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5 संबंधों: प्राचीन सप्तर्षि संवत, शक संवत, सप्तर्षि संवत, विक्रम संवत, ३१०२ ईसा पूर्व।
प्राचीन सप्तर्षि संवत
प्राचीन सप्तर्षि भारत का प्राचीन संवत है जो ६६७६ ईपू से आरम्भ होता है। अन्य संवत.
देखें कलि संवत और प्राचीन सप्तर्षि संवत
शक संवत
शक संवत भारत का प्राचीन संवत है जो ७८ ई. से आरम्भ होता है। शक संवत भारत का राष्ट्रीय कैलेंडर है। शक संवत् के विषय में बुदुआ का मत है कि इसे उज्जयिनी के क्षत्रप चेष्टन ने प्रचलित किया। शक राज्यों को चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने समाप्त कर दिया पर उनका स्मारक शक संवत् अभी तक भारतवर्ष में चल रहा है।;कुछ अन्य संवत.
देखें कलि संवत और शक संवत
सप्तर्षि संवत
सप्तर्षि संवत् भारत का प्राचीन संवत है जो ३०७६ ईपू से आरम्भ होता है। महाभारत काल तक इस संवत् का प्रयोग हुआ था। बाद में यह धीरे-धीरे विस्मृत हो गया। एक समय था जब सप्तर्षि-संवत् विलुप्ति की कगार पर पहुंचने ही वाला था, बच गया। इसको बचाने का श्रेय कश्मीर और हिमाचल प्रदेश को है। उल्लेखनीय है कि कश्मीर में सप्तर्षि संवत् को 'लौकिक संवत्' कहते हैं और हिमाचल प्रदेश में 'शास्त्र संवत्'। .
देखें कलि संवत और सप्तर्षि संवत
विक्रम संवत
विक्रम संवत हिन्दू पंचांग में समय गणना की प्रणाली का नाम है। यह संवत 57 ई.पू.
देखें कलि संवत और विक्रम संवत
३१०२ ईसा पूर्व
३१०२ ईसा पूर्व का एक वर्ष है। ये ईसा पूर्व तीसरी सहस्राब्दी का १०२वां वर्ष था। हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का निधन इसा कलेंडर के अनुसार सन 3102 इसा पूर्व में हुआ था। उनके निधन के पश्चात् से ही कलियुग का प्रारंभ माना जाता है। इस प्रकार कलि संवत व् इसा संवत में 3102 वर्षों का अंतर पाया जाता है। भालका तीर्थ पर स्थापित सूचनापट्ट के अनुसार श्रीकृष्ण के निधन की ठीक ठीक तिथि १४ फरवरी ३१०२ ई०पू० थी। .
देखें कलि संवत और ३१०२ ईसा पूर्व
कलियुग संवत के रूप में भी जाना जाता है।