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चौथ का बरवाड़ा

सूची चौथ का बरवाड़ा

चौथ का बरवाड़ा राजस्थान राज्य में सवाई माधोपुर जिले का एक छोटा सा शहर है और इसी नाम से तहसील मुख्यालय है। यह शहर राजस्थान के टोंक-सवाई माधोपुर लोकसभा क्षेत्र में आता है एवं इस शहर का विधान सभा क्षेत्र खण्डार लगता है। यहाँ का चौथ माता का मंदिर पूरे राजस्थान में प्रसिद्ध है ! चौथ का बरवाड़ा शहर अरावली पर्वत श़ृंखला की गोद में बसा हुआ मीणा व गुर्जर बाहुल्य क्षेत्र है ! बरवाड़ा के नाम से मशहूर यह छोटा सा शहर संवत 1451 में चौथ माता के नाम पर चौथ का बरवाड़ा के नाम से प्रसिद्ध हो गया जो वर्तमान तक बना हुआ है ! चौथ माता मंदिर के अलावा इस शहर में मीन भगवान का भव्य मंदिर है ! वहीं चौथ माता ट्रस्ट धर्मशाला सभी धर्मावलंबियों के लिए ठहरने का महत्वपूर्ण स्थान है ! चौथ का बरवाड़ा तहसील में पड़ने वाले बड़े गाँव इस प्रकार है:- चौथ का बरवाड़ा भगवतगढ़ शिवाड़ झोंपड़ा ईसरदा सारसोपआदि.

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चौथ बरवाड़ा का किला

चौथ का बरवाड़ा में स्थित यह किला चौथ माता सरोवर के पास पड़ता है। चौथ का बरवाड़ा शहर सवाई माधोपुर जिले में चौथ माता मंदिर के लिए राजस्थान में प्रसिद्ध है। श्रेणी:राजस्थान के किले.

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चौथ माता

, चौथ का बरवाड़ा राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के अंतर्गत आने वाला एक छोटा सा शहर है, माता जी का भव्य मंदिर इसी छोटे से शहर के शक्तिगिरी पर्वत पर बना हुआ है। चौथ माता हिन्दू धर्म की प्रमुख देवी मानी जाती है जो स्वयं माता पार्वती का ही एक रूप है। भारत का सबसे प्राचीन व सबसे सुप्रसिद्ध चौथ माता का मंदिर चौथ का बरवाड़ा शहर में स्थापित है जहाँ पर हर महीने की चतुर्थी पर लाखों दर्शनार्थी माता जी के दर्शन हेतु आते हैं। चौथ का बरवाड़ा शहर में हर चतुर्थी को स्त्रियाँ माता जी के मंदिर में माँ के दर्शन करने के बाद व्रत खोलती है एवं सदा सुहागन रहने आशीष प्राप्त करती है। करवा चौथ एवं माही चौथ पर माता जी के दरबार में लाखों की तादाद में दर्शनार्थी पहुँचते है जिससे छोटा सा चौथ का बरवाड़ा शहर माता जी के जयकारों से गुंजायमान रहता है। चौथ माता के स्त्रियों की भीड़ पुरुषों की अपेक्षा अधिक रहती है क्योंकि सुहाग के लिए सबसे उपयुक्त जगह माँ का दरबार जो जन जन की आस्था का केंद्र है। .

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चौथ का बरवाड़ा

चौथ का बरवाड़ा राजस्थान राज्य में सवाई माधोपुर जिले का एक छोटा सा शहर है और इसी नाम से तहसील मुख्यालय है। यह शहर राजस्थान के टोंक-सवाई माधोपुर लोकसभा क्षेत्र में आता है एवं इस शहर का विधान सभा क्षेत्र खण्डार लगता है। यहाँ का चौथ माता का मंदिर पूरे राजस्थान में प्रसिद्ध है ! चौथ का बरवाड़ा शहर अरावली पर्वत श़ृंखला की गोद में बसा हुआ मीणा व गुर्जर बाहुल्य क्षेत्र है ! बरवाड़ा के नाम से मशहूर यह छोटा सा शहर संवत 1451 में चौथ माता के नाम पर चौथ का बरवाड़ा के नाम से प्रसिद्ध हो गया जो वर्तमान तक बना हुआ है ! चौथ माता मंदिर के अलावा इस शहर में मीन भगवान का भव्य मंदिर है ! वहीं चौथ माता ट्रस्ट धर्मशाला सभी धर्मावलंबियों के लिए ठहरने का महत्वपूर्ण स्थान है ! चौथ का बरवाड़ा तहसील में पड़ने वाले बड़े गाँव इस प्रकार है:- चौथ का बरवाड़ा भगवतगढ़ शिवाड़ झोंपड़ा ईसरदा सारसोपआदि.

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टोंक-सवाई माधोपुर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र

टोंक-सवाई माधोपुर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के राजस्थान राज्य का एक लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र है। श्रेणी:राजस्थान के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र.

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ठाकुर

'ठाकुर' के निम्नलिखित अर्थ हो सकते हैं-.

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डेकवा

डेकवा गाँव सवाई माधोपुर जिले की चौथ का बरवाड़ा पंचायत समिति के अंतर्गत आने वाला मीणा समाज का मुख्य गाँव है। इस गाँव का तहसील मुख्यालय एवं विधान सभा क्षेत्र सवाई माधोपुर लगता है। .

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त्रिशूल

त्रिशूल के कई अर्थ हो सकते हैं.

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दरबार

जहाँ पर राजाओं की सभा होती है। श्रेणी:स्थापत्य.

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धौली

धौली शब्द के कई अर्थ हो सकते हैं:-.

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नारेड़ा गौत्र

नारेड़ा गौत्र मीणा समाज का महत्व पूर्ण गौत्र है, इस गौत्र की उत्पत्ति शेर अर्थात बाघ से जुड़ी हुई है, जिसे राजस्थानी भाषा में नाहर कहते हैं, इसी कारण इस गौत्र का नाम पड़ा नारेड़ा। .

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पचाला

राजस्थान में चौथ का बरवाड़ा के पास एक छोटा सा गाँव है, जो चौथ माता के प्राचीन इतिहास से जुड़ा हुआ है। श्रेणी:राजस्थान के गाँव.

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पाँवडेरा

चौथ का बरवाड़ा तहसील का छोटा सा गाँव है, सामान्य जातियों वाला गाँव है जिसमें मीणा जाति बहुत कम निवास करती है ! यहाँ पर सर्विस मेन व बिजनैस मेन भी खूब है इस गाँव में सभी जातिया बिना किसी भेदभाव के स्वतंत्र पूर्वक निवास करती है सभी लोग मिलजुल कर एक दूसरे का सहयोग करते हैं यहाँ पर गुर्जर जाति व पुर्विया जाति अधिक मात्रा में निवास करती है इसके अलावा यहाँ और भी जातिया निवास करती है जो निम्न प्रकार है:- 1.

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पुलिस

अमेरिकी खुफिया पुलिस सेवा के अधिकारी पुलिस (अंग्रेजी: Police, शुद्ध हिन्दी: आरक्षी या आरक्षक) एक सुरक्षा बल होता है जिसका उपयोग किसी भी देश की अन्दरूनी नागरिक सुरक्षा के लिये ठीक उसी तरह से किया जाता है जिस प्रकार किसी देश की बाहरी अनैतिक गतिविधियों से रक्षा के लिये सेना का उपयोग किया जाता है। .

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बनास नदी

thumb कोटा के निकट बनास नदी का दृष्य बनास एक मात्र ऐसी नदी है जो संपूर्ण चक्र राजस्थान में ही पूरा करती है। बन + आस अर्थात बनास अर्थात (वन की आशा) के रूप में जानी जाने वाली यह नदी राजसमंद जिले के अरावली पर्वत श्रेणियों में कुंभलगढ़ के पास 'वीरों का मठ' से निकलती है। यह नाथद्वारा, कंकरोली, राजसमंद और भीलवाड़ा जिले में बहती हुई टौंक, सवाई माधोपुर के पश्चात रामेश्वरम (त्रिवेणी) के नजदीक सवाई माधोपुर चंबल में गिर जाती है। इसकी लंबाई लगभग 512 किलोमीटर है। इसकी सहायक नदियों में बेडच, कोठरी, मांसी, खारी, मुरेल व धुन्ध है। बेडच नदी १९० किलोमीटर लंबी है तथा गोगु्न्दा पहाड़ियों (उदयपुर) से निकलती है। कोठारी नदी उत्तरी राजसमंद जिले के दिवेर पहाड़ियों से निकलती है। यह १४५ किलोमीटर लंबी है तथा यह उदयपुर, भीलवाड़ा में बहती हुई बनास में मिल जाती है। .

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बरात

पुष्कर, राजस्थान में एक बरात पंजाब, पाकिस्तान में एक बरात बरात भारतीय उपमहाद्वीप में किसी शादी के दौरान दुल्हे के घर से दुल्हन के घर जाने वाले लोगों के समूह को कहते हैं। इस क्षेत्र में अक्सर दूल्हा घोड़ी पर चढ़कर अपने सगे-सम्बन्धियों और दोस्तों की बरात लेकर विवाह-स्थल पर जाता है, जो अक्सर दुल्हन का घर होता है।, The Hindu, 3 मार्च 2009, Accessed 17 जून 2010,...

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बादल

कपासी बादल, हवाई जहाज की खिड़की से लिया गया चित्र वायुमण्डल में मौज़ूद जलवाष्प के संघनन से बने जलकणों या हिमकणों की दृश्यमान राशि बादल कहलाती है। मौसम विज्ञान में बादल को उस जल अथवा अन्य रासायनिक तत्वों के मिश्रित द्रव्यमान के रूप में परिभाषित किया जाता है जो द्रव रूप में बूंदों अथवा ठोस रवों के रूप में किसी ब्रह्माण्डीय पिण्ड के वायुमण्डल में दृश्यमान हो। बादल वर्षण (वर्षा और हिमपात इत्यादि) का प्रमुख स्रोत होते हैं। बादलों का विधिवत वैज्ञानिक अध्ययन मौसम विज्ञान की बादल भौतिकी नामक शाखा में किया जाता है। .

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बाघ

बाघ जंगल में रहने वाला मांसाहारी स्तनपायी पशु है। यह अपनी प्रजाति में सबसे बड़ा और ताकतवर पशु है। यह तिब्बत, श्रीलंका और अंडमान निकोबार द्वीप-समूह को छोड़कर एशिया के अन्य सभी भागों में पाया जाता है। यह भारत, नेपाल, भूटान, कोरिया, अफगानिस्तान और इंडोनेशिया में अधिक संख्या में पाया जाता है। इसके शरीर का रंग लाल और पीला का मिश्रण है। इस पर काले रंग की पट्टी पायी जाती है। वक्ष के भीतरी भाग और पाँव का रंग सफेद होता है। बाघ १३ फीट लम्बा और ३०० किलो वजनी हो सकता है। बाघ का वैज्ञानिक नाम पेंथेरा टिग्रिस है। यह भारत का राष्ट्रीय पशु भी है। बाघ शब्द संस्कृत के व्याघ्र का तदभव रूप है। .

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बगीना

बगीना गांव राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के अंतर्गत ग्राम पंचायत झोंपड़ा में पड़ता है।.

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बौंली

बौंली कस्बा (Bonli Town) राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के अंतर्गत पड़ता है, यह कस्बा सवाई माधोपुर जिले के बामनवास विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। बौंली कस्बे में तहसील मुख्यालय एवं पंचायत समिति मुख्यालय भी कार्यरत है। .

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बीड़ी

बीड़ी का पैकेट, कुछ बीड़ियाँ बाहर भी देखाई दे रही हैं। बीड़ी भारतीय सिगरेट है। यह तेन्दु के पत्तों में तम्बाकू लपेटकर बनाई जाती है। 'बीड़ी' शब्द 'बीड़ा' से निकला है जो पान के पत्तों में सुपारी तथा कुछ अन्य मसाले डालकर बनती है। तेंदू के पत्ते के अन्दर तम्बाकू को भर कर धूम्रपान के लिये प्रयोग की जाने वाली वस्तु.

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भवानी

गायत्री का एक नाम भवानी है। इस रूप में आद्य शक्ति की उपासना करने से उस भर्ग-तेज की अभिवृद्धि होती है, जो अवांछनीयताओं से लड़ने और परास्त करने के लिए आवश्यक है, इसे एक शक्ति-धारा भी कह सकते हैं। भवानी के पर्याय वाचक, दुर्गा, चण्डी, भैरवी, काली आदि नाम हैं। इनकी मुख मुद्रा एवं भाव चेष्टा में विकरालता है। संघर्ष में उनकी गति-विधियाँ नियोजित हैं। उनका वाहन सिंह है। सिंह पराक्रम का-आक्रमण का प्रतीक है। हाथों में ऐसे आयुध हैं जो शत्रु को विदीर्ण करने के ही काम आते हैं। लोक व्यवहार में भवानी तलवार को भी कहते हैं। उसका प्रयोजन भी अवांछनीयता का प्रतिरोध करना है। असुरों के शस्त्र उत्पीड़न के लिए प्रयुक्त होते हैं। उनके लिए भवानी शब्द का प्रयोग तभी होगा जब उनका उपयोग की अनीति के विरोध और नीति के समर्थन में किया जा रहा हो। धर्म का एक पक्ष सेवा, साधना, करुणा, सहायता, उदारता के रूप में प्रयुक्त होता है। यह विधायक-सृजनात्मक पक्ष है। दूसरा पक्ष अनीति का प्रतिरोध है, इसके बिना धमर् न तो पूर्ण होता है, न सुरक्षित रहता है। सज्जनता की रक्षा के लिए दुष्टता का प्रतिरोध भी अभीष्ट है। इस प्रतिरोधक शक्ति को ही भवानी कहते हैं। दुर्गा एवं चण्डी के रूप में उसी की लीलाओं का वणर्न किया जाता है। 'देवी भागवत' में विशिष्ट रूप से और अन्यान्य पुराणों, उपपुराणों में सामान्य रूप से इसी महाशक्ति की चर्चा हुई है और उसे असुर विदारिणी, संकट निवारिणी के रूप में चित्रित किया गया है। अवतारों के दो उद्देश्य हैं- एक धर्म की स्थापना, दूसरा अधर्म का विनाश। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। सृजन और ध्वंस की द्विविध प्रक्रियाओं का अवलम्बन लेने से ही सुव्यवस्था बन पाती है। भोजन जितना आवश्यक है, उतना ही मलविसर्जन भी। उत्पादन एवं संवधर्न के लिए किए जाने वाले प्रयत्नों के साथ आक्रमणकारी तत्त्वों से बचाव का भी प्रबन्ध करना पड़ता है। राजसत्ता को प्रजापालन के अतिरिक्त उपद्रवों को रोकने के लिए सेना, पुलिस आदि के सुरक्षात्मक प्रयत्न भी करने पड़ते हैं। किसान को खेत और माली को बगीचे को उगाने, बढ़ाने के साथ-साथ रखवाले का भी प्रबन्ध करना होता है। अन्यथा उनका किया हुआ सारा परिश्रम, अवांछनीय तत्त्वों के हाथ में चला जायगा और वे उस अपहरण से अधिक प्रोत्साहित, परिपुष्ट होकर हानि पहुँचाने का दुस्साहस करेंगे। अस्तु, सज्जनता का परिपोषण जितना आवश्यक है, उतना ही दुष्टता का उन्मूलन भी अभीष्ट है। इनमें से किसी एक को लेकर चलने से सुव्यवस्था रह नहीं सकती। संघषर् का प्रथम चरण दुर्बुद्धि से जूझना है। निकृष्ट स्तर की दुभार्वनाएँ और कुविचारणाएँ अन्तराल में जड़े जमा कर व्यक्ति को पतन, पराभव के गर्त में धकेलती हैं। बुरी आदतों के वशीभूत होकर मनुष्य दुव्यर्सनों और दुष्कर्मों में प्रवृत्त होता है। फलतः नाना प्रकार के क्लेश सहता और कष्ट उठाता है। व्यक्तित्व में घुसे हुए कषाय-कल्मषों, कुसंस्कारों का उन्मूलन करने के लिए विभिन्न प्रकार की तप-तितिक्षाएँ अपनानी पड़ती हैं। लोक व्यवहार में यही दुष्प्रवृत्तियाँ आलस्य, प्रमाद, अस्वच्छता, अशिष्टता, अव्यवस्था, संकीर्ण स्वार्थ परता आदि रूपों में मनुष्य को उपेक्षित, तिरस्कृत बनाती हैं। इनकी मात्रा अधिक बढ़ जाने से व्यक्ति भ्रष्ट, दुष्ट आचरण करता है और पशु-पिशाच कहलाता हैं। वासना, तृष्णा और अहन्ता की बढ़ोत्तरी से भी मनुष्य असामाजिक, अवांछनीय, उच्छृंखल एवं आक्रामक बन जाता है। फलतः उसे घृणा एवं प्रताड़ना का दण्ड सहना पड़ता है। उस स्थिति से उबरने पर ही व्यक्ति को सुसंस्कृत एवं सुविकसित होने का अवसर मिलता है। आत्म शोधन की साहसिकता भी भवानी है। आत्मविजय को सबसे बड़ी विजय कहा गया है। समाज में जहाँ सहकारिता, सज्जनता एवं रचनात्मक प्रयत्नों का क्रम चलता है, वहाँ दुष्टता, दुरभिसन्धियाँ भी कम नहीं हैं। अवांछनीयता, अनौतिकता, मूढ़ मान्यताओं का जाल बुरी तरह बिछा रहता है। उन्हीं के कारण अनेकानेक वैयक्तिक एवं सामाजिक समस्याएँ उठती एवं विकृतियाँ बढ़ती रहती है। इनसे लड़ने के लिए वैयक्ति एवं सामूहिक स्तर पर प्रचण्ड प्रयास होने ही चाहिए। इसी प्रयत्नशीलता को चण्डी कहते हैं। भवानी यही है। सृजन और संघषर् के अन्योन्याश्रय तत्त्वो में से संघर्ष की आवश्यकता को सुझाने वाला और उसे अपनाने का प्रोत्साहन देने वाला स्वरूप भवानी है। सद्बुद्धि की अधिष्ठात्री गायत्री का एक पक्ष संघषर्शील, शौर्य, साहस के लिए भी मागर्दशर्न करता है। इस शक्ति का गायत्री साधना से सहज संवधर्न होता है। भवानी के स्वरूप, आयुध एवं वाहन आदि का-संक्षिप्त तात्त्विक विवेचन इस प्रकार है- भवानी के एक मुख, आठ हाथ हैं। शंख से-देव पक्ष की सहायता का उद्घोष, गदा से शक्ति, पद्म से निविर्कारिता, बंधी मुट्ठी से संगठन, चक्र से गतिशीलता, तलवार से दोषनाश, पाश से आसुरी शक्ति को बाँधकर बाधित करने तथा आश्शीवार्द मुद्रा से सज्ज्ानों को आश्वस्त करने का भाव सन्निहित है। वाहन-सिंह-शौर्य का प्रतीक हैं। श्रेणी:हिन्दू देवियाँ.

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भगवतगढ़

यह शहर राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले से 25 किलोमीटर दूर स्थित है, जो कि खण्डार विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। चौथ का बरवाड़ा के बाद खण्डार विधानसभा क्षेत्र का द्वितीय सबसे बड़ा कस्बा भगवतगढ़ है। यहाँ के अरणेश्वर महादेव के सप्त कुंड पिकनिक मनाने के लिए बहुत खूबसूरत जगह है, यहाँ पर श्री केशवराय जी भगवान का भी प्रसिद्ध मंदिर है। भगवतगढ़ कसबे के चारो कोनो पर चार बावड़ियां व् चार ही बालाजी के मंदिर स्थित हैं, जो कि अपने आप में अनूठा है। भगवतगढ़ शहर सवाई माधोपुर जिले का प्राचीन काल से सैठाना क्षेत्र रहा है, यहाँ पर भगवतगढ़ का किला है, जिसके कारण ही इस शहर का नाम भगवतगढ़ पड़ा है। यह कस्बा टोंक-सवाई माधोपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। भगवतगढ़ शहर सवाई माधोपुर जिले की चौथ का बरवाड़ा पंचायत समिति व तहसील का दूसरा सबसे बड़ा शहर तो है ही साथ में सबसे प्राचीन शहर भी यही है। भगवतगढ़ क्षेत्र के आसपास के गाँवों में झोंपड़ा, लोरवाड़ा, बंधा, जटवाड़ा, जौंला आदि मुख्य गाँव है। भगवतगढ़ शहर से सबसे अधिक जरूरते पूरी करने वाले गाँवों में झोंपड़ा गाँव मुख्य है, झोंपड़ा गाँव के अलावा सिरोही, बंधा, लोरवाड़ा, जटवाड़ा, जौंला, क्यावड़, आदलवाड़ा, गिरधरपुरा, त्रिलोकपुरा, सहरावता, राठौद, कराड़ी, दोबड़ा आदि गाँव आते हैं। .

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भगवतगढ़ का किला

भगवतगढ़ शहर के नाम से यहाँ के किले का नाम है, यह किला राजस्थान राज्य के सवाई माधोपुर जिले से 32 किलोमीटर एवं तहसील मुख्यालय चौथ का बरवाड़ा से महज 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। डूँगर के ऊपर स्थित यह किला प्रशासन की अनदेखी के कारण अपना अस्तित्व खो रहा है। श्रेणी:राजस्थान के किले.

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भोपाल

भोपाल भारत देश में मध्य प्रदेश राज्य की राजधानी है और भोपाल ज़िले का प्रशासनिक मुख्यालय भी है। भोपाल को झीलों की नगरी भी कहा जाता है,क्योंकि यहाँ कई छोटे-बड़े ताल हैं। यह शहर अचानक सुर्ख़ियों में तब आ गया जब १९८४ में अमरीकी कंपनी, यूनियन कार्बाइड से मिथाइल आइसोसाइनेट गैस के रिसाव से लगभग बीस हजार लोग मारे गये थे। भोपाल गैस कांड का कुप्रभाव आज तक वायु प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, जल प्रदूषण के अलावा जैविक विकलांगता एवं अन्य रूपों में आज भी जारी है। इस वजह से भोपाल शहर कई आंदोलनों का केंद्र है। भोपाल में भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) का एक कारखाना है। हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र ने अपना दूसरा 'मास्टर कंट्रोल फ़ैसिलटी' स्थापित की है। भोपाल में ही भारतीय वन प्रबंधन संस्थान भी है जो भारत में वन प्रबंधन का एकमात्र संस्थान है। साथ ही भोपाल उन छह नगरों में से एक है जिनमे २००३ में भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान खोलने का निर्णय लिया गया था तथा वर्ष २०१५ से यह कार्यशील है। इसके अतिरिक्त यहाँ अनेक विश्वविद्यालय जैसे राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय,बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय,अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय,मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय,माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय,भारतीय राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय। इसके अतिरिक्त अनेक राष्ट्रीय संस्थान जैसे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान,भारतीय वन प्रबंधन संस्थान,भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान,राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान मानित विश्वविद्यालय भोपाल इंजीनियरिंग महाविद्यालय,गाँधी चिकित्सा महाविद्यालय तथा अनेक शासकीय एवं पब्लिक स्कूल हैं। .

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भीमसिंह चौहान

भीमसिंह चौहान राजस्थान राज्य के सवाई माधोपुर जिले की चौथ का बरवाड़ा तहसील में स्थित चौथ माता मंदिर की स्थापना करने वाले शासक थे। चौथ माता भीमसिंह चौहान की आराध्य देवी थी। .

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महादेव

* महादेव जो शिव का एक नाम है।.

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मीणा

मीणा अथवा मीना मुख्यतया भारत के राजस्थान व मध्य प्रदेशराज्यों में निवास करने वाली एक जनजाति है। इन्हे वैदिक युग के मत्स्य गणराज्य के मत्स्य जन-जाति का वंशज कहा जाता है, जो कि छठी शताब्दी बी॰सी॰ में पल्लवित हुये। मीणा भारत कि अनुसूचित जन जाति वर्ग से संबन्धित है व राजस्थान राज्य में वे सभी हिन्दू है, परंतु मध्य प्रदेश में मीणा (क्रम -21) विदिशा जिले कि सिरोंज तहसील में अनुसूचित जन जाति में सम्मिलित है जबकि मध्य प्रदेश के अन्य 44 जिलों में वे अन्य पिछड़ा वर्ग के अंतर्गत आते हैं। वर्तमान में भारत कि केंद्र सरकार के समक्ष यह प्रस्ताव रखा गया है कि मध्य प्रदेश की समूची मीणा जाति को भारत की अनुसूचित जन जाति के रूप में मान्यता दी जाए।। पुराणों के अनुसार चैत्र शुक्ला तृतीया को कृतमाला नदी के जल से मत्स्य भगवान प्रकट हुए थे। इस दिन को मीणा समाज में जहाँ एक ओर मत्स्य जयन्ती के रूप में मनाया जाता है, वहीं दूसरी ओर इसी दिन संम्पूर्ण राजस्थान में गणगौर का त्योहार बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है। .

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मीन भगवान का मन्दिर, राजस्थान

भारत के राजस्थान प्रांत में भगवान मीनेष अर्थात मत्स्यावतार को समर्पित यह मंदिर सवाई माधोपुर जिले के चौथ का बरवाड़ा कस्बें में स्थित है। चौथ का बरवाड़ा क्षेत्र के मीणा समाज के सहयोग से बना यह भव्य मंदिर साधारण नहीं बल्कि तमाम आधुनिक सुविधाओं से लैस है। भगवान मीनेष के इस मंदिर का 108 फीट ऊँचा गुम्बद लोगों का मुख्य आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। आम-तौर पर सरसों की तूड़ी को अनुपयोगी समझकर जला दिया जाता है, लेकिन सवाई माधोपुर जिले में चौथ का बरवाड़ा क्षेत्र के मीणा समाज ने इस सरसों की तूड़ी को बेचकर इसका उपयोग मंदिर निर्माण कार्य में किया।  मीन भगवान मन्दिर सवाई माधोपुर  प्रथम बार इस क्षेत्र के मीणा समाज के लोगों ने सरसों की तूड़ी बेचकर 7 करोड़ रुपये इकट्ठे किये और मीणा समाज के ग्रामीणों की मुहिम रंग लाई और मंदिर का निर्माण शुरू हो गया। चौथ का बरवाड़ा क्षेत्र के मीणों ने धीरे धीरे मंदिर को बनाना शुरू किया और आज यह मंदिर इतना आलीशान बन गया कि मंदिर को देखकर हर कोई आश्चर्यचकित हो जाता है। यह मंदिर पूरी तरह से कम्प्यूटराइज्ड तो है ही साथ ही साथ सीसीटीवी कैमरों से लैस ये मंदिर लोगों का प्रमुख आस्था केन्द्र भी बन गया है। यह मंदिर मीणा जनजाति का राजस्थान में सबसे सुंदर, सबसे बड़ा एवं आधुनिक सुविधाओं से लैस भगवान मीनेष का प्रमुख मंदिर है, जो अब तक का सबसे विशाल मीन मंदिर माना जाता है, चौथ का बरवाड़ा में स्थित ये मंदिर मीणा जनजाति की एकता व अखंडता का जीता-जागता उदाहरण है। सवाई माधोपुर जिले में मीणा महापंचायतों की रूपरेखा इसी मंदिर से तय की जाती है। .

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युद्ध

वर्ष १९४५ में कोलोन युद्ध एक लंबे समय तक चलने वाला आक्रामक कृत्य है जो सामान्यतः राज्यों के बीच झगड़ों के आक्रामक और हथियारबंद लड़ाई में परिवर्तित होने से उत्पन्न होता है। .

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रणथम्भोर राष्ट्रीय उद्यान

रणथंबोर राष्ट्रीय उद्यान उत्तर भारत के बड़े उद्यानों में से एक है। यह जयपुर से १३० किलोमीटर दक्षिण और कोटा से ११० किलोमीटर उत्तर-पूर्व में राजस्थान के दक्षिणी जिले सवाई माधोपुर में स्थित है। इसका निकटतम रेलवे स्टेशन और कस्बा सवाई माधोपुर यहाँ से ११ किलोमीटर दूरी पर स्थित है। .

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राजस्थान

राजस्थान भारत गणराज्य का क्षेत्रफल के आधार पर सबसे बड़ा राज्य है। इसके पश्चिम में पाकिस्तान, दक्षिण-पश्चिम में गुजरात, दक्षिण-पूर्व में मध्यप्रदेश, उत्तर में पंजाब (भारत), उत्तर-पूर्व में उत्तरप्रदेश और हरियाणा है। राज्य का क्षेत्रफल 3,42,239 वर्ग कि॰मी॰ (132139 वर्ग मील) है। 2011 की गणना के अनुसार राजस्थान की साक्षरता दर 66.11% हैं। जयपुर राज्य की राजधानी है। भौगोलिक विशेषताओं में पश्चिम में थार मरुस्थल और घग्गर नदी का अंतिम छोर है। विश्व की पुरातन श्रेणियों में प्रमुख अरावली श्रेणी राजस्थान की एक मात्र पर्वत श्रेणी है, जो कि पर्यटन का केन्द्र है, माउंट आबू और विश्वविख्यात दिलवाड़ा मंदिर सम्मिलित करती है। पूर्वी राजस्थान में दो बाघ अभयारण्य, रणथम्भौर एवं सरिस्का हैं और भरतपुर के समीप केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान है, जो सुदूर साइबेरिया से आने वाले सारसों और बड़ी संख्या में स्थानीय प्रजाति के अनेकानेक पक्षियों के संरक्षित-आवास के रूप में विकसित किया गया है। .

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रेल

रेल अमेरिका में कोलम्बिया नदी के किनारे पटरी पर रेलगाड़ी खींचते हुए चार इंजन पहाड़ों में रेल सुरंग और पुल रेल (Rail) परिवहन का एक ज़रिया है जिसमें यात्रियों और माल को पटरियों पर चलने वाले वाहनों पर एक स्थान से दुसरे स्थान ले जाया जाता है। पारम्परिक रूप से रेल वाहनों के नीचे पहियें होते हैं जो इस्पात (स्टील) की बनी दो पटरियों पर संतुलित रूप से चलते हैं, लेकिन आधुनिक काल में चुम्बकीय प्रभाव से पटरी के ऊपर लटककर चलने वाली 'मैगलेव' (maglev) और एक पटरी पर चलने वाली 'मोनोरेल' जैसी व्यवस्थाएँ भी रेल व्यवस्था में गिनी जाती हैं। रेल की पटरी पर चलने वाले वाहन अक्सर एक लम्बी पंक्ति में एक दुसरे से ज़ंजीरों से जुड़े हुए डब्बे होते हैं जिन्हें एक या एक से अधिक कोयले, डीज़ल, बिजली या अन्य ऊर्जा से चलने वाला इंजन (engine) खेंचता है। इस तरह से जुड़े हुए डब्बों और इंजनों को 'रेलगाड़ी' या 'ट्रेन' (train) बुलाया जाता है।, Dennis Hamley, Oxford University Press, 2001, ISBN 978-0-19-910653-0 .

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शिवाड़

शिवाड़ राजस्थान राज्य के सवाई माधोपुर जिले की चौथ का बरवाड़ा तहसील में स्थित एक छोटा सा कस्बा है। इसी कस्बे में आस्थाधाम घुश्मेश्वर मंदिर स्थित है। .

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शिवाड़ का किला

यह किला राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले की चौथ का बरवाड़ा तहसील के अंतर्गत पड़ता है, जो कि शिवाड कस्बे में स्थित है। श्रेणी:राजस्थान के किले.

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सारसोप

सारसोप गाँव चौथ का बरवाड़ा तहसील का प्रमुख गाँव है, इस गाँव में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की ब्रांच एटीएम सहित कार्यरत है। .

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सवाई माधोपुर

सवाई माधोपुर भारत के राजस्थान का एक प्रमुख शहर एवं लोकसभा क्षेत्र है। यह जिला रणथम्‍भौर राष्‍ट्रीय उद्यान के लिए जाना जाता है, जो बाघों के लिए प्रसिद्ध है। सवाई माधोपुर जिले में निम्‍न तहसीलें हैं- गंगापुर सिटी, सवाई माधोपुर, चौथ का बरवाड़ा, बौंली, मलारना डूंगर, वजीरपुर, बामनवास और खण्डार.

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सवाई माधोपुर जिला

सवाई माधोपुर भारतीय राज्य राजस्थान का एक जिला है। जिले का मुख्यालय सवाई माधोपुर है। इस जिले के प्रमुख पर्यटन स्थलों में महत्वपूर्ण है:-.

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सुहाग

सुहाग शब्द का प्रयोग विवाहिता स्त्री के पति के जीवित होने को दर्शाने के लिये किया जाता है। .

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सेना

सन् १९०५ में कोहाट ज़िले, ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा में भारतीय सिख सैनिक सेना पर खर्च सेना पर सर्वाधिक खर्च करने वाले दस देश (२००७) सशस्त्र सैनिकों की संख्या सेना या फ़ौज किसी देश या उसके नागरिकों या फिर किसी शासन-व्यवस्था और उस से सम्बन्धित लोगों के हितों व ध्येयों को बढ़ाने और उनकी रक्षा के लिये घातक बल-प्रयोग की क्षमता रखने वाला सशस्त्र संगठन होता है। सेना का काम देश व नागरिकों की रक्षा, उनके शत्रुओं पर प्रहार करना और शत्रुओं के प्रहारों को खदेड़ देना होता है। अलग-अलग व्यस्थाओं में सेना की ज़िम्मेदारियाँ भी भिन्न हो सकती हैं। कुछ स्थनों व कालों में सेना का इस्तेमाल विषेश राजनैतिक विचारधाराओं को बढ़ावा देने, व्यापारिक हितों और कम्पनियों को लाभ कराने, जनसंख्या-वृद्धि को रोकने, इमारतों व सड़कों का निर्माण करने, आपातकालीन बच-बचाव करने, सामाजिक रीतियों में भाग लेने और विषेश स्थनों पर पहरा देने के लिये भी किया जाता रहा है। व्यावसायिक रूप से सैनिक बनने की परम्परा लिखित इतिहास से पुरानी है। .

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सोमवार

सोमवार सप्ताह का एक दिन है। यह रविवार के बाद और मंगलवार से पहले आता है। सोमवार का यह नाम सोम से पड़ा है जिसका अर्थ भगवान शिव होता है। यह सप्ताह का दूसरा दिन होता है, भारत तथा विश्व के कई देशों में यह सामान्य कामकाज का प्रथम दिन होता है इसलिए कभी कभार इसे सप्ताह का प्रथम दिन भी कहते हैं।.

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हिरण

right एक हिरण एक सर्विडे परिवार का रूमिनंट स्तनपायी जन्तु है। हिरण Cervidae परिवार के सदस्य हैं। एक मादा हिरण एक हरिणी कहा जाता है। एक पुरुष एक हिरन कहा जाता है। हिरण की प्रजातियों में से कई किस्में हैं। हिरण दुनिया भर के कई महाद्वीपों पर पाए जाते हैं। यह स्तनधारी प्रजातियों आमतौर पर वन निवास में रह पाया है। बक्स करने के लिए सींग है करते हैं। डो सींग का अधिकारी नहीं करते हैं। हिरण भी खुरों के अधिकारी। Animals of Hindustan small deer and cows called gīnī, from Illuminated manuscript Baburnama (Memoirs of Babur) श्रेणी:हिरण श्रेणी:स्तनधारी.

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होलकर

होलकर राजवंश मल्हार राव से प्रारंभ हुआ जो १७२१ में पेशवा की सेवा में शामिल हुए और जल्दी ही सूबेदार बने। होल्कर वंश के लोग 'होलगाँव' के निवासी होने से 'होलकर' कहलाए। अतः पूरे भारत में अलग-अलग क्षेत्रों में इस जाती को अलग अलग नाम से जाना जाता है परंतु यह एक ही जाती है इनके नाम अलग अलग है पूरे भारत में इनकी एक ही पहचान हैधनगर नाम से यह सब जातियां जानी जाती है जैसे(1) पाल (2)बघेल(3) गाडरी(4) गडरिया (5)होलकर (6)गायरी उन्होने और उनके वंशजों ने मराठा राजा और बाद में १८१८ तक मराठा महासंघ के एक स्वतंत्र सदस्य के रूप में मध्य भारत में इंदौर पर शासन किया और बाद में भारत की स्वतंत्रता तक ब्रीटिश भारत की एक रियासत रहे। होलकर वंश उन प्रतिष्ठित राजवंशों मे से एक था जिनका नाम शासक के शीर्षक से जुडा, जो आम तौर पर महाराजा होल्कर या 'होलकर महाराजा' के रूप में जाना जाता था, जबकि पूरा शीर्षक 'महाराजाधिराज राज राजेश्वर सवाई श्री (व्यक्तिगत नाम) होलकर बहादुर, महाराजा ऑफ़ इंदौर' था। .

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जनगणना

किसी देश अथवा किसी भी क्षेत्र में लोगों के बारे में विधिवत रूप से सूचना प्राप्त करना एवं उसे रेकार्ड करना जनगणना (census) कहलाती है। यह एक निश्चित समान्तराल के बाद की जाती है और शासकीय आदेश के तहत की जाती है। .

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जयपुर

जयपुर जिसे गुलाबी नगर के नाम से भी जाना जाता है, भारत में राजस्थान राज्य की राजधानी है। आमेर के तौर पर यह जयपुर नाम से प्रसिद्ध प्राचीन रजवाड़े की भी राजधानी रहा है। इस शहर की स्थापना १७२८ में आमेर के महाराजा जयसिंह द्वितीय ने की थी। जयपुर अपनी समृद्ध भवन निर्माण-परंपरा, सरस-संस्कृति और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यह शहर तीन ओर से अरावली पर्वतमाला से घिरा हुआ है। जयपुर शहर की पहचान यहाँ के महलों और पुराने घरों में लगे गुलाबी धौलपुरी पत्थरों से होती है जो यहाँ के स्थापत्य की खूबी है। १८७६ में तत्कालीन महाराज सवाई रामसिंह ने इंग्लैंड की महारानी एलिज़ाबेथ प्रिंस ऑफ वेल्स युवराज अल्बर्ट के स्वागत में पूरे शहर को गुलाबी रंग से आच्छादित करवा दिया था। तभी से शहर का नाम गुलाबी नगरी पड़ा है। 2011 की जनगणना के अनुसार जयपुर भारत का दसवां सबसे अधिक जनसंख्या वाला शहर है। राजा जयसिंह द्वितीय के नाम पर ही इस शहर का नाम जयपुर पड़ा। जयपुर भारत के टूरिस्ट सर्किट गोल्डन ट्रायंगल (India's Golden Triangle) का हिस्सा भी है। इस गोल्डन ट्रायंगल में दिल्ली,आगरा और जयपुर आते हैं भारत के मानचित्र में उनकी स्थिति अर्थात लोकेशन को देखने पर यह एक त्रिभुज (Triangle) का आकार लेते हैं। इस कारण इन्हें भारत का स्वर्णिम त्रिभुज इंडियन गोल्डन ट्रायंगल कहते हैं। भारत की राजधानी दिल्ली से जयपुर की दूरी 280 किलोमीटर है। शहर चारों ओर से दीवारों और परकोटों से घिरा हुआ है, जिसमें प्रवेश के लिए सात दरवाजे हैं। बाद में एक और द्वार भी बना जो 'न्यू गेट' कहलाया। पूरा शहर करीब छह भागों में बँटा है और यह १११ फुट (३४ मी.) चौड़ी सड़कों से विभाजित है। पाँच भाग मध्य प्रासाद भाग को पूर्वी, दक्षिणी एवं पश्चिमी ओर से घेरे हुए हैं और छठा भाग एकदम पूर्व में स्थित है। प्रासाद भाग में हवा महल परिसर, व्यवस्थित उद्यान एवं एक छोटी झील हैं। पुराने शह के उत्तर-पश्चिमी ओर पहाड़ी पर नाहरगढ़ दुर्ग शहर के मुकुट के समान दिखता है। इसके अलावा यहां मध्य भाग में ही सवाई जयसिंह द्वारा बनावायी गईं वेधशाला, जंतर मंतर, जयपुर भी हैं। जयपुर को आधुनिक शहरी योजनाकारों द्वारा सबसे नियोजित और व्यवस्थित शहरों में से गिना जाता है। देश के सबसे प्रतिभाशाली वास्तुकारों में इस शहर के वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य का नाम सम्मान से लिया जाता है। ब्रिटिश शासन के दौरान इस पर कछवाहा समुदाय के राजपूत शासकों का शासन था। १९वीं सदी में इस शहर का विस्तार शुरु हुआ तब इसकी जनसंख्या १,६०,००० थी जो अब बढ़ कर २००१ के आंकड़ों के अनुसार २३,३४,३१९ और २०१२ के बाद ३५ लाख हो चुकी है। यहाँ के मुख्य उद्योगों में धातु, संगमरमर, वस्त्र-छपाई, हस्त-कला, रत्न व आभूषण का आयात-निर्यात तथा पर्यटन-उद्योग आदि शामिल हैं। जयपुर को भारत का पेरिस भी कहा जाता है। इस शहर के वास्तु के बारे में कहा जाता है कि शहर को सूत से नाप लीजिये, नाप-जोख में एक बाल के बराबर भी फ़र्क नहीं मिलेगा। .

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जोधपुर

जोधपुर भारत के राज्य राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा नगर है। इसकी जनसंख्या १० लाख के पार हो जाने के बाद इसे राजस्थान का दूसरा "महानगर " घोषित कर दिया गया था। यह यहां के ऐतिहासिक रजवाड़े मारवाड़ की इसी नाम की राजधानी भी हुआ करता था। जोधपुर थार के रेगिस्तान के बीच अपने ढेरों शानदार महलों, दुर्गों और मन्दिरों वाला प्रसिद्ध पर्यटन स्थल भी है। वर्ष पर्यन्त चमकते सूर्य वाले मौसम के कारण इसे "सूर्य नगरी" भी कहा जाता है। यहां स्थित मेहरानगढ़ दुर्ग को घेरे हुए हजारों नीले मकानों के कारण इसे "नीली नगरी" के नाम से भी जाना जाता था। यहां के पुराने शहर का अधिकांश भाग इस दुर्ग को घेरे हुए बसा है, जिसकी प्रहरी दीवार में कई द्वार बने हुए हैं, हालांकि पिछले कुछ दशकों में इस दीवार के बाहर भी नगर का वृहत प्रसार हुआ है। जोधपुर की भौगोलिक स्थिति राजस्थान के भौगोलिक केन्द्र के निकट ही है, जिसके कारण ये नगर पर्यटकों के लिये राज्य भर में भ्रमण के लिये उपयुक्त आधार केन्द्र का कार्य करता है। वर्ष २०१४ के विश्व के अति विशेष आवास स्थानों (मोस्ट एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी प्लेसेज़ ऑफ़ द वर्ल्ड) की सूची में प्रथम स्थान पाया था। एक तमिल फ़िल्म, आई, जो कि अब तक की भारतीय सिनेमा की सबसे महंगी फ़िल्मशोगी, की शूटिंग भी यहां हुई थी। .

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ईसरदा

चौथ का बरवाड़ा तहसील का ऐतिहासिक गाँव है, यहाँ का गाँव के चारों तरफ का ऐतिहासिक परकोटा देखने काबिल है, इस गाँव में ईश्वरेश्वर शिव लिंग है, जिसका वर्णन शिव पुराण में मिलता है ! श्रेणी:राजस्थान के गाँव.

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घुश्मेश्वर मन्दिर, राजस्थान

घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग राजस्थान के सवाई माधोपुर ज़िले के शिवर गांव में स्थित है। .

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विवाह

हिन्दू विवाह का सांकेतिक चित्रण विवाह, जिसे शादी भी कहा जाता है, दो लोगों के बीच एक सामाजिक या धार्मिक मान्यता प्राप्त मिलन है जो उन लोगों के बीच, साथ ही उनके और किसी भी परिणामी जैविक या दत्तक बच्चों तथा समधियों के बीच अधिकारों और दायित्वों को स्थापित करता है। विवाह की परिभाषा न केवल संस्कृतियों और धर्मों के बीच, बल्कि किसी भी संस्कृति और धर्म के इतिहास में भी दुनिया भर में बदलती है। आमतौर पर, यह मुख्य रूप से एक संस्थान है जिसमें पारस्परिक संबंध, आमतौर पर यौन, स्वीकार किए जाते हैं या संस्वीकृत होते हैं। एक विवाह के समारोह को विवाह उत्सव (वेडिंग) कहते है। विवाह मानव-समाज की अत्यंत महत्वपूर्ण प्रथा या समाजशास्त्रीय संस्था है। यह समाज का निर्माण करने वाली सबसे छोटी इकाई- परिवार-का मूल है। यह मानव प्रजाति के सातत्य को बनाए रखने का प्रधान जीवशास्त्री माध्यम भी है। .

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खण्डार विधानसभा क्षेत्र (राजस्थान)

खण्डार विधानसभा क्षेत्र राजस्थान का एक विधानसभा क्षेत्र है। .

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गिरधरपुरा

गिरधरपुरा गिरधरपुरा राजस्थान राज्य के सवाई माधोपुर जिले की चौथ का बरवाड़ा तहसील में स्थित एक छोटा सा कस्बा है .

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ग्राम पंचायत झोंपड़ा, सवाई माधोपुर

झोंपड़ा गाँव राजस्थान राज्य के सवाई माधोपुर जिले की चौथ का बरवाड़ा तहसील में आने वाली प्रमुख ग्राम पंचायत है ! ग्राम पंचायत का सबसे बड़ा गाँव झोंपड़ा है जिसमें मीणा जनजाति का नारेड़ा गोत्र मुख्य रूप से निवास करता हैं। ग्राम पंचायत में झोंपड़ा, बगीना, सिरोही, नाहीखुर्द एवं झड़कुंड गाँव शामिल है। झोंपड़ा ग्राम पंचायत की कुल जनसंख्या 2011 की जनगणना के अनुसार 5184 है और ग्राम पंचायत में कुल घरों की संख्या 1080 है। ग्राम पंचायत की सबसे बड़ी नदी बनास नदी है वहीं पंचायत की सबसे लम्बी घाटी चढ़ाई बगीना गाँव में बनास नदी पर पड़ती है। ग्राम पंचायत का सबसे विशाल एवं प्राचीन वृक्ष धंड की पीपली है जो झोंपड़ा, बगीना एवं जगमोंदा गाँवों से लगभग बराबर दूरी पर पड़ती है। .

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ग्राम सिरोही

सिरोही भारतीय राज्य राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले की चौथ का बरवाड़ा तहसील का एक गाँव है। .

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आदलवाड़ा कलाँ

आदलवाड़ा कलां भारतीय राज्य राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले की चौथ का बरवाड़ा तहसील का एक गाँव है। .

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आग

जंगल की आग आग दहनशील पदार्थों का तीव्र ऑक्सीकरण है, जिससे उष्मा, प्रकाश और अन्य अनेक रासायनिक प्रतिकारक उत्पाद जैसे कार्बन डाइऑक्साइड और जल.

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इन्दौर

इन्दौर (अंग्रेजी:Indore) जनसंख्या की दृष्टि से भारत के मध्य प्रदेश राज्य का सबसे बड़ा शहर है। यह इन्दौर ज़िला और इंदौर संभाग दोनों के मुख्यालय के रूप में कार्य करता है। इंदौर मध्य प्रदेश राज्य की वाणिज्यिक राजधानी भी है। यह राज्य के शिक्षा हब के रूप में माना जाता है। इंदौर भारत का एकमात्र शहर है, जहाँ भारतीय प्रबन्धन संस्थान (IIM इंदौर) व भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT इंदौर) दोनों स्थापित हैं। मालवा पठार के दक्षिणी छोर पर स्थित इंदौर शहर, राज्य की राजधानी से १९० किमी पश्चिम में स्थित है। भारत की जनगणना,२०११ के अनुसार २१६७४४७ की आबादी सिर्फ ५३० वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में वितरित है। यह मध्यप्रदेश में सबसे अधिक घनी आबादी वाले प्रमुख शहर है। यह भारत में के तहत आता है। इंदौर मेट्रोपोलिटन एरिया (शहर व आसपास के इलाके) की आबादी राज्य में २१ लाख लोगों के साथ सबसे बड़ी है। इंदौर अपने स्थापना के इतिहास में १६वीं सदी क डेक्कन (दक्षिण) और दिल्ली के बीच एक व्यापारिक केंद्र के रूप में अपने निशान पाता है। मराठा पेशवा बाजीराव प्रथम के मालवा पर पूर्ण नियंत्रण ग्रहण करने के पश्चात, १८ मई १७२४ को इंदौर मराठा साम्राज्य में सम्मिलित हो गया था। और मल्हारराव होलकर को वहाँ का सुबेदार बनाया गया। जो आगे चल कर होलकर राजवंश की स्थापना की। ब्रिटिश राज के दिनों में, इन्दौर रियासत एक १९ गन सेल्यूट (स्थानीय स्तर पर २१) रियासत था जो की उस समय (एक दुर्लभ उच्च रैंक) थी। अंग्रेजी काल के दौरान में भी यह होलकर राजवंश द्वारा शासित रहा। भारत के स्वतंत्र होने के कुछ समय बाद यह भारत अधिराज्य में विलय कर दिया गया। इंदौर के रूप में सेवा की राजधानी मध्य भारत १९५० से १९५६ तक। इंदौर एक वित्तीय जिले के समान, मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी के रूप में कार्य करता है। और भारत का तीसरा सबसे पुराने शेयर बाजार, मध्यप्रदेश स्टॉक एक्सचेंज इंदौर में स्थित है। यहाँ का अचल संपत्ति (रीयल एस्टेट) बज़ार, मध्य भारत में सबसे महंगा है। यह एक औद्योगिक शहर है। यहाँ लगभग ५,००० से अधिक छोटे-बडे उद्योग हैं। यह सारे मध्य प्रदेश में सबसे अधिक वित्त पैदा करता है। पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में ४०० से अधिक उद्योग हैं और इनमे १०० से अधिक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के उद्योग हैं। पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र के प्रमुख उद्योग व्यावसायिक वाहन बनाने वाले व उनसे सम्बन्धित उद्योग हैं। व्यावसायिक क्षेत्र में मध्य प्रदेश की प्रमुख वितरण केन्द्र और व्यापार मंडीयाँ है। यहाँ मालवा क्षेत्र के किसान अपने उत्पादन को बेचने और औद्योगिक वर्ग से मिलने आते है। यहाँ के आस पास की ज़मीन कृषि-उत्पादन के लिये उत्तम है और इंदौर मध्य-भारत का गेहूँ, मूंगफली और सोयाबीन का प्रमुख उत्पादक है। यह शहर, आस-पास के शहरों के लिए प्रमुख खरीददारी का केन्द्र भी है। इन्दौर अपने नमकीनों व खान-पान के लिये भी जाना जाता है। प्र.म. नरेंद्र मोदी के स्मार्ट सिटी मिशन में १०० भारतीय शहरों को चयनित किया गया है जिनमें से इंदौर भी एक स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किया जाएगा। स्मार्ट सिटी मिशन के पहले चरण के अंतर्गत बीस शहरों को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किया जायेगा और इंदौर भी इस प्रथम चरण का हिस्सा है। 'स्वच्छ सर्वेक्षण २०१७' के परिणामों के अनुसार इन्दौर भारत का सबसे स्वच्छ नगर है। .

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कोटा

कोटा राजस्थान का एक प्रमुख औद्योगिक एवं शैक्षणिक शहर है। यह चम्बल नदी के तट पर बसा हुआ है। कोटा राजधानी जयपुर से सडक एवं रेलमार्ग से लगभग २४० किलोमीटर की दूरी पर है। यह नगर जयपुर-जबलपुर राष्ट्रीय राजमार्ग १२ पर स्थित है। दक्षिण राजस्थान में चंबल नदी के पूर्वी किनारे पर स्थित कोटा उन शहरों में है जहां औद्योगीकरण बड़े पैमाने पर हुआ है। कोटा अनेक किलों, महलों, संग्रहालयों, मंदिरों और बगीचों के लिए लोकप्रिय है। यह शहर नवीनता और प्राचीनता का अनूठा मिश्रण है। जहां एक तरफ शहर के स्मारक प्राचीनता का बोध कराते हैं वहीं चंबल नदी पर बना हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्लान्ट और न्यूक्लियर पावर प्लान्ट आधुनिकता का एहसास कराता है। .

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अरणेश्वर महादेव सप्त कुंड

अरणेश्वर महादेव सप्त कुंड सवाई माधोपुर जिले के भगवतगढ़ शहर में स्थित है। यहाँ पर भगवान शिव का अरणेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है। सवाई माधोपुर जिले का अरणेश्वर महादेव सप्त कुंड पिकनिक का बेहतरीन स्थल है। यह स्थान भगवतगढ़ शहर से महज एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। श्रेणी:सवाई माधोपुर जिला श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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अक्षय तृतीया

अक्षय तृतीया या आखा तीज वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को कहते हैं। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है।। वेब दुनिया इसी कारण इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है।। नवभारत टाइम्स। २७ अप्रैल २००९। पं.केवल आनंद जोशी वैसे तो सभी बारह महीनों की शुक्ल पक्षीय तृतीया शुभ होती है, किंतु वैशाख माह की तिथि स्वयंसिद्ध मुहूर्तो में मानी गई है। .

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उनियारा

उनियारा भारतीय राज्य राजस्थान के टोंक जिले का एक नगरपालिका क्षेत्र और नगर है। .

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१४५१

१४५१ ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

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२०११

वर्ष २०११ शनिवार से प्रारम्भ होने वाला वर्ष है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

बरवाड़ा, चौथ का बरवाड़ा रेलवे स्टेशन

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