सामग्री की तालिका
नमाज़
काहिरा में नमाज़, 1865। ज़ाँ-लेयॉ ज़ेरोम। नामाज़ (उर्दू: نماز) या सलाह (अरबी: صلوة), नमाज फारसी शब्द है, जो उर्दू में अरबी शब्द सलात का पर्याय है। कुरान शरीफ में सलात शब्द बार-बार आया है और प्रत्येक मुसलमान स्त्री और पुरुष को नमाज पढ़ने का आदेश ताकीद के साथ दिया गया है। इस्लाम के आरंभकाल से ही नमाज की प्रथा और उसे पढ़ने का आदेश है। यह मुसलमानों का बहुत बड़ा कर्तव्य है और इसे नियमपूर्वक पढ़ना पुण्य तथा त्याग देना पाप है। .
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मक्का
*मक्का (शहर)- सउदी अरब पवित्र शहर.
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शहादा
शहादा (الشهادة "गवाही देना"; और भी अश-शहादतन (الشَهادَتانْ, "दो गवाहियाँ, एक इस्लामी बुनियादी प्रथा है, इस बात का एलान करना कि अल्लाह (ईश्वर) एक है और मुहम्मद अल्लाह (ईश्वर) के भेजे गए प्रेषित (पैगम्बर) हैं.
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सौम
सौम (صوم) और बहुवचन सियाम (صيام) अरबी भाषा के शब्द हैं। उपवास को अरबी में "सौम" कहते हैं। रमज़ान के पवित्र माह में रखे जाने वाले उपवास ही "सौम" हैं। उर्दू और फ़ारसी भाषा में सौम को "रोज़ा" कहते हैं। इस्लाम के पाँच मूलस्थंबों में से एक सौम है। .
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हदीस
एक हदीस (حديث हदीस या, बहुवचन: أحاديث अहादीस), पैग़म्बर मुहम्मद स्वल्लल्लाहु अलैहि वस्सल्लम के कथनों, कार्यों या आदतों का वर्णन करने वाले विवरण या रिपोर्ट को कहते हैं। यह शब्द अरबी भाषा से आता है और इसके अर्थ "रिपोर्ट (विवरण)", "लेखा" या "रिवायत" हैं। क़ुरआन से अलग, एक समान साहित्यिक काम जो सभी मुस्लिमों द्वारा मान्यता प्राप्त है। हदीस इकलौता संग्रह नहीं हैं। अहादीस अलग-अलग हदीसों के संग्रह को दर्शाता है, और इस्लाम की विभिन्न शाखाएं (सुन्नी, शिया) हदीसों के विभिन्न संग्रहों से परामर्श (हवाला) लेती हैं जबकि क़ुरआनीयत का एक अपेक्षाकृत छोटा पक्ष किसी भी हदीस संग्रह के प्रमाण को पूरी तरह से अस्वीकार करता हैं।Aisha Y.
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हज
हज (अरबी: حج हज " तीर्थयात्रा"), एक इस्लामी तीर्थयात्रा और मुस्लिम लोगों का पवित्र शहर मक्का में प्रतिवर्ष होने वाला विश्व का सबसे बड़ा जमावड़ा है। यह इस्लाम के पाँच स्तंभों में से एक है, साथ ही यह एक धार्मिक कर्तव्य है जिसे अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार पूरा करना हर उस मुस्लिम चाहे स्त्री हो या पुरुष का कर्तव्य है जो सक्षम शरीर होने के साथ साथ इसका खर्च भी उठा पाने में समर्थ हो। शारीरिक और आर्थिक रूप से हज करने में सक्षम होने की स्थिति को इस्ति'ताह कहा जाता है और वो मुस्लिम है जो इस शर्त को पूरा करता है मुस्ताती कहलाता है। हज मुस्लिम लोगों की एकजुटता का प्रदर्शन होने के साथ साथ उनका अल्लाह (ईश्वर) में विश्वास होने का भी द्योतक है। यह तीर्थयात्रा इस्लामी कैलेंडर के 12 वें और अंतिम महीने धू अल हिज्जाह की 8 वीं से 12 वीं तारीख तक की जाती है। इस्लामी कैलेंडर एक चंद्र कैलेंडर है इसलिए इसमें, पश्चिमी देशों में प्रयोग में आने वाले ग्रेगोरियन कैलेंडर से ग्यारह दिन कम होते हैं, इसीलिए ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार हज की तारीखें साल दर साल बदलती रहती हैं। इहरम वो विशेष आध्यात्मिक स्थिति है जिसमें मुसलमान हज को दौरान रहते हैं। 7 वीं शताब्दी से हज इस्लामी पैगंबर मुहम्मद के जीवन के साथ जुड़ा हुआ है, लेकिन मुसलमान मानते हैं कि मक्का की तीर्थयात्रा की यह रस्म हजारों सालों से यानि कि इब्राहीम के समय से चली आ रही है। तीर्थयात्री उन लाखों लोगों के जुलूस में शामिल होते हैं जो एक साथ हज के सप्ताह में मक्का में जमा होते हैं और यहं पर कई अनुष्ठानों में हिस्सा लेते हैं: प्रत्येक व्यक्ति एक घनाकार इमारत काबा के चारों ओर वामावर्त सात बार चलता है जो कि मुस्लिमों के लिए प्रार्थना की दिशा है, अल सफा और अल मारवाह नामक पहाड़ियों के बीच आगे और पीछे चलता है, ज़मज़म के कुएं से पानी पीता है, चौकसी में खड़ा होने के लिए अराफात पर्वत के मैदानों में जाता है और एक शैतान को पत्थर मारने की रस्म पूरा करने के लिए पत्थर फेंकता है। उसके बाद तीर्थयात्री अपने सर मुंडवाते हैं, पशु बलि की रस्म करते हैं और इसके बाद ईद उल-अधा नामक तीन दिवसीय वैश्विक उत्सव मनाते हैं। .
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ज़कात
ज़कात (زكاة. zakāt, "पाक या शुद्धी करने वाला", एवं ज़कात अल-माल زكاة ألمال, "सम्पत्ती पर ज़कात ", या "ज़काह") इस्लाम में एक प्रकार का "दान देना" है, जिसको धार्मिक रूप से ज़रूरी और कर के रूप में देखा और माना जाता है। कुरआन के अनुसार सलात या नमाज़ के बाद ज़कात ही का मक़ाम है.
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इस्लाम के पांच मूल स्तंभ
इस्लाम के पांच मूल स्तंभ (أركان الإسلام; also أركان الدين "pillars of the religion") मूल रूप से मुसलमानों के विशवास के अनुसार इस्लाम धर्म के पाँच मूल स्तंभ या फ़र्ज माना जाता है, जो हर मुस्लमान को अपनी ज़िंदगी का मूल विचार माना जाता है। यह बाते मशहूर हदीस "हदीस ए जिब्रील" में बताया गया है। .