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लावा
लावा पिघली हुई चट्टान आर्थात मैग्मा का धरातल पर प्रकट होकर बहने वाला भाग है। यह ज्वालामुखी उद्गार द्वारा बाहर निकलता है और आग्नेय चट्टानों की रचना करता है। श्रेणी:भूविज्ञान श्रेणी:ज्वालामुखी श्रेणी:भू-आकृति विज्ञान श्रेणी:ज्वालामुखीयता.
देखें ज्वालामुख-कुण्ड और लावा
ज्वालामुखी
तवुर्वुर का एक सक्रिय ज्वालामुखी फटते हुए, राबाउल, पापुआ न्यू गिनिया ज्वालामुखी पृथ्वी की सतह पर उपस्थित ऐसी दरार या मुख होता है जिससे पृथ्वी के भीतर का गर्म लावा, गैस, राख आदि बाहर आते हैं। वस्तुतः यह पृथ्वी की ऊपरी परत में एक विभंग (rupture) होता है जिसके द्वारा अन्दर के पदार्थ बाहर निकलते हैं। ज्वालामुखी द्वारा निःसृत इन पदार्थों के जमा हो जाने से निर्मित शंक्वाकार स्थलरूप को ज्वालामुखी पर्वत कहा जाता है। ज्वालामुखी का सम्बंध प्लेट विवर्तनिकी से है क्योंकि यह पाया गया है कि बहुधा ये प्लेटों की सीमाओं के सहारे पाए जाते हैं क्योंकि प्लेट सीमाएँ पृथ्वी की ऊपरी परत में विभंग उत्पन्न होने हेतु कमजोर स्थल उपलब्ध करा देती हैं। इसके अलावा कुछ अन्य स्थलों पर भी ज्वालामुखी पाए जाते हैं जिनकी उत्पत्ति मैंटल प्लूम से मानी जाती है और ऐसे स्थलों को हॉटस्पॉट की संज्ञा दी जाती है। भू-आकृति विज्ञान में ज्वालामुखी को आकस्मिक घटना के रूप में देखा जाता है और पृथ्वी की सतह पर परिवर्तन लाने वाले बलों में इसे रचनात्मक बल के रूप में वर्गीकृत किया जाता है क्योंकि इनसे कई स्थलरूपों का निर्माण होता है। वहीं, दूसरी ओर पर्यावरण भूगोल इनका अध्ययन एक प्राकृतिक आपदा के रूप में करता है क्योंकि इससे पारितंत्र और जान-माल का नुकसान होता है। .
देखें ज्वालामुख-कुण्ड और ज्वालामुखी
यह भी देखें
आग्नेय शैलें
- आग्नेय शैल
- ज्वालामुख-कुण्ड
- फैकोलिथ
- बड़े आग्नेय-चट्टानी क्षेत्र
- बहिर्भेदी शैल
- मैग्मा
- लावा
- लैकोलिथ
- लोपोलिथ
ज्वालामुखीय स्थलाकृति
- उष्णोत्स
- ज्वालामुख-कुण्ड
- ज्वालामुखी
- ज्वालामुखी शंकु
- ढाल ज्वालामुखी
- बाढ़ बेसाल्ट
- मध्य-महासागर पर्वतमाला
- मिश्रित ज्वालामुखी
- लावा ट्यूब
- लावा नहर
- लैकोलिथ
ज्वालामुखीयता
- के-पीजी सीमा
- ज्वालामुख-कुण्ड
- ज्वालामुखी
- ज्वालामुखीयता
- बाढ़ बेसाल्ट
- भू-तापीय ऊर्जा
- मैग्मा
- लावा
- लावा नहर
ज्वालामुखीय कुण्ड के रूप में भी जाना जाता है।