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अनावृतबीजी

सूची अनावृतबीजी

एक कोणधारी का शंकु - कोणधारी अनावृतबीजी वृक्षों की सबसे विस्तृत श्रेणी है अनावृतबीजी या विवृतबीज (gymnosperm, जिम्नोस्पर्म, अर्थ: नग्न बीज) ऐसे पौधों और वृक्षों को कहा जाता है जिनके बीज फूलों में पनपने और फलों में बंद होने की बजाए छोटी टहनियों या शंकुओं में खुली ('नग्न') अवस्था में होते हैं। यह दशा 'आवृतबीजी' (angiosperm, ऐंजियोस्पर्म) वनस्पतियों से विपरीत होती है जिनपर फूल आते हैं (जिस कारणवश उन्हें 'फूलदार' या 'सपुष्पक' भी कहा जाता है) और जिनके बीज अक्सर फलों के अन्दर सुरक्षित होकर पनपते हैं। अनावृतबीजी वृक्षों का सबसे बड़ा उदाहरण कोणधारी हैं, जिनकी श्रेणी में चीड़ (पाइन), तालिसपत्र (यू), प्रसरल (स्प्रूस), सनोबर (फ़र) और देवदार (सीडर) शामिल हैं।, David Sadava, David M. Hillis, H. Craig Heller, May Berenbaum, Macmillan, 2009, ISBN 978-1-4292-4644-6,...

8 संबंधों: चीड़, तालिसपत्र, देवदार, सनोबर, सपुष्पक पौधा, सरल (वृक्ष), कोणधारी, कोणधारी कोण

चीड़

चीड़ (अंग्रेजी:Pine), एक सपुष्पक किन्तु अनावृतबीजी पौधा है। यह पौधा सीधा पृथ्वी पर खड़ा रहता है। इसमें शाखाएँ तथा प्रशाखाएँ निकलकर शंक्वाकार शरीर की रचना करती हैं। इसकी ११५ प्रजातियाँ हैं। ये ३ से ८० मीटर तक लम्बे हो सकते हैं। चीड़ के वृक्ष पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में पाए जाते हैं। इनकी 90 जातियाँ उत्तर में वृक्ष रेखा से लेकर दक्षिण में शीतोष्ण कटिबंध तथा उष्ण कटिबंध के ठंडे पहाड़ों पर फैली हुई हैं। इनके विस्तार के मुख्य स्थान उत्तरी यूरोप, उत्तरी अमेरिका, उत्तरी अफ्रीका के शीतोष्ण भाग तथा एशिया में भारत, बर्मा, जावा, सुमात्रा, बोर्नियो और फिलीपींस द्वीपसमूह हैं। .

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तालिसपत्र

तालिसपत्र के बीजों के इर्द-गिर्द एक लाल बीजचोल होता है - इस चित्र में कुछ छोटे बीज ऐसे भी दिख रहें हैं जिनपर यह बीजचोल नहीं बना है इंग्लैण्ड में उगते कुछ तालिसपत्र के वृक्ष तालिसपत्र, बिरमी या ज़रनब (अंग्रेज़ी: yew, यू) एक कोणधारी वृक्ष है जो दुनिया के उत्तरी गोलार्ध (हॅमिस्फ़ीयर) के पहाड़ी क्षेत्रों में मिलता है। इसकी बहुत सी (३० से ज़्यादा) नस्लें हैं जिनमें से कुछ छोटे पेड़ हैं और कुछ झाड़ियाँ हैं। इनकी बहुत सी टहनियाँ होती हैं जिनपर सदाबहार पत्ते लगे होते हैं। भारतीय उपमहाद्वीप में यह वृक्ष हिमालय क्षेत्र में मिलते हैं। इन पेड़ों पर लगे नर कोण बहुत छोटे होते हैं (२ से ५ मिलीमीटर)। मादा कोण भी छोटे होते हैं और उनमें सिर्फ़ एक बीज बनता है। जैसे-जैसे बीज पनपता है उसके बाहर एक छोटे फल जैसा लाल-सुर्ख़ चोला (बीजचोल या ऐरिल) बनता है। यह रसदार और मीठा होता है जिस वजह से चिड़ियाँ इसे बीज समेत खा लेती हैं और फिर दूर-दराज़ के इलाक़ों में बीज गिरा देती हैं। मनुष्यों के लिए तालिसपत्र के बीज बहुत ज़हरीले होते हैं इसलिए इन्हें कभी भी नहीं खाना चाहिए। .

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देवदार

देवदार (वैज्ञानिक नाम:सेडरस डेओडारा, अंग्रेज़ी: डेओडार, उर्दु: ديودار देओदार; संस्कृत: देवदारु) एक सीधे तने वाला ऊँचा शंकुधारी पेड़ है, जिसके पत्ते लंबे और कुछ गोलाई लिये होते हैं तथा जिसकी लकड़ी मजबूत किन्तु हल्की और सुगंधित होती है। इनके शंकु का आकार सनोबर (फ़र) से काफी मिलता-जुलता होता है। इनका मूलस्थान पश्चिमी हिमालय के पर्वतों तथा भूमध्यसागरीय क्षेत्र में है, (१५००-३२०० मीटर तक हिमालय में तथा १०००-२००० मीटर तक भूमध्य सागरीय क्षेत्र में)।Farjon, A. (1990).

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सनोबर

सनोबर (अंग्रेज़ी: fir, फ़र) एक सदाबहार कोणधारी वृक्ष है जो दुनिया के उत्तरी गोलार्ध (हॅमिस्फ़ीयर) के पहाड़ी क्षेत्रों में मिलता है। इसकी ४५-५५ जातियाँ हैं और यह पायनेसीए नामक जीवैज्ञानिक कुल का सदस्य है। सनोबर १० से ८० मीटर (३० से २६० फ़ुट) तक के ऊँचे पेड़ होते हैं। इनके तीली जैसे पत्ते टहनी से जुड़ने वाली जगह पर एक मोटा गोला सा बनाते हैं जिस से आसानी से पहचाने जाते हैं। वनस्पति-विज्ञान की दृष्टि से इनका देवदार (सीडर) के वृक्ष के साथ गहरा सम्बन्ध है।, Theresa Greenaway, Steck-Vaughn Library, 1990, ISBN 978-0-8114-2727-2 भारतीय उपमहाद्वीप में यह हिमालय के क्षेत्र में मिलते हैं। .

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सपुष्पक पौधा

कमल बीज पैदा करनेवाले पौधे दो प्रकार के होते हैं: नग्न या विवृतबीजी तथा बंद या संवृतबीजी। सपुष्पक, संवृतबीजी, या आवृतबीजी (flowering plants या angiosperms या Angiospermae या Magnoliophyta, Magnoliophyta, मैग्नोलिओफाइटा) एक बहुत ही बृहत् और सर्वयापी उपवर्ग है। इस उपवर्ग के पौधों के सभी सदस्यों में पुष्प लगते हैं, जिनसे बीज फल के अंदर ढकी हुई अवस्था में बनते हैं। ये वनस्पति जगत् के सबसे विकसित पौधे हैं। मनुष्यों के लिये यह उपवर्ग अत्यंत उपयोगी है। बीज के अंदर एक या दो दल होते हैं। इस आधार पर इन्हें एकबीजपत्री और द्विबीजपत्री वर्गों में विभाजित करते हैं। सपुष्पक पौधे में जड़, तना, पत्ती, फूल, फल निश्चित रूप से पाए जाते हैं। .

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सरल (वृक्ष)

प्रसरल या सरल वृक्ष प्रसरल या सिर्फ़ सरल (अंग्रेज़ी: spruce, स्प्रूस) एक कोणधारी वृक्ष है जो दुनिया के उत्तरी गोलार्ध (हॅमिस्फ़ीयर) के ठन्डे इलाक़ों में मिलता है। यह २० से ६० मीटर (६५ से २०० फ़ुट) तक के ऊँचे पेड़ होते हैं और अपने कोण जैसे आकार और सर्पिल (स्पाइरल) तरह से सुसज्जित तीली जैसे पत्तों से आसानी से पहचाने जाते हैं। भारतीय उपमहाद्वीप में यह हिमालय के क्षेत्र में पाए जाते हैं। प्रसरल एक लम्बी आयु जीने वाला दरख़्त है और उत्तरी यूरोप के स्कैंडिनेविया इलाक़े के पश्चिमी स्वीडन क्षेत्र में एक 'ओल्ड त्यिक्को' (Old Tjikko) नामक सरलवृक्ष मिला है जिसकी उम्र ९,५५० वर्ष बताई गई है (हालांकि इसपर कुछ विवाद है)।, Christopher Lloyd, Bloomsbury Publishing, 2010, ISBN 978-1-4088-0289-2,...

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कोणधारी

उत्तरी कैलीफ़ोरनिया में एक कोणधारियों का जंगल कोणधारी या शंकुधारी (अंग्रेज़ी: coniferous, कॉनिफ़ॅरस) वृक्षों की एक क़िस्म है। यह ठन्डे या कम गरम इलाक़ों में पनपते हैं और इनपर कोण या शंकु उगते हैं। इन पेड़ों का जनन इन्ही कोणों के ज़रिये होता है। ऐसे पेड़ों के पत्ते भी अक्सर चपटे होने की बजाए लम्बी तीलियों जैसे होते हैं। वैज्ञानिक रूप से इन पेड़ों को 'पाइनोफ़ाइटा' (Pinophyta), 'कॉनिफ़ॅरोफ़ाइटा' (Coniferophyta) या कॉनिफ़ॅरे (Coniferae) कहा जाता है। चीड़ (पाइन), तालिसपत्र (यू), प्रसरल (स्प्रूस), सनोबर (फ़र) और देवदार (सीडर) के पेड़ इसी कोणधारियों की श्रेणी में आते हैं।, Helena Curtis, N. Sue Barnes, Macmillan, 1994, ISBN 978-0-87901-679-1,...

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कोणधारी कोण

चीड़ की एक मादा कोण या शंकु कोण या शंकु (अंग्रेज़ी: cone, कोन) कुछ ठन्डे इलाक़े के वृक्षों पर उगने वाले फल-नुमा अंग होते हैं (लेकिन यह वास्तव में फल नहीं होते)। जिन वृक्षों पर यह उगते हैं उन्हें कोणधारी (conifer, कोनिफ़र) कहा जाता है। इन शंकुओं में पेड़ों के जनन के लिए आवश्यक भाग होते हैं। मादा शंकु अकार में बड़े होते हैं और उनमें बीज बनते हैं जबकि नर शंकु अकार में बहुत छोटे होते हैं और उनमें पराग बनता है। चीड़ के दरख़्तों के नीचे जो कोण पड़े हुए नज़र आते हैं वह वास्तव में बड़े अकार वाले मादा शंकु होते हैं। एक वृक्ष के नर कोणों में बना पराग हवा के प्रवाह से दुसरे वृक्ष की मादा कोणों तक पहुँचता है और फिर उन मादा कोणों में पेड़ के बीज उत्पन्न होते हैं।, Eldra Pearl Solomon, Linda R. Berg, Diana W. Martin, Cengage Learning, 2004, ISBN 978-0-534-49276-2,...

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