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तालिसपत्र

सूची तालिसपत्र

तालिसपत्र के बीजों के इर्द-गिर्द एक लाल बीजचोल होता है - इस चित्र में कुछ छोटे बीज ऐसे भी दिख रहें हैं जिनपर यह बीजचोल नहीं बना है इंग्लैण्ड में उगते कुछ तालिसपत्र के वृक्ष तालिसपत्र, बिरमी या ज़रनब (अंग्रेज़ी: yew, यू) एक कोणधारी वृक्ष है जो दुनिया के उत्तरी गोलार्ध (हॅमिस्फ़ीयर) के पहाड़ी क्षेत्रों में मिलता है। इसकी बहुत सी (३० से ज़्यादा) नस्लें हैं जिनमें से कुछ छोटे पेड़ हैं और कुछ झाड़ियाँ हैं। इनकी बहुत सी टहनियाँ होती हैं जिनपर सदाबहार पत्ते लगे होते हैं। भारतीय उपमहाद्वीप में यह वृक्ष हिमालय क्षेत्र में मिलते हैं। इन पेड़ों पर लगे नर कोण बहुत छोटे होते हैं (२ से ५ मिलीमीटर)। मादा कोण भी छोटे होते हैं और उनमें सिर्फ़ एक बीज बनता है। जैसे-जैसे बीज पनपता है उसके बाहर एक छोटे फल जैसा लाल-सुर्ख़ चोला (बीजचोल या ऐरिल) बनता है। यह रसदार और मीठा होता है जिस वजह से चिड़ियाँ इसे बीज समेत खा लेती हैं और फिर दूर-दराज़ के इलाक़ों में बीज गिरा देती हैं। मनुष्यों के लिए तालिसपत्र के बीज बहुत ज़हरीले होते हैं इसलिए इन्हें कभी भी नहीं खाना चाहिए। .

6 संबंधों: भारतीय उपमहाद्वीप, हिमालय, आयुर्वेद, कोणधारी, कोणधारी कोण, अंग्रेज़ी भाषा

भारतीय उपमहाद्वीप

भारतीय उपमहाद्वीप का भौगोलिक मानचित्र भारतीय उपमहाद्वीप, एशिया के दक्षिणी भाग में स्थित एक उपमहाद्वीप है। इस उपमहाद्वीप को दक्षिण एशिया भी कहा जाता है भूवैज्ञानिक दृष्टि से भारतीय उपमहाद्वीप का अधिकांश भाग भारतीय प्रस्तर (या भारतीय प्लेट) पर स्थित है, हालाँकि इस के कुछ भाग इस प्रस्तर से हटकर यूरेशियाई प्रस्तर पर भी स्थित हैं। .

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हिमालय

हिमालय पर्वत की अवस्थिति का एक सरलीकृत निरूपण हिमालय एक पर्वत तन्त्र है जो भारतीय उपमहाद्वीप को मध्य एशिया और तिब्बत से अलग करता है। यह पर्वत तन्त्र मुख्य रूप से तीन समानांतर श्रेणियों- महान हिमालय, मध्य हिमालय और शिवालिक से मिलकर बना है जो पश्चिम से पूर्व की ओर एक चाप की आकृति में लगभग 2400 कि॰मी॰ की लम्बाई में फैली हैं। इस चाप का उभार दक्षिण की ओर अर्थात उत्तरी भारत के मैदान की ओर है और केन्द्र तिब्बत के पठार की ओर। इन तीन मुख्य श्रेणियों के आलावा चौथी और सबसे उत्तरी श्रेणी को परा हिमालय या ट्रांस हिमालय कहा जाता है जिसमें कराकोरम तथा कैलाश श्रेणियाँ शामिल है। हिमालय पर्वत पाँच देशों की सीमाओं में फैला हैं। ये देश हैं- पाकिस्तान, भारत, नेपाल, भूटान और चीन। अन्तरिक्ष से लिया गया हिमालय का चित्र संसार की अधिकांश ऊँची पर्वत चोटियाँ हिमालय में ही स्थित हैं। विश्व के 100 सर्वोच्च शिखरों में हिमालय की अनेक चोटियाँ हैं। विश्व का सर्वोच्च शिखर माउंट एवरेस्ट हिमालय का ही एक शिखर है। हिमालय में 100 से ज्यादा पर्वत शिखर हैं जो 7200 मीटर से ऊँचे हैं। हिमालय के कुछ प्रमुख शिखरों में सबसे महत्वपूर्ण सागरमाथा हिमाल, अन्नपूर्णा, गणेय, लांगतंग, मानसलू, रॊलवालिंग, जुगल, गौरीशंकर, कुंभू, धौलागिरी और कंचनजंघा है। हिमालय श्रेणी में 15 हजार से ज्यादा हिमनद हैं जो 12 हजार वर्ग किलॊमीटर में फैले हुए हैं। 72 किलोमीटर लंबा सियाचिन हिमनद विश्व का दूसरा सबसे लंबा हिमनद है। हिमालय की कुछ प्रमुख नदियों में शामिल हैं - सिंधु, गंगा, ब्रह्मपुत्र और यांगतेज। भूनिर्माण के सिद्धांतों के अनुसार यह भारत-आस्ट्र प्लेटों के एशियाई प्लेट में टकराने से बना है। हिमालय के निर्माण में प्रथम उत्थान 650 लाख वर्ष पूर्व हुआ था और मध्य हिमालय का उत्थान 450 लाख वर्ष पूर्व हिमालय में कुछ महत्त्वपूर्ण धार्मिक स्थल भी है। इनमें हरिद्वार, बद्रीनाथ, केदारनाथ, गोमुख, देव प्रयाग, ऋषिकेश, कैलाश, मानसरोवर तथा अमरनाथ प्रमुख हैं। भारतीय ग्रंथ गीता में भी इसका उल्लेख मिलता है (गीता:10.25)। .

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आयुर्वेद

आयुर्वेद के देवता '''भगवान धन्वन्तरि''' आयुर्वेद (आयुः + वेद .

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कोणधारी

उत्तरी कैलीफ़ोरनिया में एक कोणधारियों का जंगल कोणधारी या शंकुधारी (अंग्रेज़ी: coniferous, कॉनिफ़ॅरस) वृक्षों की एक क़िस्म है। यह ठन्डे या कम गरम इलाक़ों में पनपते हैं और इनपर कोण या शंकु उगते हैं। इन पेड़ों का जनन इन्ही कोणों के ज़रिये होता है। ऐसे पेड़ों के पत्ते भी अक्सर चपटे होने की बजाए लम्बी तीलियों जैसे होते हैं। वैज्ञानिक रूप से इन पेड़ों को 'पाइनोफ़ाइटा' (Pinophyta), 'कॉनिफ़ॅरोफ़ाइटा' (Coniferophyta) या कॉनिफ़ॅरे (Coniferae) कहा जाता है। चीड़ (पाइन), तालिसपत्र (यू), प्रसरल (स्प्रूस), सनोबर (फ़र) और देवदार (सीडर) के पेड़ इसी कोणधारियों की श्रेणी में आते हैं।, Helena Curtis, N. Sue Barnes, Macmillan, 1994, ISBN 978-0-87901-679-1,...

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कोणधारी कोण

चीड़ की एक मादा कोण या शंकु कोण या शंकु (अंग्रेज़ी: cone, कोन) कुछ ठन्डे इलाक़े के वृक्षों पर उगने वाले फल-नुमा अंग होते हैं (लेकिन यह वास्तव में फल नहीं होते)। जिन वृक्षों पर यह उगते हैं उन्हें कोणधारी (conifer, कोनिफ़र) कहा जाता है। इन शंकुओं में पेड़ों के जनन के लिए आवश्यक भाग होते हैं। मादा शंकु अकार में बड़े होते हैं और उनमें बीज बनते हैं जबकि नर शंकु अकार में बहुत छोटे होते हैं और उनमें पराग बनता है। चीड़ के दरख़्तों के नीचे जो कोण पड़े हुए नज़र आते हैं वह वास्तव में बड़े अकार वाले मादा शंकु होते हैं। एक वृक्ष के नर कोणों में बना पराग हवा के प्रवाह से दुसरे वृक्ष की मादा कोणों तक पहुँचता है और फिर उन मादा कोणों में पेड़ के बीज उत्पन्न होते हैं।, Eldra Pearl Solomon, Linda R. Berg, Diana W. Martin, Cengage Learning, 2004, ISBN 978-0-534-49276-2,...

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अंग्रेज़ी भाषा

अंग्रेज़ी भाषा (अंग्रेज़ी: English हिन्दी उच्चारण: इंग्लिश) हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में आती है और इस दृष्टि से हिंदी, उर्दू, फ़ारसी आदि के साथ इसका दूर का संबंध बनता है। ये इस परिवार की जर्मनिक शाखा में रखी जाती है। इसे दुनिया की सर्वप्रथम अन्तरराष्ट्रीय भाषा माना जाता है। ये दुनिया के कई देशों की मुख्य राजभाषा है और आज के दौर में कई देशों में (मुख्यतः भूतपूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों में) विज्ञान, कम्प्यूटर, साहित्य, राजनीति और उच्च शिक्षा की भी मुख्य भाषा है। अंग्रेज़ी भाषा रोमन लिपि में लिखी जाती है। यह एक पश्चिम जर्मेनिक भाषा है जिसकी उत्पत्ति एंग्लो-सेक्सन इंग्लैंड में हुई थी। संयुक्त राज्य अमेरिका के 19 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध और ब्रिटिश साम्राज्य के 18 वीं, 19 वीं और 20 वीं शताब्दी के सैन्य, वैज्ञानिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव के परिणाम स्वरूप यह दुनिया के कई भागों में सामान्य (बोलचाल की) भाषा बन गई है। कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रमंडल देशों में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल एक द्वितीय भाषा और अधिकारिक भाषा के रूप में होता है। ऐतिहासिक दृष्टि से, अंग्रेजी भाषा की उत्पत्ति ५वीं शताब्दी की शुरुआत से इंग्लैंड में बसने वाले एंग्लो-सेक्सन लोगों द्वारा लायी गयी अनेक बोलियों, जिन्हें अब पुरानी अंग्रेजी कहा जाता है, से हुई है। वाइकिंग हमलावरों की प्राचीन नोर्स भाषा का अंग्रेजी भाषा पर गहरा प्रभाव पड़ा है। नॉर्मन विजय के बाद पुरानी अंग्रेजी का विकास मध्य अंग्रेजी के रूप में हुआ, इसके लिए नॉर्मन शब्दावली और वर्तनी के नियमों का भारी मात्र में उपयोग हुआ। वहां से आधुनिक अंग्रेजी का विकास हुआ और अभी भी इसमें अनेक भाषाओँ से विदेशी शब्दों को अपनाने और साथ ही साथ नए शब्दों को गढ़ने की प्रक्रिया निरंतर जारी है। एक बड़ी मात्र में अंग्रेजी के शब्दों, खासकर तकनीकी शब्दों, का गठन प्राचीन ग्रीक और लैटिन की जड़ों पर आधारित है। .

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