4 संबंधों: निगमनात्मक तर्क, गणित, गणितीय उपपत्ति, अमूर्त और ठोस।
निगमनात्मक तर्क
तर्क की जिस प्रक्रिया में एक या अधिक ज्ञात सामान्य कथनों के आधार पर किसी निश्चित निष्कर्ष पर पहुँचा जाता है, निगमनात्मक तर्क (Deductive reasoning या deductive logic) कहते हैं। 'निगमनात्मक तर्क', 'आगमनात्मक तर्क' से बिलकुल भिन्न है। नीचे एक निगमनात्मक तर्क दिया गया है-: 1.
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गणित
पुणे में आर्यभट की मूर्ति ४७६-५५० गणित ऐसी विद्याओं का समूह है जो संख्याओं, मात्राओं, परिमाणों, रूपों और उनके आपसी रिश्तों, गुण, स्वभाव इत्यादि का अध्ययन करती हैं। गणित एक अमूर्त या निराकार (abstract) और निगमनात्मक प्रणाली है। गणित की कई शाखाएँ हैं: अंकगणित, रेखागणित, त्रिकोणमिति, सांख्यिकी, बीजगणित, कलन, इत्यादि। गणित में अभ्यस्त व्यक्ति या खोज करने वाले वैज्ञानिक को गणितज्ञ कहते हैं। बीसवीं शताब्दी के प्रख्यात ब्रिटिश गणितज्ञ और दार्शनिक बर्टेंड रसेल के अनुसार ‘‘गणित को एक ऐसे विषय के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें हम जानते ही नहीं कि हम क्या कह रहे हैं, न ही हमें यह पता होता है कि जो हम कह रहे हैं वह सत्य भी है या नहीं।’’ गणित कुछ अमूर्त धारणाओं एवं नियमों का संकलन मात्र ही नहीं है, बल्कि दैनंदिन जीवन का मूलाधार है। .
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गणितीय उपपत्ति
गणित में उपपत्ति अथवा गणितीय उपपत्ति (Mathematical proof) एक गणितीय कथन के लिए निगमनात्मक तर्क है। तर्क में पूर्व से स्थापित शब्द जैसे प्रमेय आदि का उपयोग किया जा सकता है। .
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अमूर्त और ठोस
अमूर्त और ठोस वर्गीकरण है जो यह दर्शाते हैं कि क्या कोई शब्द बिना किसी भौतिक संदर्भक वाले वस्तु को वर्णित करता है या भौतिक संदर्भक वाले वस्तु को। आम तौर पर ये दर्शन और अर्थविज्ञान में प्रयुक्त होते हैं। .