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ऍस२ तारा

सूची ऍस२ तारा

सोर्स २ (Source 2) या ऍस२ (S2) या ऍस०–२ (S0–2) हमारी गैलेक्सी, क्षीरमार्ग, के केन्द्र में स्थित खगोलीय रेडियो स्रोत धनु ए* के समीप स्थित एक तारा है। खगोलशास्त्री धनु ए* को एक विशालकाय कालाछिद्र मानते हैं और यह तारा उसकी 15.56 ± 0.35 वर्षों की कक्षीय अवधि से परिक्रमा कर रहा है। इसकी कक्षा का अर्ध दीर्घ अक्ष लगभग 970 ख॰इ॰ है और कालेछिद्र से अपकेन्द्र लगभग 17 प्रकाश घंटे है। इसका द्रव्यमान (यानि सौर द्रव्यमान का 14 गुना) अनुमानित करा गया है। परिक्रमा करते हुए इसका चरम वेग ५,००० किमी/सैकंड है, जो प्रकाशगति का १/६० है।। .

18 संबंधों: तारा, दक्षिणावर्त, द्रव्यमान, धनु ए*, धनु तारामंडल, प्रकाश-वर्ष, मन्द, मन्दाकिनी, युग (खगोलशास्त्र), सौर द्रव्यमान, विशालकाय ब्लैक होल, खगोल विज्ञानी, खगोलीय रेडियो स्रोत, खगोलीय इकाई, आकाशगंगा, कक्षा (भौतिकी), कक्षीय अवधि, अर्ध दीर्घ अक्ष

तारा

तारे (Stars) स्वयंप्रकाशित (self-luminous) उष्ण गैस की द्रव्यमात्रा से भरपूर विशाल, खगोलीय पिंड हैं। इनका निजी गुरुत्वाकर्षण (gravitation) इनके द्रव्य को संघटित रखता है। मेघरहित आकाश में रात्रि के समय प्रकाश के बिंदुओं की तरह बिखरे हुए, टिमटिमाते प्रकाशवाले बहुत से तारे दिखलाई देते हैं। .

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दक्षिणावर्त

दक्षिणावर्त (कलॉकवाइज़) का अर्थ इस प्रकार घूमना है कि घूमने की दिशा दाहिने हाथ (दक्षिण हस्त) की तरफ हो, अर्थात घड़ी की सुइयों के घूमने की दिशा। date.

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द्रव्यमान

द्रव्यमान किसी पदार्थ का वह मूल गुण है, जो उस पदार्थ के त्वरण का विरोध करता है। सरल भाषा में द्रव्यमान से हमें किसी वस्तु का वज़न और गुरुत्वाकर्षण के प्रति उसके आकर्षण या शक्ति का पता चलता है। श्रेणी:भौतिकी श्रेणी:भौतिक शब्दावली *.

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धनु ए*

धनु ए* (Sagittarius A, Sgr A) हमारी गैलेक्सी, क्षीरमार्ग के केन्द्र में स्थित एक संकुचित और शक्तिशाली रेडियो स्रोत है। यह धनु ए नामक एक बड़े क्षेत्र का भाग है और आकाश के खगोलीय गोले में धनु तारामंडल में वॄश्चिक तारामंडल की सीमा के पास स्थित है। बहुत से खगोलशास्त्रियों के अनुसार यह एक विशालकाय काला छिद्र है। माना जाता है कि अधिकांश सर्पिल और अंडाकार गैलेक्सियों के केन्द्र में ऐसा एक भीमकाय कालाछिद्र स्थित होता है। धनु ए* और पृथ्वी के बीच खगोलीय धूल के कई बादल हैं जिस कारणवश घनु ए* को प्रत्यक्ष वर्णक्रम में नहीं देखा जा सका है। फिर भी धनु ए* की तेज़ी से परिक्रमा कर रहे ऍस२ (S2) तारे के अध्ययन से धनु ए* के बारे में जानकारी मिल सकी है और उसके आधार पर धनु ए* का विशालकाय कालाछिद्र होने का भरोसा बहुत बढ़ गया है। धनु ए* हमारे सौर मंडल से २६,००० प्रकाशवर्ष की दूरी पर स्थित है। .

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धनु तारामंडल

धनु तारामंडल अँधेरे आसमान में धनु तारामंडल का दृश्य धनु या सैजीटेरियस (अंग्रेज़ी: Sagittarius) तारामंडल राशिचक्र का एक तारामंडल है जिसमें हमारी गैलेक्सी, क्षीरमार्ग, का केंद्रीय हिस्सा आता है।, Bojan Kambič, pp.

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प्रकाश-वर्ष

प्रकाश वर्ष (चिन्ह:ly) लम्बाई की मापन इकाई है। यह लगभग 950 खरब (9.5 ट्रिलियन) किलोमीटर के अन्दर होती है। यहां एक ट्रिलियन 1012 (दस खरब, या अरब पैमाने) के रूप में लिया जाता है। अन्तर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ के अनुसार, प्रकाश वर्ष वह दूरी है, जो प्रकाश द्वारा निर्वात में, एक वर्ष में पूरी की जाती है। यह लम्बाई मापने की एक इकाई है जिसे मुख्यत: लम्बी दूरियों यथा दो नक्षत्रों (या ता‍रों) बीच की दूरी या इसी प्रकार की अन्य खगोलीय दूरियों को मापने मैं प्रयोग किया जाता है। .

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मन्द

मन्द (apsis) किसी बड़ी वस्तु के इर्द-गिर्द परिक्रमा करती हुई किसी अन्य वस्तु की कक्षा में कोई चरम बिन्दु होता है। जब परिक्रमा करती हुई वस्तु केन्द्रीय वस्तु से सबसे कम दूरी पर होती है तो वह स्थान उपमन्द (periapsis) और वह स्थान जहाँ परिक्रमा कर रही वस्तु केन्द्रीय वस्तु से सर्वाधिक दूरी पर हो अपमन्द (apoapsis) कहलाता है। कुछ विशेष वस्तुओं के लिये उपमन्द और अपमन्द की स्थिति को विशेष नाम दिये जाते हैं.

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मन्दाकिनी

समान नाम के अन्य लेखों के लिए देखें मन्दाकिनी (बहुविकल्पी) जहाँ तक ज्ञात है, गैलेक्सी ब्रह्माण्ड की सब से बड़ी खगोलीय वस्तुएँ होती हैं। एनजीसी ४४१४ एक ५५,००० प्रकाश-वर्ष व्यास की गैलेक्सी है मन्दाकिनी या गैलेक्सी, असंख्य तारों का समूह है जो स्वच्छ और अँधेरी रात में, आकाश के बीच से जाते हुए अर्धचक्र के रूप में और झिलमिलाती सी मेखला के समान दिखाई पड़ता है। यह मेखला वस्तुत: एक पूर्ण चक्र का अंग हैं जिसका क्षितिज के नीचे का भाग नहीं दिखाई पड़ता। भारत में इसे मंदाकिनी, स्वर्णगंगा, स्वर्नदी, सुरनदी, आकाशनदी, देवनदी, नागवीथी, हरिताली आदि भी कहते हैं। हमारी पृथ्वी और सूर्य जिस गैलेक्सी में अवस्थित हैं, रात्रि में हम नंगी आँख से उसी गैलेक्सी के ताराओं को देख पाते हैं। अब तक ब्रह्मांड के जितने भाग का पता चला है उसमें लगभग ऐसी ही १९ अरब गैलेक्सीएँ होने का अनुमान है। ब्रह्मांड के विस्फोट सिद्धांत (बिग बंग थ्योरी ऑफ युनिवर्स) के अनुसार सभी गैलेक्सीएँ एक दूसरे से बड़ी तेजी से दूर हटती जा रही हैं। ब्रह्माण्ड में सौ अरब गैलेक्सी अस्तित्व में है। जो बड़ी मात्रा में तारे, गैस और खगोलीय धूल को समेटे हुए है। गैलेक्सियों ने अपना जीवन लाखो वर्ष पूर्व प्रारम्भ किया और धीरे धीरे अपने वर्तमान स्वरूप को प्राप्त किया। प्रत्येक गैलेक्सियाँ अरबों तारों को को समेटे हुए है। गुरुत्वाकर्षण तारों को एक साथ बाँध कर रखता है और इसी तरह अनेक गैलेक्सी एक साथ मिलकर तारा गुच्छ में रहती है। प्रारंभ में खगोलशास्त्रियों की धारणा थी कि ब्रह्मांड में नई गैलेक्सियों और क्वासरों का जन्म संभवत: पुरानी गैलेक्सियों के विस्फोट के फलस्वरूप होता है। लेकिन यार्क विश्वविद्यालय के खगोलशास्त्रियों-डॉ॰सी.आर.

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युग (खगोलशास्त्र)

यह बाहरी सौर मंडल की वस्तुओं की स्थिति का चित्रण है (हरी बिन्दुएँ काइपर घेरे की वस्तुएँ हैं)। यह J2000.0 खगोलीय युग पर आधारित है - यानि १ जनवरी २००० को यह वस्तुएँ इन स्थानों पर थीं लेकिन तब से ज़रा-बहुत हिल चुकी होंगी खगोलशास्त्र में युग (epoch) समय के किसी एक आम सहमती से चुने हुए क्षण को बोलते हैं जिसपर आधारित किसी खगोलीय वस्तु या प्रक्रिया की स्थिति के बारे में जानकारी दी जाए। ब्रह्माण्ड में लगभग सभी वस्तुओं में लगातार परिवर्तन आते रहते हैं - तारों की हमसे दूसरी बदलती है, तारों की रौशनी उतरती-चढ़ती है, ग्रहों का अक्षीय झुकाव बदलता है, इत्यादि - इसलिए यह आवश्यक है कि जब भी किसी वास्तु का कोई माप दिया जाए तो यह स्पष्ट कर दिया जाए कि वह माप किस समय के लिए सत्य था। इसलिए जब पंचांग बनाए जाते हैं जो खगोलीय वस्तुओं की भिन्न समयों पर दशा बताते हैं तो उन्हें किसी खगोलीय युग पर आधारित करना ज़रूरी होता है। खगोलशास्त्रियों के समुदाय समय-समय पर एक दिनांक को नया खगोलीय युग घोषित कर देते हैं और फिर उसका प्रयोग करते हैं। समय गुज़रने के साथ ब्रह्माण्ड बदलता है और एक समय आता है जब उस खगोलीय युग पर जो वस्तुओं की स्थिति थी वह वर्तमान स्थिति से बहुत अलग हो जाती है। ऐसा होने पर आपसी सहमती बनाकर फिर एक नया खगोलीय युग घोषित किया जाता है और सभी वस्तुओं की स्थिति का उस नए युग के लिए अद्यतन किया जाता है। .

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सौर द्रव्यमान

वी॰वाए॰ कैनिस मेजौरिस का द्रव्यमान ३०-४० \beginsmallmatrixM_\odot\endsmallmatrix है, यानि सूरज के द्रव्यमान का ३०-४० गुना है खगोलविज्ञान में सौर द्रव्यमान (solar mass) (\beginM_\odot\end) द्रव्यमान की मानक इकाई है, जिसका मान १.९८८९२ X १०३० कि.ग्रा.

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विशालकाय ब्लैक होल

विशालकाय ब्लैक होल (Supermassive black hole (SMBH)), ब्लैक होल का सबसे बड़ा प्रकार है | यह हजारों सैकड़ों अरबों सौर द्रव्यमान के क्रम का ब्लैक होल है | अधिकांश - या संभवतः सभी - आकाशगंगाएँ अपने केन्द्रों पर एक विशालकाय ब्लैक होल रखती है ऐसा अनुमान लगाया गया है। हमारी आकाशगंगा के मामले में यह ब्लैक होल धनु A*En की स्थिति के अनुरूप माना गया है। .

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खगोल विज्ञानी

खगोल विज्ञानी अथवा खगोल शास्त्री वे वैज्ञानिक अध्ययनकर्ता हैं जी आकाशीय पिण्डों, उनकी गतियों और अंतरिक्ष में मौजूद विविध प्रकार की चीजों की खोज और अध्ययन का कार्य करते हैं। पश्चिमी संस्कृति में गैलीलियो नामक खगोल विज्ञानी को आधुनिक खगोलशास्त्र का पिता माना जाता है। हालाँकि कुछ लोग यह नाम कॉपरनिकस को देते हैं। .

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खगोलीय रेडियो स्रोत

खगोलीय रेडियो स्रोत (astronomical radio sources) अंतरिक्ष में ऐसी खगोलीय वस्तुएँ होती हैं जिनसे शक्तिशाली रेडियो तरंगें प्रसारित हो रही हों। ऐसी वस्तुओं में न्यूट्रॉन तारे, महानोवा अवशेष और काले छिद्र शामिल हैं, जो ब्रह्माण्ड की सर्वाधिक ऊर्जावान भौतिक प्रक्रियाओं को प्रदर्शित करते हैं। .

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खगोलीय इकाई

खगोलीय इकाई (AU या au या a.u. या यद कदा ua) लम्बाई की इकाई है, जो लगभग 150 मिलियन किलोमीटर है और पृथ्वी से सूर्य की दूरी पर आधारित है। इसकी सही सही मान है 149,597,870,691 ± 30 मीटर (लगभग 150 मिलियन किलोमीटर या 93 मिलियन मील).

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आकाशगंगा

स्पिट्ज़र अंतरिक्ष दूरबीन से ली गयी आकाशगंगा के केन्द्रीय भाग की इन्फ़्रारेड प्रकाश की तस्वीर। अलग रंगों में आकाशगंगा की विभिन्न भुजाएँ। आकाशगंगा के केंद्र की तस्वीर। ऍन॰जी॰सी॰ १३६५ (एक सर्पिल गैलेक्सी) - अगर आकाशगंगा की दो मुख्य भुजाएँ हैं जो उसका आकार इस जैसा होगा। आकाशगंगा, मिल्की वे, क्षीरमार्ग या मन्दाकिनी हमारी गैलेक्सी को कहते हैं, जिसमें पृथ्वी और हमारा सौर मण्डल स्थित है। आकाशगंगा आकृति में एक सर्पिल (स्पाइरल) गैलेक्सी है, जिसका एक बड़ा केंद्र है और उस से निकलती हुई कई वक्र भुजाएँ। हमारा सौर मण्डल इसकी शिकारी-हन्स भुजा (ओरायन-सिग्नस भुजा) पर स्थित है। आकाशगंगा में १०० अरब से ४०० अरब के बीच तारे हैं और अनुमान लगाया जाता है कि लगभग ५० अरब ग्रह होंगे, जिनमें से ५० करोड़ अपने तारों से जीवन-योग्य तापमान रखने की दूरी पर हैं। सन् २०११ में होने वाले एक सर्वेक्षण में यह संभावना पायी गई कि इस अनुमान से अधिक ग्रह हों - इस अध्ययन के अनुसार आकाशगंगा में तारों की संख्या से दुगने ग्रह हो सकते हैं। हमारा सौर मण्डल आकाशगंगा के बाहरी इलाक़े में स्थित है और आकाशगंगा के केंद्र की परिक्रमा कर रहा है। इसे एक पूरी परिक्रमा करने में लगभग २२.५ से २५ करोड़ वर्ष लग जाते हैं। .

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कक्षा (भौतिकी)

दिक् में एक बिंदु के इर्द-गिर्द अपनी अलग-अलग कक्षाओं में परिक्रमा करती दो अलग आकारों की वस्तुएँ भौतिकी में कक्षा या ऑर्बिट दिक् (स्पेस) में स्थित एक बिंदु के इर्द-गिर्द एक मार्ग को कहते हैं जिसपर चलकर कोई वस्तु उस बिंदु की परिक्रमा करती है। खगोलशास्त्र में अक्सर उस बिंदु पर कोई बड़ा तारा या ग्रह स्थित होता है जिसके इर्द-गिर्द कोई छोटा ग्रह या उपग्रह अपनी कक्षा में उसकी परिक्रमा करता है। यदि खगोलीय वस्तुओं की कक्षाओं को देखा जाए तो कई भिन्न तरह की कक्षाएँ देखी जाती हैं - कुछ गोलाकार हैं, कुछ अण्डाकार हैं और कुछ इन से अधिक पेचीदा हैं। श्रेणी:भौतिकी श्रेणी:खगोलशास्त्र श्रेणी:हिन्दी विकि डीवीडी परियोजना * श्रेणी:ज्योतिष पक्ष.

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कक्षीय अवधि

किसी पिण्ड की कक्षीय अवधि अथवा परिक्रमण काल या संयुति काल उसके द्वारा किसी दूसरे निकाय का एक पूरा चक्कर लगाने में लिया गया समय है। .

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अर्ध दीर्घ अक्ष

एक दीर्घवृत्त का अर्द्ध-मुख्य अक्ष मुख्य अक्ष (major axis) एक दीर्घवृत्त का सबसे लंबा व्यास है, एक रेखा जो केंद्र और दोनों नाभियों से होकर गुजरती है, इसके छोर आकार के सर्वाधिक दूरी के बिंदु है। मुख्य अक्ष का आधा अर्द्ध-मुख्य अक्ष (semi-major axis) है और इस तरह नाभि से होकर केंद्र से दीर्घवृत्त के किनारे तक जाती है; अनिवार्य रूप से, यह कक्षा के सबसे दूरस्थ बिन्दुओं से ली गई, कक्षा की त्रिज्या की एक माप है। वृत्त के विशेष मामले में, अर्द्ध-मुख्य अक्ष एक त्रिज्या है। एक तरह से सोचे तो अर्द्ध-मुख्य अक्ष एक दीर्घवृत्त की सबसे लम्बी त्रिज्या है। .

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