्रा कर रहे हैं। यह केवल अपनी गति से व्योम में बहते जा रहे हैं, इसलिए इन्हें सही अर्थों में तारायान नहीं कहा जा सकता। सूरज के बाद, पृथ्वी का सब से निकटतम तारा प्रॉक्सिमा सॅन्टौरी है जो मित्र तारे के बहु तारा मंडल में मिलता है और हमसे ४.२४ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। वॉयेजर प्रथम मानवों द्वारा बनाया गया सब से तेज़ गति का यान है और इसका वेग वर्तमान में प्रकाश की गति का १/१८,००० हिस्सा है (यानि १८ हज़ार गुना कम)। अगर इस गति पर मनुष्य पृथ्वी से प्रॉक्सिमा सॅन्टौरी जाने का प्रयास करें, तो उन्हें ७२,००० साल लगेंगे। इसलिए यदि मनुष्य कभी कोई तारायान बनाते हैं तो उन्हें नयी तकनीकों का आविष्कार करने की ज़रुरत है जिनकी गति वॉयेजर प्रथम से बहुत अधिक होगी। बिना इसके मनुष्यों का किसी अन्य सौर मंडल में पहुँच पाने का कोई ज्ञात ज़रिया नहीं है। .

14 संबंधों: तारा, दिक्, प्रकाश का वेग, प्रकाश-वर्ष, बहु तारा, मित्र तारा, सौर मण्डल, सूर्य, विज्ञान कथा साहित्य, वॉयेजर द्वितीय, वॉयेजर प्रथम, आल्कुबियेर इंजन, अंतरिक्ष यान, अंग्रेज़ी भाषा

तारा

तारे (Stars) स्वयंप्रकाशित (self-luminous) उष्ण गैस की द्रव्यमात्रा से भरपूर विशाल, खगोलीय पिंड हैं। इनका निजी गुरुत्वाकर्षण (gravitation) इनके द्रव्य को संघटित रखता है। मेघरहित आकाश में रात्रि के समय प्रकाश के बिंदुओं की तरह बिखरे हुए, टिमटिमाते प्रकाशवाले बहुत से तारे दिखलाई देते हैं। .

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दिक्

तीन आयाम या डिमॅनशन वाली दिक् में तीन निर्देशांकों से किसी भी बिंदु के स्थान का पता चल जाता है दिक् जगह के उस विस्तार या फैलाव को कहते हैं जिसमें वस्तुओं का अस्तित्व होता है और घटनाएँ घटती हैं। मनुष्यों के नज़रिए से दिक् के तीन पहलू होते हैं, जिन्हें आयाम या डिमॅनशन भी कहते हैं - ऊपर-नीचे, आगे-पीछे और दाएँ-बाएँ। .

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प्रकाश का वेग

प्रकाश की चाल (speed of light) (जिसे प्राय: c से निरूपित किया जाता है) एक भौतिक नियतांक है। निर्वात में इसका सटीक मान 299,792,458 मीटर प्रति सेकेण्ड है जिसे प्राय: 3 लाख किमी/से.

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प्रकाश-वर्ष

प्रकाश वर्ष (चिन्ह:ly) लम्बाई की मापन इकाई है। यह लगभग 950 खरब (9.5 ट्रिलियन) किलोमीटर के अन्दर होती है। यहां एक ट्रिलियन 1012 (दस खरब, या अरब पैमाने) के रूप में लिया जाता है। अन्तर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ के अनुसार, प्रकाश वर्ष वह दूरी है, जो प्रकाश द्वारा निर्वात में, एक वर्ष में पूरी की जाती है। यह लम्बाई मापने की एक इकाई है जिसे मुख्यत: लम्बी दूरियों यथा दो नक्षत्रों (या ता‍रों) बीच की दूरी या इसी प्रकार की अन्य खगोलीय दूरियों को मापने मैं प्रयोग किया जाता है। .

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बहु तारा

एच॰डी॰ 188753, जो एक तीन तारों का मंडल है खगोलशास्त्र में बहु तारा दो से अधिक तारों का ऐसा गुट होता है जो पृथ्वी से दूरबीन के ज़रिये देखे जाने पर एक-दूसरे के समीप नज़र आते हैं। ऐसा दो कारणों से हो सकता है -.

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मित्र तारा

मित्र मंडल के तीन तारों और हमारे सूरज के आकारों और रंगों की आपस में तुलना शक्तिशाली दूरबीन के ज़रिये मित्र तारे का एक दृश्य (बीच का सब से रोशन तारा) मित्र "बी" की परिक्रमा करते ग़ैर-सौरीय ग्रह का काल्पनिक चित्रण मित्र या अल्फ़ा सॅन्टौरी, जिसका बायर नाम α Centauri या α Cen है, नरतुरंग तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से चौथा सब से रोशन तारा भी है। पृथ्वी से एक दिखने वाला मित्र तारा वास्तव में तीन तारों का बहु तारा मंडल है। इनमें से दो तो एक द्वितारा मंडल में हैं और इन्हें मित्र "ए" और मित्र "बी" कहा जाता है। तीसरा तारा इनसे कुछ दूरी पर है और उसे मित्र "सी" या "प्रॉक्सिमा सॅन्टौरी" का नाम मिला है। सूरज को छोड़कर, प्रॉक्सिमा सॅन्टौरी हमारी पृथ्वी का सब से नज़दीकी तारा है और हमसे 4.24 प्रकाश-वर्ष की दूरी पर है। फिर भी प्रॉक्सिमा सॅन्टौरी इतना छोटा है के बिना दूरबीन के देखा नहीं जा सकता। अक्टूबर २०१२ में वैज्ञनिकों ने घोषणा करी कि मित्र तारा मंडल के एक तारे (मित्र "बी") के इर्द-गिर्द एक ग़ैर-सौरीय ग्रह परिक्रमा करता हुआ पाया गया है। इस ग्रह का नाम 'मित्र बी-बी' (Alpha Centauri Bb) रखा गया और यह पृथ्वी से सब से नज़दीकी ज्ञात ग़ैर-सौरीय ग्रह है लेकिन यह अपने तारे के बहुत पास है और वासयोग्य क्षेत्र में नहीं पड़ता।, Mike Wall, 16 अक्टूबर 2012, NBC News, Accessed: 19 अक्टूबर 2012,...

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सौर मण्डल

सौर मंडल में सूर्य और वह खगोलीय पिंड सम्मलित हैं, जो इस मंडल में एक दूसरे से गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा बंधे हैं। किसी तारे के इर्द गिर्द परिक्रमा करते हुई उन खगोलीय वस्तुओं के समूह को ग्रहीय मण्डल कहा जाता है जो अन्य तारे न हों, जैसे की ग्रह, बौने ग्रह, प्राकृतिक उपग्रह, क्षुद्रग्रह, उल्का, धूमकेतु और खगोलीय धूल। हमारे सूरज और उसके ग्रहीय मण्डल को मिलाकर हमारा सौर मण्डल बनता है। इन पिंडों में आठ ग्रह, उनके 166 ज्ञात उपग्रह, पाँच बौने ग्रह और अरबों छोटे पिंड शामिल हैं। इन छोटे पिंडों में क्षुद्रग्रह, बर्फ़ीला काइपर घेरा के पिंड, धूमकेतु, उल्कायें और ग्रहों के बीच की धूल शामिल हैं। सौर मंडल के चार छोटे आंतरिक ग्रह बुध, शुक्र, पृथ्वी और मंगल ग्रह जिन्हें स्थलीय ग्रह कहा जाता है, मुख्यतया पत्थर और धातु से बने हैं। और इसमें क्षुद्रग्रह घेरा, चार विशाल गैस से बने बाहरी गैस दानव ग्रह, काइपर घेरा और बिखरा चक्र शामिल हैं। काल्पनिक और्ट बादल भी सनदी क्षेत्रों से लगभग एक हजार गुना दूरी से परे मौजूद हो सकता है। सूर्य से होने वाला प्लाज़्मा का प्रवाह (सौर हवा) सौर मंडल को भेदता है। यह तारे के बीच के माध्यम में एक बुलबुला बनाता है जिसे हेलिओमंडल कहते हैं, जो इससे बाहर फैल कर बिखरी हुई तश्तरी के बीच तक जाता है। .

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सूर्य

सूर्य अथवा सूरज सौरमंडल के केन्द्र में स्थित एक तारा जिसके चारों तरफ पृथ्वी और सौरमंडल के अन्य अवयव घूमते हैं। सूर्य हमारे सौर मंडल का सबसे बड़ा पिंड है और उसका व्यास लगभग १३ लाख ९० हज़ार किलोमीटर है जो पृथ्वी से लगभग १०९ गुना अधिक है। ऊर्जा का यह शक्तिशाली भंडार मुख्य रूप से हाइड्रोजन और हीलियम गैसों का एक विशाल गोला है। परमाणु विलय की प्रक्रिया द्वारा सूर्य अपने केंद्र में ऊर्जा पैदा करता है। सूर्य से निकली ऊर्जा का छोटा सा भाग ही पृथ्वी पर पहुँचता है जिसमें से १५ प्रतिशत अंतरिक्ष में परावर्तित हो जाता है, ३० प्रतिशत पानी को भाप बनाने में काम आता है और बहुत सी ऊर्जा पेड़-पौधे समुद्र सोख लेते हैं। इसकी मजबूत गुरुत्वाकर्षण शक्ति विभिन्न कक्षाओं में घूमते हुए पृथ्वी और अन्य ग्रहों को इसकी तरफ खींच कर रखती है। सूर्य से पृथ्वी की औसत दूरी लगभग १४,९६,००,००० किलोमीटर या ९,२९,६०,००० मील है तथा सूर्य से पृथ्वी पर प्रकाश को आने में ८.३ मिनट का समय लगता है। इसी प्रकाशीय ऊर्जा से प्रकाश-संश्लेषण नामक एक महत्वपूर्ण जैव-रासायनिक अभिक्रिया होती है जो पृथ्वी पर जीवन का आधार है। यह पृथ्वी के जलवायु और मौसम को प्रभावित करता है। सूर्य की सतह का निर्माण हाइड्रोजन, हिलियम, लोहा, निकेल, ऑक्सीजन, सिलिकन, सल्फर, मैग्निसियम, कार्बन, नियोन, कैल्सियम, क्रोमियम तत्वों से हुआ है। इनमें से हाइड्रोजन सूर्य के सतह की मात्रा का ७४ % तथा हिलियम २४ % है। इस जलते हुए गैसीय पिंड को दूरदर्शी यंत्र से देखने पर इसकी सतह पर छोटे-बड़े धब्बे दिखलाई पड़ते हैं। इन्हें सौर कलंक कहा जाता है। ये कलंक अपने स्थान से सरकते हुए दिखाई पड़ते हैं। इससे वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला है कि सूर्य पूरब से पश्चिम की ओर २७ दिनों में अपने अक्ष पर एक परिक्रमा करता है। जिस प्रकार पृथ्वी और अन्य ग्रह सूरज की परिक्रमा करते हैं उसी प्रकार सूरज भी आकाश गंगा के केन्द्र की परिक्रमा करता है। इसको परिक्रमा करनें में २२ से २५ करोड़ वर्ष लगते हैं, इसे एक निहारिका वर्ष भी कहते हैं। इसके परिक्रमा करने की गति २५१ किलोमीटर प्रति सेकेंड है। Barnhart, Robert K. (1995) The Barnhart Concise Dictionary of Etymology, page 776.

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विज्ञान कथा साहित्य

विज्ञान कथा, काल्पनिक साहित्य की ही वह विधा है जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी के संभावित परिवर्तनों को लेकर उपजी मानवीय प्रतिक्रिया को कथात्मक अभिव्यक्ति देती है। मेरी शेली की 'द फ्रन्केनस्टआईन' पहली विज्ञान कथात्मक कृति मानी जाती है। अमेरिका और ब्रिटेन में विगत सदी में बेह्तरीन विज्ञान कथाएं लिखी गयी है- आइजक आजीमोव, आर्थर सी क्लार्क, रोबर्ट हेनलीन प्रसिद्ध विज्ञान कथा लेखक रहे हैं। अब तीनों दिवंगत हैं। .

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वॉयेजर द्वितीय

वायेजर द्वितीय एक अमरीकी मानव रहित अंतरग्रहीय शोध यान था जिसे वायेजर १ से पहले २० अगस्त १९७७ को अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा प्रक्षेपित किया गया था। यह काफी कुछ अपने पूर्व संस्करण यान वायेजर १ के समान ही था, किन्तु उससे अलग इसका यात्रा पथ कुछ धीमा है। इसे धीमा रखने का कारण था इसका पथ युरेनस और नेपचून तक पहुंचने के लिये अनुकूल बनाना। इसके पथ में जब शनि ग्रह आया, तब उसके गुरुत्वाकर्षण के कारण यह युरेनस की ओर अग्रसर हुआ था और इस कारण यह भी वायेजर १ के समान ही बृहस्पति के चन्द्रमा टाईटन का अवलोकन नहीं कर पाया था। किन्तु फिर भी यह युरेनस और नेपच्युन तक पहुंचने वाला प्रथम यान था। इसकी यात्रा में एक विशेष ग्रहीय परिस्थिति का लाभ उठाया गया था जिसमे सभी ग्रह एक सरल रेखा मे आ जाते है। यह विशेष स्थिति प्रत्येक १७६ वर्ष पश्चात ही आती है। इस कारण इसकी ऊर्जा में बड़ी बचत हुई और इसने ग्रहों के गुरुत्व का प्रयोग किया था। .

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वॉयेजर प्रथम

वोयेजर प्रथम अंतरिक्ष यान एक ७२२ कि.ग्रा का रोबोटिक अंतरिक्ष प्रोब था। इसे ५ सितंबर, १९७७ को लॉन्च किया गया था। वायेजर १ अंतरिक्ष शोध यान एक ८१५ कि.ग्रा वजन का मानव रहित यान है जिसे हमारे सौर मंडल और उसके बाहर की खोज के लिये प्रक्षेपित किया गया था। यह अभी भी (मार्च २००७) कार्य कर रहा है। यह नासा का सबसे लम्बा अभियान है। इस यान ने गुरू और शनि ग्रहों की यात्रा की है और यह यान इन महाकाय ग्रहों के चन्द्रमा की तस्वीरें भेजने वाला पहला शोध यान है। वायेजर १ मानव निर्मित सबसे दूरी पर स्थित वस्तु है और यह पृथ्वी और सूर्य दोनों से दूर अनंत अंतरिक्ष में अभी भी गतिशील है। न्यू हॉराइज़ंस शोध यान जो इसके बाद छोड़ा गया था, वायेजर १ की तुलना में कम गति से चल रहा है इसलिये वह कभी भी वायेजर १ को पीछे नहीं छोड़ पायेगा। .

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आल्कुबियेर इंजन

दो आयामों (डायमेंशनों) में आल्कुबियेर​ इंजन के प्रभाव का चित्रण - यान के आगे का दिक्-काल सिकुड़ता है और उसे पीछे का दिक्-काल फैलता है आल्कुबियेर​ इंजन (Alcubierre drive) एक प्रस्तावित वैज्ञानिक युक्ति है जिसमें भौतिकशास्त्री मिगेल आल्कुबियेर​ ने आइनस्टाइन​ क्षेत्र समीकरण (फ़ील्ड इक्वेशन​) का एक संभव हल देते हुए यह दिखाया था कि कुछ परिस्थितियों में किसी यान को प्रकाश की गति से भी तेज़ चलाया जा सकता है।, Michel-Marie Deza, Elena Deza, pp.

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अंतरिक्ष यान

इंजन चालू होने के कुछ ही क्षण बाद ''कोलम्बिया'' नामक अंतरिक्ष यान। वह यान जो कि अन्तरिक्ष अथवा व्योम में जाने के काम आता है उसे अंतरिक्ष यान (अंग्रेज़ी: "Spacecraft") कहते हैं। .

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अंग्रेज़ी भाषा

अंग्रेज़ी भाषा (अंग्रेज़ी: English हिन्दी उच्चारण: इंग्लिश) हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में आती है और इस दृष्टि से हिंदी, उर्दू, फ़ारसी आदि के साथ इसका दूर का संबंध बनता है। ये इस परिवार की जर्मनिक शाखा में रखी जाती है। इसे दुनिया की सर्वप्रथम अन्तरराष्ट्रीय भाषा माना जाता है। ये दुनिया के कई देशों की मुख्य राजभाषा है और आज के दौर में कई देशों में (मुख्यतः भूतपूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों में) विज्ञान, कम्प्यूटर, साहित्य, राजनीति और उच्च शिक्षा की भी मुख्य भाषा है। अंग्रेज़ी भाषा रोमन लिपि में लिखी जाती है। यह एक पश्चिम जर्मेनिक भाषा है जिसकी उत्पत्ति एंग्लो-सेक्सन इंग्लैंड में हुई थी। संयुक्त राज्य अमेरिका के 19 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध और ब्रिटिश साम्राज्य के 18 वीं, 19 वीं और 20 वीं शताब्दी के सैन्य, वैज्ञानिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव के परिणाम स्वरूप यह दुनिया के कई भागों में सामान्य (बोलचाल की) भाषा बन गई है। कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रमंडल देशों में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल एक द्वितीय भाषा और अधिकारिक भाषा के रूप में होता है। ऐतिहासिक दृष्टि से, अंग्रेजी भाषा की उत्पत्ति ५वीं शताब्दी की शुरुआत से इंग्लैंड में बसने वाले एंग्लो-सेक्सन लोगों द्वारा लायी गयी अनेक बोलियों, जिन्हें अब पुरानी अंग्रेजी कहा जाता है, से हुई है। वाइकिंग हमलावरों की प्राचीन नोर्स भाषा का अंग्रेजी भाषा पर गहरा प्रभाव पड़ा है। नॉर्मन विजय के बाद पुरानी अंग्रेजी का विकास मध्य अंग्रेजी के रूप में हुआ, इसके लिए नॉर्मन शब्दावली और वर्तनी के नियमों का भारी मात्र में उपयोग हुआ। वहां से आधुनिक अंग्रेजी का विकास हुआ और अभी भी इसमें अनेक भाषाओँ से विदेशी शब्दों को अपनाने और साथ ही साथ नए शब्दों को गढ़ने की प्रक्रिया निरंतर जारी है। एक बड़ी मात्र में अंग्रेजी के शब्दों, खासकर तकनीकी शब्दों, का गठन प्राचीन ग्रीक और लैटिन की जड़ों पर आधारित है। .

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