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जानागढ़

सूची जानागढ़

“हर हिन्दू को गौ और हर मुसलमान को सूअर की सौगंध!” प्रतापगढ़ के घने जंगल और सुहागपुरा के पहाड़ की चोटी पर स्थित है जनागढ़ का दुर्ग....२०-२५ वर्ष पहले तक यहाँ पीपल खूंट का जंगल इतना घना था कि सूरज की रोशनी जमीन तक नहीं पंहुचती थी। रामपुरिया-रतनपुरिया गांवों से १०-१२ किलोमीटर पर यहाँ मूल्यवान सागवान के और दूसरे हजारों पेड़ थे और हिंसक जानवरों की भी यहाँ काफी बड़ी तादाद थी। कोई असाधारण बिरला ही यहाँ तक पंहुचने की हिम्मत जुटा सकता था। १६ वीं शताब्दी के आरम्भ में मालवा के सुलतान नासिर शाह खिलजी के अधीन आज के प्रतापगढ़ के पास १८ किलोमीटर पर एक पुरानी बसावट के कस्बे ‘अरनोद’ परगने का हाकिम था- खान आलम मकबूल खान.

2 संबंधों: विक्रमादित्य, अरनोद

विक्रमादित्य

विक्रमादित्य उज्जैन के अनुश्रुत राजा थे, जो अपने ज्ञान, वीरता और उदारशीलता के लिए प्रसिद्ध थे। "विक्रमादित्य" की उपाधि भारतीय इतिहास में बाद के कई अन्य राजाओं ने प्राप्त की थी, जिनमें गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त द्वितीय और सम्राट हेमचन्द्र विक्रमादित्य (जो हेमु के नाम से प्रसिद्ध थे) उल्लेखनीय हैं। राजा विक्रमादित्य नाम, 'विक्रम' और 'आदित्य' के समास से बना है जिसका अर्थ 'पराक्रम का सूर्य' या 'सूर्य के समान पराक्रमी' है।उन्हें विक्रम या विक्रमार्क (विक्रम + अर्क) भी कहा जाता है (संस्कृत में अर्क का अर्थ सूर्य है)। हिन्दू शिशुओं में 'विक्रम' नामकरण के बढ़ते प्रचलन का श्रेय आंशिक रूप से विक्रमादित्य की लोकप्रियता और उनके जीवन के बारे में लोकप्रिय लोक कथाओं की दो श्रृंखलाओं को दिया जा सकता है। .

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अरनोद

अरनोद, राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले की तहसील एवं एक प्राचीन कस्बा है। यह प्रतापगढ-पिप्लोदा मार्ग पर स्थित है। इसकी सीमा, मध्य प्रदेश के नीमच और मंदसौर जिलों से लगती है। श्रेणी:प्रतापगढ़ ज़िला, राजस्थान के गाँव श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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