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ड्यूटेरोस्टोमिया

सूची ड्यूटेरोस्टोमिया

ड्यूटेरोस्टोमिया (Deuterostomia, लातीनी भाषा में अर्थ: दूसरा मुँह) प्राणियों का एक जीववैज्ञानिक अधिसंघ है। यह अपनी बहन क्लेड, प्रोटोस्टोमिया, के साथ अपने से ऊँचा नेफ़्रोज़ोआ (Nephrozoa) नामक क्लेड बनाता है। ड्यूटेरोस्टोमिया और प्रोटोस्टोमिया के सदस्य प्राणियों में यह अंतर है कि ड्यूटेरोस्टोमिया के भ्रूण (एम्ब्रियो) के विकास में सबसे पहले जो छिद्र खुलता है वह गुदा बनता है जबकि अधिकतर प्रोटोस्टोमिया भ्रूण में सबसे पहले विकसित होने वाला छिद्र उसका मुँह होता है। नेफ़्रोज़ोआ स्वयं बाइलेटेरिया क्लेड का सदस्य है। .

17 संबंधों: ड्यूटेरोस्टोमिया, तारामीन, नेफ़्रोज़ोआ, प्राणी, प्रोटोस्टोमिया, बाइलेटेरिया, भ्रूण, मुँह, रज्जुकी, लातिन भाषा, शूलचर्मी, संघ (जीवविज्ञान), जलसाही, विलुप्ति, गुदा, कशेरुकी प्राणी, क्लेड

ड्यूटेरोस्टोमिया

ड्यूटेरोस्टोमिया (Deuterostomia, लातीनी भाषा में अर्थ: दूसरा मुँह) प्राणियों का एक जीववैज्ञानिक अधिसंघ है। यह अपनी बहन क्लेड, प्रोटोस्टोमिया, के साथ अपने से ऊँचा नेफ़्रोज़ोआ (Nephrozoa) नामक क्लेड बनाता है। ड्यूटेरोस्टोमिया और प्रोटोस्टोमिया के सदस्य प्राणियों में यह अंतर है कि ड्यूटेरोस्टोमिया के भ्रूण (एम्ब्रियो) के विकास में सबसे पहले जो छिद्र खुलता है वह गुदा बनता है जबकि अधिकतर प्रोटोस्टोमिया भ्रूण में सबसे पहले विकसित होने वाला छिद्र उसका मुँह होता है। नेफ़्रोज़ोआ स्वयं बाइलेटेरिया क्लेड का सदस्य है। .

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तारामीन

तारा मछली इकाइनोडरमेटा संघ का अपृष्ठवंशी प्राणी है जो केवल समुद्री जल में ही पायी जाती है। इसके शरीर का आकार तारा जैसा होता है, शरीर में डिस्क और पांच भुजाएं होती है जो कड़े प्लेट्स से ढंकी रहता हैं। उपरी सतह पर अनेक कांटेदार रचनायें होती हैं। डिस्क पर मध्य में गुदा स्थित होती है। निचली सतह पर डिस्क के मध्य में मुंह स्थित है। भुजाओं पर दो कतारों में ट्यूब फीट होते हैं। प्रचलन की क्रिया ट्यूबफीट के द्वारा होती है तथा पैपुली द्वारा श्वसन की क्रिया होती है। इसकी एक प्रजाति,Gohongaze को जापानी लोग बडे चाव से खाते हैं। .

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नेफ़्रोज़ोआ

नेफ़्रोज़ोआ (Nephrozoa) प्राणियों का एक क्लेड है, जो बाइलेटेरिया (द्विभागीय सममिति रखने वाले) समूह का एक उपसमूह है। बाइलेटेरिया में नेफ़्रोज़ोआ और ज़ीनासीलोमोर्फ़ा दो क्लेड आते हैं। नेफ़्रोज़ोआ को दो समूहों में बांटा जाता है: ड्यूटेरोस्टोमिया (जिसमें मानव समेत सभी रज्जुकी आते हैं) और प्रोटोस्टोमिया। .

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प्राणी

प्राणी या जंतु या जानवर 'ऐनिमेलिया' (Animalia) या मेटाज़ोआ (Metazoa) जगत के बहुकोशिकीय और सुकेंद्रिक जीवों का एक मुख्य समूह है। पैदा होने के बाद जैसे-जैसे कोई प्राणी बड़ा होता है उसकी शारीरिक योजना निर्धारित रूप से विकसित होती जाती है, हालांकि कुछ प्राणी जीवन में आगे जाकर कायान्तरण (metamorphosis) की प्रकिया से गुज़रते हैं। अधिकांश जंतु गतिशील होते हैं, अर्थात अपने आप और स्वतंत्र रूप से गति कर सकते हैं। ज्यादातर जंतु परपोषी भी होते हैं, अर्थात वे जीने के लिए दूसरे जंतु पर निर्भर रहते हैं। अधिकतम ज्ञात जंतु संघ 542 करोड़ साल पहले कैम्ब्रियन विस्फोट के दौरान जीवाश्म रिकॉर्ड में समुद्री प्रजातियों के रूप में प्रकट हुए। .

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प्रोटोस्टोमिया

प्रोटोस्टोमिया (Protostomia, लातीनी भाषा में अर्थ: पहला मुँह) प्राणियों का एक जीववैज्ञानिक अधिसंघ है। यह अपनी बहन क्लेड, ड्यूटेरोस्टोमिया, के साथ अपने से ऊँचा नेफ़्रोज़ोआ (Nephrozoa) नामक क्लेड बनाता है। ड्यूटेरोस्टोमिया और प्रोटोस्टोमिया के सदस्य प्राणियों में यह अंतर है कि ड्यूटेरोस्टोमिया के भ्रूण (एम्ब्रियो) के विकास में सबसे पहले जो छिद्र खुलता है वह गुदा बनता है जबकि अधिकतर प्रोटोस्टोमिया भ्रूण में सबसे पहले विकसित होने वाला छिद्र उसका मुँह होता है। नेफ़्रोज़ोआ स्वयं बाइलेटेरिया क्लेड का सदस्य है। .

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बाइलेटेरिया

बाइलेटेरिया (Bilateria) या द्विसमभागी ऐसे प्राणी होते हैं जिनके शरीर लगभग दो समान भागों के बने हों, यानि जिनमें द्विभागीय सममिति हो। ऐसे जीवों के शरीर के मुख्य भाग में आमतौर पर एक ध्रुव पर सिर और दूसरे ध्रुव पर गुदा होती है। इनके शरीर में पीछे की ओर रीढ़ और आगे की ओर पेट वाला रुख होता है, और यह दाएँ और बाएँ भाग रखते हैं। मानव, गिरगिट, अधिकतर मछलियाँ, पक्षी, इत्यादि सभी बाइलेटेरिया की परिभाषा में आते हैं। इसके विपरीत निडारिया (मसलन जेलीफ़िश), टेनोफोरा और स्पंज जैसे व्यासीय सममिति रखने वाले प्राणी में आगे-पीछे और दाएँ-बाएँ का अंतर नहीं होता, लेकिन ऊपर-नीचे का अंतर होता है। .

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भ्रूण

झुर्रीदार मेढक (राना रूगोसा) के भ्रूण (और एक बेंगची) भ्रूण (Embryo) प्राणी के विकास की प्रारंभिक अवस्था को कहते हैं। मानव में तीन मास की गर्भावस्था के पश्चात्‌ भ्रूण को गर्भ की संज्ञा दी जाती है। एक निषेचित अंडाणु जब फलोपिओन नालिका (fallopian tube) से गुजरता है तब उसका खंडीभवन (segmentation) होता हें तथा यह अवस्था मोरूला (morula) बन जाता हें। प्रथम तीन सप्ताह में ही प्रारंभिक जननस्तर (primary germ layers) प्रारंभिक जनन स्तर के तीन भाग होते हैं। बाहर का भाग बाह्यत्वचा (ectoderm), अंदर का भाग अंतस्त्वचा (endoderm) और दोनों के बीच का भाग मध्यस्तर (mesoderm) कहलाता है। इन्हीं से विभिन्न कार्य करनेवाले अंग विकसित होते हैं। भ्रुण अवस्था अष्टम सप्ताहश् के अंत तक रहती है। नाना आशयों तथा अंगों के निर्माण के साथ साथ भ्रूण में अत्यंत महत्वपूर्ण परिवर्तन होते हैं। इसके पश्चात्‌ तीसरे मास से गर्भ कहानेवाली अवस्था प्रसव तक होती है। भ्रूण अत्यंत प्रारंभिक अवस्था में अपना पोषण प्राथमिक अंडाणु के द्वारा लाए गए पोषक द्रव्यों से पाता है। इसके पश्चात्‌ ब्लास्टोसिस्ट गर्भाशय की ग्रंथियों तथा वपन की क्रिया में हुए ऊतकलयन के फलस्वरूप एकत्रित रक्त से पोषण लेता है। भ्रूणपट्ट (embryonic disc), उल्व (amnion), देहगुहा (coelom) तथा पीतक (yolk) थैली में भरे द्रव्य से पोषण लेता है। अंत में अपना तथा नाभि नाल के निर्माण के पश्चात्‌ माता के रक्तपरिवहन के भ्रूणरक्त का परिवहनसंबंध स्थापित होकर, भ्रूण का पोषण होता है। 270 दिन तक मातृ गर्भाशय में रहने के पश्चात प्रसव होता है और शिशु गर्भाशय से निकलता है। भ्रूण (अनियमित रूप से ग्रीक: बहुवचन lit. से आया शब्द है जिसका अर्थ होता है -"वह जो विकसित होता है", en से-"in"+bryin "फूलना, भरना; इसका सही लातिन रूप होगा embryum) अपने विकास के शुरूआती चरण में, प्रथम कोशिका विभाजन से लेकर जन्म, प्रसव या अंकुरण तक, एक बहुकोशिकीय डिप्लॉयड यूक्रायोट होता है। इंसानों में, इसे निषेचन के आठ सप्ताह तक (मतलब एलएमपी के 10वें सप्ताह तक) भ्रूण कहा जाता है और उसके बाद से भ्रूण की बजाय इसे गर्भस्थ शिशु (फेटस) कहा जता है। भ्रूण के विकास को एंब्रियोजेनेसिस कहा जाता है। जीवों में, जो यौन प्रजनन करते हैं, एक बार शुक्राणु अण्ड कोशिका को निषेचित कर लेता है, तो परिणाम स्वरूप एक कोशिका जन्म लेती है, जिसे जाइगोट कहते हैं, जिसमें दोनों अभिभावकों का आधा डीएनए होता है। पौधों, जानवरों और कुछ प्रोटिस्ट में समविभाजन के द्वारा एक बहुकोशिकीय जीव को पैदा करने के लिए जाइगोट विभाजित होना शुरू हो जाएगा.

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मुँह

मुँह जंतुओं की आहार नली का प्रथम भाग होता है जिसको आहार और लार मिलता है। ओरल म्यूकोसा मुँह के अन्दर की उपकला में श्लेष्म झिल्ली होती है। अपनी मुख्य क्रिया यानि पाचक तंत्र की पहली कड़ी के अतिरिक्त मनुष्यों में मुँह एक और अहम कार्य करता है जो कि है एक दूसरे के साथ वार्तालाप के द्वारा संपर्क करना। हालांकि ध्वनि का मुख्य स्रोत गला होता लेकिन इस ध्वनि को भाषा का रूप जीभ, होंठ, जबड़ा और ऊपरी मुँह का तालु देते हैं। मुँह का अन्दरुनी भाग अमूमन लार की वजह से गीला रहता है और होंठ से मुँह के अन्दर की श्लेष्म झिल्ली त्वचा-जो कि बाकी शरीर को ढँकती है- में परिवर्तित हो जाती है। .

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रज्जुकी

रज्जुकी (संघ कॉर्डेटा) जीवों का एक समूह है जिसमें कशेरुकी (वर्टिब्रेट) और कई निकट रूप से संबंधित अकशेरुकी (इनवर्टिब्रेट) शामिल हैं। इनका इस संघ मे शामित होना इस आधार पर सिद्ध होता है कि यह जीवन चक्र मे कभी न कभी निम्न संरचनाओं को धारण करते हैं जो हैं, एक पृष्ठ‍रज्जु (नोटोकॉर्ड), एक खोखला पृष्ठीय तंत्रिका कॉर्ड, फैरेंजियल स्लिट एक एंडोस्टाइल और एक पोस्ट-एनल पूंछ। संघ कॉर्डेटा तीन उपसंघों मे विभाजित है: यूरोकॉर्डेटा, जिसका प्रतिनिधित्व ट्युनिकेट्स द्वारा किया जाता है; सेफालोकॉर्डेटा, जिसका प्रतिनिधित्व लैंसलेट्स द्वारा किया जाता है और क्रेनिएटा, जिसमे वर्टिब्रेटा शामिल हैं। हेमीकॉर्डेटा को चौथे उपसंघ के रूप मे प्रस्तुत किया जाता है पर अब इसे आम तौर पर एक अलग संघ के रूप में जाना जाता है। यूरोकॉर्डेट के लार्वा में एक नोटॉकॉर्ड और एक तंत्रिका कॉर्ड पायी जाती है पर वयस्क होने पर यह लुप्त हो जातीं हैं। सेफालोकॉर्डेट एक नोटॉकॉर्ड और एक तंत्रिका कॉर्ड पायी जाती है लेकिन कोई मस्तिष्क या विशेष संवेदना अंग नहीं होता और इनका एक बहुत ही सरल परिसंचरण तंत्र होता है। क्रेनिएट ही वह उपसंघ है जिसके सदस्यों में खोपड़ी मिलती है। इनमे वास्तविक देहगुहा पाई जाती है। इनमे जनन स्तर सदैव त्री स्तरीय पाया जाता है। सामान्यत लैंगिक जनन पाया जाता है। सामान्यत प्रत्यक्ष विकास होता है। इनमे RBC उपस्थित होती है। इनमे द्वीपार्शविय सममिती पाई जाती है। इसके जंतु अधिक विकसित होते है। श्रेणी:जीव विज्ञान *.

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लातिन भाषा

लातीना (Latina लातीना) प्राचीन रोमन साम्राज्य और प्राचीन रोमन धर्म की राजभाषा थी। आज ये एक मृत भाषा है, लेकिन फिर भी रोमन कैथोलिक चर्च की धर्मभाषा और वैटिकन सिटी शहर की राजभाषा है। ये एक शास्त्रीय भाषा है, संस्कृत की ही तरह, जिससे ये बहुत ज़्यादा मेल खाती है। लातीना हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार की रोमांस शाखा में आती है। इसी से फ़्रांसिसी, इतालवी, स्पैनिश, रोमानियाई और पुर्तगाली भाषाओं का उद्गम हुआ है (पर अंग्रेज़ी का नहीं)। यूरोप में ईसाई धर्म के प्रभुत्व की वजह से लातीना मध्ययुगीन और पूर्व-आधुनिक कालों में लगभग सारे यूरोप की अंतर्राष्ट्रीय भाषा थी, जिसमें समस्त धर्म, विज्ञान, उच्च साहित्य, दर्शन और गणित की किताबें लिखी जाती थीं। .

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शूलचर्मी

तारामीन लिली शूलचर्मा या 'एकिनोडर्म' (Echinoderm) पूर्णतया समुद्री प्राणी हैं। जंतुजगत्‌ के इस बड़े संघ में तारामीन (starfish), ओफियोराइड (Ophiaroids) तथा होलोथूरिया (Holothuria) आदि भी सम्मिलित हैं। अंग्रेजी शब्द एकाइनोडर्माटा का अर्थ है, 'काँटेदार चमड़ेवाले प्राणी'। शूलचर्मों का अध्ययन अनेक प्राणिविज्ञानियों ने किया है। इस संघ में 4,000 प्रकार के प्राणी हैं, जो संसार के सभी सागरों और विभिन्न गहराइयों में पाए जाते हैं। .

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संघ (जीवविज्ञान)

वर्ग आते हैं संघ (अंग्रेज़ी: phylum, फ़ायलम) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में जीवों के वर्गीकरण की एक श्रेणी होती है। आधुनिक जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में यह श्रेणी वर्गों (क्लासों) से ऊपर और जगत (किंगडम) के नीचे आता है, यानि एक संघ में बहुत से वर्ग होते हैं और बहुत से संघों को एक जीववैज्ञानिक जगत में संगठित किया जाता है। ध्यान दें कि हर जीववैज्ञानिक संघ में बहुत सी भिन्न जीवों की जातियाँ-प्रजातियाँ सम्मिलित होती हैं।, David E. Fastovsky, David B. Weishampel, pp.

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जलसाही

ईकाइनस इस्कुलेन्टस या सी आर्चिन एक एकलिंगी समुद्री प्राणी है जो प्रायः सर्वत्र पाया जाता है। इसका शरीर गोलाकार या हृदयाकार होता है जो कल्केरियस सेल के अन्दर बन्द रहता है। इसमें प्रचलन की क्रिया ट्यूब फीट के द्वारा सम्पन्न होती है। इनका प्रमुख भोजन शैवाल जातीय छोटे जलीय पौधे हैं इनके जीवन चक्र में जटिल लार्वा अवस्था पायी जाती है। श्रेणी:जलचर.

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विलुप्ति

मॉरीशस का डोडो पक्षी मानव शिकार के कारण विलुप्त हो गया जीव विज्ञान में विलुप्ति (extinction) उस घटना को कहते हैं जब किसी जीव जाति का अंतिम सदस्य मर जाता है और फिर विश्व में उस जाति का कोई भी जीवित जीव अस्तित्व में नहीं होता। अक्सर ऐसा इसलिए होता है क्योंकि किसी जीव का प्राकृतिक वातावरण बदल जाता है और उसमें इन बदली परिस्थितियों में पनपने और जीवित रहने की क्षमता नहीं होती। अंतिम सदस्य की मृत्यु के साथ ही उस जाति में प्रजनन द्वारा वंश वृद्धि की संभावनाएँ समाप्त हो जाती हैं। पारिस्थितिकी में कभी कभी विलुप्ति शब्द का प्रयोग क्षेत्रीय स्तर पर किसी जीव प्रजाति की विलुप्ति से भी लिया जाता है। अध्ययन से पता चला है कि अपनी उत्पत्ति के औसतन १ करोड़ वर्ष बाद जाति विलुप्त हो जाती है, हालांकि कुछ जातियाँ दसियों करोड़ों वर्षों तक जारी रहती हैं। पृथ्वी पर मानव के विकसित होने से पहले विलुप्तियाँ प्राकृतिक वजहों से हुआ करती थीं। माना जाता है कि पूरे इतिहास में जितनी भी जातियाँ पृथ्वी पर उत्पन्न हुई हैं उनमें से लगभग ९९.९% विलुप्त हो चुकी हैं।, Denise Walker, Evans Brothers, 2006, ISBN 978-0-237-53010-5,...

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गुदा

पुरुष की गुदा मलाशय एवं गुदा जीवों के पाचन तंत्र के अन्तिम छोर के द्वार (छेद) को गुदा (anus) कहते हैं। इसका कार्य मल निष्कासन का नियंत्रण करना है। .

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कशेरुकी प्राणी

कशेरुकी जन्तु कशेरुकी या कशेरुकदंडी (वर्टेब्रेट, Vertebrate) प्राणिसाम्राज्य के कॉरडेटा (Chordata) समुदाय का सबसे बड़ा उपसमुदाय है। जिसके सदस्यों में रीढ़ की हड्डियाँ (backbones) या पृष्ठवंश (spinal comumns) विद्यमान रहते हैं। इस समुदाय में इस समय लगभग 58,000 प्रजातियाँ वर्णित हैं। इसमें बिना जबड़े वाली मछलियां, शार्क, रे, उभयचर, सरीसृप, स्तनपोषी तथा चिड़ियाँ शामिल हैं। ज्ञात जन्तुओं में लगभग 5% कशेरूकी हैं और शेष अकेशेरूकी। .

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क्लेड

जातियों के इस चित्रण में लाल समूह एक क्लेड है (क्योंकि उसके सभी सदस्य एक जाति और उसकी सभी वंशज जातियाँ हैं) जबकि हरा समूह क्लेड नहीं है (क्योंकि नीला समूह में हरे समूह की एक सदस्य जाति के वंशज हैं लेकिन वह हरे समूह से बाहर हैं) क्लेड (clade) या जीवशाखा जीव जातियों का ऐसा समूह होता है जिसमें कोई जाति और उससे विकसित हुई सभी जातियाँ शामिल होती हैं। जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में क्लेड जीवन वृक्ष की एक शाखा होती है। 'क्लेड' शब्द बहुत नया है और १९५८ में ब्रिटिश जीववैज्ञानिक जूलियन हक्सली ने गढ़ा था। क्लेडिकी के विज्ञान में सभी जीवों को उनके क्लेडों के आधार पर वर्गीकृत करके उनका अध्ययन किया जाता है।, Claude Dupuis, Annual Review of Ecology and Systematics 15: 1–24, 1984, ISSN 0066-4162 .

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