सामग्री की तालिका
23 संबंधों: ऐल्बनी, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया, डाएप्रोटोडोंटिया, दूध, धानीप्राणी, निशाचरता, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया, प्राणी, पूँछ, बिल्ली, मैक्रोपोडीडाए, रज्जुकी, रॉटनेस्ट द्वीप, शाकाहार, सिर, स्तनधारी, जाति (जीवविज्ञान), वालाबी, वंश (जीवविज्ञान), वृक्ष, वृक्ष-कंगारू, कान, कंगारू, क्षुप।
- ऑस्ट्रेलिया के धानीप्राणी
- मैक्रोपोडीडाए
ऐल्बनी, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया
ऐल्बनी (Albany) ऑस्ट्रेलिया के पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया राज्य के हिन्द महासागर से लगे दक्षिणी तट पर स्थित एक शहर व बंदरगाह है। यह राज्य की राजधानी, पर्थ, से ४१८ किमी दक्षिणपूर्व दिशा में बसा हुआ है और ग्रेट सदर्न नामक भूक्षेत्र का केन्द्र माना जाता है। Estimated resident population, 30 June 2015.
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डाएप्रोटोडोंटिया
डाएप्रोटोडोंटिया (Diprotodontia) धानीप्राणी (मारसूपियल) जानवरों का एक बड़ा जीवविज्ञानिक गण है जिसमें लगभग १२० जातियाँ आती हैं। इनमें कंगारू, वॉलाबी, कोआला, पॉस्सम और वोम्बैट शामिल हैं। कुछ विलुप्त जातियाँ भी इसमें आती हैं, जैसे कि गेंडे के अकार वाला डाएप्रोटोडोन और 'मारसूपियल सिंह' का उपनाम पाने वाला थायलाकोलेओ। .
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दूध
एक गिलास दूध दूध एक अपारदर्शी सफेद द्रव है जो मादाओं के दुग्ध ग्रन्थियों द्वारा बनाया जता है। नवजात शिशु तब तक दूध पर निर्भर रहता है जब तक वह अन्य पदार्थों का सेवन करने में अक्षम होता है। साधारणतया दूध में ८५ प्रतिशत जल होता है और शेष भाग में ठोस तत्व यानी खनिज व वसा होता है। गाय-भैंस के अलावा बाजार में विभिन्न कंपनियों का पैक्ड दूध भी उपलब्ध होता है। दूध प्रोटीन, कैल्शियम और राइबोफ्लेविन (विटामिन बी -२) युक्त होता है, इनके अलावा इसमें विटामिन ए, डी, के और ई सहित फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, आयोडीन व कई खनिज और वसा तथा ऊर्जा भी होती है। इसके अलावा इसमें कई एंजाइम और कुछ जीवित रक्त कोशिकाएं भी हो सकती हैं।। इकॉनोमिक टाइम्स, २२ मार्च २००९ .
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धानीप्राणी
धानीप्राणी या मारसूपियल (Marsupial) स्तनधारी जानवरों की एक वर्ग है जो अपने शिशुओं को अपने पेट के पास बनी हुई एक धानी (थैली) में रखकर चलते हैं। यह ज़्यादातर पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्ध (हेमिस्फ़ीयर) में पाए जाते हैं। जाने-माने धानीप्राणियों में कंगारू, कोआला, पॉस्सम, वोम्बैट और तास्मानियाई डेविल शामिल हैं। धानिप्राणी के नवजात शिशु अन्य स्तनधारियों के नवजात बच्चों की तुलना में बहुत अविकसित होते हैं और पैदा होने के बाद यह काफ़ी समय (कई हफ़्तों या महीनों तक) अपनी माता की धानी में ही रहकर विकसित होते हैं।, Laurie Triefeldt, pp.
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निशाचरता
उल्लू एक निशाचरी प्राणी है निशाचरता कुछ जानवरों की रात को सक्रीय रहने की प्रवृति को कहते हैं। निशाचरी जीवों में उल्लू, चमगादड़ और रैकून जैसे प्राणी शामिल हैं। कुछ निशाचरी जानवरों में दिन और रात दोनों में साफ़ देखने की क्षमता होती है लेकिन कुछ की आँखें अँधेरे में ही ठीक से काम करती हैं और दिन के वक़्त चौंधिया जाती हैं। .
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पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया
SUBPAGENAME राज्य का ध्वज SUBPAGENAME पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में ऑस्ट्रेलिया के एक प्रांत है। इसकी राजधानी शहर पर्थ है। 2007 के आकड़ों के अनुसार पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया की जनसंख्या 21,05,783 है। जिसमें से 1554769 (74%) पर्थ महानगरीय क्षेत्र में रहते हैं। राज्य 1829 में एक ब्रिटिश उपनिवेश के रूप में शुरू हुआ था। बहरहाल, ण्युन्गह् आदिवासी लोग वहाँ कई शताब्दियों के लिए है कि समय से पहले रहते थे। कई दशकों के लिए, जनसंख्या काफी बढ़ने नहीं दिया.
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प्राणी
प्राणी या जंतु या जानवर 'ऐनिमेलिया' (Animalia) या मेटाज़ोआ (Metazoa) जगत के बहुकोशिकीय और सुकेंद्रिक जीवों का एक मुख्य समूह है। पैदा होने के बाद जैसे-जैसे कोई प्राणी बड़ा होता है उसकी शारीरिक योजना निर्धारित रूप से विकसित होती जाती है, हालांकि कुछ प्राणी जीवन में आगे जाकर कायान्तरण (metamorphosis) की प्रकिया से गुज़रते हैं। अधिकांश जंतु गतिशील होते हैं, अर्थात अपने आप और स्वतंत्र रूप से गति कर सकते हैं। ज्यादातर जंतु परपोषी भी होते हैं, अर्थात वे जीने के लिए दूसरे जंतु पर निर्भर रहते हैं। अधिकतम ज्ञात जंतु संघ 542 करोड़ साल पहले कैम्ब्रियन विस्फोट के दौरान जीवाश्म रिकॉर्ड में समुद्री प्रजातियों के रूप में प्रकट हुए। .
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पूँछ
पूँछ एक जानवर के शरीर के पृष्ठ भाग का उप-भाग होती है। साधारणत: इसका अर्थ होता है धड़ के पीछे एक लचीला उपांग। यह शरीर का वह अंग होता है जो कि स्तनपायी, सरीसृप तथा पक्षियों में लगभग कूल्हे से निकलता है। हालाँकि पूँछ रज्जुकी में पायी जाती है, लेकिन कुछ अरज्जुकी प्राणी जैसे कि बिच्छू, घोंघा इत्यादि की भी पूँछ-समान उपांग होते हैं जिनको पूँछ कहा जाता है। श्रेणी:प्राणी विज्ञान.
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बिल्ली
बिल्ली एक मांसाहारी स्तनधारी जानवर है। इसकी सुनने और सुँघने की शक्ति प्रखर है और यह कम रोशनी, यहाँ तक कि रात में भी देख सकती हैं। लगभग 9500 वर्षों से बिल्ली मनुष्य के साथी के रूप में है। प्राकृतिक रूप से इनका जीवनकाल लगभग 15 वर्षों का होता है।, Louise A.
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मैक्रोपोडीडाए
मैक्रोपोडीडाए (macropodidae) धानीप्राणी (मारसूपियल) जानवरों का एक बड़ा जीववैज्ञानिक कुल है। यह कभी-कभी कंगारू कुल भी कहलाता है क्योंकि कंगारू की सभी जातियाँ इसी कुल की सदस्य हैं। इनके अलावा वालाबी, वृक्ष-कंगारू, क्वोका, इत्यादि भी इसी कुल के अंतर्गत हैं। मैक्रोपोडीडाए के सदस्य मैक्रोपोड (macropod) कहलाते हैं। यह प्राणी ऑस्ट्रेलिया, नया गिनी और आसपास के द्वीपों पर रहते हैं। ऑस्ट्रेलिया पर यूरोपीय क़ब्ज़े से पहले यहाँ ६५ मैक्रोपोड जातियाँ मिलती थीं लेकिन तब से ६ विलुप्त हो चुकी हैं और ११ की संख्य बहुत घट चुकी है। इस से पहले, मैक्रोपोड की कुछ ऐसी भी जातियाँ थी जो उस महाद्वीप पर ऑस्ट्रेलियाई आदिवासी लोगों के आगमन के बाद विलुप्त हो गई। .
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रज्जुकी
रज्जुकी (संघ कॉर्डेटा) जीवों का एक समूह है जिसमें कशेरुकी (वर्टिब्रेट) और कई निकट रूप से संबंधित अकशेरुकी (इनवर्टिब्रेट) शामिल हैं। इनका इस संघ मे शामित होना इस आधार पर सिद्ध होता है कि यह जीवन चक्र मे कभी न कभी निम्न संरचनाओं को धारण करते हैं जो हैं, एक पृष्ठरज्जु (नोटोकॉर्ड), एक खोखला पृष्ठीय तंत्रिका कॉर्ड, फैरेंजियल स्लिट एक एंडोस्टाइल और एक पोस्ट-एनल पूंछ। संघ कॉर्डेटा तीन उपसंघों मे विभाजित है: यूरोकॉर्डेटा, जिसका प्रतिनिधित्व ट्युनिकेट्स द्वारा किया जाता है; सेफालोकॉर्डेटा, जिसका प्रतिनिधित्व लैंसलेट्स द्वारा किया जाता है और क्रेनिएटा, जिसमे वर्टिब्रेटा शामिल हैं। हेमीकॉर्डेटा को चौथे उपसंघ के रूप मे प्रस्तुत किया जाता है पर अब इसे आम तौर पर एक अलग संघ के रूप में जाना जाता है। यूरोकॉर्डेट के लार्वा में एक नोटॉकॉर्ड और एक तंत्रिका कॉर्ड पायी जाती है पर वयस्क होने पर यह लुप्त हो जातीं हैं। सेफालोकॉर्डेट एक नोटॉकॉर्ड और एक तंत्रिका कॉर्ड पायी जाती है लेकिन कोई मस्तिष्क या विशेष संवेदना अंग नहीं होता और इनका एक बहुत ही सरल परिसंचरण तंत्र होता है। क्रेनिएट ही वह उपसंघ है जिसके सदस्यों में खोपड़ी मिलती है। इनमे वास्तविक देहगुहा पाई जाती है। इनमे जनन स्तर सदैव त्री स्तरीय पाया जाता है। सामान्यत लैंगिक जनन पाया जाता है। सामान्यत प्रत्यक्ष विकास होता है। इनमे RBC उपस्थित होती है। इनमे द्वीपार्शविय सममिती पाई जाती है। इसके जंतु अधिक विकसित होते है। श्रेणी:जीव विज्ञान *.
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रॉटनेस्ट द्वीप
रॉटनेस्ट द्वीप (Rottnest Island), जिसे स्थानीय नूंगार लोग (इस क्षेत्र के मूल ऑस्ट्रेलियाई आदिवासी निवासी) वादजेमप (Wadjemup) कहते हैं, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के तट से आगे हिन्द महासागर में स्थित एक द्वीप है। यह संक्षिप्त और अनौपचारिक रूप से रोट्टो (Rotto) भी कहलाता है। रॉटनेस्ट द्वीप फ़्रीमैन्टल से पश्चिम में १८ किमी की समुद्री दूरी पर है। १९ वर्ग किमी का यह द्वीप एक संरक्षित क्षेत्र है और यहाँ क्वोका नामक धानीप्राणी (मारसूपियल) की आबादी पाई जाती है, जो बहुत ही कम अन्य स्थानों पर मिलने वाला प्राणी है। यह एक पर्यटक आकर्षण है और पर्थ से यहाँ के लिए दैनिक नावी सेवाएँ चलती है। अनुमान है कि हर वर्ष लगभग ५,००,००० सैलानी इसे देखने आते हैं। लगभग १०० लोग स्थाई रूप से द्वीप पर रहते हैं। द्वीप पर कोई भी मोटर वाहन ले जाना मना है। .
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शाकाहार
दुग्ध उत्पाद, फल, सब्जी, अनाज, बादाम आदि बीज सहित वनस्पति-आधारित भोजन को शाकाहार (शाक + आहार) कहते हैं। शाकाहारी व्यक्ति मांस नहीं खाता है, इसमें रेड मीट अर्थात पशुओं के मांस, शिकार मांस, मुर्गे-मुर्गियां, मछली, क्रस्टेशिया या कठिनी अर्थात केंकड़ा-झींगा आदि और घोंघा आदि सीपदार प्राणी शामिल हैं; और शाकाहारी चीज़ (पाश्चात्य पनीर), पनीर और जिलेटिन में पाए जाने वाले प्राणी-व्युत्पन्न जामन जैसे मारे गये पशुओं के उपोत्पाद से बने खाद्य से भी दूर रह सकते हैं। हालाँकि, इन्हें या अन्य अपरिचित पशु सामग्रियों का उपभोग अनजाने में कर सकते हैं। शाकाहार की एक अत्यंत तार्किक परिभाषा ये है कि शाकाहार में वे सभी चीजें शामिल हैं जो वनस्पति आधारित हैं, पेड़ पौधों से मिलती हैं एवं पशुओं से मिलने वाली चीजें जिनमें कोई प्राणी जन्म नहीं ले सकता। इसके अतिरिक्त शाकाहार में और कोई चीज़ शामिल नहीं है। इस परिभाषा की मदद से शाकाहार का निर्धारण किया जा सकता है। उदाहरण के लिये दूध, शहद आदि से बच्चे नहीं होते जबकि अंडे जिसे कुछ तथाकथित बुद्धजीवी शाकाहारी कहते है, उनसे बच्चे जन्म लेते हैं। अतः अंडे मांसाहार है। प्याज़ और लहसुन शाकाहार हैं किन्तु ये बदबू करते हैं अतः इन्हें खुशी के अवसरों पर प्रयोग नहीं किया जाता। यदि कोई मनुष्य अनजाने में, भूलवश, गलती से या किसी के दबाव में आकर मांसाहार कर लेता है तो भी उसे शाकाहारी ही माना जाता है। पूरी दुनिया का सबसे पुराना धर्म सनातन धर्म भी शाकाहार पर आधारित है। इसके अतिरिक्त जैन धर्म भी शाकाहार का समर्थन करता है। सनातन धर्म के अनुयायी जिन्हें हिन्दू भी कहा जाता है वे शाकाहारी होते हैं। यदि कोई व्यक्ति खुद को हिन्दू बताता है किंतु मांसाहार करता है तो वह धार्मिक तथ्यों से हिन्दू नहीं रह जाता। अपना पेट भरने के लिए या महज़ जीभ के स्वाद के लिए किसी प्राणी की हत्या करना मनुष्यता कदापि नहीं हो सकती। इसके अतिरिक्त एक अवधारणा यदि भी है कि शाकाहारियों में मासूमियत और बीमारियों से लड़ने की क्षमता ज़्यादा होती है। नैतिक, स्वास्थ्य, पर्यावरण, धार्मिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, सौंदर्य, आर्थिक, या अन्य कारणों से शाकाहार को अपनाया जा सकता है; और अनेक शाकाहारी आहार हैं। एक लैक्टो-शाकाहारी आहार में दुग्ध उत्पाद शामिल हैं लेकिन अंडे नहीं, एक ओवो-शाकाहारी के आहार में अंडे शामिल होते हैं लेकिन गोशाला उत्पाद नहीं और एक ओवो-लैक्टो शाकाहारी के आहार में अंडे और दुग्ध उत्पाद दोनों शामिल हैं। एक वेगन अर्थात अतिशुद्ध शाकाहारी आहार में कोई भी प्राणी उत्पाद शामिल नहीं हैं, जैसे कि दुग्ध उत्पाद, अंडे और सामान्यतः शहद। अनेक वेगन प्राणी-व्युत्पन्न किसी अन्य उत्पादों से भी दूर रहने की चेष्टा करते हैं, जैसे कि कपड़े और सौंदर्य प्रसाधन। अर्द्ध-शाकाहारी भोजन में बड़े पैमाने पर शाकाहारी खाद्य पदार्थ हुआ करते हैं, लेकिन उनमें मछली या अंडे शामिल हो सकते हैं, या यदा-कदा कोई अन्य मांस भी हो सकता है। एक पेसेटेरियन आहार में मछली होती है, मगर मांस नहीं। जिनके भोजन में मछली और अंडे-मुर्गे होते हैं वे "मांस" को स्तनपायी के गोश्त के रूप में परिभाषित कर सकते हैं और खुद की पहचान शाकाहार के रूप में कर सकते हैं। हालाँकि, शाकाहारी सोसाइटी जैसे शाकाहारी समूह का कहना है कि जिस भोजन में मछली और पोल्ट्री उत्पाद शामिल हों, वो शाकाहारी नहीं है, क्योंकि मछली और पक्षी भी प्राणी हैं।शाकाहारी मछली नहीं खाते हैं, शाकाहारी सोसाइटी, 2 मई 2010 को पुनःप्राप्त.
देखें क्वोका और शाकाहार
सिर
एक चीता का सिर प्राणियों के शरीर के सबसे शीर्ष भाग को आमतौर पर सिर कहते हैं, इसमें नाक, कान, आँख इत्यादि ज्ञानेन्द्रियाँ स्थित होती हैं। .
देखें क्वोका और सिर
स्तनधारी
यह प्राणी जगत का एक समूह है, जो अपने नवजात को दूध पिलाते हैं जो इनकी (मादाओं के) स्तन ग्रंथियों से निकलता है। यह कशेरुकी होते हैं और इनकी विशेषताओं में इनके शरीर में बाल, कान के मध्य भाग में तीन हड्डियाँ तथा यह नियततापी प्राणी हैं। स्तनधारियों का आकार २९-३३ से.मी.
देखें क्वोका और स्तनधारी
जाति (जीवविज्ञान)
जाति (स्पीशीज़) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण की सबसे बुनियादी और निचली श्रेणी है जाति (अंग्रेज़ी: species, स्पीशीज़) जीवों के जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में सबसे बुनियादी और निचली श्रेणी होती है। जीववैज्ञानिक नज़रिए से ऐसे जीवों के समूह को एक जाति बुलाया जाता है जो एक दुसरे के साथ संतान उत्पन्न करने की क्षमता रखते हो और जिनकी संतान स्वयं आगे संतान जनने की क्षमता रखती हो। उदाहरण के लिए एक भेड़िया और शेर आपस में बच्चा पैदा नहीं कर सकते इसलिए वे अलग जातियों के माने जाते हैं। एक घोड़ा और गधा आपस में बच्चा पैदा कर सकते हैं (जिसे खच्चर बुलाया जाता है), लेकिन क्योंकि खच्चर आगे बच्चा जनने में असमर्थ होते हैं, इसलिए घोड़े और गधे भी अलग जातियों के माने जाते हैं। इसके विपरीत कुत्ते बहुत अलग आकारों में मिलते हैं लेकिन किसी भी नर कुत्ते और मादा कुत्ते के आपस में बच्चे हो सकते हैं जो स्वयं आगे संतान पैदा करने में सक्षम हैं। इसलिए सभी कुत्ते, चाहे वे किसी नसल के ही क्यों न हों, जीववैज्ञानिक दृष्टि से एक ही जाति के सदस्य समझे जाते हैं।, Sahotra Sarkar, Anya Plutynski, John Wiley & Sons, 2010, ISBN 978-1-4443-3785-3,...
देखें क्वोका और जाति (जीवविज्ञान)
वालाबी
वालाबी (wallaby) ऑस्ट्रेलिया और नया गिनी में मिलने वाला एक छोटे या मध्य आकार का मैक्रोपोड धानीप्राणी (मारसूपियल) होता है। हालांकि यह देखने में कंगारू की तरह होते हैं और उसी जीववैज्ञानिक टैक्सोन में आते हैं, कंगारू की परिभाषा केवल उसके छह सबसे बड़ी जातियों तक ही सीमित रखी गई है। आम बोलचाल में कंगारू-जैसा दिखने वाला लेकिन आकार में कंगारू से छोटा कोई भी मैक्रोपोड वालाबी कहलाया जाता है। सारे वालाबियों में सबसे छोटी जाति बौने वालाबी की है जो नाक-से-दुम तक केवल ४६ किमी और वज़न में केवल १.६ (लगभग डेढ़) किलो का होता है। .
देखें क्वोका और वालाबी
वंश (जीवविज्ञान)
एक कूबड़ वाला ड्रोमेडरी ऊँट और दो कूबड़ो वाला बैक्ट्रियाई ऊँट दो बिलकुल अलग जातियाँ (स्पीशीज़) हैं लेकिन दोनों कैमेलस (Camelus) वंश में आती हैं जातियाँ आती हैं वंश (लैटिन: genus, जीनस; बहुवाची: genera, जेनेरा) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में जीवों के वर्गीकरण की एक श्रेणी होती है। एक वंश में एक-दूसरे से समानताएँ रखने वाले कई सारे जीवों की जातियाँ आती हैं। ध्यान दें कि वंश वर्गीकरण के लिए मानकों को सख्ती से संहिताबद्ध नहीं किया गया है और इसलिए अलग अलग वर्गीकरण कर्ता वंशानुसार विभिन्न वर्गीकरण प्रस्तुत करते हैं।, David E.
देखें क्वोका और वंश (जीवविज्ञान)
वृक्ष
fdgfdf c/xdfffffgfg/ffggg एक वृक्ष वृक्ष का सामान्य अर्थ ऐसे पौधे से होता है जिसमें शाखाएँ निकली हों, जो कम से कम दो-वर्ष तक जीवित रहे, जिससे लकड़ी प्राप्त हो। वृक्ष की एक जड़ होती है जो प्रायः ज़मीन के अन्दर में होती है, तथा जड़ से निकलकर तना तथा पत्तियां हवा में रहते हैं। यह प्रदूषण कम करने में कारगर सिद्ध हुआ है। पर लकड़ियो तथा ज़मीन की आवश्यकताओं के कारण लोग इसे काटते जा रहे हैं। .
देखें क्वोका और वृक्ष
वृक्ष-कंगारू
वृक्ष-कंगारू (tree-kangaroo) डेन्ड्रोलागस जीववैज्ञानिक वंश के धानीप्राणी (मारसूपियल) होते हैं। इनके शरीर वृक्ष विचरण के लिए अनुकूलित होते हैं और यह नया गिनी द्वीप के उष्णकटिबंधीय वर्षावनों, ऑस्ट्रेलिया के सुदूर पूर्वोत्तर के क्वीन्सलैंड राज्य के वर्षवनों और कुछ निकटवर्ती द्वीपों में मिलते हैं। इन स्थानों पर वनों को संकट होने से लगभग सभी वृक्ष-कंगारू जातियाँ संकटग्रस्त हो गई हैं। मैक्रोपोडों में यह एकमात्र वास्तविक वृक्ष विचरणिय वंश है। .
देखें क्वोका और वृक्ष-कंगारू
कान
मानव व अन्य स्तनधारी प्राणियों मे कर्ण या कान श्रवण प्रणाली का मुख्य अंग है। कशेरुकी प्राणियों मे मछली से लेकर मनुष्य तक कान जीववैज्ञानिक रूप से समान होता है सिर्फ उसकी संरचना गण और प्रजाति के अनुसार भिन्नता का प्रदर्शन करती है। कान वह अंग है जो ध्वनि का पता लगाता है, यह न केवल ध्वनि के लिए एक ग्राहक (रिसीवर) के रूप में कार्य करता है, अपितु शरीर के संतुलन और स्थिति के बोध में भी एक प्रमुख भूमिका निभाता है। "कान" शब्द को पूर्ण अंग या सिर्फ दिखाई देने वाले भाग के लिए प्रयुक्त किया जा सकता है। अधिकतर प्राणियों में, कान का जो हिस्सा दिखाई देता है वह ऊतकों से निर्मित एक प्रालंब होता है जिसे बाह्यकर्ण या कर्णपाली कहा जाता है। बाह्यकर्ण श्रवण प्रक्रिया के कई कदमो मे से सिर्फ पहले कदम पर ही प्रयुक्त होता है और शरीर को संतुलन बोध कराने में कोई भूमिका नहीं निभाता। कशेरुकी प्राणियों मे कान जोड़े मे सममितीय रूप से सिर के दोनो ओर उपस्थित होते हैं। यह व्यवस्था ध्वनि स्रोतों की स्थिति निर्धारण करने में सहायक होती है। .
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कंगारू
कंगारू आस्ट्रेलिया में पाया जानेवाला एक स्तनधारी पशु है। यह आस्ट्रेलिया का राष्ट्रीय पशु भी है। कंगारू शाकाहारी, धानीप्राणी (मारसूपियल, marsupial) जीव हैं जो स्तनधारियों में अपने ढंग के निराले प्राणी हैं। इन्हें सन् 1773 ई.
देखें क्वोका और कंगारू
क्षुप
एक झाड़ी क्षुप या झाड़ी (shrub or bush) वृक्षों से इस मामले में अलग हैं कि इनकी उँचाई कम होती है (५-६ मीटर से कम) और बहुत से तने होते हैं। * श्रेणी:पौधे श्रेणी:वनस्पति आकृति-विज्ञान श्रेणी:पादप जीव-रूप श्रेणी:स्वभाव के अनुसार पौधे.
देखें क्वोका और क्षुप