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उरुवेला

सूची उरुवेला

उरुवेला नामक स्थान का ऐतिहासिक महत्व महात्मा बुद्ध के संन्यासी जीवन से सम्बंधित है। उरुवेला नगर बौद्धकालीन मगध महाजनपद में अवस्थित था। उरुवेला को बोधगया के निकट स्थित उरेल नामक आधुनिक ग्राम से समीकृत किया जाता है। प्राकृतिक दृष्टि से यह अत्यंत मनोरम स्थल था। महात्मा बुद्ध ने भी यहाँ के सुन्दर वृक्षों, मनोहर झीलों, मैदान तथा निरंजना नदी की प्रशंसा की थी। गृहत्याग के बाद महात्मा बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त करने के लिये इसी स्थान को चुना था। ज्ञान प्राप्ति के बाद महात्मा बुद्ध निरंजना नदी के तट पर अजपाल नामक वटवृक्ष के नीचे उरुवेला में रहते थे। .

सामग्री की तालिका

  1. 3 संबंधों: बोधगया, मगध महाजनपद, गौतम बुद्ध

बोधगया

बिहार की राजधानी पटना के दक्षिणपूर्व में लगभग १०० किलोमीटर दूर स्थित बोधगया गया जिले से सटा एक छोटा शहर है। बोधगया में बोधि पेड़़ के नीचे तपस्या कर रहे भगवान गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। तभी से यह स्थल बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। वर्ष २००२ में यूनेस्को द्वारा इस शहर को विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया। .

देखें उरुवेला और बोधगया

मगध महाजनपद

मगध प्राचीन भारत के 16 महाजनपदों में से एक था। आधुनिक पटना तथा गया ज़िला इसमें शामिल थे। इसकी राजधानी गिरिव्रज (वर्तमान राजगीर) थी। भगवान बुद्ध के पूर्व बृहद्रथ तथा जरासंध यहाँ के प्रतिष्ठित राजा थे। अभी इस नाम से बिहार में एक प्रंमडल है - मगध प्रमंडल। (२) सुमसुमार पर्वत के भाग, (३) केसपुत्र के कालाम, (४) रामग्राम के कोलिय, (५) कुशीमारा के मल्ल, (६) पावा के मल्ल, (७) पिप्पलिवन के मौर्य, (८) आयकल्प के बुलि, (९) वैशाली के लिच्छवि, (१०) मिथिला के विदेह। -- .

देखें उरुवेला और मगध महाजनपद

गौतम बुद्ध

गौतम बुद्ध (जन्म 563 ईसा पूर्व – निर्वाण 483 ईसा पूर्व) एक श्रमण थे जिनकी शिक्षाओं पर बौद्ध धर्म का प्रचलन हुआ। उनका जन्म लुंबिनी में 563 ईसा पूर्व इक्ष्वाकु वंशीय क्षत्रिय शाक्य कुल के राजा शुद्धोधन के घर में हुआ था। उनकी माँ का नाम महामाया था जो कोलीय वंश से थी जिनका इनके जन्म के सात दिन बाद निधन हुआ, उनका पालन महारानी की छोटी सगी बहन महाप्रजापती गौतमी ने किया। सिद्धार्थ विवाहोपरांत एक मात्र प्रथम नवजात शिशु राहुल और पत्नी यशोधरा को त्यागकर संसार को जरा, मरण, दुखों से मुक्ति दिलाने के मार्ग की तलाश एवं सत्य दिव्य ज्ञान खोज में रात में राजपाठ छोड़कर जंगल चले गए। वर्षों की कठोर साधना के पश्चात बोध गया (बिहार) में बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे सिद्धार्थ गौतम से बुद्ध बन गए। .

देखें उरुवेला और गौतम बुद्ध