सामग्री की तालिका
5 संबंधों: एडवांस एयर डिफेंस, एस-400 मिसाइल प्रणाली, पृथ्वी एयर डिफेंस, रूस, अन्तरमहाद्वीपीय प्राक्षेपिक प्रक्षेपास्त्र।
एडवांस एयर डिफेंस
एडवांस एयर डिफेंस या अश्विन बैलिस्टिक मिसाइल इंटरसेप्टर (Advanced Air Defence या Ashwin Ballistic Missile Interceptor) 30 किमी (19 मील) की ऊंचाई पर इंडो-वायुमंडल में आने वाली बैलिस्टिक मिसाइलों अवरोधन करने के लिए बनायीं गयी एक एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल है। एएडी एकल-चरण, ठोस-इंधन वाला मिसाइल है। इसकी मार्गदर्शन प्रणाली पृथ्वी एयर डिफेंस के समान है: इसमें जड़त्वीय नेविगेशन प्रणाली, जमीन के आधार पर रडार से मिडस्केस अद्यतन और टर्मिनल चरण में सक्रिय रडार आदि है। यह मिसाइल 7.5 मीटर (25 फीट) लंबा है, इसका वजन लगभग 1.2 टन और 0.5 मीटर (1 फीट 8 इंच) से कम का व्यास है। 6 दिसंबर 2007 को, एएडी ने सफलतापूर्वक एक संशोधित पृथ्वी-2 मिसाइल को अवरुद्ध कर दिया, जो दुश्मन देश की आने वाली बैलिस्टिक मिसाइल के लक्ष्य के रूप में अभिनय कर रही थी। एंडो-वायुमंडलीय अवरोध 15 किमी (9.3 मील) की ऊंचाई पर किया गया था। इंटरसेप्टर और सभी इसमे खरे उतरे। यह प्रक्षेपण दिल्ली में डीआरडीओ भवन के नियंत्रण कक्ष में एक वीडियो लिंक के माध्यम से दिखाया गया था। परीक्षण की घटनाओं का क्रम इस प्रकार था: सुबह 11 बजे पृथ्वी (मिसाइल) को चंडीपुर ओडिशा में एकीकृत टेस्ट रेंज (आईटीआर) के लांच कॉम्प्लेक्स 3 से लॉन्च किया गया था। कोनार्क,पारादीप में रडार ने मिसाइल का पता लगाया और लगातार इसे ट्रैक किया। आगे की प्रक्रिया के लिए लक्ष्य सूचना को मिशन नियंत्रण केंद्र पर भेजा गया था। मिशन नियंत्रण केंद्र ने लक्ष्य को वर्गीकृत किया, मिसाइल के प्रक्षेपवक्र की गणना की और चांदीपुर से 70 किमी (43 मील) समुद्र के पार अब्दुल कलाम द्वीप (व्हीलर द्वीप) पर स्थित एएडी बैटरी को लक्ष्य सौंपा। एएडी लॉन्च किया गया। जब पृथ्वी मिसाइल 110 किमी (68 मील) के एक दूरतम बिन्दु पर पहुंच गया। एडवांस एयर डिफेंस ने 15 किमी (9.3 मील) की ऊंचाई पर और 4 मेक की गति से पृथ्वी (मिसाइल) को प्रत्यक्ष हिट किया। रडार ने बड़ी संख्या में पटरियों का गठन किया, जिससे पता चलता है कि लक्ष्य कई टुकड़ों में टूट गया था। अर्थात एडवांस एयर डिफेंस मिसाइल ने पृथ्वी (मिसाइल) के टुकडे-टुकडे कर दिए थे। व्हीलर द्वीप पर स्थित थर्मल कैमरों ने थर्मल इमेजेस के माध्यम से सीधे हिट करने की चित्र दिखाए। भारत द्वारा किए गए दो सफल इंटरसेप्टर मिसाइल परीक्षणों के चलते। वैज्ञानिकों ने कहा है कि एडवांस एयर डिफेंस मिसाइल को एक नई विस्तारित सीमा (150 किमी (9 3 मील)) तक सतह से हवा वाली मिसाइल में संशोधित किया जा सकता है जिसका संभवतः 'अश्विन' नाम रखा जा सकता है। 15 मार्च 2010: सोमवार को ओडिशा तट से एडी इंटरसेप्टर मिसाइल परीक्षण निरस्त कर दिया गया था। चूंकि लक्ष्य मिसाइल अपने रास्ते से हट गई और समुद्र में गिर गई थी। एडी मिसाइल को समुद्र पर 15 से 20 किमी की ऊंचाई पर लक्ष्य को अवरुद्ध करना था। लक्ष्य पृथ्वी मिसाइल, सुबह 10:02 बजे चंडीपुर सागर में एकीकृत टेस्ट रेंज के लांच कॉम्प्लेक्स-3 के मोबाइल लांचर से लॉन्च किया गया था।11 किलोमीटर की यात्रा के बाद मिसाइल अपनी गति से विचलित हो गया और समुद्र में जा गिरा। इसे 15 किलोमीटर की यात्रा करनी थी। 26 जुलाई 2010: ओडिशा के पूर्वी तट से व्हीलर द्वीप पर एकीकृत टेस्ट रेंज (आईटीआर) से सफलतापूर्वक एएडी का परीक्षण किया गया। 6 मार्च 2011 को, भारत ने ओडिशा तट से अपनी स्वदेशी विकसित इंटरसेप्टर मिसाइल का लॉन्च किया। भारत ने अपने इंटरसेप्टर मिसाइल से सफलतापूर्वक परीक्षण किया, जिसने बंगाल की खाड़ी पर 16 किमी की ऊंचाई पर एक 'प्रतिकूल' लक्ष्य बैलिस्टिक मिसाइल, संशोधित पृथ्वी मिसाइल को नष्ट कर दिया। .
देखें एस-500 मिसाइल प्रणाली और एडवांस एयर डिफेंस
एस-400 मिसाइल प्रणाली
एस-400 ट्रिम्फ (S-400 Triumf) एक विमान भेदी हथियार एस-300 परिवार का नवीनीकरण के रूप में रूस की अल्माज़ केंद्रीय डिजाइन ब्यूरो द्वारा 1990 के दशक में विकसित विमान भेदी हथियार प्रणाली है। यह 2007 के बाद से ही रूसी सशस्त्र सेना में सेवा कर रही है। .
देखें एस-500 मिसाइल प्रणाली और एस-400 मिसाइल प्रणाली
पृथ्वी एयर डिफेंस
पृथ्वी एयर डिफेंस या प्रद्युम्न बैलिस्टिक मिसाइल इंटरसेप्टर (Prithvi Air Defence या Pradyumna Ballistic Missile Interceptor) वायुमंडल के बाहर आने वाली बैलिस्टिक मिसाइलों को अवरोधन करने के लिए विकसित एक एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल है। यह पृथ्वी मिसाइल के आधार पर बनायीं गयी है। .
देखें एस-500 मिसाइल प्रणाली और पृथ्वी एयर डिफेंस
रूस
रूस (रूसी: Росси́йская Федера́ция / रोस्सिज्स्काया फ़ेदेरात्सिया, Росси́я / रोस्सिया) पूर्वी यूरोप और उत्तर एशिया में स्थित एक विशाल आकार वाला देश। कुल १,७०,७५,४०० किमी२ के साथ यह विश्व का सब्से बड़ा देश है। आकार की दृष्टि से यह भारत से पाँच गुणा से भी अधिक है। इतना विशाल देश होने के बाद भी रूस की जनसंख्या विश्व में सातवें स्थान पर है जिसके कारण रूस का जनसंख्या घनत्व विश्व में सब्से कम में से है। रूस की अधिकान्श जनसंख्या इसके यूरोपीय भाग में बसी हुई है। इसकी राजधानी मॉस्को है। रूस की मुख्य और राजभाषा रूसी है। रूस के साथ जिन देशों की सीमाएँ मिलती हैं उनके नाम हैं - (वामावर्त) - नार्वे, फ़िनलैण्ड, एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, पोलैण्ड, बेलारूस, यूक्रेन, जॉर्जिया, अज़रबैजान, कजाकिस्तान, चीन, मंगोलिया और उत्तर कोरिया। रूसी साम्राज्य के दिनों से रूस ने विश्व में अपना स्थान एक प्रमुख शक्ति के रूप में किया था। प्रथम विश्वयुद्ध के बाद सोवियत संघ विश्व का सबसे बड़ा साम्यवादी देश बना। यहाँ के लेखकों ने साम्यवादी विचारधारा को विश्व भर में फैलाया। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद सोवियत संघ एक प्रमुख सामरिक और राजनीतिक शक्ति बनकर उभरा। संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ इसकी वर्षों तक प्रतिस्पर्धा चली जिसमें सामरिक, आर्थिक, राजनैतिक और तकनीकी क्षेत्रों में एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ थी। १९८० के दशक से यह आर्थिक रूप से क्षीण होता चला गया और १९९१ में इसका विघटन हो गया जिसके फलस्वरूप रूस, सोवियत संघ का सबसे बड़ा राज्य बना। वर्तमान में रूस अपने सोवियत संघ काल के महाशक्ति पद को पुनः प्राप्त करने का प्रयास कर रहा है। यद्यपि रूस अभी भी एक प्रमुख देश है लेकिन यह सोवियत काल के पद से भी बहुत दूर है। .
देखें एस-500 मिसाइल प्रणाली और रूस
अन्तरमहाद्वीपीय प्राक्षेपिक प्रक्षेपास्त्र
अन्तरमहाद्वीपीय प्राक्षेपिक प्रक्षेपास्त्र या आई॰सी॰बी॰एम एक सतह-से सतह पर मार करने वाले प्रक्षेपास्त्र को कहते हैं। इन्हें यह नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि ये लम्बी दूरी तक मार कर सकते हैं अर्थात एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप तक भी इनकी मारक-दूरी होती है। इन प्रक्षेपास्त्रों का उपयोग मुख्यतः नाभिकीय युद्ध की स्थिति में किया जाता है क्योंकि एक देश से दूसरे देश तक कम से कम समय में नाभिकीय अस्त्र ले जाने में इन प्रक्षेपास्त्रों को सबसे कम समय लगता है। इसलिए किसी भी नाभिकीय युद्ध की स्थिति में ये प्रक्षेपास्त्र सर्वाधिक क्षति कर सकते हैं। इस समय पाँचों नाभिकीय शक्ति सम्पन्न देशों (चीन, फ़्रान्स, ब्रिटेन, रूस और अमेरिका) के पास ये प्रक्षेपास्त्र हैं। भारत भी इस प्रकार के प्रक्षेपास्त्रों के विकास में लगा हुआ है। इसके अतिरिक्त यह माना जाता है कि इस्राइल, ईरान, पाकिस्तान और उत्तर कोरिया ने भी ये प्रक्षेपास्त्र तैयार कर लिए हैं या इन्हें तैयार करने की क्षमता प्राप्त कर चुके हैं या तैयार करने पर विचार कर रहे हैं।। अन्तरमहाद्वीपीय प्रक्षेपास्त्र पृथ्वी के निचले वातावरण से आरम्भ होकर अपने मार्ग का अधिकान्श भाग ऊपरी वायुमण्डल में तय करता है जहाँ पर वायु घर्षण सबसे कम होता है। कम ईन्धन होने के कारण ये प्रक्षेपास्त्र मध्यम-दूरी के प्रक्षेपास्त्रों से अधिक दूरी तय करते है। मध्यम-दूरी के प्रक्षेपास्त्र निचले वायुमण्डल में ही मार्ग तय करते हुए जाते हैं। अन्तरमहाद्वीपीय प्रक्षेपास्त्र कहलाने के लिए कम से कम ५,५०० किमी की मारक-दूरी होनी चाहिए। .
देखें एस-500 मिसाइल प्रणाली और अन्तरमहाद्वीपीय प्राक्षेपिक प्रक्षेपास्त्र