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क्षमासागर

सूची क्षमासागर

मुनि क्षमासागर एक दिगम्बर साधु थे जो आचार्य विद्यासागर जी के शिष्य थे। .

6 संबंधों: दिगम्बर, दिगम्बर साधु, पत्रिका, भारतीय ज्ञानपीठ, जैन धर्म, विद्यासागर (जैन संत)

दिगम्बर

गोम्मटेश्वर बाहुबली (श्रवणबेळगोळ में) दिगम्बर जैन धर्म के दो सम्प्रदायों में से एक है। दूसरा सम्प्रदाय है - श्वेताम्बर। दिगम्बर.

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दिगम्बर साधु

आचार्य विद्यासागर, एक प्रमुख दिगम्बर मुनि दिगम्बर साधु जिन्हें मुनि भी कहा जाता है सभी परिग्रहों का त्याग कर कठिन साधना करते है। दिगम्बर मुनि अगर विधि मिले तो दिन में एक बार भोजन और तरल पदार्थ ग्रहण करते है। वह केवल पिच्छि, कमण्डल और शास्त्र रखते है। इन्हें निर्ग्रंथ भी कहा जाता है जिसका अर्थ है " बिना किसी बंधन के"। .

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पत्रिका

पत्रिकाएँ पत्रिका वह नियतकालिक कृति है जो मुख्यतः साप्ताहिक होती है। जिसमे विचारतत्व प्रधान होता है। पत्रिकाओं का प्रकाशन एक दिवसीय से लेकर साप्ताहिक भी होता है। .

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भारतीय ज्ञानपीठ

भारतीय ज्ञानपीठ भारत में साहित्य संबंधी गतिविधियों के संवर्धन और संरक्षण के लिए कार्यरत सबसे प्रमुख और प्रतिष्ठित संस्थान है। श्रीमती रमा जैन और श्री साहूशान्ति प्रसाद जैन द्वारा संस्थापित यह संस्थान साहित्यिक पुस्तकें प्रकाशित करता है तथा ज्ञानपीठ पुरस्कार और मूर्तिदेवी पुरस्कार नामक दो पुरस्कार प्रदान करता है, जो साहित्य के सर्वोच्च पुरस्कारों में से हैं। इसकी स्थापना 1944 में हुई। .

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जैन धर्म

जैन ध्वज जैन धर्म भारत के सबसे प्राचीन धर्मों में से एक है। 'जैन धर्म' का अर्थ है - 'जिन द्वारा प्रवर्तित धर्म'। जो 'जिन' के अनुयायी हों उन्हें 'जैन' कहते हैं। 'जिन' शब्द बना है 'जि' धातु से। 'जि' माने - जीतना। 'जिन' माने जीतने वाला। जिन्होंने अपने मन को जीत लिया, अपनी वाणी को जीत लिया और अपनी काया को जीत लिया और विशिष्ट ज्ञान को पाकर सर्वज्ञ या पूर्णज्ञान प्राप्त किया उन आप्त पुरुष को जिनेश्वर या 'जिन' कहा जाता है'। जैन धर्म अर्थात 'जिन' भगवान्‌ का धर्म। अहिंसा जैन धर्म का मूल सिद्धान्त है। जैन दर्शन में सृष्टिकर्ता कण कण स्वतंत्र है इस सॄष्टि का या किसी जीव का कोई कर्ता धर्ता नही है।सभी जीव अपने अपने कर्मों का फल भोगते है।जैन धर्म के ईश्वर कर्ता नही भोगता नही वो तो जो है सो है।जैन धर्म मे ईश्वरसृष्टिकर्ता इश्वर को स्थान नहीं दिया गया है। जैन ग्रंथों के अनुसार इस काल के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव आदिनाथ द्वारा जैन धर्म का प्रादुर्भाव हुआ था। जैन धर्म की अत्यंत प्राचीनता करने वाले अनेक उल्लेख अ-जैन साहित्य और विशेषकर वैदिक साहित्य में प्रचुर मात्रा में हैं। .

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विद्यासागर (जैन संत)

आचार्य विद्यासागर (कन्नड़:ಆಚಾರ್ಯ ವಿದ್ಯಾಸಾಗರ್) एक प्रख्यात दिगम्बर जैन आचार्य हैं। उन्हें उनकी विद्वाता और तप के लिए जाना जाता है। .

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