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ग़ृह ऋण

सूची ग़ृह ऋण

घर या ज़मीन खरीद्ने के लिये लिये गये ऋण को गृह ऋण कह्ते हैं। भारत में इस तरह का ऋण किसी भी वित्तीय संस्थान से लिय जा सक्ता है। ऋण शुक आने कि अवधि 1 साल से ले के 20 साल तक की हो सक्ती है। श्रेणी:अर्थशास्त्र.

सामग्री की तालिका

  1. 3 संबंधों: भारत, वित्तीय संस्था, ऋण

भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

देखें ग़ृह ऋण और भारत

वित्तीय संस्था

वित्त एवं अर्थव्यवस्था के सन्दर्भ में, उन संस्थाओं को वित्तीय संस्थाएँ (financial institution) कहते हैं जो अपने ग्राहकों एवं सदस्यों को वित्तीय सेवाएँ (जैसे ग्राहक का धन जमा रखना, ग्राहक को ऋण देना, बैंक ड्राफ्ट देना, निधि अन्तरण आदि) देते हैं। बैंक, भवन-निर्माण सोसायटी, बीमा कम्पनियाँ, पेंशन फण्ड कम्पनियाँ, दलाल संस्थाएँ आदि वित्तीय संस्थाओं के कुछ उदाहरण हैं। किसी भी देश की प्रगति मे वित्तीय संस्थानोँ की अहम भूमिका होती है। वित्तीय संस्थान बैंकिंग, इंश्योरैंस, म्यूचुअल फंड, शेयर बाज़ार, गृह ऋण, दूसरे ऋण, क्रेडिट कार्ड के क्षेत्रो मे काम करते है। वित्तीय संस्थानोँ का मुख्य काम देश मे मुद्रा के प्रवाह को नियंत्रित करना होता है। उद्योग-धन्धों को चलाने मे पूंजी की ज़रूरत होती है। ये उन्हें वित्तीय संस्थान प्रदान करते है। उद्योग, जनता को रोजगा उपलब्ध कराते है। वित्तीय संस्थानोँ की मदद से आम लोग उद्योगो मे अपनी पूंजी लगा के एक तरफ मुनाफा कमाते है तो दूसरी तरफ देश के विकास मे योगदान देते हैं। ये संस्थान लोगो को उनकी ज़रूरतों को पूरा करने के लिये तरह तरह के ऋण देते है। जैसे घर खरीदने के लिये गृह ऋण, उच्च शिक्षा के लिये शिक्षा ऋण, कार और मोटरसाइकल के लिये ऑटोमोबाइल ऋण और दूसरी ज़रूरतोँ के लिये व्यक्तिगत ऋण। बैंकोँ मे लोग बचत खाते खोल के अपना पैसा जमा करते है। इसके अलावा लोग इंश्योरैंस या बीमा मे भी निवेश करते है। शेयर बाज़ार और म्यूचुअल फंड मे पूंजी निवेश मे भी आजकल वित्तीय संस्थान लोगो के लिये शेयर दलाल की भूमिका अदा करते है। लोगों से इक्कट्ठा किया हुआ पैसा उद्योगो और देश के विकास मे लगाया जाता है। वित्तीय संस्थान न सिर्फ निजी कम्पनियोँ को बल्कि राज्यो और केन्द्र सरकार को भी तरक्की के कामो के लिये पूंजी मुहैया कराते है। .

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ऋण

ऋण वह है, जो किसी से माँगा या लिया जाता है; सामान्यतः यह ली गयी संपत्ति को व्यक्त करता है, लेकिन यह शब्द धन की आवश्यकता के परे नैतिक दायित्व एवं अन्य पारस्परिक क्रियाओं को भी व्यक्त करता है। परिसंपत्तियों के मामले में, ऋण कुल जोड़ अर्जित होने के पूर्व वर्तमान में भविष्य की क्रय शक्ति के प्रयोग का माध्यम है। कुछ कंपनियां एवं निगम ऋण का प्रयोग अपनी संपूर्ण संगठित (कॉरपोरेट) वित्तीय योजनाओं के भाग के रूप में करते हैं। ऋण तब सृजित होता है जब एक ऋणदाता एक ऋण प्राप्तकर्ता या ऋणी को कुछ परिसंपत्ति प्रदान करता है। आधुनिक समाज में, सामान्यतः ऋण को अपेक्षित पुनर्भुगतान के साथ प्रदान किया जाता है; ज़्यादातर मामलों में, ब्याज सहित.

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