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छेदिका विधि

सूची छेदिका विधि

संख्यात्मक विश्लेषण में छेदिका विधि (secant method) समीकरणों का मूल निकालने की एक पुनरावृत्तिमूलक विधि है। .

7 संबंधों: न्यूटन विधि, पुनरावृत्तिमूलक विधि, प्रतिवर्तन, मिथ्या स्थिति विधि, मूल, समीकरण, संख्यात्मक विश्लेषण

न्यूटन विधि

न्यूटन की विधि को बारबार लगाने से क्रमशः अधिक शुद्ध मूल प्राप्त होते हैं। संख्यात्मक विश्लेषण में न्यूटन विधि किसी वास्तविक मान वाले फलन के मूल निकालने की एक पुनरावृत्‍तिमूलक विधि (इटरेटिव प्रॉसेस) है जिसके द्वारा मूल के सन्निकट मान से आरम्भ करके क्रमशः अधिक यथार्थ मूल प्राप्त किया जाता है। इसको 'न्यूटन-रैप्सन विधि' (Newton–Raphson method) भी कहते हैं। एक चर वाले फलनों के लिए इस विधि का वर्णन इस प्रकार है: माना वास्तविक x के लिए फलन ƒ और इसका अवकलज ƒ ', दिया हुआ है। फलन f का मूल निकालने के लिए सबसे पहले मूल का प्रथम अनुमान x0 लेकर यह विधि शुरू होतीहै। अब निम्नलिखित सूत्र से मूल का अधिक यथार्थ मान (better approximation) x1 निकाला जाता है: इसी प्रक्रिया को बार-बार दोहराया जाता है जब तक मूल का पर्याप्त रूप से यथार्थ मान न प्राप्त हो जाय। .

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पुनरावृत्तिमूलक विधि

पुनरावृत्तिमूलक विधि की व्याख्या ज्यामितीय। संख्यात्मक गणित में पुनरावृत्‍तिमूलक विधि (iterative method) गणना की वह विधि है जिसमें किसी अनुमानित हल से शुरू करते हैं और एक ही सूत्र या कलनविधि का बारबार प्रयोग करते हुए अधिक शुद्ध हल प्राप्त करते हैं। यह हल पुनः उस सूत्र में प्रयुक्त होकर और भी अधिक शुद्ध हल देता है। उदाहरण के लिए किसी समीकरण का मूल निकालने के लिए या इष्टतमकरण के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। पुनरावृत्तिमूलक विधियों के विपरीत एक ही चरण में हल प्रदान करने वाली विधियों को प्रत्यक्ष विधि (डाइरेक्ट मेथड) कहते हैं। उदाहरण के लिए, रैखिक समीकरणों के निकाय Ax .

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प्रतिवर्तन

प्रकृति में प्रतिवर्तन प्रतिवर्तन (Recursion) का सामान्य अर्थ है - किसी वस्तु या कार्य का बार-बार उसी रूप में दोहराया जाना। अनेकों विधाओं में इस शब्द का प्रयोग होता है और उनमें इसके भिन्न-भिन्न अर्थ और परिभाषाएँ हैं। उदाहरण के लिए, गणित एवं कम्प्यूटर विज्ञान में जब किसी फलन की परिभाषा में उसी फलन का उपयोग हो तो इसे प्रतिवर्तन कहा जाता है। प्रतिवर्तन का सर्वाधिक उपयोग गणित में ही होता है। गणित तथा तथा संगणक विज्ञान के अतिरिक्त भाषाविज्ञान, तर्कशास्त्र, दर्शनशास्त्र, जीवविज्ञान, तथा कला में भी विविध रूपों में प्रतिवर्तन देखा जा सकता है।; प्रतिवर्तन के कुछ सामान्य उदाहरण.

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मिथ्या स्थिति विधि

मिथ्या स्थिति विधि से समीकरण के मूल निकालना संख्यात्मक विश्लेषण में मिथ्या स्थिति विधि (regula falsi या false position method) समीकरणों का मूल निकालने की एक संख्यात्मक विधि है। यह विधि छेदिका विधि तथा समद्विभाजन विधि (bisection method) का सम्मिलित रूप है। .

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मूल

मूल के कई अर्थ हो सकते हैं-.

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समीकरण

---- समीकरण (equation) प्रतीकों की सहायता से व्यक्त किया गया एक गणितीय कथन है जो दो वस्तुओं को समान अथवा तुल्य बताता है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि आधुनिक गणित में समीकरण सर्वाधिक महत्वपूर्ण विषय है। आधुनिक विज्ञान एवं तकनीकी में विभिन्न घटनाओं (फेनामेना) एवं प्रक्रियाओं का गणितीय मॉडल बनाने में समीकरण ही आधारका काम करने हैं। समीकरण लिखने में समता चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। यथा- समीकरण प्राय: दो या दो से अधिक व्यंजकों (expressions) की समानता को दर्शाने के लिये प्रयुक्त होते हैं। किसी समीकरण में एक या एक से अधिक चर राशि (यां) (variables) होती हैं। चर राशि के जिस मान के लिये समीकरण के दोनो पक्ष बराबर हो जाते हैं, वह/वे मान समीकरण का हल या समीकरण का मूल (roots of the equation) कहलाता/कहलाते है। ऐसा समीकरण जो चर राशि के सभी मानों के लिये संतुष्ट होता है, उसे सर्वसमिका (identity) कहते हैं। जैसे - एक सर्वसमिका है। जबकि एक समीकरण है जिसका मूल हैं x.

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संख्यात्मक विश्लेषण

गणितीय समस्याओं का कम्प्यूटर की सहायता से हल निकालने से सम्बन्धित सैद्धान्तिक एवं संगणनात्मक अध्ययन संख्यात्मक विश्लेषण या आंकिक विश्लेषण (Numerical analysis) कहलाता है। सैद्धान्तिक तथा संगणनात्मक पक्षों पर जोर वस्तुतः कलन विधियों (अल्गोरिद्म) की समीक्षा की ओर ले जाती है। इस बात की जाँच-परख की जाती है कि विचाराधीन कलन विधि द्वारा दी गयी गणितीय समस्या का हल निकालने में -.

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